[Sansar Editorial] भारत और जापान के बीच करेंसी स्वैप करार – समझौते का महत्त्व

Sansar LochanIndia and non-SAARC countries, International Affairs, Sansar Editorial 2018


भारत और जापान ने 29 अक्टूबर, 2018 के बीच 75 अरब डॉलर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली (currency swap) की व्यवस्था पर समझौता हुआ. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह करार भारतीय रुपये की विनिमय दर और पूँजी बाजार में स्थिरता बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा.
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The Indian Express Editorial – “Explained: Where India, Japan ties stand now and what is planned for the future.”

समझौते का आर्थिक महत्त्व

  • विदित हो कि भारत ने जापान के साथ 75 अरब डॉलर का मुद्रा अदला-बदली (currency swap) समझौता किया है. इस समझौते के अनुसार दोनों देश अब 75 अरब डॉलर तक के बराबर राशि का भुगतान आपसी मुद्रा में, यानी भारतीय रुपये या जापानी येन में कर सकेंगे. कहा जा रहा है कि इस समझौते के द्वारा भारत में गिरते रुपये के मूल्य और पूंजी बाज़ार की अस्थिरता को में सँभालने में मदद मिलेगी. भारत और जापान के मध्य टु-प्लस-टु संवाद को लेकर भी सहमति बन गई है.
  • इस महत्त्वपूर्ण भेंट में दोनों देशों ने एशिया-प्रशांत में साझी रणनीति और चीन के विस्तार नीति पर खुल कर चर्चा की.
  • 5-G लैब निर्मित करने के लिए टेक महिंद्रा और रॉकटेन के बीच करार हुआ.
  • दोनों देशों ने योग और आयुर्वेद में सहयोग करने का वादा किया.

इस समझौते का रणनीतिक महत्त्व

  • एशिया-प्रशांत में चीन की बढ़ती ताकत और सैन्य हस्तक्षेप को लेकर भारत और जापान दोनों देश चिंतित हैं. उधर अमेरिका भी चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर अत्यंत सजग है.
  • भारत सरकार भी Act East Policy के अंतर्गत दक्षिणी-पूर्वी एशिया और पूर्वी एशिया से संबंधों को दृढ़ बनाना चाहती है. जापान के सन्दर्भ में भारत के भरोसे का अनुमान सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल जापान को ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश करने की अनुमति प्राप्त है.
  • वर्तमान में जापान की दो अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ, मेघालय और मिजोरम में चल रही हैं. इस समझौते से आपस रिश्ते मजबूत होने के बाद इस सूची में और अधिक परियोजनाओं के जोड़े जाने की संभावना है.
  • भारतीय और जापानी सेनाओं के मध्य पहला सैन्य अभ्यास ‘धर्मा गार्डियन‘ अगले मास ही आरम्भ होने जा रहा है. यह अभ्यास पू्र्वोत्तर भारत में सम्पन्न होगा.
  • वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत और जापान के मध्य केवल 13.61 अरब डॉलर का व्यापार हुआ इसलिए यह कहा जा सकता है कि इन दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है.

जापान Vs चीन

  • जापान और चीन के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. हालिया सर्वेक्षण के अनुसार केवल 11% जापानी चीन के लिए सकारात्मक मत रखते हैं और दूसरी तरफ मात्र 14% चीनी जापान देश के बारे में अच्छे राय रखते हैं.
  • 1931 में जापान ने चीन के मंचूरिया पर आक्रमण किया था. यह आक्रमण उस विस्फोट का बदला था जो जापानी नियंत्रण वाले रेलवे लाइन के निकट हुआ था. इसी बीच जापानी सैनिकों के विरुद्ध चीनी सैनिक टिक नहीं पाए और अंततः जापान ने चीन के कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया.
  • उसके बाद से जापान चीन पर अपनी पकड़ मजबूत बनाता रहा. दूसरी तरफ चीन कम्युनिस्टों एवं राष्ट्रवादियों के गृह युद्ध से स्वयं परेशान था.
  • कई जापानियों को यह आपत्ति है कि चीन में जापान के इस आक्रमण को वहाँ की स्कूली टेक्स्ट बुक में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.
  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद सब शांत पड़ गया और चीन अब सैन्य ताकत के मामले में काफी तीव्र गति से आगे निकल रहा है.

जापान-भारत-चीन

  • जापान और भारत दोनों देशों का चीन से रिश्ता कभी भी अच्छा नहीं रहा है. जापान और भारत का चीन से व्यापारिक हित ही वह कारक मात्र है जिसके चलते ये दोनों देश और खुद चीन भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. पर दोनों देश समान रूप से चीन की महत्वाकांक्षी योजना One Belt One Road का पुरजोर विरोध करते आये हैं
  • भारत का चीन के साथ सीमा-विवाद तो जगजाहिर है. दूसरी तरफ जापान का भी चीन के साथ समुद्री विवाद है. दक्षिण चीन सागर में जापान द्वारा युद्धपोत और हेलिकॉप्टर कैरियर JS Kaga तैनात किया गया है जो अमरीकी सैन्य बेड़े का सहयोग देता है.
  • जापान का अफ़्रीकी देश जिबूती में अपना नौसैनिक बेस है. यह पश्चिमी देशों और भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है. भारतीय प्रधानमंत्री ने इस दौरे में जापान के सामने एक दूसरे की सैन्य सुविधाओं के प्रयोग पर भी समझौता करने का प्रस्ताव रखा है.
  • भारत का अनुमान है कि जापान से मित्रता विपरीत स्थिति में काम आ सकती है. रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद तीन बार जापान जा चुके हैं और जापानी प्रधानमंत्री भी 2014, 2015 एवं 2017 में भारत आ चुके हैं.  2005 के बाद से दोनों देशों के प्रमुख लगभग प्रत्येक वर्ष मिलते रहे हैं.

विश्लेषण

आज भारत-जापान के बीच करीब 13 से 15 अरब डॉलर का व्यापार होता है जो चीन के साथ होने वाले व्यापार का एक चौथाई हिस्सा है. जबकि जापान-चीन का व्यापार लगभग 300 अरब डॉलर का है. जापान, भारत के लिए सबसे बड़ा दानकर्ता देश है और FDI प्रदान करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश भी है. हालाँकि 2013 से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार गिरावट आई है.

दोनों देशों ने उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधि के चलते इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए रक्षा संबंधों को मजबूत करने का निर्णय लिया है.

हाल ही में कनेक्टिविटी निर्माण के लिए एक अन्य प्रमुख पहल के तौर पर एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर का अनावरण किया गया. इस पहल के तहत जापान ने 30 बिलियन डॉलर और भारत ने 10 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है. इसे लाभप्रद बनाने के लिए भारत को विदेशों में परियोजनाओं को लागू करने की अपनी शैली में बदलाव लाने की आवश्यकता है. भारत इस प्रकार की अधिकांश परियोजनाएँ लागत और पूरा करने में अधिक समय लेने जैसी समस्याओं से ग्रस्त है.

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