हाल ही में मालदीव के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलीह भारत की सरकारी यात्रा पर पहुँचे थे. यहाँ वे भारत के प्रधानमंत्री से मिले. भारत ने मालदीव को $1.4 बिलियन की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है.
मालदीव हिन्द महासागर में स्थित एक छोटा -सा द्वीपीय देश है जो सार्क का एक संस्थापक-सदस्य भी है. चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण मालदीव के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधो की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है . 1988 मे भारत के ऑपरेशन कैक्टस के बाद संबंधो में और मिठास आई परंतु मालदीव की पिछली सरकार के चीन की तरफ अधिक झुकाव ने भारत की चिंताओ को थोड़ा बढ़ा दिया है.
चीन चारों ओर से भारत को घेर रहा है. अपनी इस योजना के तहत चीन पाकिस्तान, जीबोती , श्रीलंका और मालदीव आदि देशो में बन्दरगाह बना रहा है और भारी भरकम निवेश कर रहा है. मालदीव में चीन माले के पूर्वी किनारे को द्वीप के पश्चिमी किनारे से जोड़ने वाला फ्रेंड्शिप पुल का निर्माण कर रहा है. चीन के साथ मालदीव का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भी हो चुका है. इसलिए चीन के माले में बढ़ते अंदरूनी हस्तक्षेप और सुरक्षित एवं मुक्त हिन्द महासागर समुद्री व्यापार जैसे कुछ मुद्दे के बारे में विचार करना अनिवार्य है क्योंकि चीन के हस्तक्षेप को हम पूर्वी चीन सागर में देख ही चुके है जहाँ युद्ध के हालात बनते-बनते रुक गए थे और कारण एक ही था – चीन का मनमाना व्यवहार और अंतराष्ट्रीय समुद्री कानूनों की अवहेलना.
इतिहास : भारत-मालदीव सम्बन्ध
भारत ने 1966 में ब्रिटिश शासन से मालदीव की स्वतंत्रता के बाद मालदीव के साथ औपचारिक राजनयिक सम्बन्ध स्थापित किये. भारत ने यथासंभव मालदीव के संकटकाल में उसे बहुत सहायता पहुँचाई है, जैसे –
- 1988 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) के विद्रोही समूहों के सशस्त्र हमले के समय भारत ने ऑपरेशन कैक्टस के तहत मालदीव को 1600 सैनिकों के साथ सैन्य सहायता प्रदान की थी.
- दिसम्बर 2014 में जब मालदीव का एकमात्र जल उपचार संयंत्र बंद हो गया था तो भारत ने हेलिकॉप्टर भेज कर बोतलबंद जल पहुँचाया था.
- भारत ने मालदीव में कई परियोजनाओं को भी अनावृत किया, जैसे –
- इंदिरा गाँधी मेमोरियल हॉस्पिटल
- फैकल्टी ऑफ़ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (FET)
- आतिथ्य और पर्यटन-अध्ययन के लिए भारत-मालदीव मैत्री संकाय
- मालदीव में अवसंरचनाओं के लिए उदार आर्थिक सहायता एवं सहयोग.
इसके अतिरिक्त भारत वायु कनेक्टिविटी, शिक्षा-सबंधी छात्रवृत्ति-कार्यक्रमों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिये मालदीव के नागरिकों के मध्य सम्पर्क में वृद्धि के लिए प्रयासरत रहता है.
किन्तु मालदीव और भारत के बीच सम्बन्ध में 2013 से गिरावट आने लगी और इसका एकमात्र कारण है चीन और मालदीव के बीच निकटता. चीनी कंपनियाँ मालदीव में बड़ी अवसंरचनाओं का निर्माण कर रही है और इसके लिए मालदीव द्वारा चीनी नौसेना के जहाज़ों को माले में डॉक करने की अनुमति दी गई है. इसके अतिरिक्त मालदीव ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किये हैं. विदित हो कि चीन का पहले से ही पाकिस्तान के साथ FTA समझौता है और बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल से इस संदर्भ में उसकी बात चल रही है.
मालदीव में भारत का हित
मालदीव रणनीतिक रूप से हिन्द महासागर में स्थित है और भारत के हिन्द महासागर क्षेत्र में प्रमुख शक्ति होने के कारण मालदीव की स्थिरिता में उसके विभिन्न हित निहित हैं. उन हितों को साधने के मार्ग में उसके सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं –
- चीन की स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स नीति का तोड़ निकालना.
- हिन्द महासागर को एक संघर्षमुक्त क्षेत्र बनाना और शांत महासागर के रूप में इसकी स्थिति को पुनः बहाल करना.
- समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखना, समुद्री लुटेरों और समुद्री आंतकवाद का सामना करना.
- वहाँ कार्य कर रहे प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा करना. (मालदीव में लगभग 22 हजार प्रवासी भारतीय रह रहे हैं)
- ब्लू इकॉनमी पर अनुसंधान और व्यापार में वृद्धि करना.
निष्कर्ष
हाल ही में मालदीव ने भारत द्वारा वित्तपोषित हवाई पट्टी का निर्माण भी रोक दिया गया था. अत: भारतीय कंपनियों के मालदीव में निवेश को अनूकूल करने के लिए एक मजबूत कूटनीतिक पहल करने की जरूरत है. अन्य कुछ क्षेत्रों में, जैसे – शिक्षा, चिकित्सा, इन्फॉर्मेशन टेक्नालजी, परिवहन, अंतरिक्ष, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यटन में भारत मालदीव को सहायता पहुँचा सकता है और इस प्रकार मालदीव की आर्थिक में सहयोग कर सकता है. साथ ही साथ मालदीव के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते को भी अंतिम रूप देने का प्रयास होना चाहिए. सुरक्षा की दृष्टि से एक दूसरे की सेनाओं, कोस्ट गार्ड और ऊपरी स्तर पर समन्वय, संयुक्त सैनीय अभ्यास और डाटा का सतत आदान-प्रदान होना चाहिए ताकि हिंद महासागर में किसी एक देश के प्रभुत्व और हस्तक्षेप के बिना मुक्त व्यापार हो.
मालदीव में बढ़ते कट्टरपंथ, राजनैतिक अस्थिरता और प्रवासी भारतियों की सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए यह आवश्यक है मालदीव के साथ सहयोग जारी रखे ताकि अंदरूनी चुनौतियों से निपटने में आसानी हो और साथ ही साथ चीन-मालदीव संबंधो पर भी नज़र रखे ताकि अपनी कूटनीति को बदलते परिवेश के अनुसार एक नई दिशा दे सके.
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