आज हम भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक सम्बन्ध की चर्चा करने वाले हैं. जैसा कि आप जानते हैं कि हम अंतर्राष्ट्रीय संबंद्ध के विषय में नोट्स तैयार कर रहे हैं और हमारा यह लक्ष्य है कि 2019 के शुरूआती महीनों तक भारत का अन्य देशों से संबंध को हम cover कर लेंगे. हमने International Relations को दो भाग में बाँटा है –
- भारत का SAARC देशों से सम्बन्ध
- और भारत का Non-SAARC देशों से सम्बन्ध
आज हम भारत और नेपाल के बीच सम्बन्ध के बारे में नोट्स दे रहे हैं तो इसका मतलब आज हम भारत का SAARC देशों से सम्बन्ध के विषय में लिखने जा रहे हैं. यदि आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है तो आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद यह पेज देख लें, जहाँ हम international relations के नोट्स एकत्रित कर रहे हैं>> International Relations
भारत-नेपाल संबंधों की पृष्ठभूमि
भारत और नेपाल मित्रता एवं सहयोग के अद्वितीय सम्बन्ध को साझा करते हैं जो खुली सीमाओं तथा दोनों देशों के लोगों की परस्पर प्रगाढ़ नातेदारी एवं सांस्कृतिक संबंधों से साफ़-साफ़ दिखाई देता है. 1950 की भारत-नेपाल शान्ति और मैत्री संधि के प्रावधानों के अंतर्गत नेपाली नागरिक भारतीय नागरिकों के समान सुविधाओं तथा अवसरों का लाभ उठा सकते हैं.
इसके अतिरिक्त भारत-नेपाल सम्बन्ध निम्नलिखित पर आधारित हैं :-
उच्च स्तरीय आदान-प्रदान
उच्च स्तरीय यात्राओं से भिन्न दोनों देश SAARC, BIMSTEC आदि संगठनों तथा द्विपक्षीय संस्थागत वार्ता तन्त्र जैसे कि भारत-नेपाल संयुक्त आयोग के माध्यम से सहयोग करते हैं.
मानवीय सहायता और आपदा राहत
भारत ने नेपाल में भूकंप पुनर्निमाण परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) टीम एवं बचाव-राहत सामग्री भेजी तथा 750 मिलियन अमरीकी डॉलर के नए लाइन ऑफ़ क्रेडिट समझौते पर हस्ताक्षर किये.
आर्थिक
वर्ष 1996 के बाद नेपाल से भारत को किये जाने वाले निर्यात में ग्यारह गुना वृद्धि हुई है तथा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ कर सात गुना अधिक हो गया है. साथ ही नेपाल में लगभग 150 भारतीय उपक्रम विनिर्माण, सेवा (बैंकिंग, बीमा, शुष्क बंदरगाह, शिक्षा तथा टेलिकॉम), बिजली क्षेत्र तथा पर्यटन उद्योग में कार्यरत हैं.
जल संसाधन
लगभग 250 छोटी एवं बड़ी नदियाँ नेपाल से भारत में प्रवाहित होती हैं तथा गंगा नदी बेसिन के एक भाग का निर्माण करती हैं. ये नदियाँ सिंचाई और विद्युत् ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत बन सकती हैं. जल संसाधन और जल-विद्युत् में सहयोग से सम्बंधित एक त्रि-स्तरीय द्विपक्षीय तन्त्र 2008 से कार्य कर रहा है.
भारत की नेपाल को विकास संबंधी सहायता
भारत और नेपाल को पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी विकास सहायता उपलब्ध कराता है, जैसे –
- सीमा अवसरंचना के विकास में तराई क्षेत्र में सड़कों के उन्नयन के माध्यम से नेपाल को सहायता
- सीमा पार रेल सम्पर्कों का विकास
- चार एकीकृत चेक पोस्ट्स की स्थापना
- उपक्रम अवसरंचना विकास परियोजनाओं हेतु लाइन ऑफ़ क्रेडिट
रक्षा सहयोग
भारत ने उपकरणों, प्रशिक्षण एवं आपदा प्रबंधन क्षेत्र में सहयोग प्रदान कर नेपाली सेना (NA) के आधुनिकीकरण में मदद की है. इसके अतिरिक्त भारतीय सेना ने गोरखा सिपाहियों को बड़े पैमाने पर भर्ती की है तथा दोनों सेनाएँ एक-दूसरे के सेना प्रमुखों को जनरल की मानद रैंक प्रदान कर रही हैं.
बिजली
“इलेक्ट्रिक पॉवर ट्रेड, क्रॉस बॉर्डर ट्रांसमिशन इंटर-कनेक्शन एंड ग्रिड कनेक्टिविटी” के सम्बन्ध में एक समझौते पर 2014 में हस्ताक्षर किये गये थे. इस समझौते का उद्देश्य भारत और नेपाल के मध्य सीमा पार बिजली व्यापार को सुविधाजनक तथा अधिक सुदृढ़ बनाना था.
शिक्षा
भारत सरकार नेपाली नागरिकों को प्रत्येक वर्ष लगभग 3000 छात्रवृतियाँ/सीट उपलब्ध कराती है.
संस्कृति
भारत सरकार लोगों से लोगों के संपर्क को प्रोत्साहित करती है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों एवं सेमिनारों का आयोजन करती है. भारत और नेपाल काठमांडू-वाराणसी, लुम्बिनी-बोधगया तथा जनकपुर-अयोध्या के युग्म बनाने के लिए थ्री सिस्टर-सिटी समझौतों पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं.
नेपाली प्रधानमन्त्री की हालिया यात्रा का परिणाम और मूल्यांकन
- नेपाल के प्रधानमन्त्री दिसम्बर 2017 में नेपाल के संसदीय चुनावों के बाद भारत की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आये. यह यात्रा अत्यंत महत्त्वपूर्ण थी क्योंकि भारत-नेपाल सम्बन्ध 2015 से तनाव के दौरे से गुजर रहे थे.
- यात्रा के दौरान एक 12 बिन्दुओं वाला नियमित संयुक्त वक्तव्य तथा कृषि, काठमांडू तक रेल सम्पर्क तथा अंतर्देशीय जलमार्गों पर तीन विशेष वक्तव्य जारी किये गये. इनमें शामिल हैं –
- रक्सौल-काठमांडू रेलवे लाइन के निर्माण के संदर्भ में “व्यवहार्यता अध्ययन” हेतु समझौता.
- वस्तुओं और लोगों के नेपाल से अन्य देशों में परिवहन हेतु नेपाली स्टीमरों के परिचालन के लिए समझौता. इस समझौते द्वारा माल की लागत प्रभावी और कुशल आवाजाही के सक्षम होने तथा नेपाल के व्यवसाय और अर्थव्यवस्था की वृद्धि में अत्यधिक योगदान दिए जाने की संभावना.
- व्यापार और पारगमन (transit) समझौतों की रूपरेखा के अंतर्गत माल की आवाजाही हेतु अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास तथा इसके माध्यम से नेपाल को समुद्र तक अतिरिक्त पहुँच उपलब्ध कराना.
- नेपाल में जैविक कृषि और मृदा स्वास्थ्य निगरानी पर एक पायलट परियोजना संचालित कराना.
- इसके अतिरिक्त संयुक्त वक्तव्यों में नेपाल के आन्तरिक मुद्दों को शामिल नहीं किया गया जैसे – नए संविधान का संशोधन अल्पसंख्यकों एवं मधेशियों का समावेशन आदि.
इस प्रकार यह महत्त्वपूर्ण यात्रा दो देशों के बीच व्याप्त अविश्वास को समाप्त करने में काफी हद तक सहायक सिद्ध हुआ.
चुनौतियाँ
- भारत का मानना था कि नए नेपाली संविधान ने तराई क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया. भारत ने नेपाल पर दबाव बनाने हेतु आपूर्तियों को बाधित करने के लिए मधेशियों द्वारा उत्पन्न किये गए अवरोधों को समर्थन प्रदान किया.
- नेपाल 1950 की शांति एवं मित्रता संधि में संशोधन चाहता है. यह संधि इसे भारत के परामर्श के बिना किसी तीसरे देश के साथ सुरक्षा सम्बन्ध स्थापित करने अथवा हथियार खरीदने से निषिद्ध करती है.
- नेपाल में चीन की परियोजनाओं के क्रियान्वयन की तुलना में, भारत द्वारा नेपाल में विभिन्न परियोजनाओं के क्रियानव्यन में अधिक विलम्ब के कारण भारत के प्रति नेपाल में अविश्वास का माहौल है.
- भारत का यह भी कहना है कि वह चीन द्वारा निर्मित बाँधों (हाल ही में चीन के थ्री गोर्जस कारपोरेशन को नेपाल में दूसरे बाँध के निर्माण का प्रोजेक्ट दिया गया) से बिजली नहीं खरीदेगा तथा उसके द्वारा बिजली की खरीद तभी की जाएगी जब परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों को भी सम्मिलित किया जाए.
सहयोग के संभावित क्षेत्र
यद्यपि चीन नेपाल के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ा रहा है परन्तु भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार एवं व्यावसायिक भागीदार बना रहेगा. इसके अतिरिक्त नेपाल के चीन के साथ हस्तारक्षित पारगमन समझौते के बावजूद किसी तीसरे देश के साथ नेपाल के व्यापार हेतु भारत एकमात्र पारगमन देश है.
नेपाल को अवसंरचना विकास के लिए, प्रांतीय राजधानियों में अनिवार्य प्रशासनिक अवसंरचना के सृजन के लिए तथा संविधान के संघीय प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए व्यापक विकासात्मक सहायता की आवश्यकता है.
जलविद्युत (hydle) सहयोग : नेपाल की 700 मेगावाट की स्थापित जलविद्युत् क्षमता 80,000 मेगावाट की संभावित क्षमता से काफी कम है. इसके अतिरिक्त गंगा का 60% जल नेपाल की नदियों से आता है और मानसून के महीनों में यह प्रवाह 80% तक हो जाता है. इसलिए उसके द्वारा सिंचाई और बिजली उत्पादन दोनों के लिए प्रभावी जल प्रबंधन को कम महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए.
भारत को अपूर्ण परियोजनाओं, शेष ICPs, पाँच रेलवे कनेक्शनों, तराई में पोस्टल रोड नेटवर्क तथा पेट्रोलियम पाइपलाइन पर प्रभावी रूप से आपूर्ति करने की आवश्यकता है. इससे कनेक्टिविटी में वृद्धि हो सकेगी और “समावेशी विकास और समृद्धि” यथार्थ में परिणत हो सकेंगे.
भारत-नेपाल मैत्री संधि
नेपाल में घरेलू लोकतान्त्रिक परिवर्तन के संदर्भ में इस संधि में संशोधन करने की माँग की गई है. नेपाल में विभिन्न पक्षों द्वारा निम्नलिखित शिकायतों को व्यक्त किया गया है :
यह संधि बीत चुके युग से सम्बंधित है
नेपाल की राजशाही ने भारत को अपने देश में लोकतांत्रिक आन्दोलन का समर्थन करने से रोकने के लिए भारत के साथ मित्रता की पेशकश की थी. किन्तु, वर्तमान में न तो राजशाही अस्तित्व में है और न ही चीन से कोई खतरा विद्यमान है.
समान संबंधों की आवश्यकता
नेपाल के कुछ वर्गों की शिकायत है कि भारत नेपाल के साथ समान व्यवहार नहीं कर रहा है. यह 2015 में सीमावर्ती क्षेत्रों की नाकाबंदी द्वारा स्पष्टत: व्यक्त होता है. इसके साथ ही यह समझा जाता है कि भारत मधेसी जैसे समूहों का समर्थन कर वहाँ की घरेलू राजनीति में भी हस्तक्षेप कर रहा है.
सम्प्रभुता का तर्क
अधिकांश लोगों द्वारा तर्क दिया गया है कि यह संधि नेपाल को अन्य देशों (विशेषतः चीन) के साथ स्वतंत्रतापूर्वक अपने सामरिक तथा आर्थिक हितों की पूर्ति करने से वंचित करती है.
भारत-नेपाल मैत्री संधि
यह निम्नलिखित प्रावधान करती है –
- दोनों देशों के मध्य एक खुली सीमा.
- नेपाली नागरिकों को बिना वर्क परमिट के भारत में कार्य करने, सरकारी नौकरियों तथा सिविल सेवाओं (IFS, IAS तथा IPS को छोड़कर) के लिए आवेदन की अनुमति प्रदान करती है.
- बैंक खाता खोलने एवं अचल सम्पत्ति खरीदने की अनुमति प्रदान करती है.
भारत ने सद्भावना के संकेत के रूप में पारस्परिकता के तहत अपने अधिकारीयों को त्याग दिया था.
निष्कर्ष
नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के भाग के रूप में तथा गुजराल सिद्धांत जैसे विचारों का पालन करते हुए भारत को पड़ोसी देश की लोकप्रिय आकांक्षाओं को प्रतिबिम्बित करने वाले किसी भी विचार के प्रति सजग रहना चाहिए. अतः इस संधि को संशोधित करना नेपाल में एक लोकप्रिय माँग है तो भारत को भी नेपाल को उसके विचार के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिए.
फिर भी, यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि मौजूदा संधि के अंतर्गत दोनों देशों के नागरिकों को पारस्परिक राष्ट्रीय व्यवहार जैसे प्रावधान ने नेपाल को लाभ पहुँचाया है. विदेश मंत्रालय (MEA) के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 6 मिलियन नेपाली नागरिक भारत में निवास तथा कार्य करते हैं.
भारत नेपाल के लिए सदैव एक मित्र रहा है और ऐसे विचारों को सरकार के उच्चतर स्तर (जैसे प्रधानमन्त्री द्वारा हालिया नेपाल यात्रा के दौरान) पर व्यक्त किया जाता है. इस संदर्भ में, एक और हिमालयी पड़ोसी भूटान का उदाहरण लिया जा सकता है. भारत और भूटान ने 1949 की संधि अथवा 2007 में इसके संशोधन संस्करण के तहत अपने तहत सुदृढ़ सम्बन्धों को बनाए रखा है.
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