भारत में वनों की दशा से सम्बंधित 2019 (India State of Forest Report 2019) का प्रतिवेदन प्रकाशित हो गया है.
वनों की दशा से सम्बंधित 2019 प्रतिवेदन के मुख्य निष्कर्ष
- विगत दो वर्षों में पेड़ और जंगल 5,188 वर्ग किलोमीटर बढ़ गये हैं.
- 2017 के आकलन के पश्चात् देश में कार्बन के भंडार में 42.6 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई है.
- रिपोर्ट के अनुसार, वन आवरण में 3,976 वर्ग किमी (0.56 प्रतिशत) की वृद्धि हुई, जबकि वृक्षों में 1,212 वर्ग किमी (1.29 प्रतिशत) की वृद्धि हुई. अब भारत का कुल वन आवरण 7,12,249 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.67 प्रतिशत है.
- जंगल के अतिरिक्त कई जगह पेड़ों के झुण्ड पाए जाते हैं. यदि ये एक हेक्टेयर से कम होते हैं तो उनको जंगल न कहकर वृक्ष समूह कहा जाता है. अनुमान है कि ऐसे वृक्ष समूहों का क्षेत्रफल 95,027 वर्ग किलोमीटर है जो सम्पूर्ण भूभाग का 2.89% है.
- पूर्वोत्तर भारत में जंगलों के फैलाव में 0.45% अर्थात् 765 वर्ग किलोमीटर की घटत हुई है. इस क्षेत्र में मात्र असम और त्रिपुरा की स्थिति अच्छी है.
- पूर्वोत्तर में जंगलों की घटत का मुख्य कारण झूम खेती (Shifting Cultivation) की परम्परा बताई जाती है.
- देश में मैन्ग्रोव जंगल पिछले आकलन की तुलना में 1.10% अर्थात् 54 वर्ग किलोमीटर बढ़े हैं.
- पिछले दो वर्षों में जंगलों का सबसे अधिक फैलाव कर्नाटक में हुआ है. उसके बाद क्रमशः आंध्र प्रदेश और केरल का स्थान है.
- वन आवरण में वृद्धि के मामले में शीर्ष पाँच राज्य कर्नाटक (1,025 वर्ग किमी), आंध्र प्रदेश (990 वर्ग किमी), केरल (823 वर्ग किमी), जम्मू और कश्मीर (371 वर्ग किमी) और हिमाचल प्रदेश (334 वर्ग किमी) हैं.
- पिछले अनुमान की तुलना में देश में बाँस की खेती का क्षेत्र 3,229 वर्ग किलोमीटर बढ़कर 1,60,037 वर्ग किलोमीटर हो गया है.