6 मार्च, 2020 को भारत पाँचवे पर्यवेक्षक के रूप में हिंद महासागर आयोग (Indian Ocean Commission) में सम्मिलित हुआ. विदित हो कि हिन्द महासागर आयोग समूह में अन्य चार पर्यवेक्षक हैं, जिनके नाम हैं – माल्टा, चीन, यूरोपीय संघ और OIF (इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ ला फ्रैंकोफ़ोनी).
देखा जाए तो भारत के लिए हिन्द महासागर आयोग में एक पर्यवेक्षक के रूप में सम्मिलित होना बेहद महत्त्वपूर्ण है. महत्त्वपूर्ण इसलिए क्योंकि यह आयोग भारत को पश्चिमी हिंद महासागर में अपनी योजनाओं को पहुँचाने में सहायता प्रदान कर सकता है.
विदित हो कि हिन्द महासागर का विस्तार भारत के पश्चिम में अफ्रीका तक विस्तृत है. वहीं दूसरी ओर, भारत के पूर्व में इंडोनेशिया एवं ऑस्ट्रेलिया की सीमाओं तक हिन्द महासागर का विस्तार देखा जा सकता है. इस क्षेत्र में छोटे-छोटे द्वीप तो कई हैं किन्तु मेडागास्कर और श्रीलंका बड़े द्वीप हैं. मालदीव, मॉरीशस, सेशल्स और कोमोरोस छोटे द्वीप समूह हैं.
हिंद महासागर आयोग
- हिन्द महासागर आयोग (Indian Ocean Commission—IOC) हिन्द महासागर देशों- मेडागास्कर, मॉरीशस और सिशेल्स, के बीच हुए एक समझौते के जरिये जुलाई 1982 में अस्तित्व में आया.
- जनवरी 1984 में क्षेत्रीय सहयोग का विकास करने हेतु एक सामान्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. जनवरी 1986 में जाकर फ्रांस और कोमोरो द्वीप समूह हिन्द महासागर आयोग के पूर्ण सदस्य बने.
- आज की तिथि में हिंद महासागर आयोग के पाँच पूर्णकालिक सदस्य हैं – कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, रियूनियन (फ्रांस के नियंत्रण में) और सेशल्स.
- हिंद महासागर आयोग एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्य कार्य दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में एक सुदृढ़ सागरीय-अभिशासन (Maritime Governance) स्थापित करना है तथा यह आयोग पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्रों को सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए एक अवसर प्रदान करता है.
- आज की तिथि में हिन्द महासागर आयोग में पाँच पर्यवेक्षक सदस्य हैं – भारत, चीन, यूरोपीय यूनियन, माल्टा तथा इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ ला फ्रांसोफोनी (International Organisation of La Francophonie- OIF) हैं.
पश्चिमी हिंद महासागर क्या है?
- पश्चिमी हिंद महासागर (The Western Indian Ocean- WIO) हिंद महासागर का एक रणनीतिक क्षेत्र है जो अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट को हिंद महासागर से तो जोड़ता ही है, साथ ही साथ यह उसे अन्य महत्त्वपूर्ण महासागारों से भी जोड़ता है.
- पश्चिमी हिन्द महासागर का क्षेत्र हिंद महासागर के प्रमुख चोकपॉइंट्स (Chokepoints) में से एक मोजाम्बिक चैनल के निकट अवस्थित है.
- विदित हो कि कोमोरोस मोजाम्बिक चैनल के उत्तरी मुहाने पर स्थित है. मोजाम्बिक चैनल की पूर्वी सीमा पर मेडागास्कर अवस्थित है.
- मोजाम्बिक चैनल का महत्त्व स्वेज नहर के बन जाने के बाद कम हो गया था. पर होर्मुज़ जलसंधि ने इस चैनल के महत्त्व को फिर से बढ़ा दिया. यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और दुनिया का एक प्रमुख तेल का चोक पॉइंट है जो कुल तेल के कारोबार का लगभग 30-35 प्रतिशत है.
भारत के लिये हिन्द महासागर आयोग का महत्त्व
- भारत ने इस संगठन में समिलित होने का फैसला इसकी बहुआयामी महत्ता को ध्यान में रखकर किया है. भारत अपनी बढ़ती आर्थिक, समुद्री सैन्य क्षमताओं और व्यापक हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र में रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं के साथ इस क्षेत्र के देशों के साथ साझेदारी को दृढ़ करने के लिए सदा से इच्छुक रहा है. इस कदम से भारत की पश्चिमी हिंद महासागर के इस प्रमुख क्षेत्रीय आयोग में आधिकारिक पहुँच सुनिश्चित होगी.
- भारत हिंद महासागर में केंद्र में स्थित है. हम सभी जानते हैं कि भारत की 7,517 किलोमीटर की व्यापक तटरेखा है और इसके पास 2 मिलियन वर्ग कि.मी. का विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) है. भारत की भौगोलिक स्थिति के चलते इसकी सुरक्षा, वाणिज्य एवं व्यापार समुद्री क्षेत्र के साथ जुड़ा है. हिन्द महासागर आयोग पश्चिमी हिंद महासागर के द्वीपों के साथ भारत के सम्पर्क को सुदृढ़ता प्रदान करेगा.
- भारत का यह कदम फ्रांस के साथ संबंधों को मजबूत करेगा क्योंकि फ्रांस की पश्चिमी हिंद महासागर में अच्छी-खासी उपस्थिति है. विदित हो कि पिछले वर्ष ही हिंद महासागर पर केंद्रित समुद्री निगरानी उपग्रह प्रणाली को संयुक्त रूप से विकसित करने के उद्देश्य से इसरो और सीएनईएस (फ़्रांस) के मध्य समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता हिन्द महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए भारत-फ्रांस सहयोग में एक महत्वपूर्ण समझौता माना गया.
- यह पहल भारत की ‘सागर पहल’; क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास ( SAGAR- Security And Growth for All in the Region) नीति को और भी दृढ़ता प्रदान करता है.
- भारत का यह कदम पूर्वी अफ्रीका के साथ सुरक्षा सहयोग में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
भारत के समक्ष चुनौतियाँ
- चीन पहले से ही पूर्वी अफ्रीकी देश जिबूती में सैन्य केंद्र, ग्वादर (पाकिस्तान) और हम्बनटोटा (श्रीलंका) में बंदरगाह के निर्माण का कार्य करके अपनी उपस्थिति को दृढ़ता प्रदान कर चुका है. इसलिए यह कहा जा सकता है कि भारत की उपस्थिति से पहले ही चीन ने हिंद महासागर में अपने दखल के बाद इस क्षेत्र की राजनीतिक व सामरिक तस्वीर को पूर्णरुपेण परिवर्तित कर दिया है.
- हिंद महासागर के चोक पॉइंट्स दुनिया में सामरिक दृष्टि से बेहद जरूरी समझे जाते हैं, जिनमें होर्मुज़, मलक्का और बाब अल-मन्देब जलसंधि प्रमुख हैं. ऐसे में बाह्य शक्तियों की उपस्थिति भारत की ऊर्जा सुरक्षा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है.
- यह क्षेत्र केवल व्यापार हेतु ही महत्त्वपूर्ण नहीं, बल्कि वर्तमान में हम विश्व के आधे से अधिक सशस्त्र संघर्ष इसी क्षेत्र में देखते हैं. ऐसे में यह क्षेत्र भारत के लिये मात्र भू-राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि भू-सामरिक दृष्टि से भी आवश्यक हो जाता है.
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