जैसा कि आपको पता होगा कि भारत ने अपनी सुरक्षा कवच को मजबूत करने के लिए स्कॉर्पीन क्लास की सबमरीन आईएनएस करंज (INS Karanj) को नौसेना में शामिल कर लिया गया है. क्या आपको करंज का पूरा नाम (full name) पता है?
करंज का पूरा नाम है –
- K = Killer Instinct
- A = Aatm Nirbhar Bharat
- R = Ready
- A = Aggressive
- N = Nimble
- J = Josh
यह भी माना जाता है कि INS करंज का नाम (करंज) करंजा द्वीप (जिसे उरण द्वीप भी कहा जाता है) से लिया गया है, जो कि रायगढ़ जिले का एक शहर है तथा मुंबई हार्बर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है.
आईएनएस करंज
यह माना जा रहा है कि आईएनएस करंज के जंगी बेड़े में सम्मिलित हो जाने से भारतीय नौसेना की शक्ति और क्षमता में वृद्धि हो गई है. शत्रु के लिए आईएनएस करंज एक घातक और अदृश्य हथियार माना जा रहा है. यह रडार की रेंज में नहीं आ पाता इसलिए इसको ढूँढना कठिन ही नहीं असंभव है. INS करंज पनडुब्बी पल भर में ही दुश्मन के जहाज़ों को नष्ट करने में पूरी तरह से सक्षम है.
उल्लेखनीय है कि सबमरीन INS करंज को वर्ष 2018 में समुद्र में टेस्ट के लिए उतारा गया था. करंज कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी है और इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मिशन के दौरान दुश्मन के इलाके में होने के बावजूद उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगती है. कलवरी क्लास की पहली दो सबमरीन कलवरी और खंडेरी पूर्व से ही नौसेना में सम्मिलित की जा चुकी हैं. विदित हो कि 2005 में हुए फ्रांस के साथ समझौते के अंतर्गत मज़गाँव डॉक लिमिटेड, मुंबई छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ बनाने का काम कर रहा है. इसी को Project 75 India (P75I) कहते हैं.
Quick Details about INS Karanj
- हाल ही में भारतीय सेना की तीसरी स्टील्थ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS करंज को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है.
- फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं. छह में से दो पनडुब्बी आईएनएस कलवरी और खंडेरी पहले ही नौसेना के बेड़े में शामिल हो चुकी हैं.
- शेष तीन पनडुब्बियों के नाम हैं – INS वागीर, INS वेला और INS वाग्शीर.
- INS करंज डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है जिसे प्रोजेक्ट-75 के तहत तैयार किया जा रहा है.
- यह बिना किसी आवाज के दुश्मन के खेमे में पहुँचकर उसे तबाह करने की क्षमता रखती है. रडार इसे पकड़ नहीं सकते. लंबे वक्त तक पानी में रह सकती है.
कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी क्या होती हैं?
कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बियाँ भारतीय नौसेना के लिए बनायी जा रही स्कार्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियाँ हैं. ये डीजल-विद्युत से संचालित होती हैं और ये प्रकृति से बेहद आक्रमणकारी पनडुब्बियाँ होती हैं. इनकी डिजाइन फ्रांस की डीसेन एस नामक कम्पनी ने किया है तथा इनका निर्माण मुम्बई के माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है.
आईएनएस करंज की क्षमता
- आईएनएस करंज स्टेल्थ और एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन समेत कई तरह की तकनीकों से लैस है और समुद्र में 50 दिनों तक रह सकती है.
- यह एक बार में 12000 किमी तक की यात्रा कर सकती है.
- करंज की लंबाई लगभग 67.5 मीटर, ऊंचाई 12.3 मीटर और वजन करीब 1600 टन है.
- यह समुद्र के अंदर 350 मीटर तक गोता लगा सकती है.
- कलवरी क्लास की सबमरीन समुद्र के अंदर 37 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं.
- आईएनएस करंज में शत्रु के जहाज़ को नष्ट करने के लिए टॉरपीडो लगे हैं. साथ ही साथ, ये समुद्र में बारूदी सुरंगें भी बिछा सकती हैं.
- आईएनएस करंज में सतह और पानी के अंदर से टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइल दागने की क्षमता है.
- इसके साथ ही इस पनडुब्बी में एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने, माइन्स बिछाने और एरिया सर्विलांस जैसे सैन्य अभियानों को अंजाम देने की क्षमता है.
INS करंज भारत के लिए महत्त्वपूर्ण क्यों?
- जिस तीव्रता के साथ दक्षिणी-चीन सागर में चीन की चालबाजी बढ़ रही है, उसको देखते हुए भारत को भी अपनी समुद्री शक्ति को बढ़ाना अनिवार्य हो चुका है.
- देखा जाया तो चीन की कमजोर नस से भारत भली-भाँति परिचित है. चीन का खाड़ी देशों का समुद्री रास्ता मलक्का स्ट्रेट से होकर गुजरता है. ऐसे में यदि चीन दक्षिणी चीनी सागर में अपना वर्चस्व दिखाने का प्रयास करता है तो भारत मलक्का स्ट्रेट में उसका मार्ग अपनी समुद्री शक्ति का प्रदर्शन करते हुए अवरुद्ध कर सकता है. ऐसे में INS करंज की भूमिका और भी महती हो जाती है.
- कलवरी क्लास की सबमरीन के अतिरिक्त भारतीय नौसेना की सभी सबमरीन डीजल-विद्युत हैं और एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन न होने के कारण इन्हें हर एक-दो दिन में सतह पर आना पड़ता है. इस कमी को आईएनएस करंज में दूर कर लिया गया है. ये एक ऐसी सबमरीन है, जिसे लंबी दूरी वाले मिशन में ऑक्सीजन लेने के लिए सतह पर आने की आवश्यकता नहीं है. इस तकनीक को डीआरडीओ के नेवल मैटेरियल्स रिसर्च लैब ने विकसित किया है.
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक क्या है?
दरअसल, जब पनडुब्बी को बैटरी से संचालित किया जाता है तो बैटरी को रिचार्ज करने के लिए पनडुब्बी को बार-बार सतह पर आना पड़ता है क्योंकि डीजल इंजन से बैटरी को चार्ज करते हैं और डीजल इंजन चलाने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से पनडुब्बी को बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर आने की आवश्यकता नहीं पड़ती है
भारत की सबमरीन शक्ति
- अभी भारतीय नौसेना के पास सिंधु क्लास की 9, शिशुमार क्लास की 3, कलवरी क्लास की 2 और एक न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस चक्र अर्थात् कुल 15 सबमरीन हैं.
- अरिहंत क्लास की दो सबमरीन अर्थात् आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात 15 पनडुब्बियों से भिन्न हैं, जो न्यूक्लियर बैलेस्टिक सबमरीन हैं.
- फिलहाल नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने के लिये सभी स्कॉर्पीन पनडुब्बियों पर ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’ मॉड्यूल स्थापित करना चाह रही है जिससे लंबी दूरी वाले मिशन में ऑक्सीजन लेने के लिए सतह पर आने की जरूरत नहीं पड़े.
- आईएनएस करंज के नौसेना में शामिल होने के बाद हमारे देश की समुद्री ताकत कई गुना और बढ़ जाएगी. आईएनएस करंज को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि ये बिना किसी आवाज के दुश्मन के खेमे में पहुंचकर तबाह करने की क्षमता रखती है.