मानचित्र पर वायुभार का वितरण समभार-रेखाओं (lines of isobars) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है. ये वे रेखाएँ हैं जो समान भार के स्थानों को मिलाते हुए खींची जाती हैं. चूँकि वायुभार ऊँचाई के अनुसार घटता जाता है इसलिए ऊँचाई का अंतर (प्रति 900 ft पर 1 इंच कम) निकाल देना जरुरी होता है, अर्थात् समभार-रेखा खींचने में सभी स्थानों का वास्तविक वायुभार समुद्रतल पर ले आना पड़ता है.
Calculation of Isobars
मान लें किसी स्थान का वायुभार 27” है और वह समुद्रतल से 1800 ft की ऊँचाई पर है तो ऊँचाई के अनुसार यह अंतर 1800-900=2 inch का होगा. अब समुद्रतल पर उस स्थान का वायुभार 27″+2″=29 होगा. अतः उस स्थान से 29″ की समभार रेखा (Isobar line) खींची जाएगी.
World Distribution of Isobars
ऊपर के चित्र 1 और 2 में संसार के मानचित्र पर क्रमशः जनवरी और जुलाई की समभार रेखाएँ (isobars) दिखाई गई हैं. निम्न भार (Low pressure) की रेखाओं को टूटी बिन्दुओं (—-) से और उच्च भार (High pressure) की रेखाओं को मोटी रेखाओं (___)से दिखाया गया है. उन्हें ध्यानपूर्वक देखने से पता चलता है कि दक्षिणी गोलार्ध में स्थल की कमी से समभार रेखाएँ एक-दूसरे के समानांतर अक्षांशों की दिशा को अपनाती है. जनवरी में दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थल की कमी से निम्न भार के क्षेत्र सीमित हैं. यह समय उत्तरी गोलार्ध में जाड़े का है, अतः वहाँ उच्च भार रहता है. उच्च भार के प्रमुख केंद्र मध्य एशिया और मध्यवर्ती उत्तरी अमेरिका में रहते हैं जहाँ स्थल-विस्तार है. जनवरी में दक्षिणी गोलार्द्ध में उच्च भार समुद्रों में रहता है. जुलाई में उत्तरी गोलार्द्ध के वे क्षेत्र, जो जनवरी में उच्च भार के केंद्र थे, निम्न भार के केंद्र बन जाते हैं. इस प्रकार स्थल-भाग पर निम्न भार और जल-भाग (महासागरों में) उच्चभार पाया जाता है. दक्षिणी गोलार्द्ध में उस समय जाड़ा पड़ता है, तापक्रम निम्न होता है, इसलिए सब जगह उच्च भार पाया जाता है.
सभी भूगोल के नोट्स यहाँ मिलेंगे>> Bhoogol Notes