पिछले दिनों लोकसभा में जलियांवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित हो गया. इस विधेयक का उद्देश्य जालियाँवाला बाग़ स्मारक के प्रबंधन की कुछ त्रुटियों को दूर करना तथा इससे सम्बंधित न्यास को अराजनैतिक स्वरूप देना है.
पृष्ठभूमि
जलियांवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 में पारित हुआ था. इस अधिनियम के अंतर्गत अमृतसर के जालियाँवाला बाग़ में 13 अप्रैल, 1919 को मारे गये अथवा घायल हुए लोगों की स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया था.
यदि आप जालियाँवाला बाग़ हत्याकांड के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ जाकर पढ़ें > जालियांवाला बाग़ हत्याकांड
अधिनियम में एक न्यास की व्यवस्था भी की गई थी जो स्मारक का प्रबंधन देखता है. इस न्यास में ये व्यक्ति होते हैं –
- प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष
- संस्कृति मंत्री
- लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष
- पंजाब का राज्यपाल
- पंजाब का मुख्यमंत्री और
- केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन सुप्रसिद्ध व्यक्ति
मूल अधिनियम में किये जा रहे परिवर्तन
- जलियांवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 के द्वारा न्यासी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष की सदस्यता समाप्त की जा रही है.
- यह प्रावधान किया जा रहा है कि यदि लोक सभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं हो तो लोक सभा के सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता न्यास का सदस्य बनेगा.
- मूल अधिनयम के अनुसार जो तीन सुप्रसिद्ध व्यक्ति केंद्र सरकार द्वारा नामित होते थे उनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता था और वे दुबारा नामित भी हो सकते थे. संशोधन में यह प्रावधान किया जा रहा है कि केंद्र सरकार यदि चाहे तो बिना कारण बताये ही ऐसे किसी नामित न्यासी का कार्यकाल बीच में ही समाप्त कर सकती है.
Tags – Key provisions in the Bill and its significance of Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill, 2019 in Hindi.
ये भी पढ़ें >