बृहदेश्वर मंदिर में कुंभाभिषेकम – संस्कृत Vs. तमिल विवाद

Sansar LochanCulture

कुंभाभिषेकम

1,010 वर्ष पुराने तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर में कुंभाभिषेकम आयोजित हो रहा है. यह आयोजन 23 वर्षों से रुका हुआ था क्योंकि शुद्धीकरण की प्रक्रिया के विषय में महाराष्ट्र उच्च न्यायालय में मामला अटका हुआ था और इस पर जनवरी 31 को ही निर्णय आया है.

विवाद क्या था?

विवाद इस बात को लेकर था कि कुंभाभिषेकम में पढ़े जाने वाले श्लोक किस भाषा में पढ़े जाएँ – संस्कृत अथवा तमिल. Periya Koil Urimai Meetpu Kuzhu (Thanjavur Big Temple Rights Retrieval Committee) नामक संगठन की माँग थी कि कुंभाभिषेकम तमिल में हो. किन्तु सरकार ने कहा कि यह आयोजन तमिल और संस्कृत दोनों में होगा.

बृहदेश्वर मंदिर

  • यह मंदिर सम्राट राजराज चोल I (985 ई. – 1015 ई.) ने बनाया था.
  • कावेरी नदी के तट पर स्थित यह मन्दिर द्राविड़ स्थापत्य का एक सम्पूर्ण प्रतिरूप है.
  • इसे दक्षिण मेरु भी कहा जाता है.
  • राजराज प्रथम के पश्चात् राज करने वाले पांड्य राजाओं, विजयनगर शासकों और मराठों ने इस मंदिर में कई पूजा-स्थल जोड़े थे.
  • बृहदेश्वर मंदिर विश्व का पहला पूर्ण रूप से ग्रेनाइट का बना हुआ मंदिर है.
  • हिन्दू पद्धति के अनुसार प्रत्येक 12 वर्ष पर कुंभाभिषेकम होना चाहिए किन्तु हिन्दू धार्मिक एवं धर्मादा संपदा विभाग के अनुसार इस मंदिर का कुंभाभिषेकम मात्र पाँच बार ही हुआ है – 1010, 1729, 1843, 1980 और 1997 में.
  • UNESCO ने ग्रेट लिविंग चोला टेम्पल्स नामक एक धरोहर स्थल घोषित कर रखा है जिसके अंतर्गत बृहदेश्वर मंदिर के साथ-साथ चोल काल के ये दो मंदिर भी आते हैं – गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर तथा ऐरावतेश्वर मंदिर.
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