पार्थियन लोगों (पढ़ें > पार्थियन साम्राज्य) के बाद भारत में कुषाण आये, जिन्हें यूचि या तौचेरियन भी कहा जाता है. यूचि कबीला पांच कुलों में विभाजित था. उन्हीं में से एक कुषाण लोगों का था. कुषाण चीन की सीमा पर रहते थे. हुण नामक शक्तिशाली जाति ने उन्हें चीन से खदेड़ दिया. कुषाण लोगों ने शकों को हराकर (पढ़ें > शक वंश) अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया.
अपने साम्राज्य का विस्तार करते हुए उन्होंने काबुल, हिंदुकुश और गांधार पर अधिकार कर लिया. उन्होंने भारतीय यूनानियों को भी पराजित किया.
कुषाण वंश के प्रमुख शासक
कडफिसेस प्रथम
कुषाण वंश का प्रथम शासक कडफीस या कुजुल कडफिसेस प्रथम था. अफगानिस्तान से भारत में सिन्धु नदी तक उसका साम्राज्य था. उसकी विजयों के बारे में पान-कू के ग्रंथ हाऊ-हान-शू तथा उसके सिक्कों से पता चलता है. उसने पार्थियनों को हराकर किपिन तथा काबुल क्षेत्र अपनी तरफ कर लिया. इस तरह वह भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेश का शासक बन गया.
कडफिसेस द्वितीय
अपने पिता कडफिसेस प्रथम की तरह वह भी वीर शासक था. उसे विम कडफिसेस नाम से भी जाना जाता है. रबातक शिलालेख के अनुसार वह कनिष्क का पिता था. कई इतिहासकारों के अनुसार, वही प्रथम कुषाण सम्राट था. इसके सिकके कई भागों में पाये जाते हैं जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसका साम्राज्य काफी विशाल था. पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों को उसने जीता. उसने शकों को पराजित कर बनारस तक अपने राज्य को बढ़ाया. दक्षिण में नर्मदा नदी उसके राज्य की सीमा थी. रोम साम्राज्य में भी कडफिसेस द्वितीय के सिक्के मिलते हैं जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उसके काल में रोम से भारत के व्यापारिक सम्बन्ध थे. इसकी मृत्यु 100 ई० के लगभग हुई.
कनिष्क
कुषाण वंश का सबसे लोकप्रिय शासक कनिष्क हुआ. वह वीर और महान योद्धा था. कुछ इतिहासकारों का मत है कि वह 127 ई० में गद्दी पर बैठा. कनिष्क कडफिसेस द्वितीय के बीच में कोई अन्य शासक हुआ जिसके बारे में जानकारी प्राप्त नहीं होती है. कनिष्क ने 23 वर्षों तक राज (c. 127 – c. 150) किया. वह साम्राज्यवादी तथा महत्वाकांक्षी था. उसने अपनी वीरता और साहस से कई विजय प्राप्त की. सर्वप्रथम कनिष्क ने कश्मीर को जीत कर अपने राज्य में मिलाया. उसने कश्मीर में कनिष्कपुर नगर बसाया. उसने शक क्षत्रपों को हराकर पंजाब, मथुरा, उज्जैन और मालवा के कुछ भाग जीते. बौद्ध परम्पराओं के आधार पर हमें मालूम होता है कि उसने मगध को भी जीता तथा अश्वघोष नामक बौद्ध विद्वान के प्रभाव में आकर बौद्ध धर्म को अपना लिया था. उसने खोतान, काश्गर और यारकंद को अपने राज्य में शामिल कर लिया. इस तरह कनिष्क का साम्राज्य कश्मीर, पंजाब, सिंध, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त अफगानिस्तान, यारकंद, ताशकंद तथा खोतान तक फैला हुआ था. कनिश के लगातार युद्धों से तंग आकर उसके अधिकारियों ने उसकी हत्या कर दी थी.
Tags : Kushan kings, dynasty, Territorial expansion, Kushan rulers in Hindi. कुषाण वंश के बारे में जानें. वे किसको हराकर भारत आये. उनका साम्राज्य.
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कनिष्क के बारे में हम अगले पोस्ट में विस्तार से पढेंगे.