उच्च क्षमता वाली लिथियम-सल्फर बैटरी (Li-S)

Richa KishoreScience Tech

ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक उच्च क्षमता वाली लिथियम-सल्फर बैटरी (super-capacity prototype by re-engineering a Lithium Sulphur (Li-S) battery) तैयार की है जिसमें ऐसी बैटरियों में होने वाली समस्याओं का निदान कर दिया गया है.

लिथियम-सल्फर बैटरियों (Li-S) के साथ समस्या

इस प्रकार की बैटरियाँ कोई नई नहीं हैं, पर इनमें एक मौलिक समस्या होती है कि बार-बार चार्ज करने पर इसका सल्फर एलेक्ट्रोड (electrodes) टूट जाया करता है. ऐसा इसके चार्ज के समय फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है.

इस समस्या का समाधान कैसे हुआ?

शोधकर्ताओं ने एलेक्ट्रोडों को फैलने और सिकुड़ने के लिए अधिक स्थान दे दिया. ये एलेक्ट्रोड बैटरी के अन्दर पोलिमर (polymers) से चिपकाए होते हैं. शोध दल ने कम पोलिमरों का प्रयोग किया जिससे एलेक्ट्रोडों को फैलने-सिकुड़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल गई.

लिथियम-सल्फर बैटरी कैसे काम करता है?

लिथियम-सल्फर बैटरी ठीक उसी तरह काम करता है जैसे कोई साधारण लिथियम आयन बैटरी. इसमें लिथियम आयन एलेक्ट्रोदों के बीच प्रवाहित हो कर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रह जाते हैं. बैटरी चार्ज करने पर ये आयन अपने आरम्भिक स्थान को लौट जाते हैं और उसके बाद यही प्रक्रिया नए सिरे से चालू हो जाती है.

Li-S बैटरी की विशेषता

Li-S बैटरी की शक्ति पारम्परिक लिथियम आयन बैटरी से पाँच गुनी होती है. 200 बार चार्ज करने के बाद भी इसमें 99% चार्ज बना रहता है. यह बैटरी तुलनात्मक दृष्टि से कई गुना सस्ता भी होता है.

Tags : lithium sulphur battery operating principle, advantages and significance in Hindi.

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