बाजार हस्तक्षेप मूल्य योजना (Market Intervention Price Scheme) के अंतर्गत भारत सरकार इस मौसम में 12 लाख मेट्रिक टन सेब खरीदने की योजना बना रही है.
बाजार हस्तक्षेप मूल्य योजना क्या है?
- यह एक मूल्य समर्थन तंत्र है जिसका कार्यान्वयन केंद्र सरकार राज्य सरकारों के अनुरोध पर करती है.
- जब बाजार में किसी नष्ट हो जाने वाली सामग्री एवं बागबानी की सामग्री का मूल्य गिर जाता है तो सरकार उस सामग्री का क्रय किया करती है.
- इस योजना का कार्यान्वयन तब होता है जब पिछले सामान्य वर्ष में वस्तु का जो दाम चल रहा था उसमें कम से कम 10% का ह्रास हुआ हो अथवा उस वस्तु का कम से कम 10% उत्पादन बढ़ गया हो.
- जिस मौसम में किसी अनाज या फल बड़े पैमाने पर पैदा होते हैं तो उनके दाम तेजी से गिरने लगते हैं और किसान हड़बड़ा कर उनको कम दामों पर बेचने लगता है. किसान को इस स्थिति से उबारना ही इस योजना का ध्येय है.
- इस योजना का कार्यान्वयन कृषि एवं सहकारिता विभाग करता है.
Market Intervention Price Scheme का वित्तपोषण
- MIPS योजना के अंतर्गत राज्यों को धनराशि आवंटित नहीं की जाती.
- इसके विपरीत राज्यों से प्राप्त विशेष प्रस्तावों के आधार पर घाटे का केंद्र सरकार का अंश राज्य सरकारों को निर्गत किया जाता है. इसके लिए योजना के अंतर्गत दिशा-निर्देश निर्धारित हैं.
जिन सामग्रियों के लिए MIPS का प्रावधान है, वे हैं – सेब, कीनू/माल्टा, लहसुन, नारंगी, गलगल, अंगूर, कुकुरमुत्ता, लौंग, काली मिर्च, अनानास, अदरक, लाल मिर्च, धनिया आदि.