मियावाकी पद्धति (Miyawaki method) क्या है?

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केरल सरकार वन रोपण की मियावाकी पद्धति (Miyawaki method) अपनाने जा रही है जिसके अन्दर सरकारी कार्यालय-परिसरों, आवासीय सोसाइटियों, विद्यालय परिसरों और सरकारी भूमि (puramboke land) पर पेड़ रोपने का काम किया जाता है.

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सौजन्य : दैनिक भास्कर

मियावाकी पद्धति (Miyawaki method) क्या है?

  • यह वनरोपण की एक पद्धति है जिसका आविष्कार मियावाकी नामक जापान के एक वनस्पतिशास्त्री ने किया था. इसमें छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं जो साधारण पौधों की तुलना में दस गुनी तेजी से बढ़ते हैं.
  • यह पद्धति विश्व-भर में लोकप्रिय है और इसने शहरी वनरोपण की संकल्पना में क्रांति ला दी है. दूसरे शब्दों में, घरों और परिसरों के पिछवाड़ों को उपवन में परिवर्तित कर दिया है. चेन्नई में भी यह पद्धति अपनाई जा चुकी है.

इस पद्धति की प्रक्रिया

  1. सबसे पहले एक गड्ढा बनाना होता है. जिसका आकार प्रकार भूमि की उपलबध्ता पर निर्भर होता है. गड्ढा खोदने के भी पहले तीन प्रजातियों की एक सूची बनानी होती है. इसके लिए ऐसे पौधे चुने जाते हैं जिनकी ऊँचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग हो सकती है.
  2. अब इस गड्ढे में कम्पोस्ट की एक परत डाली जाती है. तत्पश्चात् बगासे (bagasse) और खोपरों (coconut shells) जैसे प्राकृतिक कचरे की एक परत गिराई जाती है और सबसे ऊपर लाल मिट्टी की एक परत बिछाई जाती है.
  3. तीनों पौधे एक साथ नहीं रोप कर थोड़े-थोड़े दिन पर रोप जाते हैं और इनके पेड़ कितने बड़े होंगे इस पर भी विचार किया जाता है.
  4. यह पूरी प्रक्रिया 2-3 सप्ताह में पूरी हो जाती है.
  5. इन पौधों को नियमित रूप से एक वर्ष तक संधारित किया जाता है.

लागत विश्लेषण

मियावाकी पद्धति में 600 वर्ग फुट के उपवन को लगाने में लगभग 20,000  रु. की लागत बैठती है.

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