UPSC Prelims परीक्षा के लिए Polity (राज्यव्यवस्था) का Mock Test दिया जा रहा है. भाषा हिंदी है और सवाल 10 हैं.
सवालों के उत्तर व्याख्या सहित नीचे दिए गए हैं.
Mock Test for UPSC Prelims - Polity (राज्यव्यवस्था) Part 1
Question 1 |
- दीवानी और फौजदारी दोनों कानूनों को भूतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता.
- स्वयं दोषी ठहराने के विरुद्ध सुरक्षा दीवानी और फौजदारी दोनों कार्रवाहियों तक विस्तारित है.
केवल 1 | |
केवल 2
| |
1 और 2 दोनों | |
न तो 1 न ही 2 |
Question 2 |
यह एक ऐसी विचारधारा है जो लिखित संविधान की सर्वोच्चता का समर्थन करती है. | |
इसका आशय है कि लोकतान्त्रिक देश में संविधान आवश्यक है. | |
यह इस सिद्धांत को निर्दिष्ट करता है कि सरकार अपनी अधिकरिता एक मूलभूत कानूनी निकाय से प्राप्त करती है तथा इसी के द्वारा सीमित भी होती है. | |
इसका अर्थ है कि संविधान नागरिकों अनिवार्य रूप से कुछ अपरिहार्य अधिकार प्रदान करे. |
Question 3 |
- बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट निजी व्यक्तियों के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती है.
- निषेधाज्ञा रिट केवल न्यायिक निकायों के विरुद्ध ही उपलब्ध हो सकती है.
- अधिकार पृच्छा रिट की माँग गैर-पीड़ित व्यक्ति द्वारा की जा सकती है.
1, 2 और 3 | |
केवल 3 | |
1 और 3 | |
1 और 2 |
Question 4 |
प्रस्तावना और मूल कर्तव्य | |
प्रस्तावना और राज्य के नीति निदेशक तत्व | |
मूल अधिकार और मूल कर्तव्य | |
मूल अधिकार और राज्य के नीति निदेशक तत्त्व |
Question 5 |
- दूसरी अनुसूची
- चौथी अनुसूची
- पाँचवी अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
1 और 2 | |
2 और 3 | |
3 और 4 | |
1 और 3 |
Question 6 |
एक किसान अपना खेत बेचता है और कारोबार प्रारम्भ करता है | |
एक व्यक्ति गुजरात से महाराष्ट्र में प्रवास करता है और वहीं बस जाता है | |
एक व्यक्ति अपने माता-पिता से उत्तराधिकार में सम्पत्ति प्राप्त करता है | |
एक व्यक्ति किसी धर्म में विश्वास करने से मन करता है |
Question 7 |
- भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करना.
- भारत के राष्ट्रीय गीत का अंगीकरण
- साधारण कानूनों का अधिनियमन
केवल 1 | |
1 और 2 | |
2 और 3 | |
1, 2 और 3 |
Question 8 |
- इसकी स्थापना 89वें संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा की गई थी.
- यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के नियन्त्रणाधीन है.
- इसे अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जाँच करने के सम्बन्ध में सिविल कोर्ट की शक्ति प्राप्त है
1, 2 और 3 | |
1 और 3 | |
2 और 3 | |
1 और 2 |
Question 9 |
- प्रधानमन्त्री
- लोकसभा के विपक्ष का नेता
- राज्यसभा में विपक्ष का नेता
- प्रधानमन्त्री द्वारा नामित केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री
- निवर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त
1, 3 और 4 | |
1, 2 और 4 | |
3, 4 और 5 | |
1, 2, 3 और 5 |
Question 10 |
- राष्ट्रपति शासन
- राष्ट्रीय आपातकाल
- मार्शल लॉ
केवल 1 | |
केवल 2 | |
2 और 3 | |
1, 2 और 3 |
व्याख्या (Explanation)
Q1. D
संविधान के अनुच्छेद 20 के अंतर्गत अपराधों की दोषसिद्धि के सम्बन्ध में संरक्षण से सम्बंधित तीन प्रावधान शामिल किए गए हैं –
पूर्वव्यापी कानून के संरक्षण : कोई भी व्यक्ति i) किसी अपराध के लिए तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता जब तक उसके द्वारा किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया गया हो, ii) तथा कोई व्यक्ति, अपराध करते वक्त प्रवर्तित कानून द्वारा अधिरोपित दंड से अधिक दंड का भागी नहीं होगा.
- पूर्वव्यापी कानून वह कानून है जो भूतलक्षी प्रभाव (पूर्वव्यापी प्रभाव से) दंड अधिरोपित करता है. अर्थात् इसके द्वारा ऐसे अपराध के लिए दंड का प्रावधान है जो पहले किया जा चुका है. परन्तु उल्लेखनीय है कि यह सीमा केवल अपराधिक (फौजदारी) कानूनों पर अधिरोपित की जाती है, सिविल (दीवानी) कानूनों या कर कानूनों पर नहीं.
- अतः उन उत्तरदायित्व या कर कानून भूतलक्षी प्रभाव से अधिरोपित किए जा सकते हैं. इसलिए कथन 1 सही नहीं है.
दोहरी क्षति से संरक्षण : किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दण्डित नहीं किया जायेगा. दोहरी क्षति के विरुद्ध केवल न्यायालयों या न्यायाधिकरणों के सम्मुख होने वाली कार्रवाहियों से संरक्षण प्राप्त है. अन्य शब्दों में, यह सुरक्षा विभागीय या प्रशासनिक प्राधिकरणों के सामने होने वाली गतिविधियों के तहत उपलब्ध नहीं है क्योंकि ये न्यायिक पर प्रकृति के नहीं हैं.
स्व-दोषारोपण से संरक्षण : किसी भी अपराध के लिए व्यक्ति को स्वयं के विरुध्द साक्षी बनने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा. स्व-दोषारोपण के विरुद्ध संरक्षण, मौखिक और प्रलेखीय दोनों प्रकार के साक्ष्यों के लिए प्राप्त है. इसके अतिरिक्त, यह केवल आपराधिक कार्रवाहियों तक ही विस्तारित है. यह ऐसी कार्रवाहियों पर लागू नहीं होता जो सिविल प्रकृति की या गैर-आपराधिक प्रकृति की हैं. इसलिए कथन सही नहीं है.
Q2. C
संविधानवाद एक अवधारणा है जिसके अंतर्गत सरकार अपनी अधिकारिता/शक्ति एक मूलभूत कानूनी निकाय से प्राप्त करती है तथा इसी के द्वारा सरकार की शक्तियों पर कानूनी सेवाएँ आरोपित की जाती है. इसका लिखित या अलिखित संविधान या देश की राजनीतिक प्रणाली से कोई सम्बन्ध नहीं ओता है.
Q3. B
कथन 1 सही नहीं है : बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट, सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के विरुद्ध भी जारी की जा सकती है. हालाँकि यह रिट उन स्थितियों में जारी नहीं की जाती जब a) निरोध न्यायोचित हो, b) विधायिका या न्यायालय की अवमानना के लिए निरोध गया हो, c) निरोध किसी सक्षम न्यायालय द्वारा किया गया हो, d) निरोध न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र से बाहर हो.
कथन 3 सही है : अन्य चार रिटों के विपरीत, अधिकार पृच्छा रिट की माँग किसी भी इच्छुक व्यक्ति द्वारा की जा सकती है. अतः यह आवश्यक नहीं है कि इसकी माँग पीड़ित व्यक्ति द्वारा ही की जाए. यह रिट केवल कानून या संविधान द्वारा निर्मित स्थायी प्रकृति के सरकारी कार्यालय के मामले में ही जारी की जा सकती है. इसे मंत्रालय सम्बन्धी कार्यालय या निजी कार्यालय के मामलों में जारी नहीं किया जा सकता.
परमादेश : परमादेश रिट निम्न स्थितियों में जारी नहीं की जा सकती है. a) निजी व्यक्तियों या निकायों के विरुद्ध b) किसी ऐसे विभागीय अनुदेशों को लागू करने के लिए जिनमें वैधानिक शक्ति निहित न हो c) जब कर्तव्य विवेकानुसार हो, अनिवार्य नहीं d) संविदात्मक दायित्व को लागू करने के लिए e) भारत के राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपालों के विरुद्ध और f) न्यायिक क्षमता के अधीन कार्यरत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध.
उत्प्रेषण : 1991 से पूर्व उत्प्रेषण रिट केवल न्यायिक और अर्द्ध न्यायिक प्राधिकरणों के विरुद्ध ही जारी की जा सकती थी, प्रशासनिक निकायों के विरुद्ध नहीं. हालाँकि 1991 में, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया गया कि उत्प्रेषण रिट व्यक्तियों के अधिकारीयों को प्रभावित करने वाले प्रशासनिक प्राधिकरणों के विरुद्ध भी जारी की जा सकती है. प्रतिषेध की तरह उत्प्रेषण रिट भी विधिक निकायों एवं निजी व्यक्तियों या निकायों के विरुद्ध उपलब्ध नहीं हैं.
Q4. D
नीति निदेशक तत्त्वों के साथ-साथ मूल अधिकारों में संविधान का दर्शन और संविधान की आत्मा निहित है. ग्रेनविल ऑस्टिन ने नीति निदेशक तत्त्वों एवं मूल अधिकारों को “संविधान की अंतरात्मा” के रूप में वर्णित किया है.
Q5. D
संविधान के अनुच्छेद 368 के सीमाक्षेत्र से बाहर अनेक प्रावधानों को संसद के दोनों सदनों के साधारण बहुमत द्वारा संशोधित किया जा सकता है. इन प्रावधानों में सम्मिलित हैं –
- नए राज्य का प्रवेश या गठन
- नए राज्यों का निर्माण एवं मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन
- राज्यों में विधान परिषदों का गठन या उन्मूलन
- दूसरी अनुसूची – राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा अध्यक्ष, न्यायाधीश आदि के लिए परिलब्धियां, भत्ते, विशेषाधिकार इत्यादि.
- संसद में गणपूर्ति
- संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते
- संसदीय प्रक्रिया से सम्बंधित नियम
- संसद, उसके सदस्यों और उसकी समितियों के विशेषाधिकार
- संसद में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग
- सर्वोच्च न्यायालय में अवर न्यायाधीशों की संख्या
- सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र (न्याय क्षेत्र) में वृद्धि
- आधिकारिक भाषा का प्रयोग
- नागरिकता की प्राप्ति और समाप्ति
- संसद और राज्य विधायिकाओं हेतु चुनाव
- निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन
- संघ राज्य क्षेत्र
- पाँचवी अनुसूची – अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन
- छठी अनुसूची – जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन
Q6. C
- एक किसान अपना खेत बेचता है और कारोबार प्रारम्भ करता है – यह कोई पेशा अपनाने या व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग है.
- एक व्यक्ति गुजरात से महाराष्ट्र में प्रवास करता है और वहीं बस जाता है – यह देश हर में स्वतंत्र रूप से आने-जाने एवं देश के किसी भी भाग में बसने की स्वतंत्रता का प्रयोग है.
- एक व्यक्ति किसी धर्म में विश्वास करने से मना करता है – यह धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग है.
- एक व्यक्ति अपने माता-पिता से उत्तराधिकार में सम्पत्ति प्राप्त करता है – यह मूल अधिकार नहीं है.
Q7. D
संविधान का मसौदा तैयार करने एवं सामान्य कानूनों के अधिनियमन के अतिरिक्त, संविधान सभा ने निम्नलिखित कार्य भी संपन्न किए –
- इसने मई, 1949 में भारत की राष्ट्रमंडल की सदस्यता की पुष्टि की.
- इसने 22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया.
- इसने 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रगान को अपनाया.
- इसने 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया.
- इसने 24 जनवरी, 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को निर्वाचित किया.
Q8. B
कथन 1 सही है : अनूसूचित जनजातियों के हितों की अधिक प्रभावी तरीके से सुरक्षा करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग को विभाजित कर अनुसूचित जनजातियों के लिए पृथक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करने का प्रस्ताव किया गया था. इसका प्रावधान 2003 के 89वें संवैधानिक संशोधन द्वारा किया गया. इस अधिनियम के द्वारा अनुच्छेद 338 में संशोधन कर संविधान में एक नए अनुच्छेद 338-A का समावेश किया गया. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग वर्ष 2004 में अस्तित्व में आया.
कथन 2 सही नहीं है : यह जनजातीय कार्य मंत्रालय के नियंत्रणाधीन है.
कथन 3 सही है : किसी भी मामले या शिकायत की जाँच करते समय आयोग को सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी.
Q9. B
केन्द्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त एवं अधिकतम दस सूचना आयुक्त शामिल होते हैं. इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा एक समिति की अनुशंसा पर की जाती है. इस समिति में प्रधानमंत्री अध्यक्ष के रूप में, लोकसभा में विपक्ष के नेता एवं प्रधानमन्त्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, शामिल होते हैं.
Q10. C
मूल अधिकारों पर राष्ट्रपति शासन का कोई प्रभाव नहीं होता है जबकि राष्ट्रीय आपात एवं मार्शल लॉ का प्रभाव पड़ता है. जब राष्ट्रीय आपात की घोषणा की जाती है, तो अनुच्छेद 19 में शामिल मूल अधिकार स्वतः निलम्बित हो जाते हैं एवं यह निलम्बन आपातकाल की समाप्ति तक जारी रहता है.
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