UPSC Prelims परीक्षा, 2024 के लिए भूगोल (Geography) का Mock Test Series का पहला भाग दिया जा रहा है. भाषा हिंदी है और सवाल (MCQs) 10 हैं. ये questions Civil Seva Pariksha के समतुल्य हैं इसलिए यदि उत्तर गलत हो जाए तो निराश मत हों.
Mock Test Series for UPSC Prelims – Geography (भूगोल) Part 3
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Question 1 |
पर्वतों के प्रकार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए -
- भ्रंशोत्थ पर्वत के निर्माण हेतु पृथ्वी की पर्पटी में संपीडन और तनाव दोनों शामिल होते हैं, जबकि वलित पर्वत के निर्माण में मुख्य रूप से संपीडन शामिल होता है.
- एंडीज भ्रंशोत्थ पर्वत का उदाहरण है जबकि वॉस्जेज एक वलित पर्वत का उदाहरण है.
केवल 1 | |
केवल 2 | |
1 और 2 दोनों | |
न तो 1, न ही 2 |
Question 1 Explanation:
पर्वत पृथ्वी की सतह के एक वृहद् भाग का निर्माण करते हैं। इनकी निर्माण प्रक्रियाओं के आधार पर, इन्हें मुख्यत: चार प्रकार के पर्वतों में वर्गीकृत किया जाता है: वलित पर्वत, भ्रंशोत्थ पर्वत, ज्वालामुखी पर्वत, अवशिष्ट पर्वत.
वलित पर्वत (Fold Mountains): ये पर्वत अब तक के सर्वाधिक विस्तृत प्रकार के पर्वत हैं। ये वृहद् पैमाने पर पृथ्वी के संचलन के कारण तब निर्मित होते हैं जब पृथ्वी की पर्पटी में तनाव उत्पन्न होता है। इस प्रकार का तनाव, उपरिशायी चट्टानों में बढ़ा हुआ भार, मैंटल में प्रवाह संचलन, भूपर्पटी में चुंबकीय अंतर्वेधन या पृथ्वी के कुछ भागों के विस्तार या संकुचन के कारण हो सकता है। जब इस प्रकार के तनाव आरंभ होते हैं तो चट्टानों में दुर्बल रेखाओं में संपीडित बल के कारण संकुचन (wrinkling) या वलन उत्पन्न होता है। मूल स्तर की सतह से तरंगों की एक शृंखला का निर्माण करते हुए वलन प्रभावी रूप से पृथ्वी की पर्पटी को संकुचित करता है। इन विस्तृत तरंगों को अपनति (anticlines) और गर्त या नत वलन को अभिनति (synclines) कहा जाता है। वलित पर्वत ज्वालामुखी गतिविधि के साथ सन्निकटता से संबद्ध होते हैं। इनमें कई सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जिन्हें विशेष रूप से इन्हें परि-प्रशांत वलित पर्वत प्रणाली में देखा जा सकता है। इनमें टिन, तांबा जैसे समृद्ध खनिज संसाधन भी पाए जाते हैं। इसके कुछ उदाहरण हिमालय, एंडीज, आल्प्स आदि हैं।
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ब्लॉक पर्वत/भ्रंशोत्य पर्वत : ब्लॉक पर्वतों का निर्माण वृहद् पैमाने पर भ्रंशन के कारण होता है (जब कोई वृहद् क्षेत्र या पृथ्वी के ब्लॉक खंडित हो जाते हैं और उर्ध्वाधर या क्षितिज रूप से विस्थापित हो जाते हैं)। ऊपर उठे हुए ब्लॉकों को हॉर्स्ट कहा जाता है और नीचे धंसे हुए ब्लॉकों को ग्राबेन (द्रोणिका भ्रंश) कहा जाता है। ब्लॉक पर्वत को भ्रंशोत्थ-ब्लॉक पर्वत भी कहा जाता है क्योंकि ये तनाव और संपीडन बलों के परिणामस्वरूप भ्रंशन के कारण निर्मित होते हैं। द ग्रेट अफ्रीकन रिफ्ट बैली (घाटी का तल ग्राबेन है), द राइन वैली (ग्राबेन) और यूरोप में वॉस्जेज पर्वत (हॉर्स्ट) इसके उदाहरण हैं।
Question 2 |
अक्षांश और देशांतर के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- अक्षांश को पृथ्वी की सतह पर विषुवत रेखा के उत्तर या दक्षिण में किसी बिंदु की कोणीय दूरी के रूप में मापा जाता है.
- किसी स्थान के अक्षांश और देशांतर दोनों को पृथ्वी के केंद्र से मापा जाता है.
केवल 1 | |
केवल 2 | |
1 और 2 दोनों | |
न तो 1, न ही 2 |
Question 2 Explanation:
>>कथन 1 सही है: अक्षांश को विषुवत रेखा के उत्तर या दक्षिण में स्थित किसी बिंदु की कोणीय दूरी (पृथ्वी की सतह पर) के रूप में माना जाता है। विषुवत वृत्त के आधार पर ही अन्य अक्षांशों को निर्धारित किया जाता है और विषुवत वृत्त 0*अक्षांश होता है। सभी अक्षांश विषुवत वृत्त के समानांतर होते हैं, जो ध्रुवों के मध्य में होता है (यह ग्लोब को दो बराबर भागों में विभाजित करता है) इसलिए इन रेखाओं को अक्षांश समानांतर कहा जाता है और ग्लोब पर ये वास्तविक वृत्त होते हैं, जो ध्रुवों की ओर बढ़ते अक्षांशों के साथ अनुपातिक रूप से छोटे होते जाते हैं। विषुवत रेखा 0 degree अक्षांश का प्रतिनिधित्व करती है और उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव क्रमश: 90degree north और 90degree south अक्षांश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
>>>कथन 2 सही हैः देशांतर कोणीय दूरी होते हैं जिन्हें विषुवत रेखा पर प्रधान याम्योत्तर (ग्रीनविच) के पूर्व या पश्चिम में डिग्रियों में व्यक्त किया जाता है। ग्लोब पर देशांतरों को अर्ध-वृत्तों की एक शृंखला के रूप में दर्शाया जाता है जो विषुवत रेखा से होते हुए ध्रुव से धुव तक जाते हैं। ऐसी रेखाओं को याम्योत्तर (मेरिडियन) भी कहा जाता है।
Question 3 |
लोग मृत सागर (Dead Sea) में क्यों नहीं डूबते?
समुद्र में समुद्री प्राणियों की उपस्थिति के कारण | |
मृत सागर का कम तापमान तैराकों को अधिक उप्लावकता प्रदान करता है | |
मृत सागर में नमक की अत्यधिक सांद्रता जल के घनत्व में वृद्धि करती है | |
थर्मोक्लाइन (तीव्र ताप परिवर्तन) की गहराई मृत सागर में सतह के पास ही अवस्थित है |
Question 3 Explanation:
मृत सागर एक स्थलरूद्ध सागर है। आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बह कर सभी खनिज इस सागर में आते हैं, अतः यहाँ सूर्य के तापमान के कारण जल वाष्पीकरण की दर अधिक होती है। इसके परिणामस्वरूप मृत सागर में नमक की सांद्रता बहुत अधिक हो जाती है। जल में नमक की सांद्रता 34% तक पहुँच जाती है। जल में घुले खनिज लवणों की अत्यधिक उच्च सांद्रता के कारण इसका धनत्व स्वच्छ जल की तुलना में अधिक हो जाता है। चूँकि इस जल के घनत्व की तुलना में हमारे शरीर का भार हल्का (कम घनत्व वाला) होता है, इसलिए हमारे शरीर को मृत सागर में अश्विक उत्प्लावकता प्राप्त होती है, जिससे तैरना आसान हो जाता है। इसलिए विकल्प (c) सही उत्तर है।
Question 4 |
ये चिकनी अंडाकार कटक जैसी निक्षेपणात्मक आकृतियाँ हैं जो मुख्य रूप से बजरी और रेत के साथ हिमगोलाश्म मृत्तिका से निर्मित होती हैं. हिमनद का अभिमुख छोर पृच्छ छोर की तुलना में खुरदुरा और तीक्ष्ण ढाल युक्त होता है. इनके द्वारा हिमनदीय गति की दिशा इंगित की जाती है.
उपर्युक्त गद्यांश में निम्नलिखित में से किस भू-आकृति का वर्णन किया गया है?
एस्कर | |
ड्रमलिन | |
सिरेटेड कटक | |
हिमोढ़ |
Question 4 Explanation:
ड्रमलिन हिमनद द्वारा निक्षेपणात्मक भू-आकृतियां हैं। ये हिमनद मृत्तिका की अंडाकार समतल कटकनुमा आकृतियां हैं जिसमें रेत और बजरी के ढेर होते हैं। ड्रमलिन के लंबे भाग हिमनद के प्रवाह की दिशा में समानांतर होते हैं। ड्रमलिन का हिमनद सम्मुख भाग स्टॉस (stoss) कहलाता है जिसकी ढाल पुच्छ (tail) की अपेक्षा तीव्र होती है। इसका अग्र भाग या स्टॉस भाग प्रवाहित हिमखंड के कारण तीव्र हो जाता है। ड्रमलिन द्वारा हिमनद प्रवाह की दिशा इंगित की जाती है। सिरेटेड (दंतुरित) कटक हिमनदों द्वारा निर्मित अपरदनात्मक भू-आकृतियां हैं। हिमोढ़ हिम टिल (till) या हिमगोलाश्म मृत्तिका के निक्षेपों के लंबे कटक हैं। ड्रमलिन के विपरीत, इनके द्वारा हिमनद प्रवाह की दिशा इंगित नहीं की जाती है। एस्कर स्तरीकृत रेत, बजरी और वृह॒द् शिला खण्डों व निपिण्डों जैसी अत्यंत मोटी सामग्रियों के लम्बे, वक्राकार कटक हैं। इसलिए विकल्प (b) सही उत्तर है।
Question 5 |
पर्वतीय वनों (Montane forests) के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- इन वनों में सदाबहार चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष जैसे ओक और चेस्टनट सामान्य रूप से पाए जाते हैं.
- इन वनों में रहने वाले प्राणियों के बाल प्राय घने होते हैं.
- भारत में ये वन हिमालय और पूर्वोत्तर भारत की दक्षिण ढालों को आच्छादित करते हैं.
केवल 1 | |
केवल 2 और 3 | |
केवल 1 और 2 | |
1, 2 और 3 |
Question 6 |
भूकंप के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- सभी प्राकृतिक भूकंप स्थलमंडल में घटित होते हैं.
- वह बिंदु जहाँ से ऊर्जा निकलती है, अधिकेन्द्र (epicenter) कहलाता है.
केवल 1 | |
केवल 2 | |
1 और 2 दोनों | |
न तो 1, न ही 2 |
Question 6 Explanation:
साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी का कंपन है। यह एक प्राकृतिक घटना है। ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो सभी दिशाओं में प्रसारित होकर भूकंप उत्पन्न करती हैं।
कथन 1 सही है: सभी प्राकृतिक भूकंप स्थलमंडल में घटित होते हैं। प्राय: भ्रंश के किनारे-किनारे ही ऊर्जा मुक्त होती है। भूपर्पटी की शैलों में गहन दरारें ही भ्रंश होती हैं। भ्रंश के दोनों तरफ शैलें विपरीत दिशा में गति करती हैं। चूंकि ऊपर के शैल खंड दबाव डालते हैं, अतः उनके बीच का घर्षण उन्हें परस्पर बाँधे रहता है। हालाँकि,अलग होने की प्रवृत्ति के कारण एक समय पर घर्षण का प्रभाव कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शैलखंड विकृत होकर अचानक एक दूसरे के विपरीत दिशा में स्थानांतरित हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा निकलती है और ऊर्जा तरंगे सभी दिशाओं में गतिमान हो जाती हैं। <<<<कथन 2 सही नहीं है: जिस बिंदु पर ऊर्जा मुक्त होती है, उसे भूकंप का उद्गम केंद्र (focus) कहा जाता है, इसे अवकेंद्र (hypocentre) भी कहा जाता है। ऊर्जा तरंगें अलग-अलग दिशाओं में गति करती हुई पृथ्वी की सतह तक पहुँचती हैं। भूपटल पर वह बिंदु जो उद्गम केंद्र के निकटतम होता है उसे अधिकेंद्र कहा जाता है। इन तरंगों को सर्वप्रथम अधिकेंद्र पर ही दर्ज किया जाता है। अधिकेंद्र, उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर (90degree के कोण पर) होता है। स्थलमंडल >>> यह ठोस पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है। यह भंगुर पर्पटी (brittle crust) और ऊपरी मेंटल के शीर्ष भाग से मिलकर बना है। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठंडा और कठोरतम भाग है।
Question 7 |
निम्नलिखित क्षेत्रों में किसका "बुश-वेल्ड" भूदृश्य के जरिये सर्वोत्तम वर्णन किया जा सकता है?
स्टेपी घासभूमियाँ | |
भूमध्यसागरीय क्षेत्र | |
सवाना घासभूमियाँ | |
उष्ण मरुस्थल |
Question 7 Explanation:
सवाना घास के मैदानों में लंबी घासें और छोटे वृक्ष पाए जाते हैं। इसलिए सवाना को 'उष्णकटिबंधीय घास का मैदान' के रूप में वर्णित करता सही नहीं है, क्योंकि यहां प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली लंबी घास के साथ छोटे वृक्ष सदैव विद्यमान होते हैं। अतः "पार्कलैंड” और "बुश-वेल्ड” शब्द इस भूदृश्य का अधिक उपयुक्त वर्णन करते हैं। सवाना-जलवायु उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों तक सीमित है और सूडान में सर्वाधिक स्पष्ट रूप में विकसित हुई है, इसलिए इसे सूडान जलवायु के रूप में वर्णित किया गया है। यह संक्रमण क्षेत्रों में पाई जाने वाली जलवायु है जो विषुवतरेखीय वर्षा वनों और उष्ण मरुस्थलों के मध्य पाई जाती है।
Question 8 |
भारतीय भूगर्भ विज्ञान में संदर्भित, मालदा भ्रंश पृथक करता है:
सतपुड़ा पर्वत शृंखला से विन्ध्य पर्वत शृंखला को | |
अरावली पर्वत शृंखला से दिल्ली पर्वत श्रेणी को | |
पश्चिमी घाट से पूर्वी घाट को | |
प्रायद्वीपीय पठार से मेघालय के पठार को |
Question 8 Explanation:
भारत का प्रायद्वीपीय भूखंड: प्रायद्वीपीय भूखंड की उत्तरी सीमा अनियमित है, जो कच्छ से आरम्भ होकर एक अव्यवस्थित रेखा के रूप में अरावली पर्वत शृंखला के पश्चिम से गुजरती हुई दिल्ली तक तथा यमुना एवं गंगा नदी के समानांतर राजमहल की पहाड़ियों और गंगा डेल्टा तक विस्तारित है। इनके अतिरिक्त, उत्तर-पूर्व में कार्बी ऐंगलॉग और मेघालय का पठार तथा पश्चिम में राजस्थान भी इसी भूखंड का विस्तार हैं। पश्चिम बंगाल में मालदा भ्रंश उत्तर-पूर्वी भाग को छोटानागपुर पठार से पृथक करता है। सामान्यतः मालदा भ्रंश प्रायद्वीपीय पठार से सेघालय के पठार को पृथक करता है। इसलिए विकल्प (d) सही उत्तर है।
Question 9 |
उत्तरी गोलार्ध में बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ये वाताग्रों के साथ- साथ निर्मित होते हैं.
- ये स्थल और जल दोनों पर विकसित हो सकते हैं.
- ये पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं.
केवल 1 और 2 | |
केवल 1 | |
केवल 2 और 3 | |
1, 2 और 3 |
Question 9 Explanation:
कथन 1 सही है: बहुरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात, जिसे वेव साइक्लोन या मध्य अक्षांशीय चक्रवात के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार की चक्रवातीय वायु प्रणालियां हैं जो मध्य या उच्च अक्षांशों में क्षैतिज तापमान भिन्नता वाले वाताग्र क्षेत्र में निर्मित होती हैं। ये ठंडी वायु राशि से कोष्ण वायु राशि को पृथक करते हुए बाताग्री पृष्ठ पर एक लहर विकसित होने पर निर्मित होते हैं। उत्तरी गोलार्ध में बाताग्र के दक्षिण में कोष्ण वायु तथा उत्तर दिशा में ठंडी वायु प्रवाहित होती है। जब वाताग्र के साथ वायुदाब कम हो जाता है कोष्ण वायु उत्तर दिशा की ओर तथा ठंडी वायु दक्षिण दिशा की ओर वामावर्त चक्रवातीय परिसंचरण करती हैं तब इस स्थिति में वहिरूणण कटिबंधीय चक्रवात ध्रुवीय वाताग्र के साथ साथ विकसित होते हैं। >>कथन 2 सही है और कथन 3 सही नहीं है: ये एक विस्तृत क्षेत्र में फैले होते हैं और इनकी उत्पत्ति स्थल एवं जल दोनों पर हो सकती है। उप्णकटिबंधीय चक्रवात में पवनों का वेग अपेक्षाकृत तीव्र होता है और यह अत्यधिक विनाशकारी होती हैं। बहुरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में पश्चिम से पूर्व की ओर गतिशील होते हैं।
Question 10 |
निम्नलिखित नदियों पर विचार करें -
- तापी
- माही
- दामोदर
केवल 1 और 2 | |
केवल 2 और 3 | |
1, 2 और 3 | |
केवल 1 और 3 |
Question 10 Explanation:
नर्मदा, तापी, माही और दामोदर, ये सभी नदियाँ भ्रंश घाटियों से होकर प्रवाहित होती हैं। इसलिए विकल्प C सही है। नर्मदा नदी सतपुड़ा और विंध्य पर्वतमाला के मध्य स्थित भ्रंश घाटी में पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है। दामोदर नदी छोटा नागपुर पठार स्थित भ्रंश घाटी से होकर प्रवाहित होती है। ताप्ती और माही नदियाँ भी विभिन्न श्रेणियों के मध्य भ्रंश घाटियों से होकर प्रवाहित होती हैं।
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