Mock Test Series for UPSC Prelims – इतिहास (History+Culture) Part 5

LochanMT History

UPSC Prelims परीक्षा, 2024 के लिए कला एवं इतिहास (History+Culture) का Mock Test Series का पाँचवाँ भाग दिया जा रहा है. भाषा हिंदी है और सवाल (MCQs) 10 हैं. ये questions Civil Seva Pariksha के समतुल्य हैं इसलिए यदि उत्तर गलत हो जाए तो निराश मत हों.

सवालों के उत्तर व्याख्या सहित नीचे दिए गए हैं. (Question Solve Karen Ya Na Karen Par Explanation Par Nazar Jarur Daudayen)[no_toc]

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History+Culture Mock Test Series 5 MCQ – व्याख्या (Explanation)

Q1. D – संगीत वाद्ययंत्र

भरतमुनि द्वारा संकलित नाट्यशास्त्र (200 ई.पू. से 200 ई. सन्) में संगीत वाद्ययंत्रों को ध्वनि की उत्पत्ति के आधार पर चार मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है –

  • तत् वाद्य (Chrodophones) – तार वाद्ययंत्र
  • सुषिर वाद्य (Aerophones) – हवा वाले वाद्ययंत्र
  • अवनद्व वाद्य (Membranophones) – ताल वाद्ययंत्र
  • घन वाद्य (Idiophones) – ठोस वाद्ययंत्र, जिन्हें ट्यून करने की आवश्यकता नहीं होती.

Q2. C – गुप्त साम्राज्य के पतन का कारण

चन्द्रगुप्त द्वितीय ने वैवाहिक संबंधों तथा विजय अभियानों के द्वारा अपने साम्राज्य का विस्तार किया. चन्द्रगुप्त ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह ब्राह्मण जाति के वाकाटक शासक से किया तो मध्य भारत पर शासन करते थे. वाकाटक राजा की मृत्यु के बाद उसका अल्पव्यस्क पुत्र उसका उत्तराधिकारी बना. इस प्रकार प्रभावती वास्तविक शासन बन गई तथा अपने पिता के हितों की पूर्ति करती रही. इस प्रकार चन्द्रगुप्त ने मध्य भारत के वाकाटक राजवंश पर अप्रत्यक्ष शासन स्थापित कर लिया तथा इससे उसे अत्यधिक लाभ प्राप्त हुआ. इसलिए विकल्प (c) गुप्त साम्राज्य के पतन का सही कारण नहीं है अतः यही विकल्प उत्तर होगा.

Q3. B – वैदिक साहित्य 

अथर्ववेद के सूक्तों में अधिकांशतः सम्मोहन शक्तियों और जादू मन्त्रों का वर्णन किया गया है जो शैतानी शक्तियों और शत्रुओं को दूर रखते हैं. इसलिए कथन 1 सही नहीं है. 

वेदांग वेदों के अध्ययन और उन्हें समझने से सम्बंधित सहायक शास्त्र हैं. इसलिए कथन 2 सही है.

वेदांगों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें > Vedanga in Hindi

Q4. A – हस्त मुद्रा

पल्लव कालीन प्रमुख कांस्य प्रतिमाओं में से एक आठवीं शताब्दी ईस्वी की अर्धपर्यंक आसन (एक पैर को लटकाकर बैठना) में बैठे हुए शिव की मूर्ति है. दायाँ हाथ आचमन मुद्रा  में है जो भगवान् शिव द्वारा विषपान करने की ओर संकेत कर रहा है. इसलिए विकल्प (a) सही है.

5. B – भारतीय शास्त्रीय संगीत

शास्त्रीय संगीत की दो शैलियाँ हैं : हिन्दुस्तानी तथा कर्नाटक. सामान्यतः यह स्वीकार किया जाता है कि भारत का संगीत 13वीं शताब्दी से पूर्व लगभग एकरूप था. कालांतर में यह दो संगीत शैलियों में विभाजित हो गया.

यह उत्तर भारत में दिल्ली सल्तनत और दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य का युग था. समुद्रगुप्त ने चौथी शताब्दी ई. में शासन किया था. इसलिए कथन 1 सही नहीं है.

जहाँ भारत के उत्तरी भाग के भारतीय संगीत ने फारसी और अरबी संगीत (जिसने दिल्ली के मुगल शासकों के दरबार को सुशोभित किया था) की कुछ विशेषताओं को आत्मसात किया वहीं दक्षिण भारत के संगीत का विकास उसके अपने मूल स्वरूप में ही जारी रहा. इसलिए कथन 2 सही है.

6. A – ताम्रपाषाण संस्कृति की विशेषताएँ

ताम्रपाषाण युगीन लोग सामान्यतया पकी ईंटों से परिचित नहीं थे और इनका कदाचित ही प्रयोग किया जाता था. यदा-कदा ही उनके घर पकी ईंटों से बनाए जाते थे. अधिकांशतः ये बेंत लकड़ी और मिट्टी से निर्मित होते थे तथा छप्पर युक्त घरों की भाँति प्रतीत होते थे. इसलिए कथन 2 सही नहीं है.

7. B – क़ुतुबमीनार

यह 71 मीटर ऊँची मीनार सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी को समर्पित थी. अतः कथन 2 सही नहीं है.

13वीं शताब्दी की सबसे भव्य इमारत कुतुबमीनार थी. इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरू किया गया था और इसे इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया था. इसलिए कथन 1 सही है.

पट्टिकाओं और शीर्ष मंजिलों में लाल एवं श्वेत बलुआ पत्थरों व संगमरमर का प्रयोग किया गया है. इसलिए कथन 3 सही है.

8. A – मूर्तिकला की मथुरा कला शैली

कथन 1 सही नहीं है. प्रथम सदी ईस्वी से आरम्भ होकर गांधार (अब पाकिस्तान में), उत्तर भारत में मथुरा और आंध्र प्रदेश में वेंगी, कला निर्माण के महत्त्वपूर्ण केन्द्रों के रूप में उभरते रहे. पहले केवल प्रतीकात्मक रूप में प्रदर्शित किये जाने वाले बुद्ध को मथुरा और गांधार कला में मानव रूप में प्रदर्शित किया गया.

कथन 2 सही नहीं है. गांधार कला शैली की मूर्तिकला में ग्रीक-रोमन तत्त्व उपस्थित हैं. बुद्ध के सिर को प्रतीकात्मक हेलेनिस्टिक तत्त्वों से दर्शाया गया है जिनका कालांतर में विकास होता गया.

9. C – बलबन 

बलबन ने 1246 ई. में रजिया सुलतान की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत के सिंहासन का उत्तराधिकारी बनने में महमूद की सहायता की थी. 1266 में बिना उत्तराधिकारी के घोषणा के ही नसीरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद बलबन सिंहासन का उत्तराधिकारी बना.

10. C – नागर शैली और द्रविड़ शैली

उत्तर भारतीय मंदिरों में शिखर सबसे प्रमुख घटक बना रहता था जबकि प्रवेश द्वार सामान्य तौर पर अलंकृत नहीं होता था. दक्षिण भारत के मंदिरों की सबसे प्रमुख विशेषता मंदिरों का चारदीवारी से घिरा होना एवं गोपुरम (विशाल प्रवेश द्वार) होती है. इसलिए कथन 2 सही नहीं है.

नागर शैली के मंदिर के विपरीत, द्रविड़ मंदिर एक चारदीवारी के भीतर होता था. इसके अतिरिक्त द्रविड़ शैली में परिसर के भीतर एक बड़े जलाशय अथवा एक मंदिर तालाब का मिलना सामान्य बात है. इसलिए कथन 3 सही नहीं है.[vc_row][vc_column][vc_column_text][/vc_column_text][vc_btn title=”Click for > Sansar Mock Test Series” style=”3d” shape=”round” color=”green” size=”lg” align=”center” i_icon_fontawesome=”fa fa-quora” button_block=”true” add_icon=”true” link=”url:https%3A%2F%2Fsansarlochan.in%2Fmock-test-series%2F|||”][/vc_column][/vc_row]

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