UPSC Prelims परीक्षा के लिए Polity (राज्यव्यवस्था) का Mock Test Series का सातवाँ भाग दिया जा रहा है. भाषा हिंदी है और सवाल (MCQs) 10 हैं. ये questions Civil Seva Pariksha के समतुल्य हैं इसलिए यदि उत्तर गलत हो जाए तो निराश मत हों.
सवालों के उत्तर व्याख्या सहित नीचे दिए गए हैं. (Question Solve Karen Ya Na Karen Par Explanation Par Nazar Jarur Daudayen)[no_toc]
Mock Test for UPSC Prelims - Polity (राज्यव्यवस्था) Part 8
Question 1 |
प्रतिष्ठा और अवसर की समानता | |
राजनीतक न्याय | |
सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र | |
आस्था की स्वतंत्रता |
Question 2 |
- यह केवल राज्य सूची और समवर्ती सूची में वर्णित विषयों के सम्बन्ध में ही मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच कर सकता है.
- यह मानवाधिकार के उल्लंघन के मामलों में स्व-प्रेरणा से (suo-motu) पूछताछ नहीं कर सकता है.
केवल 1 | |
केवल 2 | |
1 और 2 दोनों | |
न तो 1, न ही 2 |
Question 3 |
- संविधान संशोधन विधेयक प्रत्येक सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए.
- इस प्रकार के विधयेक पर दोनों सदनों के बीच असहमति के कारण उत्पन्न होने वाले गतिरोध का हल दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा निकाला आना चाहिए.
केवल 1 | |
केवल 2 | |
1 और 2 दोनों | |
न तो 1, न ही 2 |
Question 4 |
जीवन का अधिकार | |
समानता का अधिकार | |
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार | |
संवैधानिक उपचार का अधिकार |
Question 5 |
- सेवाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावे.
- मातृभाषा में शिक्षा.
- हिंदी भाषा का विकास.
केवल 1 और 2 | |
केवल 2 और 3 | |
केवल 1 और 3 | |
1, 2 और 3 |
Question 6 |
- वे लक्ष्य और उद्देश्य जो समाज को अपनाने चाहिए.
- मूल अधिकारों के अतिरिक्त ऐसे अन्य अधिकार जो व्यक्तियों को मिलने चाहिए.
- वे नीतियाँ जिन्हें सरकार को अपनाना चाहिए.
केवल 1 और 3 | |
केवल 1 और 2 | |
केवल 2 और 3 | |
1, 2 और 3 |
Question 7 |
न्यायालय अधीनस्थ न्यायालय या प्राधिकारी को उसके समक्ष लंबित मामले को उच्चतर न्यायालय या प्राधिकारी को हस्तांतरित करने का आदेश देता है. | |
किसी मामले के किसी निचले न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर होने की दशा में उच्चतर न्यायालय (उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय) निचले न्यायालय को आदेश देता है. | |
यदि न्यायालय यह पाता है कि एक विशेष पद धारक अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रहा है और इस प्रकार किसी अन्य व्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है. | |
न्यायालय आदेश देता है कि गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को उसके सामने प्रस्तुत किया जाए. |
Question 8 |
- लोकतंत्र की निरन्तरता बनाए रखने के लिए अधिकारों का होना आवश्यक है.
- अधिकार बहुसंख्यकों के उत्पीड़न से अल्पसंख्यकों की रक्षा करते हैं.
- अधिकार व्यक्तियों के समाज द्वारा मान्यता प्राप्त तर्कसंगत दावे हैं.
केवल 1 और 2 | |
केवल 1 और 3 | |
केवल 2 और 3 | |
1, 2 और 3 |
Question 9 |
- हड़ताल का अधिकार
- समाचार-पत्र पर पूर्व सेंसरशिप लगाने के विरुद्ध अधिकार
- मौन रहने की स्वतंत्रता का अधिकार
1, 2 और 3 | |
केवल 1 और 3 | |
केवल 2 और 3 | |
केवल 2 |
Question 10 |
संवैधानिक प्रावधान | देश से अपनाया गया |
1. मूल अधिकार | फ्रांस |
2. राज्य के नीति निदेशक तत्त्व | आयरलैंड |
3. सरकार का मंत्रिमंडलीय स्वरूप | ब्रिटेन |
केवल 2 और 3 | |
केवल 1 और 2 | |
केवल 3 | |
1, 2 और 3 |
Polity Mock Test Series 8 MCQ – व्याख्या (Explanation)
Q1. C – नीति निदेशक तत्त्व
राज्य के नीति निदेशक तत्त्व (DPSP) नागरिकों के मूल अधिकारों के पूरक हैं. इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक अधिकार उपलब्ध करार भाग – 3 में व्याप्त रिक्तता को पूरा करना है. इनका कार्यान्वयन नागरिकों द्वारा मूल अधिकारों के पूर्ण एवं उचित उपयोग हेतु अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करता है. आर्थिक लोकतंत्र के बिना राजनैतिक लोकतंत्र अर्थहीन है. इस प्रकार, DPSP सामाजिक लोकतंत्र और आर्थिक लोकतंत्र दोनों को सुनिश्चित करते हैं.
Q2. A – राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC)
एक राज्य मानवाधिकार केवल राज्य सूची (सूची II) और संविधान की सातवीं अनुसूची के समवर्ती सूची (सूची III) में वर्णित विषयों के सम्बन्ध में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच कर सकता है.
आयोग मानवाधिकारों के किसी भी उल्लंघन या एक लोक सेवक द्वारा ऐसे उल्लंघन की रोकथाम में लापरवाही के मामले में या तो स्वप्रेरणा से या उसके सामने प्रस्तुत याचिका पर, या फिर एक अदालत के आदेश पर पूछताछ कर सकता है.
Q3. A – संविधान संशोधन विधेयक
प्रत्येक सदन में एक विशेष बहुमत द्वारा विधेयक पारित किया जाना चाहिए अर्थात् सदन की कुल सदस्यता के बहुमत (अर्थात् 50% से अधिक) और सदन से उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा. इसलिए कथन 1 सही है.
प्रत्येक सदन को विधेयक अलग से पास करना होगा. दो सदनों के बीच असहमति की स्थिति में, विचार-विमर्श और विधेयक पारित करने के उद्देश्य से दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आयोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए कथन 2 सही नहीं है.
Q4. D – संविधान का हृदय और आत्मा
डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचार के अधिकार को “संविधान के हृदय और आत्मा” की संज्ञा दी थी. ऐसा इसलिए क्योंकि यह अधिकार नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के किसी भी मामले में उन्हें दोबारा बहाल किये जाने के लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के पास जाने का अधिकार प्रदान करता है. सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय, अधिकारों को पुनः बहाल करने के लिए सरकार को निर्देश दे सकते हैं.
Q5. D – संविधान का भाग IV
संविधान के भाग IV में सम्मिलित नीति निदेशक तत्त्वों के अतिरिक्त कुछ अन्य निदेशक तत्त्व (जो कि प्रकृति में न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं) संविधान के अन्य हिस्सों में निहित हैं :-
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सेवा सम्बन्धी दावे : संघ या राज्य से (अनुच्छेद 335, भाग XVI) सम्बन्धी सेवाओं और पदों पर नियुक्तियों के दौरान प्रशासन की दक्षता बनाये रखने के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के दावों को ध्यान में रखा जाएगा.
मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा : भाषाई अल्पसंख्यक समूहों (भाग 350 A- भाग XVII) से सम्बंधित बच्चों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा उनकी मातृभाषा में प्रदान करने हेतु प्रत्येक राज्य और स्थानीय प्राधिकरण का प्रयास होगा.
हिंदी भाषा का विकास : संघ (अनुच्छेद 351 के भाग XVII में) हिंदी भाषा के प्रसार और इसके विकास हेतु कार्य करेगा ताकि यह भारत की समग्र संस्कृति के सभी तत्त्वों के लिए अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके.
Q6. D – राज्य के नीति निदेशक तत्त्व
नीति निदेशक तत्त्वों के सम्बन्ध में संविधान का भाग IV प्रावधान करता है :
- उन लक्ष्यों और उद्देश्यों का जिन्हें समाज द्वारा अपनाया जाना चाहिए.
- कुछ निश्चित अधिकारों का जो व्यक्तियों को मूल अधिकारों के अतिरिक्त मिलने चाहिए.
- कुछ नीतियों का जिन्हें सरकार को अपनाना चाहिए.
Q7. A – उत्प्रेषण रिट
बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट : बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट, सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के विरुद्ध भी जारी की जा सकती है. हालाँकि यह रिट उन स्थितियों में जारी नहीं की जाती जब a) निरोध न्यायोचित हो, b) विधायिका या न्यायालय की अवमानना के लिए निरोध गया हो, c) निरोध किसी सक्षम न्यायालय द्वारा किया गया हो, d) निरोध न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र से बाहर हो.
अधिकार पृच्छा रिट : अधिकार पृच्छा रिट की माँग किसी भी इच्छुक व्यक्ति द्वारा की जा सकती है. अतः यह आवश्यक नहीं है कि इसकी माँग पीड़ित व्यक्ति द्वारा ही की जाए. यह रिट केवल कानून या संविधान द्वारा निर्मित स्थायी प्रकृति के सरकारी कार्यालय के मामले में ही जारी की जा सकती है. इसे मंत्रालय सम्बन्धी कार्यालय या निजी कार्यालय के मामलों में जारी नहीं किया जा सकता.
परमादेश : परमादेश रिट निम्न स्थितियों में जारी नहीं की जा सकती है. a) निजी व्यक्तियों या निकायों के विरुद्ध b) किसी ऐसे विभागीय अनुदेशों को लागू करने के लिए जिनमें वैधानिक शक्ति निहित न हो c) जब कर्तव्य विवेकानुसार हो, अनिवार्य नहीं d) संविदात्मक दायित्व को लागू करने के लिए e) भारत के राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपालों के विरुद्ध और f) न्यायिक क्षमता के अधीन कार्यरत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध.
उत्प्रेषण : 1991 से पूर्व उत्प्रेषण रिट केवल न्यायिक और अर्द्ध न्यायिक प्राधिकरणों के विरुद्ध ही जारी की जा सकती थी, प्रशासनिक निकायों के विरुद्ध नहीं. हालाँकि 1991 में, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया गया कि उत्प्रेषण रिट व्यक्तियों के अधिकारीयों को प्रभावित करने वाले प्रशासनिक प्राधिकरणों के विरुद्ध भी जारी की जा सकती है. प्रतिषेध की तरह उत्प्रेषण रिट भी विधिक निकायों एवं निजी व्यक्तियों या निकायों के विरुद्ध उपलब्ध नहीं हैं.
Q8. D – लोकतंत्र में अधिकार
लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए अधिकार आवश्यक हैं. लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को मतदान करने और सरकारी तंत्र के सदस्य के रूप में चुने जाने का अधिकार होना चाहिए. लोकतांत्रिक चुनाव होने के लिए, यह आवश्यक है कि नागरिकों को अपनी राय/मत व्यक्त करने, राजनीतिक दल बनाने और राजनीतक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार होना चाहिए. इसलिए, कथन 1 सही है.
अधिकार बहुमत के उत्पीड़न से अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करते हैं. अधिकार सुनिश्चित करते हैं कि बहुत अपनी मनमानी न कर सके. अधिकार वे गारंटी/प्रतिभूतिययाँ हैं, जिनका उपयोग सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था में अनुचित प्रवृत्तियों के विरुद्ध किया जा सकता है. ऐसा तब होता है जब कुछ नागरिकों के अधिकारों का हनन करते हैं. ऐसा साधारणतया तब होता है जब बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यकों पर हावी होना चाहते हैं. सरकार को ऐसी स्थिति में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए. लेकिन कभी-कभी निर्वाचित सरकारें सुरक्षा नहीं कर पाती हैं या अपने ही नागरिकों के अधिकारों का हनन करती हैं. यही कारण है कि कुछ अधिकारों को सरकार की पहुँच से दूर रखा जाता है ताकि सरकार उनका उल्लंघन न कर सके. अधिकांश लोकतंत्रों में नागरिकों के मूल अधिकार संविधान में निहित हैं. इसलिए, कथन 2 सही है.
जिस समाज में हम रहते हैं उस समाज द्वारा अधिकारों को मान्यता दी जानी चाहिए. प्रत्येक समाज हमारे आचरण को विनियमित करने के लिए कुछ निश्चित नियम बनाती है. वे हमें बताते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है. समाज द्वारा स्वीकृत मान्यताएँ अधिकारों का आधार बनती हैं. यही कारण है कि अधिकारों की धारणा समय और समाज के अनुसार परिवर्तित होती रहती है. दो सौ साल पहले किसी के द्वारा कहा गया था कि महिलाओं को मतदान का अधिकार होना चाहिए. आज उन्हें सऊदी अरब में मताधिकार न प्रदान करना अनुचित लगता है. इसलिए, कथन 3 सही है.
Q9. C – वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनुच्छेद 19 (1)(a) के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को अपना विचार, मत, विश्वास और धारणाओं को बोलकर, लिखकर, मुद्रित करके, चित्रित करके या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्रता पूर्वक व्यक्त करने का अधिकार है सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निम्नलिखित अधिकार सम्मिलित हैं –
- अपने विचारों के साथ-साथ दूसरों के विचारों का प्रचार करने का अधिकार.
- प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार.
- वाणिज्यिक विज्ञापनों की स्वतंत्रता
- टेलीफोन टेपिंग के विरुद्ध अधिकार.
- प्रसारण का अधिकार अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर सरकार का कोई अधिकार नहीं है.
- किसी राजनैतिक दल या संगठन द्वारा घोषित बंद के विरुद्ध अधिकार.
- सरकारी गतिविधियों के संबंध में जानने का अधिकार.
- मौन रहने की स्वतंत्रता (3 सही है).
- समाचार पत्र पर पूर्व सेंसरशिप लगाने के विरुद्ध अधिकार (2 सही है).
- प्रदर्शन करने या धरना देने का अधिकार, लेकिन हड़ताल करने का अधिकार नहीं है. (1 सही नहीं है)
Q10. A – संवैधानिक प्रावधान किस देश से अपनाया गया?
संविधान का संरचनात्मक भाग काफी हद तक, भारत सरकार अधिनियम 1935 से लिया गया है. संविधान का दार्शनिक भाग अर्थात् मूल अधिकार और राज्य के नीति निदेशक तत्त्व क्रमशः अमेरिकी एवं आयरिश संविधानों से अपनी प्रेरणा प्राप्त करते हैं. संविधान का राजनीतिक भाग (मंत्रीमंडलीय सरकार का सिद्धांत और कार्यपालिका और विधायिका के बीच सम्बन्ध) काफी हद तक ब्रिटिश संविधान से लिया गया है.
संविधान के अन्य प्रावधान कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, USSR (अब रूस), फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, जापान और अन्य देशों के संविधानों से लिए गये हैं. हालाँकि, यह आलोचना कि भारतीय संविधान “उधार का संविधान” है, “पैबंद है” और “इसमें कुछ भी नया और मौलिक सम्मिलित नहीं है”, अनुचित और अतार्किक है. इसका कारण यह है कि संविधान निर्माताओं ने भारतीय परिस्थितियों के प्रति उपयुक्तता के लिए अन्य देशों के संविधानों से उधार ली गई विशेषताओं में आवश्यक परिवर्तन करने के साथ ही उनकी कमियों से बचने का भी प्रयास किया है.
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