आगामी परीक्षा के लिए आधुनिक इतिहास के कुछ शोर्ट नोट्स पॉइंट के रूप में दे रहा हूँ. इस नोट्स को आप रिवीजन नोट्स भी कह सकते हैं.
वैसे हम लोगों ने कई बार ऐसे पोस्ट डाले हैं. आप उन्हें इन दोनों लिंक में ढूँढ़ सकते हैं –
Modern History Short Notes in Hindi
- ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 ई. में हुई थी.
- कपंनी का भारतीय रियासतों से समानता के लिए संघर्ष का काल 1740-65 है.
- इस काल में कंपनी ने प्लासी (1757) एवं बक्सर (1764) के युद्धों में जीत हासिल की.
- घेरे की नीति का काल 1765-1813 है.
- लार्ड वेलेजली ने भारत में कपंनी का सनिक प्रभुत्व स्थापित किया.
- लार्ड हेस्टिंग्ज ने भारत में कपंनी की राजनैतिक सर्वश्रेष्ठता स्थापित की.
- लार्ड हेस्टिंग्ज के समय से अधीनस्थ पार्थक्य की नीति (1813-1857) शुरू हुई.
- लार्ड वेलेजली द्वारा शुरू किये गये सहायक सन्धि को स्वीकार करने वाले राज्य थे – हैदराबाद (1798 और 1800), मैसूर (1799), तंजौर (1799), अवध (1801), पेशवा (1801), भोंसले (1803), सिन्धिया (1804), जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी, बूंदी, भरतपुर.
- लार्ड डलहौजी के व्यपगत के सिद्दांत के अनुसार विलय किये गये राज्य थे – सतारा (1848), जैतपुर एवं संभलपुर (1849), बघाट (1850), उदयपुर (1852), झांसी (1853) और नागपुर (1854.
- कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स ने करौली के विलय की आज्ञा नहीं दी थी तथा लार्ड कैनिंग ने बघाट और उदयपुर राज्य वापस कर दिए थे.
- 1856 में अवध को कुप्रशासन के आधार पर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया था.
- इससे पूर्व बैंटिक ने मैसूर (1831), कछार (1832), कुर्ग (1834), जैन्तिया (1835) तथा आकलैण्ड ने कुरनूल एवं माण्डवी (1839) तथा कोलाबा एवं जालौन (1840) को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया था.
- खैरपुर, बहावलपुर एवं कश्मीर का विलय इस समय नहीं किया गया था. कंपनी ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि वे उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
- 1858 में ‘व्यपगत के सिद्धांत’ को समाप्त कर दिया गया था.
- 1876 को महारानी विक्टोरिया को कैसर-ए-हिन्द की उपाधि प्रदान की गयी थी.
- लार्ड रिपन के काल में मैसूर को 1881 में वापस स्थानीय राजवंश को लौटा दिया गया था.
- भारतीय रियासतों के आन्तरिक प्रशासन में ब्रिटिश हस्तक्षेप के उदहारण टोंक, गायकवाड़ (बड़ौदा), कश्मीर एवं मणिपुर हैं.
- इंडियन स्टेट्स कमेटी या बटलर समिति की नियुक्ति 1927 में की गयी थी तथा इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 1929 के प्रारम्भ में पेश की.
- 1935 के अधिनियम में प्रस्तावित संघ में भारतीय रियासतों के सम्मिलित होने का प्रावधान किया गया था, परन्तु यह संघ नहीं बन पाया.
- नरेन्द्र मण्डल के गठन का प्रस्ताव मोन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों में किया गया था. इसका गठन 1921 में हुआ था.
- माउन्टबेटन याजेना ने ही सर्वश्रेष्ठता को समाप्त किया.
- कश्मीर ने 26 अक्टूबर 1947 को तथा जूनागढ़ एवं हैदराबाद ने 1948 में विलय पत्रों पर हस्ताक्षर किये थे.
- स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में रियासतों की संख्या 562 थी, जो भारत के 45 प्रतिशत भूभाग पर फैली हुई थी.
- सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद और सबसे छोटी बिलबारी थी.
- ‘घेरे की नीति’ काल में हुए युद्ध :— प्रथम मराठा युद्ध तथा द्वितीय मैसूर युद्ध (वोरन हेस्टिंग्स), तृतीय मैसूर युद्ध (कार्नवालिस), द्वितीय मराठा युद्ध तथा चतुर्थ मैसूर युद्ध (वेलेजली).
- लार्ड वेलेजली ने ‘सहायक संधि’ (Subsidiary alliance) की शुरुआत की. भारत में प्रथम बार यह संधि हैदराबाद के निजाम के साथ तथा उत्तर भारत में प्रथम बार अवध के साथ की गयी, मैसूर को छोड़ सारी संधियाँ समानता और पारस्परिकता के आधार पर किया था.
- लार्ड मिण्टो ने 1809 ई. में रणजीत सिंह के साथ ‘अमृतसर की संधि’ की.
- सबसे अधिक सहायक संधि लार्ड हेस्टिंग्स द्वारा की गयी थी.
- लार्ड बैंटिक ने 1831 में मैसूर, 1832 में कछार, 1834 में कुर्ग, और 1835 में जैंतिया रियासतों का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय कर लिया.
- 1833 के चार्टर एक्ट द्वारा कम्पनी पूर्णतः एक राजनैतिक संस्था बन गयी.
- डलहौजी ने विजय (युद्ध) द्वारा मार्च 1849 में पंजाब तथा 1852 में लोअर बर्मा अथवा पीगू का विलय कर लिया.
- डलहौजी ने कुशासन और भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर 1853 में बरार तथा 1856 में अवध का विलय कर लिया.
- डलहौजी ने व्यपगत के सिद्धांत के अनुसार सतारा (1848), जैतपुर तथा सम्भलपुर (1849), बघाट (1850), उदयपुर (1852), झांसी (1853) तथा नागपुर (1854) रियासतों का विलय कर लिया.
- डलहौजी ने नाना साहेब पेशवा की पेंशन समाप्त कर दी तथा मुगल सम्राट को लाल किला खाली करने के लिए बाध्य किया.
- लॉर्ड कर्जन ने रियासतों के राजाओं के विदेश भ्रमण कर रोक लगा दी.
- मांटेग्यू-चेम्सपफोर्ड रिपोर्ट के आधार पर 1921 में ‘चेम्बर ऑफ प्रिंसेस’ बना.
- 1927 में इंडियन स्टेट कमेटी (बटलर कमेटी) ने अपनी रिपोर्ट पेश की.
- 1927 में अखिल भारतीय राज्य जन कांफ्रेंस (All India State People Conference) का आयोजन हुआ. इसके आयोजक थे – बलवंत राय मेहता, मणि लाल कोठारी और जी.जार. अभ्यंकर.
- कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन, 1920 में रियायतों की जनता को कांग्रेस का सदस्य बनने की अनुमति दी गयी.
- 1939 में राज्य जन कांफ्रेंस का आयोजन लुधियाना में हुआ, जिसके अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे.
- जवाहर लाल नेहरू की ही अध्यक्षता में 1946 में उदयपुर में राज्य जन कांफ्रेंस का आठवां अधिवेशन हुआ. यह पहला अधिवेशन था, जो किसी रियासत में हुआ था.
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