नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के पक्ष और विपक्ष में तर्क

Sansar LochanBills and Laws: Salient Features

केरल विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act – CAA) को वापस लेने की माँग की है.

तर्क यह दिया गया है कि यह अधिनियम संविधान की मूलभूत मान्यताओं और सिद्धांतों के प्रतिकूल है. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि यह धर्मनिरपेक्षता का हनन करता है और नागरिकता देने में धार्मिक आधार पर भेद-भाव को बढ़ावा देता है.

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के बारे में भारत सरकार का क्या कहना है?

केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) किसी भी भारतीय नागरिक को प्रभावित नहीं करता है चाहे वह मुसलमान ही क्यों न हो. यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति की नागरिकता को छीनने का अधिनियम नहीं है, अपितु यह नागरिकता देने का काम करता है.

केंद्र सरकार का कहना है कि जो लोग 2014 तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भाग कर आये हैं उन्हीं को नागरिकता देने के लिए यह संशोधन किया गया है. ऐसे शरणार्थियों में एक भी मुसलमान नहीं है. ये शरणार्थी या तो हिन्दू हैं या बौद्ध हैं या जैन हैं या सिख हैं या पारसी हैं या इसाई हैं.

विरोधियों के तर्क

  • विरोधी सरकार की व्याख्या से संतुष्ट नहीं हैं. उनके अनुसार संशोधन में धर्म के आधार पर भेदभाव किया गया है.
  • इस प्रकार यह अधिनियम संविधान की धारा 14 के विरुद्ध है, जिसमें समानता का अधिकार दिया गया है.
  • अधिनियम के माध्यम से अवैध आव्रजकों को नागरिकता देने का प्रयास हुआ है.
  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) में यह प्रावधान है कि किसी प्रवासी भारतीय नागरिक का पंजीकरण रद्द हो सकता है यदि वह किसी कानून का उल्लंघन करता है. इसमें उल्लंघन को ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है, अतः मनमाने ढंग से व्याख्या कर के किसी भी प्रवासी भारतीय की नागरिकता समाप्त किये जाने का रास्ता खोल दिया गया है.
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Sansar Lochan

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संसार लोचन sansarlochan.IN ब्लॉग के प्रधान सम्पादक हैं. SINEWS नामक चैरिटी संगठन के प्रणेता भी हैं. ये आपको अर्थशास्त्र (Economics) से सम्बंधित अध्ययन-सामग्री उपलब्ध कराएँगे और आपके साथ भारतीय एवं विश्व अर्थव्यवस्था विषयक जानकारियाँ साझा करेंगे.

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