Q1. गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी (NBFC) से आप क्या समझते हैं? इनकी वर्तमान स्थिति भारत में क्या है? इन कम्पनियों के महत्त्व को बतलाते हुए इनके विनियमन में परिवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए.
What do you understand by Non-Banking Financial Companies (NBFCs)? What is their current status in India? Describing the importance of these companies, throw light on the necessity to make changes in their regulations.
क्या न करें
❌प्रश्न के हर भाग को न पढ़ने की भूल न करें. इस प्रश्न में एक ही सवाल में 4 सवाल छुपे हैं.
क्या करें
✅परिभाषा से प्रारम्भ करें
✅यदि सम्बंधित अधिनियम याद न हो तो आप सरल रूप से NBFCs क्या है बस वही लिख दें.
✅प्रश्न के अंतिम भाग में आप देखेंगे — पूछा गया है कि “परिवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए”– आप जरूर बताएँ कि वर्तमान परिस्थिति क्या है और इसमें सुधार किस प्रकार लाना चाहिए. कई छात्र केवल वर्तमान कमियों के विषय में लिख देते हैं और यह नहीं बतलाते हैं कि क्या किया जाना चाहिए.
उत्तर :
भारत में कुछ ऐसी वित्तीय संस्थाएँ हैं जो बैंक नहीं है परन्तु वे जमाराशि स्वीकार करती हैं तथा बैंक की तरह ऋण सुविधा प्रदान करती हैं. भारत में इन्हें गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ (NBFCs) कहा जाता है.
गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी (NBFC) उस कम्पनी को कहते हैं जो
✔ कम्पनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीकृत हो,
✔ इसका मुख्य व्यवसाय उधार देना, विभिन्न प्रकार के शेयरों/स्टॉक/बांड्स/डिबेंचर/प्रतिभूतियों, पट्टा कारोबार, किराया-खरीद (हायर-पर्चेज), बीमा व्यवसाय, चिट सम्बन्धी कारोबार में निवेश करना हो, तथा
✔ इसका मुख्य व्यवसाय किसी योजना अथवा व्यवस्था के अंतर्गत एकमुश्त रुप से अथवा किश्तों में जमाराशियाँ प्राप्त करना है. किन्तु, किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी में ऐसी कोई संस्था शामिल नहीं है जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि, औद्योगिक, व्यापार सम्बन्धी ये कंपनियाँ RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45-IA के अंतर्गत RBI के साथ पंजीकृत होती हैं.
हाल के दिनों में, NBFC प्रक्षेत्र में अद्भुत वृद्धि हुई है. उदाहरण के लिए पाँच वर्षों में ही, NBFCs की बैलेंस शीट का आकार वर्ष 2015 के 20.72 लाख करोड़ रु. से बढ़कर वर्ष 2020 में 49.22 लाख करोड़ रु. (दोगुना से भी अधिक) हो चुका है. वर्तमान समय में भारत में करीब 9,560 गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ हैं. NBFC अपनी बैलेंस शीट के वित्तपोषण के लिए काफी हद तक सार्वजनिक निधियों पर निर्भर होती हैं.
महत्त्व
✔NBFCs वित्तीय क्षेत्रक में विविधता एवं दक्षता लाती हैं तथा ग्राहकों की आवश्यकताओं के प्रति इसे अधिक उत्तरदायी बनाती हैं.
✔NBFC संयुक्त रूप से बैंकिंग सुविधा से विहीन क्षेत्रों में वित्तीय उत्पादों की पहुँच को बढ़ाकर बैंकिंग प्रक्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
✔ये कम्पनियाँ ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों के ग्राहकों को नवीन उत्पाद उपलब्ध कराती हैं.
✔ये दीर्घकालिक वित्तपोषण के तौर पर अवसंरचना क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराती हैं.
गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ (NBFCs) के विनियमन में बदलाव की आवश्यकता
NBFCs के विकास ने उसके सामने कई चुनौतियों को भी पैदा किया है, जैसे- वित्तीय क्षेत्र के अन्य तत्वों के साथ एकीकरण, NBFCs के अंदर का प्रबंधन इत्यादि. निम्नलिखित को तत्काल चुनौतियों के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जिन्होंने नियामकीय सुधार की आवश्यकताओं का सृजन किया है :-
✔प्रणालीगत जोखिमों का खतरा: ईंफ्रास्ट्रक्चर लेंडिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) और दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DHFL) जैसी अग्रणी NBFCs को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा है. इससे NBFCs से लेकर समग्र वित्तीय क्षेत्रक के सामने प्रणालीगत जोखिमों का खतरा उत्पन्न हुआ है.
✔बड़े NBFCs को पूर्ण रूप से बन जाने की अनुमति: हाल ही में, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के इंटरनल वर्किंग ग्रुप (IWG) ने बैंकिंग उद्योग के लिए लाइसेंसिंग नियमों को संशोधित किया है. चूंकि, प्रमुख NBFCs सशक्त रूप से बैंक बन गए हैं, इसलिए बैंक और NBFCs के विनियमन में निरंतरता लाने की आवश्यकता है, ताकि NBFCs से बैंकों को होने वाले लेन-देन समेकित रूप से हो सकें. दाहरण के लिए, यदि एक बड़े गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी के पास बैंक के समान पूँजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) है, तो निम्न CAR वाली NBFC की तुलना में उनके लिए बैंक के रूप में रूपांतरित होना आसान होगा.
✔फिनटेक सेक्टर का उद्भव: फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी सेक्टर के उद्भव ने नवीन वित्तीय सेवाओं को सृजित कर बैंकिंग सेक्टर के संचालन को बदल दिया है. ये वित्तीय सेवाएँ परंपरागत परिभाषाओं में फिट नहीं होती हैं. इसको देखते हुए, NBFCs के विनियमन में सुधार वस्तुतः बैंक, NBFCs और उभरते फिनटेक के बीच समेकित संचालन और संपर्क में तालमेल ला सकता है.
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