हॉन्ग कॉन्ग की सड़कों वहां के निवासी चीन विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं और अब यह प्रदर्शन हिंसक रूप लेता दिखाई दे रहा है. यहाँ के निवासी चीन समर्थित पुलिस राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National Security Law) का विरोध कर रहे हैं. प्रदर्शन करने वालों परपर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं और उन्हें धड़ल्ले से गिरफ्तार भी किया किया जा रहा है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि कुछ भी हो जाए, पर हॉन्ग कॉन्ग में नया कानून हर हाल में लागू किया जाएगा.
आपको जानना चाहिए कि हॉन्ग-कॉन्ग चीन का एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है जहाँ स्वतंत्रता की मांग को लेकर लाखों संख्या में पहले भी लोगों ने प्रदर्शन किया था. पर चीन की सेना और हॉन्ग-कॉन्ग की चीन समर्थित सरकार ने कुछ ही दिनों में इस आंदोलन को हिंसक तरीके से कुचल दिया था. कई प्रदर्शनकारी मौत के घाट उतार दिए गये.
एक देश दो प्रणाली की नीति क्या है?
हॉन्ग कॉन्ग पहले ब्रिटेन का उपनिवेश था. ब्रिटेन ने उसे चीन से 99 वर्ष की लीज पर लिया था. यह लीज 1997 में पूरी हो गयी तो ब्रिटेन ने इसे चीन को लौटा दिया. परन्तु “एक देश दो प्रणालियाँ” इस सिद्धांत के अंतर्गत हॉन्ग कॉन्ग को अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र का दर्जा दे दिया गया. फलतः हॉन्ग कॉन्ग के पास अपने कानून और अपने न्यायालय हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ के निवासियों को कई प्रकार की नागरिक स्वतंत्रता मिली हुई है. हॉन्ग कॉन्ग और चीन के बीच प्रत्यर्पण से सम्बंधित कोई समझौता नहीं है.
हॉन्ग कॉन्ग की मुद्रा भी अलग है, परन्तु रक्षा और कूटनीति चीन के हाथ में है. हॉन्ग कॉन्ग के पास अपना एक लघु संविधान है जिसको 2047 तक के लिए मान्य घोषित किया गया है.
मकाउ की स्थिति
हॉन्ग कॉन्ग की भाँति मकाउ भी एक उपनिवेश था जो पुर्तगाल के आधिपत्य में था. दिसम्बर 20, 1999 को मकाउ की संप्रभुता चीन को हस्तांतरित हो गई. चीन एवं पुर्तगाल के बीच में एक समझौता हुआ जिसमें चीन ने वही सारी सुविधाएँ देने का वादा किया जो उसने हॉन्ग कॉन्ग को दी थीं. इसलिए मकाउ में भी एक अलग मुद्रा चलती है और इसकी अपनी आर्थिक और कानूनी प्रणालियाँ हैं. मकाउ के अपने संविधान को भी 2049 तक मान्यता मिली थी. हॉन्ग कॉन्ग की तरह की मकाउ की भी रक्षा और कूटनीति चीन के हाथ में है.
चीन और हॉन्ग कॉन्ग विवाद को और भी अच्छे से जानें
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