NCERT किताबों से कुछ सवाल हम MCQ (multiple choice questions) के रूप में इकठ्ठा कर रहे हैं. अभी तो हमने 12 सवाल इकट्ठे किये हैं. यदि आपको पसंद आये तो कृपया कमेंट करके हमें यह बताएँ कि आपके लिए ये सवाल कितने उपयोगी हैं ताकि हम लोग और भी सवाल या 100 सावालों की पूरी टेस्ट सीरीज आगे के दिनों में launch कर सकें.[no_toc] [no_toc]
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NCERT Based Questions for UPSC Exam Part 6
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Question 1 of 12
1. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से संविधान की मूल संरचना में सम्मिलित किये गये हैं?
1. संसदीय प्रणाली
2. न्यायिक समीक्षा
3. आपातकालीन प्रावधाननीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए.
Correct
विभिन्न न्यायिक निर्णयों द्वारा संविधान की निम्नलिखित “मूलभूत विशेषताएँ” या “मूल ढाँचे” के तत्त्व/संघटक उभर कर सामने आये हैं –
- संविधान की सर्वोच्चता
- भारतीय राजनीति की सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक प्रकृति
- संविधान का पन्थनिरपेक्ष चरित्र
- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण
- संविधान का संघीय चरित्र
- राष्ट्र की एकता और अखंडता
- कल्याणकारी राज्य (सामाजिक-आर्थिक न्याय)
- न्यायिक समीक्षा
- व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा
- संसदीय प्रणाली
- विधि का शासन
- मूल अधिकारों और नीति-निदेशक सिद्धांतों के बीच सामजंस्य एवं संतुलन
- समानता का सिद्धांत
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- संविधान संशोधन हेतु संसद की समिति शक्ति
- न्याय तक प्रभावी पहुँच
- तर्कसंगता का सिद्धांत
- अनुच्छेद 32, 136, 141 और 142 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय की शक्तियाँ
Incorrect
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Question 2 of 12
2. Question
1 pointsराज्य सूचना आयोग (SIC) के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
1. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 राज्य स्तर पर SIC के गठन का प्रावधान करता है.
2. SIC के सदस्य राष्ट्रपति द्वारा पद से विमुक्त किये जाते हैं.
3. आयोग अपनी वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करता है.
उपर्युक्त कथनों में कौन से कथन सही हैं?
Correct
वर्ष 2005 का सूचना का अधिकार अधिनियम, न केवल केन्द्रीय सूचना आयोग की स्थापना अपितु राज्य स्तर पर एक राज्य सूचना आयोग के गठन का भी प्रावधान करता है.
राज्यपाल राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त या किसी अन्य सूचना आयुक्त या किसी अन्य सूचना आयुक्त को उसके पद से विमुक्त कर सकते हैं.
आयोग अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन पर राज्य सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है. राज्य सरकार उसे राज्य विधान मंडल के समक्ष रहती है.
Incorrect
वर्ष 2005 का सूचना का अधिकार अधिनियम, न केवल केन्द्रीय सूचना आयोग की स्थापना अपितु राज्य स्तर पर एक राज्य सूचना आयोग के गठन का भी प्रावधान करता है.
राज्यपाल राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त या किसी अन्य सूचना आयुक्त या किसी अन्य सूचना आयुक्त को उसके पद से विमुक्त कर सकते हैं.
आयोग अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन पर राज्य सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है. राज्य सरकार उसे राज्य विधान मंडल के समक्ष रहती है.
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Question 3 of 12
3. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी लोकतंत्र की विशेषता/विशेषताएँ है/हैं?
1. इसके परिणाम स्वरूप निर्णयन में तीव्रता आती है.
2. यह निर्णयन की गुणवत्ता में सुधार करता है.
3. यह राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है.
नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए –
Correct
लोकतंत्र परामर्श और चर्चा पर आधारित होता है. एक लोकतांत्रिक निर्णय में सदैव चर्चाओं, बैठकों और व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है. जब कोई व्यक्ति किसी मुद्दे पर अपने विचार एक साथ रखते हैं तो वे किसी भी निर्णय में व्याप्त संभावित त्रुटी को इंगित कर सकते हैं. इसमें समय लगता है, परन्तु महत्त्वपूर्ण निर्णयों में अधिक समय लेना बहुत लाभकारी होता है. यह अविवेकपूर्ण या दायित्वहीन निर्णयों की संभावना को कम कर देता है. इस प्रकार लोकतंत्र में निर्णय लेने की गुणवत्ता में सुधार होता है. इसलिए कथन 1 सही नहीं है तथा कथन 2 सही है.
लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित होता है. साथ ही यह भी सुनश्चित करता है कि निर्धनतम और न्यूनतम शिक्षित व्यक्ति को भी राजनैतिक रूप से समृद्ध और शिक्षित व्यक्ति के समान दर्जा दिया गया है या नहीं. इसलिए कथन 3 सही है.
Incorrect
लोकतंत्र परामर्श और चर्चा पर आधारित होता है. एक लोकतांत्रिक निर्णय में सदैव चर्चाओं, बैठकों और व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है. जब कोई व्यक्ति किसी मुद्दे पर अपने विचार एक साथ रखते हैं तो वे किसी भी निर्णय में व्याप्त संभावित त्रुटी को इंगित कर सकते हैं. इसमें समय लगता है, परन्तु महत्त्वपूर्ण निर्णयों में अधिक समय लेना बहुत लाभकारी होता है. यह अविवेकपूर्ण या दायित्वहीन निर्णयों की संभावना को कम कर देता है. इस प्रकार लोकतंत्र में निर्णय लेने की गुणवत्ता में सुधार होता है. इसलिए कथन 1 सही नहीं है तथा कथन 2 सही है.
लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित होता है. साथ ही यह भी सुनश्चित करता है कि निर्धनतम और न्यूनतम शिक्षित व्यक्ति को भी राजनैतिक रूप से समृद्ध और शिक्षित व्यक्ति के समान दर्जा दिया गया है या नहीं. इसलिए कथन 3 सही है.
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Question 4 of 12
4. Question
1 pointsसंविधान के निम्नलिखित भागों में से कौन-सा संविधान की “मूल संरचना” के सिद्धांत का उल्लेख करता है?
1. प्रस्तावना
2. मूल अधिकार
3. राज्य के नीति-निदेशक तत्त्व
नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए
Correct
“मूल संरचना” का सिद्धांत एक न्यायिक नवाचार है. संविधान में इसका उल्लेख नहीं है.
केशवानन्द भारती वाद (1973) में उच्चतम न्यायालय ने गोलकनाथ वाद (1967) में दिए गये निर्णय को प्रतिस्थापित कर दिया. इसमें कहा गया कि संसद के पास किसी भी मूल अधिकार को वापस लेने या सीमित करने का अधिकार है. इसके साथ ही इसमें संविधान के “मूल ढांचे” (मूलभूत विशेषताएँ) या “मूल संरचना” का एक नया सिद्धांत प्रतिपादित किया गया था.
Incorrect
“मूल संरचना” का सिद्धांत एक न्यायिक नवाचार है. संविधान में इसका उल्लेख नहीं है.
केशवानन्द भारती वाद (1973) में उच्चतम न्यायालय ने गोलकनाथ वाद (1967) में दिए गये निर्णय को प्रतिस्थापित कर दिया. इसमें कहा गया कि संसद के पास किसी भी मूल अधिकार को वापस लेने या सीमित करने का अधिकार है. इसके साथ ही इसमें संविधान के “मूल ढांचे” (मूलभूत विशेषताएँ) या “मूल संरचना” का एक नया सिद्धांत प्रतिपादित किया गया था.
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Question 5 of 12
5. Question
1 pointsभारतीय संविधान को “जीवंत दस्तावेज” क्यों कहा जाता है?
Correct
संविधान एक जीवंत दस्तावेज है. लगभग एक जीवित व्यक्ति की तरह यह दस्तावेज भी समय-समय पर उत्पन्न होने वाली स्थितियों और परिस्थितियों के प्रति अनुक्रिया करता है. साथ ही एक जीवित व्यक्ति की भाँति संविधान भी अपने अनुभवों के आधार पर अनुक्रिया करता है.
Incorrect
संविधान एक जीवंत दस्तावेज है. लगभग एक जीवित व्यक्ति की तरह यह दस्तावेज भी समय-समय पर उत्पन्न होने वाली स्थितियों और परिस्थितियों के प्रति अनुक्रिया करता है. साथ ही एक जीवित व्यक्ति की भाँति संविधान भी अपने अनुभवों के आधार पर अनुक्रिया करता है.
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Question 6 of 12
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से संविधान का/के कौन-स/से भाग/भागों की प्रकृति वाद/न्याय-योग्य है?
1.राज्य के नीति निदेशक तत्त्व
2. मूल कर्तव्य
3. मूल अधिकार
नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए –
Correct
मूल अधिकार न्यायालय में प्रवर्तनीय हैं. उनके उल्लंघन पर उन्हें न्यायालयों द्वारा प्रवर्तित कराया जा सकता है.
Incorrect
मूल अधिकार न्यायालय में प्रवर्तनीय हैं. उनके उल्लंघन पर उन्हें न्यायालयों द्वारा प्रवर्तित कराया जा सकता है.
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Question 7 of 12
7. Question
1 pointsनिवारक निरोध के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही नहीं है/हैं?
1.संविधान निवारक निरोध कानून के अंतर्गत केवल नागरिकों को गिरफ्तारी के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है.
2. संसद और राज्य विधायिकाएँ दोनों निवारक निरोध के सम्बन्ध में कानून बना सकते हैं.
नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन करें –
Correct
कथन 1 सही नहीं है. अनुच्छेद 22 ऐसे “व्यक्तियों” को सुरक्षा प्रदान करता है जिन्हें निवारक निरोध नियमों के अंतर्गत बंदी बनाया गया है या हिरासत में लिया गया है. यह नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध है.
Incorrect
कथन 1 सही नहीं है. अनुच्छेद 22 ऐसे “व्यक्तियों” को सुरक्षा प्रदान करता है जिन्हें निवारक निरोध नियमों के अंतर्गत बंदी बनाया गया है या हिरासत में लिया गया है. यह नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध है.
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Question 8 of 12
8. Question
1 pointsमूल कर्तव्यों को किसकी अनुशंसा पर भारतीय संविधान में शामिल किया गया था?
Correct
1976 के 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा मूल कर्तव्यों को संविधान में सम्मिलित किया गया था. इन्हें स्वर्ण सिंह समिति की सिफारशों पर सम्मिलित किया गया था.
Incorrect
1976 के 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा मूल कर्तव्यों को संविधान में सम्मिलित किया गया था. इन्हें स्वर्ण सिंह समिति की सिफारशों पर सम्मिलित किया गया था.
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Question 9 of 12
9. Question
1 pointsराज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :-
1.राज्यपाल, साबित कदाचार के आधार पर इसके अध्यक्ष को हटा सकता है.
2. SPSC का अध्यक्ष पदमुक्त होने पर भविष्य में किसी अन्य पद पर नियुक्त हेतु पात्र नहीं होता है.
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
कथन 1 सही नहीं है. यद्यपि एक राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष एवं सदस्यों को राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है किन्तु उन्हें केवल राष्ट्रपति द्वारा (न कि राज्यपाल द्वारा) ही पद से हटाया जा सकता है. राष्ट्रपति उन्हें केवल उसी ढंग से एवं उसी आधार पर पदमुक्त कर सकता है जिस ढंग से एवं जिस आधार पर वह लोक संघ सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष एवं सदस्यों को पदमुक्त कर सकते हैं.
कथन 2 सही नहीं है. SPSC के अध्यक्ष (अध्यक्ष पद से हटने पर) UPSC के सदस्य या अध्यक्ष के रूप में या अन्य SPSC के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र हैं, लेकिन भारत या राज्य सरकार के अंतर्गत किसी अन्य नियोजन के पात्र नहीं होंगे.
Incorrect
कथन 1 सही नहीं है. यद्यपि एक राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष एवं सदस्यों को राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है किन्तु उन्हें केवल राष्ट्रपति द्वारा (न कि राज्यपाल द्वारा) ही पद से हटाया जा सकता है. राष्ट्रपति उन्हें केवल उसी ढंग से एवं उसी आधार पर पदमुक्त कर सकता है जिस ढंग से एवं जिस आधार पर वह लोक संघ सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष एवं सदस्यों को पदमुक्त कर सकते हैं.
कथन 2 सही नहीं है. SPSC के अध्यक्ष (अध्यक्ष पद से हटने पर) UPSC के सदस्य या अध्यक्ष के रूप में या अन्य SPSC के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र हैं, लेकिन भारत या राज्य सरकार के अंतर्गत किसी अन्य नियोजन के पात्र नहीं होंगे.
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Question 10 of 12
10. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-सी राज्य के नीति-निदेशक तत्त्वों (DPSP) की विशेषता नहीं है?
Correct
नीति निदेशक तत्त्व न्यायालय में प्रवर्तनीय नहीं हैं अर्थात् इनके उल्लंघन पर न्यायालय द्वारा इन्हें वैधानिक रूप से प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है. इसलिए, सरकार किसी निकाय को इनके कार्यान्वयन हेतु विवश नहीं कर सकती. तथापि, संविधान (अनुच्छेद 37) कहता है कि ये सिद्धांत देश के शासन के मूलभूत तत्त्व हैं तथा यह राज्य का दायित्व होना चाहिए कि वह कानूनों का निर्माण करते समय इन सिद्धांतों का पालन करे.
निदेशक सिद्धांतों भले ही न्यायालय में गैरप्रवर्तनीय हैं किन्तु ये किसी कानून की संवैधानिक मान्यता के निर्धारण एवं परीक्षण में न्यायालय की सहायता करते हैं. उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि यदि किसी भी कानून की संवैधानिकता के निर्धारण में यह अनुभव होता है कि प्रश्नगत कानून किसी नीति निदेशक तत्त्व के अनुरूप है तो ऐसे कानून को अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 19 ( स्वतंत्रता का अधिकार) के सम्बन्ध में तर्कसंगत मानते हुए असंवैधानिकता से बचाया जा सकता है.
मूल अधिकारों का अभिप्राय राजनीति लोकतंत्र के आदर्श को बढ़ावा देना है. वे देश में सत्तावादी और औपनिवेशक शासन की स्थापना को रोकते हैं और राज्य द्वारा हस्तक्षेप के विरुद्ध लोगों के अधिकार एवं स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं. वे विधायिका के एकपक्षीय कानूनों और कार्यपालिका की निरंकुशता पर लगाम लगाने का कार्य करते हैं.
Incorrect
नीति निदेशक तत्त्व न्यायालय में प्रवर्तनीय नहीं हैं अर्थात् इनके उल्लंघन पर न्यायालय द्वारा इन्हें वैधानिक रूप से प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है. इसलिए, सरकार किसी निकाय को इनके कार्यान्वयन हेतु विवश नहीं कर सकती. तथापि, संविधान (अनुच्छेद 37) कहता है कि ये सिद्धांत देश के शासन के मूलभूत तत्त्व हैं तथा यह राज्य का दायित्व होना चाहिए कि वह कानूनों का निर्माण करते समय इन सिद्धांतों का पालन करे.
निदेशक सिद्धांतों भले ही न्यायालय में गैरप्रवर्तनीय हैं किन्तु ये किसी कानून की संवैधानिक मान्यता के निर्धारण एवं परीक्षण में न्यायालय की सहायता करते हैं. उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि यदि किसी भी कानून की संवैधानिकता के निर्धारण में यह अनुभव होता है कि प्रश्नगत कानून किसी नीति निदेशक तत्त्व के अनुरूप है तो ऐसे कानून को अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 19 ( स्वतंत्रता का अधिकार) के सम्बन्ध में तर्कसंगत मानते हुए असंवैधानिकता से बचाया जा सकता है.
मूल अधिकारों का अभिप्राय राजनीति लोकतंत्र के आदर्श को बढ़ावा देना है. वे देश में सत्तावादी और औपनिवेशक शासन की स्थापना को रोकते हैं और राज्य द्वारा हस्तक्षेप के विरुद्ध लोगों के अधिकार एवं स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं. वे विधायिका के एकपक्षीय कानूनों और कार्यपालिका की निरंकुशता पर लगाम लगाने का कार्य करते हैं.
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Question 11 of 12
11. Question
1 pointsराष्ट्रपति शासन की घोषणा को जारी रखने के प्रत्येक प्रस्ताव का अनुमोदन निम्नलिखित में से किस विधि से किया जा सकता है –
Correct
Incorrect
-
Question 12 of 12
12. Question
1 pointsभाषाई अल्पसंख्यकों के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
1.भाषाई अल्पसंख्यकों का निर्धारण राज्य विशेष के आधार पर किया जाता है.
2. संविधान द्वारा भाषाई अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा करने के लिए विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है.
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
कथन 1 सही है : भाषाई अल्पसंख्यक वे समूह हैं जिनकी मातृभाषा राज्य या राज्य के किसी भाग में बहुसंख्यक समुदाय की मात्रा से अलग होती है. इस प्रकार, भाषाई अल्पसंख्यकों का निर्धारण राज्य विशेष के आधार पर किया जाता है.
कथन 2 सही है : 1956 में हुए 7वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा संविधान के भाग XVII में एक नया अनुच्छेद 350-B अंतर्विष्ट किया गया. इस अनुच्छेद में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं –
- भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक विशेष अधिकारी होना चाहिए.
- संविधान के अंतर्गत भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए प्रदान किए गये रक्षा उपायों से सम्बंधित सभी प्रकरणों की जाँच करना, इस विशेष अधिकारी का कर्तव्य होगा. वह राष्ट्रपति द्वारा निर्देशक विषयों पर की गई कार्यवाही के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा. राष्ट्रपति, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष ऐसे सभी प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा और सम्बंधित राज्यों की सरकारों को भेजेगा.
Incorrect
कथन 1 सही है : भाषाई अल्पसंख्यक वे समूह हैं जिनकी मातृभाषा राज्य या राज्य के किसी भाग में बहुसंख्यक समुदाय की मात्रा से अलग होती है. इस प्रकार, भाषाई अल्पसंख्यकों का निर्धारण राज्य विशेष के आधार पर किया जाता है.
कथन 2 सही है : 1956 में हुए 7वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा संविधान के भाग XVII में एक नया अनुच्छेद 350-B अंतर्विष्ट किया गया. इस अनुच्छेद में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं –
- भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक विशेष अधिकारी होना चाहिए.
- संविधान के अंतर्गत भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए प्रदान किए गये रक्षा उपायों से सम्बंधित सभी प्रकरणों की जाँच करना, इस विशेष अधिकारी का कर्तव्य होगा. वह राष्ट्रपति द्वारा निर्देशक विषयों पर की गई कार्यवाही के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा. राष्ट्रपति, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष ऐसे सभी प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा और सम्बंधित राज्यों की सरकारों को भेजेगा.
ये सारे सवाल आसान हैं. UPSC लेवल के होंगे, ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है. यह टेस्ट बस इसलिए दिया जा रहा है कि आपने NCERT को कितनी बार और कितनी गहराई से पढ़ा है.
Topics Covered – Political Science
- संविधान की मूल संरचना
- राज्य सूचना आयोग (SIC)
- लोकतंत्र की विशेषता/विशेषताएँ
- संविधान की “मूल संरचना” के सिद्धांत
- भारतीय संविधान को “जीवंत दस्तावेज” क्यों कहा जाता है?
- संविधान के भाग
- निवारक निरोध
- मूल कर्तव्य
- राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)
- राज्य के नीति-निदेशक तत्त्वों (DPSP)
- राष्ट्रपति शासन की घोषणा
- भाषाई अल्पसंख्यक