पिछले वर्ष भार एवं माप से सम्बंधित सामन्य सम्मेलन (General Conference on Weights and Measures – CGPM) में किलोग्राम की परिभाषा में परिवर्तन किया गया था. यह परिवर्तन 20 मई, 2019 से प्रभावी हो गया है. इसी संदर्भ में CSIR-NPL ने कुछ अनुशंसाएँ निर्गत की हैं जिनके अनुसार विद्यालयों के पाठ्यक्रम, इंजीनियरिंग शिक्षा की पुस्तकों और पाठ्यक्रमों में किलोग्राम की नई परिभाषा को सम्मिलित किया जाएगा.
CSIR-NPL अपना स्वयं का एक उपकरण – किब्ब्ल बैलेंस “Kibble Balance” – बनाने जा रहा है जिसका प्रयोग किलोग्राम की नई परिभाषा गढ़ने में किया गया था.
किलोग्राम की परिभाषा में परिवर्तन क्यों?
- वर्तमान में किलोग्राम की परिभाषा Le Grand K नामक एक प्लेटिनम के बने धातुपिंड के भार के आधार पर दी जाती है अर्थात् इसी धातुपिंड के भार को पूरे विश्व में एक किलोग्राम माना जाता है.
- यह धातुपिंड बहुत सुरक्षा के साथ पेरिस में बंद रखा जाता है.
- Le Grand K 1889 से भार नापने की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली का अग्रदूत बना हुआ है. इसकी कई प्रतिकृतियाँ बना-बना कर पूरे विश्व में वितरित की जाती है. परन्तु ऐसा देखा जाता है कि समय बीतने के साथ इनमें आंशिक क्षरण हो जाता है. विदित हो कि औषधि निर्माण, नैनो टेक्नोलॉजी और सटीक इंजीनियरिंग जैसे कई क्षेत्रों में सटीक माप अत्यधिक आवश्यक होती है. अतः Le Grand K के स्थान पर अधीक सटीक माप हेतु किलोग्राम की नई परिभाषा गढ़ना आवश्यक हो गया था.
Le Grand K कितना गलत है?
Le Grand K के भार में बहुत हल्का-सा अंतर आया है जो आँख की बरौनी के एक बाल के भार से भी कम है. यह अंतर अति-सूक्ष्म है, फिर भी इसके बड़े-बड़े परिणाम हो सकते हैं.
भार एवं माप से सम्बंधित सामन्य सम्मेलन (CGPM)
इस सम्मेलन में भारत समेत 60 देश हैं और 42 सम्बद्ध सदस्य भी हैं. इस सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय निकाय पर सटीक माप निर्धारित करने की जिम्मेवारी होती है.
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