पूर्वोत्तर मानसून (northeast monsoon) अर्थात् शीतकालीन मानसून पिछले दिनों समाप्त हुआ. इस बार कुल मिलाकर इस समय औसत से अधिक वृष्टिपात हुआ.
एक बड़ी विरल घटना यह हुई कि जिस दिन दक्षिण-पश्चिम का मानसून समाप्त हुआ, उसी दिन शीतकालीन मानसून चालू हुआ.
पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून क्या है?
उत्तर भारत के लोग इस मानसून के बारे में कम जानते हैं. परन्तु यह मानसून भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु प्रणाली का उतना ही स्थायी अंग है जितना कि ग्रीष्मकालीन अर्थात् दक्षिण-पश्चिम मानसून. भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) के अनुसार पूर्वोत्तर मानसून अक्टूबर से दिसम्बर तक चलता है. इस अवधि में तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना और कर्नाटक के कुछ भागों में वृष्टिपात होता है.
पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिम मानसून में अंतर
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि पूर्वोत्तर मानसून की दिशा पूर्वोत्तर से दक्षिण-पश्चिम होती है. उसी प्रकार दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा इसके ठीक उल्टी अर्थात् दक्षिण-पश्चिम से पूर्वोत्तर होती है.
पूर्वोत्तर मानसून कब आता है?
- सामान्यतः यह मानसून 20 अक्टूबर के आस-पास प्रवेश करता है. यह सत्य है कि इस तिथि के पहले भी अक्टूबर के पूर्वार्द्ध में दक्षिणप्रा यद्वीपीय क्षेत्र में कुछ वर्षा होती है परन्तु यह वर्षा वापस लौट रहे ग्रीष्मकालीन मानसून के चलते होती है.
- ग्रीष्मकालीन मानसून सितम्बर 30 को समाप्त हो जाता है, परन्तु यह समापन रातों-रात नहीं होता. इसमें 3 से 4 सप्ताह लग जाते हैं. वापसी में अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक इस मानसून से कुछ न कुछ वर्षा होती रहती है.
पूर्वोत्तर मानसून से वर्षा कहाँ होती है?
पूर्वोत्तर मानसून से देश के देश के 36 मौसम वैज्ञानिक विभागों में से मात्र पाँच में ही वर्षा होती है. इन पाँच विभागों में ये क्षेत्र आते हैं – पुडुचेरी सहित तमिलनाडु, केरल, तटवर्ती आंध्र प्रदेश, रायलसीमा और दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक.
इस प्रकार पूर्वोत्तर मानसून भारत की सम्पूर्ण वार्षिक वर्षा (1,187 mm) में मात्र 11% का योगदान करती है. दूसरी ओर, ग्रीष्मकालीन मानसून से सम्पूर्ण वृष्टिपात का 75% होता है. शेष 14% वर्षा अन्य मानसून-विहीन महीनों में होती है.
उत्तर भारत में शीतकालीन वर्षा
नवम्बर-दिसम्बर में उत्तर भारत के गंगा के मैदानों में और उत्तर के राज्यों में कुछ वर्षा होती है. किन्तु यह वर्षा पूर्वोत्तर शीतकालीन मानसून के कारण नहीं होती. इस वर्षा का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) होता है.
पश्चिमी विक्षोभ उस वायु प्रणाली को कहते हैं जो अफगानिस्तान और ईरान के भी आगे भूमध्य सागर और यहाँ तक कि अटलांटिक महासागर से भी आर्द्रता लेती हुई और पूर्व की ओर बढ़ती हुई भारत में प्रवेश करती है. पश्चिमी विक्षोभ के बारे में विस्तार से पढ़ें > Western Disturbance in Hindi
इससे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे ऊँचे प्रदेशों में कभी-कभी हिमपात भी हो जाया करता है.
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