Open Market Operations (OMO) मौद्रिक नीति का एक हिस्सा है जिसके अंतर्गत साख यानी credit यानी money supply का विस्तार/बढ़ाने के लिए RBI खुले बाजार में securities खरीदता है. जबकि साख को जब नियंत्रण करना होता है या कम करना होता है तो RBI द्वारा प्रतिभूतियाँ बेची जाती हैं. यह कुछ इसी तरह से sound कर रहा है जैसे हम लोगों ने LAF और MSF के बारे में पढ़ा था. LAF और MSF के द्वारा भी तो securities की खरीद-बिक्री होती है. फिर Open Market Operations (खुले बाजार का सञ्चालन) इनसे अलग कैसे है? यदि आपने मेरा LAF और MSF वाला पोस्ट नहीं पढ़ा है तो अभी पढ़ डालिए, फिर मत कहियेगा…कि मैंने समझाया नहीं ठीक से!!! Read>> LAF और MSF.
RBI का एक ही बोरिंग Funda
अरे! एक ही बात कहते-कहते सच्ची में बोर हो गया हूँ. फिर भी कह डालता हूँ – RBI को जब लगता है कि भारत में लोगों के पास कुछ ज्यादा ही पैसा आ गया है और अब लोग भिखारी से investors हो गए हैं तो RBI की दिमाग की घंटी बज उठती है. घंटी इसलिए बज उठती है क्योंकि अब तो लोगों के पास पैसा है…अब वह इन्वेस्टमेंट करेंगे, नए फैक्ट्री खोलेंगे, मॉल खोलेंगे, shopping करेंगे etc. वैसे तो यह किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा ही है. पर अति सर्वत्र वर्जयेत् वाला funda यहाँ भी लागू हो जाता है. किसी भी चीज की अधिकता हमें ले डूबती है. प्यार भी करो किसी से तो एक दम ज्यादा मत करने लगो जिससे वह तुम्हारी मजबूरी बन जाए. उसके बिना तुम रह ही न सको. बुद्ध भगवान् ने भी तो कहा था कि – हमेशा हमें मध्यम मार्ग पर चलना चाहिए.
खैर बहुत बकवास हो गया. हाँ तो मैं कह रहा था कि जब RBI देखता है कि हमारी अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है, लोगों के पास ढेर सारे पैसे आ रहे हैं…उनका खर्च बढ़ रहा है…वह महंगी-महंगी गाड़ियाँ खरीद रहे हैं…तो इतनी फलती-फूलती अर्थव्यवस्था से महंगाई (inflation) में इजाफा होता है. खरीदने वाले तो चीजें खरीद ही रहे हैं पर उनकी क्रय-शक्ति (purchasing power) देखते हुए दुकानदार भी सामानों की कीमत को बढ़ाते चले जाते हैं. चीजों का दाम इतना बढ़ता है, इतना बढ़ता है…कि मध्यम वर्ग के लोगों, या गरीब लोगों के पास खाने को भी पैसे नहीं रहते. वह छोटी से छोटी चीजों को afford ही नहीं कर पाते.
इसलिए RBI इस महंगाई और अमीरों के पॉकेट से पैसा निकालने के लिए तरह-तरह की tools का प्रयोग करता है, जैसे – Repo Rate, Reverse Repo Rate, CRR, SLR, LAF, MSF आदि…
इन सभी tools का प्रयोग करके RBI का उद्देश्य मात्र इतना है कि market में लोगों के पास कितना पैसा रहे, वह उसे स्वतंत्र रूप से control कर सके. पर RBI हर लोगों के पास तो जा नहीं सकता कि भैया तुम्हारे पास बहुत ज्यादा पैसा हो गया, चलो मेरे को दे दो…ज्यादा उड़ो मत! इसलिए RBI कमर्शियल बैंक को control करता है जिससे पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था नियंत्रण में आ जाती है.
Open Market Operations
RBI LAF और MSF की तरह ही Open Market Operations में Government security की खरीद-बिक्री करता है. पर यह LAF और MSF से different कैसे है? आइये जानते हैं –
- जब बैंकों को पैसे की जरुरत होती है तो वे LAF/MSF के माध्यम से रिजर्व बैंक से, किसी ख़ास ब्याज दर पर पैसे उधार लेते हैं. पर कैसे? दरअसल कमर्शियल बैंक RBI को कुछ Government security बेच देते हैं/गिरवी रखते हैं और बदले में RBI से cash ले लेते हैं. बैंक इस वादे के साथ Government security को रिज़र्व बैंक को बेचते हैं कि वह उसे कुछ दिनों बाद पुनः वापस खरीद लेंगे और RBI का पूरा पैसा लौटा देंगे जो उन्होंने लोन-स्वरूप लिया है. इसलिए दोनों cases में Government securities permanently sold नहीं होती हैं.
- जैसे मानिए आपको पैसे की जरुरत है. तो आप अपना मोबाइल अपने दोस्त को देकर बोलते हैं कि तू इसे रख और बदले में मुझे कैश दे. मैं तुझको तेरा सारा पैसा वापस लौटा दूंगा तुझसे अपनी ही मोबाइल को वापस खरीद कर…दोस्त के लिए तू इतना तो कर सकता है न!
- या हम कह सकते हैं कि Muthoot Finance में जैसे गहने गिरवी रख के हम नकद उठा लेते हैं और फिर अपना ही गहना खुद खरीद कर पैसा Muthoot को वापस कर देते हैं. ठीक इसी प्रकार LAF और MSF में होता है.
- पर यह सिर्फ LAF और MSF में होता है. Open Market Operations इन दोनों से अलग है. अलग इसलिए है क्योंकि यहाँ कमर्शियल बैंक RBI को securities sell करता है तो जरुर है पर उसे वापस नहीं खरीदता …(no buy back or repurchase). वह हमेशा के लिए उसे बेच देता है और बदले में पैसा ले लेता है. RBI खरीदे हुए उस securities को फाड़े या उसपर रखकर बड़ा-पाव या जलेबी खाए, यह RBI पर निर्भर है.
- अन्य tools की तरह ही, RBI, Open Market Operations (OMO) का भी use सिर्फ इसलिए करता है कि बाजार में न तो liquidity (money supply) बढ़ जाए और न ही ज्यादा घट जाए.
- जब RBI Government Securities को खरीदता है तो market में money-flow बढ़ जाता है (क्योंकि RBI इसके बदले बैंकों को पैसा दे रहा है और बैंक उन पैसों को हम-आप जैसे गरीबों को लोन देने में प्रयोग करेंगे जिससे हमारी घर-गृहस्थी चलेगी).
- ठीक इसके उलट, यदि RBI Government Securities बैंकों को बेचता है तो बैंकों को लाचार हो कर उन securities को खरीदना पड़ता है और उनके जेब के पैसे RBI के पास चले जाते हैं. अंततः बैंकों के पास हमें देने के लिए कुछ नहीं रह जाता.
चलिए कुछ प्रश्न हो जाए. देखता हूँ कि आपको कितना समझ आया!
Q. यदि RBI Government Securities को Open Market Operations के माध्यम से खरीदती है, तो बाजार में मुद्रा – –
a. घटेगी
b. बढ़ेगी
c. जैसी थी, वैसे ही रहेगी
d. इनमें से कोई नहीं.
Q. Operation Market Operations में कमर्शियल बैंक, RBI को बेची गई प्रतिभूतियों को वापस खरीद लेता है. यह कथन सत्य है या असत्य?
a. सत्य
b. असत्य
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