[Video] मध्यकालीन भारत Ch. 3 – पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट वंश

Sansar LochanVideo

हम पहले ही उल्लेख कर चुके हैं कि सम्राट हर्ष की मृत्यु (647 ई०) के उपरान्त उत्तरी भारत में छोटे छोटे राज्यों का विकास हुआ. उसके बाद कोई भी राजा सारे उत्तरी भारत को अपने अधीन नहीं रख सका. फिर भी साम्राज्य स्थापित करने की इच्छा समाप्त नहीं हुई. 750 ई०–1000 ई० तक दो बड़े राज्य पाल तथा प्रतिहार उत्तर भारत पर अपना अधिकार स्थापित करने के प्रयत्न में परस्पर युद्ध करते रहे. लेकिन किसी को भी अधिक काल के लिए सफलता नहीं मिली. नवीं शताब्दी तक पूर्वी और उत्तरी भारत में पाल साम्राज्य तथा दसवीं शताब्दी तक पश्चिमी तथा उत्तरी भारत में प्रतिहार साम्राज्य भी शक्तिशाली बना रहा. दक्षिणी भारत के राष्ट्रकटों ने कई बार उत्तर भारत पर अपनी सत्ता स्थापित की. ये तीनों साम्राज्य (पाल, प्रतिहार व राष्ट्रकूट) वर्षों तक परस्पर लड़ते रहे. वस्तुतः इस समय उत्तर में राजनीतिक महत्त्वकान्क्षाओं का लक्ष्य कन्नौज नगर था क्योंकि इसे जीतकर सारी गंगाघाटी पर आसानी से अधिकार हो सकता था. यह घाटी कृषि, व्यापार, यातायात आदि के लिए बहुत उपयोगी थी . कन्नौज हर्ष की राजधानी रह चुका था. इसलिए सम्भवतः (हर्ष और यशोवर्मन के कारण, जिन्होंने इसे साम्राज्यिक सत्ता का प्रतीक बना रखा था) कन्नौज तीन शक्तियों–राष्ट्रकूटों, प्रतिहारों एवं पाल के बीच युद्ध का कारण बन गया और इन तीनों राज्यों की सारी सामरिक शक्ति कन्नौज की ओर केन्द्रित हो गई.

पालवंश

 पालवंश का शासन बंगाल पर था. वे भी कन्नौज पर अधिकार करना चाहते थे इस वंश ने लगभग चार सौ वर्षों तक राज्य किया . सम्पूर्ण बंगाल और बिहार के बहुत से भागों में उनका राज्य फैला हुआ था . इस वंश के पहले शासक राजा गोपाल थे. उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र धर्मपाल गद्दी पर बैठा.

प्रतिहार वंश

प्रतिहार वंश के राजपूत शासक गुर्जरों की एक शाखा थे. उनका गुजरात या दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान से सम्बन्ध होने के कारण उन्हें गुर्जर-प्रतिहार भी कहा जाता है. वे दक्षिण राजस्थान के कुछ भागों और अवन्ति पर शासन करते थे. वे पहले स्थानीय अधिकारों के परिवार थे पर बाद में वे स्वतन्त्र शासक बन गये. ये पाल वंश से कुछ पहले शक्तिशाली बने. नागभट्ट इस वंश का पहला महत्त्वपूर्ण शासक माना जाता है. उसने करीब 15 वर्ष (725 ई० से ह 740 ई०) तक राज्य किया. इस वंश का एक प्रसिद्ध राजा मिहिरभोज था.

राष्ट्रकूट

राष्ट्रकूट दक्षिण के उत्तर भाग में नासिक के आसपास के क्षेत्र पर राष्ट्रकूट का राज्य था. मान्यखेट अथवा मालखेड़ उनकी राजधानी थी. यह एक सुन्दर और वैभवशाली शहर था. कुछ इतिहासकारों के अनुसार राष्ट्रकूट साम्राज्य की नींव दन्तिदुर्ग ने डाली.

इस विडियो में आपके लिए पर्याप्त जानकारी है.

इस विडियो को देखना न भूलें जो Exam point of view से बनाया गया है >

Read them too :
[related_posts_by_tax]