हाल ही में, प्रधानमंत्री ने झारखण्ड राज्य में पतरातू सुपर थर्मल पावर प्लांट के पहले चरण की आधारशीला रखी. इस पोस्ट के जरिये हम Patratu Super Thermal Power Project (STPP) के बारे में जानेंगे.
सुपर थर्मल पावर स्टेशन और अल्ट्रा-मेगावाट पावर प्रोजेक्ट
सुपर थर्मल पावर स्टेशन
- यह 1000 मेगावाट और उससे अधिक क्षमता वाले ताप बिजली संयंत्रों की शृंखला है.
- सरकार वर्तमान में STPSs का विकास कर रही है जिससे लगभग 100,000 मेगावाट की वृद्धि होगी. उदाहरण – पतरातू सुपर थर्मल पावर प्लांट, तलचर सुपर थर्मल पावर प्लांट इत्यादि.
अल्ट्रा-मेगावाट पावर प्रोजेक्ट
- इन बिजली परियोजनाओं की क्षमता 4000 मेगावाट या उससे अधिक की होती है.
पतरातू सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (STTP)
- यह झारखण्ड सरकार और NTPC की सहायक कम्पनी पतरातू बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड (PVUN) के मध्य एक संयुक्त उद्यम (74:26) है.
- इस परियोजना से “प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य)” के अंतर्गत घरों के लिए 24×7 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी.
- इस परियोजना की मुख्य विशेषताओं में सम्मिलित हैं –
- ड्राई ऐश (dry ash) निपटान प्रणाली – वर्तमान में इसका NTPC के दादरी ताप बिजली संयंत्र में उपयोग किया जा रहा है.
- जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) प्रणाली – इसके अंतगर्त संयंत्र से निकलने वाले अपशिष्ट जल, जिसमें लवण और अन्य अशुद्धियाँ होती हैं, को वाष्पित किया जाता है और स्वच्छ जल एकत्रित किया जाता है. ठोस अवशिष्ट का आगे भूमि-भराव प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है.
- एयर कूल्ड कंडेंसर टेक्नोलॉजी – यह तकनीक जल की कम खपत सुनिश्चित करती है और उत्सर्जित भाप को सीधे स्टीम टरबाइन से संघनित होने देती है.
- ऐश के परिवहन के लिए रेल लदान सुविधा
- यह परियोजना उच्च दक्षतायुक्त इलेक्ट्रोस्टैटिक अपवेक्षक (Electrostatic Precipitator), फ्लू-गैस निर्गंधकीकरण (Flue-Gas desulphurization : FGD) और NOx नियंत्रण उत्सर्जन के साथ नए उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप भी है.
बिजली संयंत्रों के लिए नए उत्सर्जन मानदंड
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ताप बिजली संयंत्रों के लिए जल उपभोग मानदंडों के साथ-साथ निलम्बित कणीय पदार्थ, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पारे के सम्बन्ध में दिसम्बर 2015 में नए पर्यावरणिक मापदंडों को अधिसूचित किया था.
- इन मानदंडों के अंतर्गत चालू होने के वर्ष के आधार पर बिजली संयंत्रों को 3 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है –
- दिसम्बर 2003 से पहले स्थापित संयंत्र
- 2003 के बाद लेकिन 31 दिसम्बर 2016 से पहले स्थापित संयंत्र
- जनवरी 2017 के बाद स्थापित संयंत्र
✓ इन मानकों को चरणबद्ध ढंग से कार्यान्वित किया जाएगा
✓ इनका उद्देश्य PM 10, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड में कमी लाना है. आगे इनका लक्ष्य ताप बिजली संयंत्रों में और आसपास के परिवेश की वायु गुणवत्ता में सुधार लाना होगा.
✓ इन मानदंडों से पारे का उत्सर्जन कम करने में भी सहायता मिलेगी (जो सका एक सह-लाभ है) और साथ ही यह जल का उपयोग भी सीमित करता है.
✓ हालाँकि, अभी तक कोयले से संचालित 90% ताप बिजली संयंत्रों ने इन मानदंडों का पानं नहीं किया है और लगभग 300 को समय सीमा का विस्तार दिया गया है (भले ही नए मानदंडों के लिए समय सीमा दिसम्बर 2017 की थी).
✓ समय सीमा बढ़ाने के कारण – FGD प्रणालियों के साथ पुनः संयोजन के कारण आयी उच्च लागत, उपभोक्ताओं के लिए बढ़ी हुई प्रति इकाई लागत, निजी ताप बिजली संयंत्रों की ओर से विमुखता आदि.
Tags: पतरातू सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट – Patratu Super Thermal Power Project (STTP), Jharkhand capacity in Hindi. Gktoday, Drishti IAS notes, PIB, Vikaspedia, Wikipedia, launch date/year, full form, download in PDF.
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