विभिन्न राज्य सरकारों ने किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए प्राइस डेफिशियेंसी पेमेंट (मूल्य अंतराल भुगतान)/Price Deficiency Payment : PDP योजनाएँ प्रारम्भ की हैं.
Price Deficiency Payment – PDP Scheme
इसके अंतर्गत, सरकार द्वारा उत्पादकों को दी जाने वाली सहायता में बाजार में किया जाने वाला प्रत्यक्ष हस्तक्षेप सम्मिलित नहीं है. इसके बजाय बाजार को सामान्य आपूर्ति और माँग शक्तियों के आधार पर कीमतें निर्धारित करने की अनुमति दी गई है. इसके तहत सरकार केवल MSP और बाजार-निर्धारित कीमत के मध्य अंतर की राशि का भुगतान करती है.
NITI आयोग ने भी अपने तीन वर्षीय एजेंडे में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद में विद्यमान अंतराल को दूर करने के लिए यह प्रणाली सुझाई है.
विभिन्न राज्यों की PDP योजनाएँ
मध्य प्रदेश की भावान्तर भुगतान योजना : इसमें आठ खरीफ फसलें – सोयाबीन, तिल, मक्का, उड़द, तूर, मूँग, मूँगफली तथा रामतिल सम्मिलित हैं.
हरियाणा सरकार ने 4 सब्जियों – आलू, प्याज, टमाटर एवं फूलगोभी के लिए कुछ इसी तरह की योजना की घोषणा की है.
कर्नाटक सरकार अपने यहाँ के दुग्ध किसानों को डेयरियों द्वारा भुगतान की जा रही कीमत के अतिरिक्त 5 रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन दे रही है.
लाभ
- यह योजना MSP पर वस्तुओं की भौतिक खरीद का विकल्प प्रदान करती है.
- यह योजना यह सुनिश्चित करने में अधिक प्रभावकारी हो सकती है कि फसल प्रतिरूप का निर्धारण MSP के अंतर्गत सुनिश्चित खरीद वाली फसलों के पक्ष में न हों तथा फसल प्रतिरूप ऐसा बना रहे जिससे उपभोक्ताओं के आवश्यकताओं की पूर्ति आसान हो सके.
- किसानों को औसत बिक्री मूल्य और MSP के बीच अंतर से प्राप्त राशि सीधे बैंक खाते में प्राप्त होती है. इससे हैंडलिंग और भंडारण की लागत समाप्त हो जाती है. इस प्रकार, इसके द्वारा भारत को खाद्य सब्सिडी बिल पर नियंत्रण रखने और WTO के सब्सिडी प्रतिबंधों का पालन करने में सहायता मिल सकती है.
समस्याएँ
गैर-पंजीकृत किसानों पर लागू न होना – उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश में जो किसान, पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं, वे बिना क्षतिपूर्ति के भारी नुकसान पर अपने उत्पाद बेच रहे हैं.
कम क्षतिपूर्ति – चूँकि कीमतें सरकार द्वारा तय की जाती है, अतः कभी-कभी प्रदत्त क्षतिपूर्ति उत्पादन की पूरी लागत भी कवर नहीं कर पाती है; उदाहरण – हरियाणा.
कम कवरेज – हालाँकि इस योजना में समस्त उत्पादन को कवर करने की क्षमता विद्यमान है, तथापि इस योजना से लाभान्वित होने वाले उत्पादों का वास्तविक प्रतिशत कम था. उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश में केवल 32% उड़द और 18% सोयाबीन उत्पादन कवर किया गया.
इसमें उपज और उस फसल के लिए राज्य में औसत बिक्री मूल्य आदि गणना करने के संदर्भ में सरकारी अधिकारियों द्वारा अत्यधिक सूक्ष्म प्रबंधन सम्मिलित है.
तेलंगाना की इनपुट सपोर्ट स्कीम
उद्देश्य : किसानों को खरीफ और रबी मौसमों के लिए 4,000 रु. प्रति एकड़ देकर उन्हें साहूकारों से ऋण लेने से राहत प्रदान करना. यह माना गया है कि किसान इस धन का उपयोग बीज, उर्वरक, मशीनरी और भाड़े पर श्रम जैसी आगतों की खरीद के लिए करेंगे.
इसके लिए किसान को उसके कृषिगत क्षेत्र और फसल का पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है.
किसान अपनी इच्छानुसार फसल उगाने और उसे किसी भी मंडी में बेचने के लिए स्वतंत्र हैं. यह मॉडल फसल-तटस्थ, अपेक्षाकृत अधिक न्यायसांगत एवं अधिक पारदर्शी है तथा किसानों को चयन की स्वतंत्रता प्रदान करता है.
संयोग से, चीन में भी एक इसी प्रकार की योजना है. चीन प्रति एकड़ आधार पर सकल आगत सब्सिडी सहायता देता है. यह योजना बाजार को विकृत नहीं करती है और अपनाए जाने योग्य है.
हम भारत सरकार की सभी नवीनतम योजनाओं को इस पेज में संकलित कर रहे हैं > Yojana 2018
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