राज्यसभा ने August 11, 2011 को मातृत्व लाभ बिल (Maternity Benefits Bill) को संशोधित किया. इस संशोधन (amendment) का ध्येय कामकाजी महिलाओं को गर्भधारण के समय को वर्तमान अवधि से बढ़ाना है जिससे कि उन महिलाओं को नवजात की देख-रेख की सुविधा मिल सके. ज्ञातव्य है कि Maternity Benefit Act 1961 के द्वारा पहली बार कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के समय मातृत्व अवकाश की सुविधा प्रदान की गई थी, जिसके अंतर्गत उन्हें अवकाश के साथ-साथ उस अवधि का पूर्ण वेतन भी दिया जाना था. अवकाश की यह अवधि पहले 12 सप्ताह की थी जिसे अब बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है. यह लाभ सरकारी और निजी दोनों प्रक्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं के लिए है.
मातृत्व लाभ संशोधन बिल (Maternity Benefits Bill) की महत्त्वपूर्ण बातें
1. मूल अधिनियम के अनुसार मातृत्व लाभ उन सभी संस्थानों को देना है जहाँ 10 से अधिक व्यक्ति काम करते हों. यह भी व्यवस्था है कि जहाँ 50 से अधिक कर्मी काम करते हों वहाँ काम करने के समय महिलाओं के बच्चों के लिए क्रेच (creche) की सुविधा भी दी जाए.
2. वर्तमान में निजी प्रक्षेत्र के संस्थान अपनी कामकाजी महिलाओं को अधिक से अधिक तीन महीने का मातृत्व अवकाश देते हैं. अब नए संशोधन के कारण उन्हें 26 सप्ताह का अवकाश देना अनिवार्य हो जायेगा.
3. यह व्यवस्था है कि सभी संस्थान इस दिशा में प्रयास करेंगे कि जो महिलाएँ चाहें वे घर से काम करने का विकल्प अपना सकती हैं.
Brief in English
The Rajya Sabha has amended the Maternity Benefits Bill, 1961 to extend the time-limit of maternity leave admissible to working women from 12 weeks to 26 weeks. (PIB Update: 11 August, 2011)