[Sansar Editorial] तम्बाकू उत्पादों की सादी डब्बाबंदी को बढ़ावा

Richa KishoreSansar Editorial 2019

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Boost to plain packaging

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The Hindu – January 04

तम्बाकू उत्पादों की सादी डब्बाबंदी” (Plain Packaging of Tobacco Products) की मुहिम से दो अन्य देश इस वर्ष जुड़ गये हैं – थाईलैंड और सऊदी अरब. ये दोनों अपने-अपने क्षेत्र अर्थात् एशिया और अरब क्षेत्र के पहले देश हैं जो सादी डब्बाबंदी (Plain Packaging) की शुरुआत करने जा रहे हैं.

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WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कण्ट्रोल (FCTC) के निर्देशों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया वह पहला देश है जिसने प्लेन पैकेजिंग की शुरुआत की. इस अभियान में और भी कई देश शामिल हैं जैसे कि फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (2016), नार्वे और आयरलैंड (2017) और न्यूजीलैंड और हंगरी (2018). उरुग्वे और सोलवेनिया में भी 2020 तक यह योजना लागू हो जाएगी. यही नहीं 14 अन्य देश भी है जो इन देशों में शामिल होने की राह पर हैं.

सादी डब्बाबंदी (Plain Packaging) क्या है?

तम्बाकू से बने पदार्थों की पैकेजिंग में एक ही जैसे निर्देशों का पालन करना ही प्लेन पैकेजिंग है. सिगरेट, सिगार इत्यादि के डब्बे पर सामान का नाम और ब्रांड का नाम सामान्य रंग और अक्षर में प्रिंटेड होना चाहिए. चमकीले रंग, लोगो, ब्रांड चिन्ह इत्यादि कुछ भी विद्यमान नहीं होने चाहिएँ. दूसरे शब्दों में तम्बाकू पदार्थों का डब्बा दिखने में साधारण और आकर्षक नहीं लगना चाहिए.

WTO के नियम और प्लेन पैकेजिंग

ऑस्ट्रेलिया की प्लेन पैकेजिंग योजना का तम्बाकू उद्योग ने काफी विरोध किया. दरअसल, प्लेन पैकेजिंग के कारण तम्बाकू पदार्थों के बाजार में काफी गिरावट आई.

परन्तु सराहनीय बात यह है कि WTO ने ऑस्ट्रेलिया की इस नीति का खुल कर समर्थन किया है. WTO के सदस्यों ने प्लेन पैकेजिंग कानून को स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही ठहराया.

भारत में भी विशेषज्ञों ने तम्बाकू पदार्थों की बिक्री पर ठोस कदम उठाने की सलाह दी है ताकि लोग धूम्रपान छोड़ ई-सिगरेट या अन्य सुरक्षित विकल्पों को अपनाएँ. जब पूरा विश्व तम्बाकू पदार्थों के विरोध में है तो भारत के पास भी सुनहरा मौका है  कि कुछ सार्थक कदम उठाये जाएँ जिससे लाखों लोगों को धूम्रपान की वजह से मौत से बचाया जा सके.

ई-सिगरेट क्या है?

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट अथवा ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाली एक वाष्पोत्सर्जक (vaporizer) है जिसे देखने से लगता है कि उपभोक्ता तम्बाकू का सेवन कर रहा है. यह वाष्प ई-सिगरेट के अन्दर स्थित तरल निकोटिन (juice) के गर्म होने से निकलता है.

निकोटिन जूस भाँति-भाँति के स्वाद के होते हैं और इनमें निकोटिन की मात्रा भी कम-ज्यादा होती है. इस जूस में प्रमुख्य रूप से दो अवयव होते हैं – i) वेजिटेबल ग्लीसरिन (जो टूथपेस्ट और कई भोज्य पदार्थों में प्रयुक्त होता है) और ii) प्रोप्लीन ग्लाईकोल (propylene glycol) (जो fog machines में प्रयुक्त होता है).

ई-सिगरेट के पक्षधर यह पक्ष देते हैं कि इसे पीना सामान्य सिगरेट की तुलना में अधिक स्वास्थ्यकर है क्योंकि इसमें उपभोक्ता के शरीर में मात्र जलवाष्प और निकोटिन ही जाता है.

चेतावनी से फायदे

भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत धूम्रपान के कारण होती है. भारत भी इन पदार्थों की पैकेजिंग पर अप्रैल 2016 में कानून लाया था जिसमें डब्बे के 85% हिस्से पर चित्रित स्वास्थ्य चेतावनी (pictorial health warning) के रूप में चेतावनी आगे और पीछे दोनों तरफ छपी रहेगी.

Global Adult Tobacco Survey 2016-2017 के अनुसार धूम्रपान छोड़ने की सोच रखने वालों में काफी बढ़ोतरी हुई है.

  • सिगरेट – 62%
  • बीड़ी – 54%
  • तम्बाकू सेवन – 46%

इस प्रकार 15-24 उम्र वाले तम्बाकू सेवन करने वालों में 6% की गिरावट आई (2009-19 में 18.4% और 2016-17 में 12.4%). लगभग 80 लाख लोगों ने तम्बाकू का सेवन बंद किया है.

चित्रित चेतावनी की पहल सर्वप्रथम राजस्थान उच्च न्यायालय ने की और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर अप्रैल 2016 में मुहर लगा दी. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डब्बे के 85% भाग में चित्रित स्वास्थ्य चेतावनी दिखलाने को कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया है.

भारत ने धूम्रपान छोड़ने वालों की सहायता करने के लिए Helpline भी शुरू कर दी है. एशिया में सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड के बाद ऐसी हेल्पलाइन सुविधा देने वाला भारत  चौथा देश है.

अक्टूबर 2016 में Canadian Cancer Society’s Cigarette Package Health Warning International Status Report के अनुसार डिब्बाबंद चेतावनी में भारत विश्व के 205 देशों में तीसरे स्थान पर है.

तम्बाकू पदार्थों पर अधिक कर लगा कर बड़ी-बड़ी चित्रित चेतावनी और सादी डब्बाबंदी के कारण तम्बाकू सेवन करने वालों की संख्या में भारी कमी आई है.  ऑस्ट्रेलिया में प्लेन पैकेजिंग के कारण 0.55% तम्बाकू प्रयोग करने वालों की संख्या घटी है और अब वहाँ तम्बाकू का सेवन करने वालों की संख्या 1,18,000 रह गई है.

निष्कर्ष

चित्रित स्वास्थ्य चेतावनी भारत जैसे बहुभाषी देश के लिए मददगार है. GATS 2016-17 के एक सर्वेक्षण के अनुसार 85% चित्रित चेतावनी के कारण 92% लोग ये मानते हैं कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. तम्बाकू का सेवन करने से खतरनाक बीमारियाँ होती हैं, ऐसा 96% लोग स्वीकारते हैं. धूम्रपान करने वालों और तम्बाकू का सेवन करने वालों में क्रमशः 55% और 50% लोग इस बुरी आदत से छुटकारा पाने की सोच रहे हैं. तम्बाकू के विरुद्ध में उठाया गया यह कदम अबतक का सबसे बड़ा और असरदायक कदम है.

लेखिका का नाम ऋचा किशोर है. यह एक अनुभवी लेखिका हैं. आपको ये अक्सर विज्ञान से सम्बंधित लेख उपलब्ध कराती हैं.

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