हाल ही में ‘केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय’ (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) ने छोटे दुकानदारों और फेरीवालों (Street Venders) को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान करने के लिए ‘प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (The Pradhan Mantri Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) या पीएम स्वनिधि नामक योजना का प्रारम्भ किया है.
PM Svanidhi योजना का लाभ किसे मिलेगा?
- इस योजना का लाभ रेहड़ी पटरी वालों और छोटी-मोटी दुकान लगाकर आजीविका चलाने वालों को प्राप्त होगा. फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून और पान की दुकानें भी इस श्रेणी में शामिल की गई हैं.
- इस योजना के अंतर्गत सरकार इन लोगों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए यथासंभव सहायता प्रदान करेगी. इससे रेहड़ी-पटरी वाले बिना किसी देरी के अपना काम-धंधा फिर से प्रारम्भ कर सकेंगे.
पीएम स्वनिधि योजना के बारे में मुख्य तथ्य
- यह योजना मार्च 2022 तक वैध है.
- इस योजना के लिये सरकार द्वारा 5,000 करोड़ रुपए की राशि मंज़ूर की गई है.
- कोरोना वायरस की वजह से लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित फेरीवालों, रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को अब पीएम स्व निधि स्कीम के तहत 10 हजार का कर्ज दिया जाएगा.
- इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले 1 वर्ष के भीतर किस्त में लौटा सकते हैं.
- यह ऋण बहुत ही आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी ज़मानत या कोलैट्रल (Collateral) की आवश्यकता नहीं होगी.
- इस ऋण को समय पर चुकाने वाले छोटे दुकानदारों, फेरीवालों को 7% का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में सरकार की ओर से स्थानान्तरण किया जाएगा.
- इस योजना के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.
मेरी राय – मेंस के लिए
कोरोना की सबसे अधिक मार किसी ने झेला है तो वे छोटे-मोटे विक्रेता और रेहड़ी वाले ही हैं जिनकी रोजाना आय से उनका घर चलता था और उन्हें दो वक्त की रोटी मिलती थी. देश में बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र के प्रमाणिक आँकड़े उपलब्ध न होने से इस प्रक्षेत्र से संलग्न लोगों को सहायता पहुँचाना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है.
हमें आशा है कि ‘पीएम स्वनिधि’ योजना से अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा और वे तालाबंदी के चलते प्रभावित हुई आजीविका को पुनः प्रारम्भ कर सकेंगे.
इससे ये लोग कोरोना संकट के समय अपने कारोबार को नए सिरे से खड़ा कर आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देंगे. यह भारत में प्रथम बार हुआ है कि शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के आस-पास सड़क पर माल बेचने वाले विक्रेता शहरी आजीविका कार्यक्रम के लाभार्थी बन गए हैं. वेंडर 10,000 रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं जिसे वे एक वर्ष में मासिक किस्तों में चुका सकते हैं.
इस योजना के माध्यम से डिजिटल भुगतान को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है क्योंकि इस योजना के अंतर्गत जो भी खुदरा विक्रेता डिजिटल भुगतान करेगा, उसे इनाम देकर प्रोत्साहित किया जाएगा. डिजिटल भुगतान पर एक लाभ यह भी है कि आने वाले समय में उन्हें कामकाज बढ़ाने के लिए अतिरिक्त धन (कैशबेक आदि के माध्यम से) उपलब्ध कराया जा सकेगा.
प्रीलिम्स बूस्टर
SIDBI : भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) संसद के एक अधिनियम द्वारा 2 अप्रैल, 1990 को स्थापित किया गया था. यह बैंक सूक्ष्म, मघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprise – MSME) के लिए वित्त जुटाने वाला प्रधान बैंक है. साथ ही समान प्रकार की गतिविधियों में संलग्न अन्य संस्थाओं के कार्यकलाप का समन्वयन भी करता है.