Ram Temple trust Explained in Hindi
अभी पिछले दिनों अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का काम देखने के लिए 15 सदस्यों वाले एक न्यास का गठन किया गया है जिसका नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास रखा गया है.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की बनावट
इस न्यास में पूर्णतः 15 सदस्य होंगे जिनमें 9 स्थायी और 6 नामित सदस्य होंगे.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कार्य के लिए 9 नियम
- न्यास की पहली बैठक में यह चर्चा होगी कि इसका स्थायी कार्यालय कहाँ होगा.
- राम मंदिर के निर्माण से सम्बंधित प्रत्येक निर्णय लेने के लिए यह न्यास पूर्णतः स्वतंत्र होगा. न्यास ही भक्तों के लिए सारी सुविधाएँ जुटाएगा जसी रसोई, गौशाला, संग्रहालय और सराय.
- मंदिर बनाने और सुविधाएँ देने के लिए न्यास वैधानिक रूप से किसी भी व्यक्ति अथवा संस्थान से दान, अनुदान, अचल सम्पत्ति और सहायता स्वीकार कर सकता है. साथ ही वह ऋण भी ले सकता है.
- न्यासियों (trustees) का एक बोर्ड किसी एक न्यासी को अध्यक्षता और प्रबंधन का काम देगा और वही बैठकों की अध्यक्षता करेगा. न्यासियों में से महासचिव और कोषाध्यक्ष की नियुक्ति होगी.
- राम मंदिर के निर्माण के लिए उपलब्ध कोष हेतु निवेश के बारे में न्यास निर्णय करेगा. मंदिर के लिए जो भी निवेश होगा वह न्यास के नाम पर होगा.
- राम मंदिर के लिए मिले हुए दान का उपयोग केवल न्यास के काम के लिए ही होगा, किसी अन्य काम के लिए नहीं.
- राम मंदिर न्यास से सम्बद्ध अचल सम्पत्ति को बेचने का न्यासियों के पास अधिकार नहीं होगा.
- राम मंदिर के लिए प्राप्त दान और व्यय का न्यास द्वारा हिसाब रखा जाएगा. इसके लिए बैलेंस शीट बनाई जायेगी और न्यास के लेखा का अंकेक्षण भी किया जाएगा.
- राम मंदिर न्यास सदस्यों को वेतन नहीं मिलेगा, परन्तु यात्रा के समय होने वाले व्यय का भुगतान न्यास के द्वारा किया जाएगा.
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