पारस्परिक क्षेत्र (reciprocating territory) और सुपीरियर न्यायालय क्या होते हैं?

Sansar LochanIndia and non-SAARC countries

UAE has been declared ‘reciprocating territory’ by India

पिछले सप्ताह विधि एवं न्याय मंत्रालय ने एक असाधारण राजपत्र अधिसूचना निर्गत की जिसमें संयुक्त अरब अमीरात को नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 (Civil Procedure Code, 1908) के अनुभाग 44A के अंतर्गत एक “पारस्परिक क्षेत्र” (reciprocating territory) अर्थात् वैसा भूक्षेत्र घोषित किया गया जहाँ भारत के न्यायालयों द्वारा पारित आदेश लागू हो सकते हैं और जहाँ के न्यायालयों के द्वारा पारित आदेश भारत में लागू हो सकते हैं.

विदेश में स्थित ऐसे न्यायालयों को सुपीरियर न्यायालय (superior courts) भी कहते हैं. इस अधिसूचना में उन सुपीरियर न्यायालयों की सूची दी गई है जो संयुक्त अरब अमीरात में स्थित हैं.

ज्ञातव्य है कि संयुक्त अरब अमीरात के अतिरिक्त ऐसे कई देश हैं जिनके लिए भारत इस प्रकार की अधिसूचनाएं निर्गत कर चुका है. ये देश हैं – यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, बांग्लादेश, मलेशिया, त्रिनिडाड और टोबैगो, न्यूजीलैंड, कुक आइलैंड्स (नीयू सहित) और पश्चिमी समोआ, हांगकांग, पापुआ न्यू गिनी, फिजी, अदन के ट्रस्ट क्षेत्र.

पारस्परिक क्षेत्र (reciprocating territory) और सुपीरियर न्यायालय (superior court) क्या होते हैं?

“पारस्परिक क्षेत्र” का अर्थ भारत के बाहर स्थित वह देश अथवा क्षेत्र होता है जिसे भारत सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना निर्गत कर एक पारस्परिक क्षेत्र घोषित करती. सुपीरियर न्यायालय उन न्यायालयों को कहते हैं जो ऐसी अधिसूचना में सुपीरियर न्यायालयों के रूप में वर्णित होते हैं.

इस अधिसूचना के फलस्वरूप संयुक्त अरब अमीरात के किसी सुपीरियर न्यायालय द्वारा पारित आदेश भारत में लागू हो सकते हैं. इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति को आदेश की एक प्रति भारत के जिला न्यायालय में जमा करनी होगी.

नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 का अनुभाग 44 क्या कहता है?

CPC का अनुभाग 44A पारस्परिक देश के कार्यालयों के द्वारा पारित आदेश के कार्यान्वयन से सम्बंधित है. अनुभाग 44A (1) प्रावधान करता है कि किसी पारस्परिक क्षेत्र के सुपीरियर न्यायालय द्वारा पारित आदेश भारत में कार्यान्वित हो सकते हैं. इसके लिए भारत के किसी जिला न्यायलय में उस आदेश की एक अभिप्रमाणित प्रति जमा करनी होगी. वह जिला न्यायालय उस आदेश को अपने ही द्वारा पारित आदेश के रूप में मान्यता देगा.

कौन-से मामले इस प्रावधान के अंतर्गत नहीं आते हैं?

  • नागरिक प्रक्रिया संहिता का अनुभाग 44 केवल उन आदेशों तक ही सीमित होता है जिसमें “धन के भुगतान का विषय” होता है. इसमें वह धनराशि नहीं आती है जो कर, प्रभार, अर्थदंड आदि से सम्बंधित होती है.
  • इसमें पंचाट द्वारा दिए गये निर्णय भी शामिल नहीं होते हैं.

पारस्परिक क्षेत्र घोषणा का महत्त्व

विश्वास किया जाता है कि भारत सरकार के द्वारा संयुक्त अरब अमीरात को पारस्परिक क्षेत्र घोषित करने से दोनों देशों के बीच न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों के कार्यान्वयन में लगने वाला समय घट जाएगा. साथ ही यदि कोई प्रवासी भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में किसी व्यवहार मामले में दण्डित होता है तो वह भाग कर भारत में आकर सुरक्षित नहीं रह पायेगा.

Tags : reciprocating territory and superior courts in Hindi. Its significance and implications. Civil Procedure Code, 1908. व्यतिकारी राज्यक्षेत्र.

Read them too :
[related_posts_by_tax]