राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा सहमति मिलने के पश्चात् जलयान पुनश्चक्रण विधेयक (Recycling of Ships Bill) एक अधिनियम बन गया है.
साथ ही सरकार ने 2009 के उस हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन को अपनाने का भी निर्णय ले लिया है जो जलयानों के निरापद एवं पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त पुनश्चक्रण से सम्बंधित है.
जलयान पुनश्चक्रण अधिनियम, 2019 के मुख्य तत्त्व
- यह अधिनियम ऐसी हानिकारक सामग्रियों के प्रयोग को प्रतिबंधित करता है, जिन्हें जहाजों की रिसाइक्लिंग करने या ऐसे भी इस्तेमाल किया जाता है.
- नए जहाजों के लिए ऐसी सामग्रियों के इस्तेमाल पर विधेयक के कानून का रूप लेने के साथ ही तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध की व्यवस्था है जबकि मौजूदा जहाजों को यह व्यवस्था अपनाने के लिए 5 वर्ष का समय दिया जाएगा.
- हानिकारक सामग्रियों के इस्तेमाल पर रोक या प्रतिबंध युद्धपोतों और सरकार द्वारा संचालित गैर-व्यवसायिक जहाजों पर लागू नहीं होंगे.
- जहाजों में हानिकारक सामग्रियों के इस्तेमाल की जांच के बाद ही उन्हें प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा.
- इस अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि जहाजों की रिसाइक्लिंग के लिए बनाए गए स्थान अधिकृत होने चाहिए और जहाजों की रिसाइक्लिंग केवल इन्हीं स्थानों पर होनी चाहिए.
- अधिनयम के अनुसार जहाजों की रिसाइक्लिंग निर्धारित योजना के अनुरूप होनी चाहिए. भारत में रिसाइक्लिंग किए जाने वाले जहाजों को हांगकांग इंटरनेशनल कन्वेंशन के अनुसार रेडी फॉर रिसाइक्लिंग प्रमाण पत्र लेना जरूरी होगा.
पृष्ठभूमि (Recycling of Ships Act)
- जहाज रिसाइक्लिंग उद्योग के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. पूरी दुनिया में जहाजों की रिसाइक्लिंग बाजार में भारत की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है. संयुक्त राष्ट्र की समुद्री परिवहन पर जारी रिपोर्ट 2018 के अनुसार 2017 में भारत में जहाजों के तोड़ने से कुल 6323 टन मलबा निकला था.
- जहाजों का रिसाइक्लिंग उद्योग श्रम आधारित उद्योग है, लेकिन यह पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं.
हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन क्या है?
- हांगकांग कन्वेंशन का पूरा नाम है – The Hong Kong International Convention for the Safe and Environmentally Sound Recycling of Ships,
- यह कन्वेंशन 2009 में हांगकांग में हुए एक कूटनीतिक सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (International Maritime Organization – IMO) द्वारा अंगीकृत हुआ था.
- इस कन्वेंशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके जीवनकाल समाप्त कर लेने के बाद जहाज़ों का जो पुनश्चक्रण हो तो उस समय मानव स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण को कोई अनावश्यक क्षति नहीं पहुँचे.
- ज्ञातव्य है कि विश्व में जहाँ-जहाँ जहाज तोड़े जाते हैं वहाँ-वहाँ कामगारों और पर्यावरण को खतरा होने का अंदेशा रहता है.
- यह कन्वेंशन अभी तक प्रभावी नहीं हुआ है क्योंकि अभी तक 15 देशों ने इस पर अभी तक स्वीकृति नहीं दी है. इन 15 देशों का महत्त्व इसी से समझा जा सकता है कि वहन क्षमता के अनुसार विश्व की 40% माल-ढुलाई यही देश करते हैं और साथ ही प्रति वर्ष वैश्विक पुनश्चक्रण का 3% इन्हीं देशों में होता है.
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