वारेन हेस्टिंग्स, कार्नवालिस, विलियम बेंटिक और लॉर्ड डलहौजी के सुधार

Sansar LochanHistory, Modern History

governor_generals_india

अंग्रेज़ सर्वप्रथम भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आये, लेकिन यहाँ की बिगड़ती हुई राजनीतिक स्थिति और देशी राज्यों के आपसी फूट का लाभ उठाकर यहाँ बिटिश सत्ता की स्थापना कर ली. अंग्रेजों को सबसे पहले बंगाल में पैर जमाने का मौका मिला और उसके बाद तो वे पूरे भारत में धीरे-धीरे फ़ैल गए. भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार में ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरलों (Governors of East India Company) का महत्त्वपूर्ण योगदान है. लॉर्ड क्लाइव से लेकर लार्ड डलहौजी तक जितने भी गवर्नर जनरल आये वे एक से बढ़कर एक साम्राज्यवादी तथा कूटनीतिज्ञ थे और अपने शासनकाल में उन्होंने कंपनी की शक्ति में वृद्धि कर ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार किया. साथ ही ये पड़ोसी देशों से सम्बन्ध स्थापित कर भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ें मजबूत करने में अपनी साड़ी क्षमताएँ अर्पित कर दिन. क्लाइव ने जिस अंग्रेजी साम्राज्य की नीव बंगाल में डाली थी वह अन्य गवर्नर जनरलों ने शासनकाल में सुदृढ़ रूप लेकर एक विशाल इमारत का रूप धारण किया. गवर्नर जनरलों ने न केवल भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना की बल्कि यहाँ  कई प्रशासनिक सुधार भी किये.

वारेन हेस्टिंग्स – Warren Hastings

warren_hastings

वारेन हेस्टिंग्स सबसे पहले कम्पनी के गवर्नर जनरल के रूप में भारत आया और आते ही उसने प्रशासनिक सुधार की ओर ध्यान देकर ब्रिटिश साम्राज्य को सुदृढ़ बनाने की कोशिश की. उस समय द्वैध शासन के चलते सर्वत्र अराजकता फैली थी और कंपनी के कर्मचारी भ्रष्ट और अनुशासनहीन हो गए थे. वारेन हेस्टिंग्स ने द्वैध शासन के दुष्परिणामों को समाप्त कर बंगाल में शान्ति की स्थापना की. बंगाल का शासन अब प्रत्यक्ष रूप से कंपनी के हाथ में आ गया. उसके बाद हेस्टिंग्स ने लगान व्यवस्था में सुधार लाया. सही ढंग से लगान की वसूली हो इसके लिए हेस्टिंग्स ने निरीक्षकों की नियुक्ति की. उसने न्याय-व्यवस्था में फैले दोषों को दूर किया. उसने प्रत्येक जिले में दीवानी और फौजदारी दो अदालतों की स्थापना कर न्याय व्यवस्था को सरल और सुगम बना दिया. न्याय विभाग को संगठित और सुविधाजनक बनाने के लिए उसकी कार्यवाहियों को लिखा जाने लगा. इसके बाद वारेन हेस्टिंग्स ने आर्थिक सुधार की ओर ध्यान दिया. दस्तक की छूट का विशेषाधिकार समाप्त कर दिया गया और मुद्रा प्रणाली में सुधर हुआ.

लॉर्ड कार्नवालिस – Lord Cornwallis

conrwallis_blackwhiteकार्नवालिस जब गवर्नर जनरल बनकर भारत आया तो प्रारम्भ में उसने अहस्तक्षेप की नीति अपनाकर देशी राज्यों के मामले में तटस्थता बरती लेकिन आगे चलकर उसे भी ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार में रूचि लेनी पड़ी. वह एक योग्य और ईमानदार शासक था और उसका शासनकाल प्रशासनिक सुधारों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण था. वारेन हेस्टिंग्स की तुलना में कार्नवालिस को व्यापक अधिकार मिले थे और वह गवर्नर जनरल के साथ-साथ प्रधान सेनापति भी था. कार्नवालिस ने आंतरिक सुधार को प्राथमिकता देते हुए सबसे पहले भ्रष्टाचार उन्मूलन का प्रयास किया. कंपनी के कर्मचारियों के वेतन में बृद्धि कर उन्हें कर्तव्यपरायण और ईमानदार बनाया गया. उसके बाद उसने यूरोपीय पद्धति से प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की. इसके अंतर्गत उसने पुलिस, सेना, न्याय विभाग, राजस्व व्यवस्था तथा व्यापार के क्षेत्र में सुधार लाया. राजस्व व्यवस्था के क्षेत्र में उसने तो एक नई व्यवस्था स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) के द्वारा क्रान्ति ही ला दी. इस प्रकार प्रशासनिक व्यवस्था को दोषरहित बनाने में कार्नवालिस द्वारा किये गए कार्य काफी प्रशंसनीय है.

 

लॉर्ड विलियम बेंटिक – Lord William Bentinck

william_bentinckलार्ड विलियम बेंटिक 1828 ई. में गवर्नर जनरल बनकर भारत आया. वह उन्मुक्त व्यापार और उन्मुक्त प्रतियोगिता का पक्षधर था. वह अत्यंत ही उदार एवं सुधारवादी प्रवृत्ति का व्यक्ति था. वह प्रजा के कल्याण के द्वारा शासक की शक्ति में वृद्धि का समर्थन करता था. वह युद्ध के बदले शान्ति और सुव्यवस्था की आकांक्षा रखता था. विलियम बेंटिक पहला गवर्नर जनरल था, जिसने कंपनी की आर्थिक बदहाली और प्रशासनिक दोषों को दूर करने के साथ-साथ कुछ लोक-कल्याणकारी कार्य भी किये. उसने कम्पनी के खर्चे में काफी कमी लाकर आर्थिक स्थिति पर नियंत्रण पाने का प्रयत्न किया. साथ ही शासनकार्य में भारतीयों की नियुक्ति कर उसकी सहानुभूति हासिल की. इन सुधारों के अतिरिक्त विलियम बेंटिक ने शिक्षा सम्बन्धी सामाजिक सुधार भी किये. वह अंग्रेजी भाषा का पक्षपाती था और अंग्रेजी शिक्षा का माध्यम से भारतीयों का ऐसा वर्ग तैयार करना चाहता था जो रक्त और रंग में भारतीय हों लेकिन विचारधारा, चरित्र और बुद्धि में अंग्रेज़ हों. सामजिक सुधार के क्षेत्र में उसने सती प्रथा का अंत तथा कन्या वध या बाल हत्या को समाप्त किया.

लॉर्ड डलहौजी – Lord Dalhousie

 Dalhousieलॉर्ड बेंटिक के बाद दूसरा महत्त्वपूर्ण गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी भारत आया. वह एक घोर साम्राज्यवादी था और उसका मुख्य उद्देश्य भारत में अंग्रेजी सत्ता का अधिकतम विस्तार करना था. उसे आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है. उसने प्रशासन के प्रत्येक अंग में आवश्यक सुधार लाकर ब्रिटिश साम्राज्य को स्थायी और सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया. उसने प्रशासन, सेना, व्यापार हर क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास किया. उसके द्वारा रेल, तार, डाक विभाग की स्थापना तो भारत के लिए उसके अविस्मरणीय योगदान के रूप में याद की जाती है. उसने शिक्षा तथा सामजिक क्षेत्र में भी सुधार का कार्य किया. उसके सुधारों ने प्रशासन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया. सार्वजनिक निर्माण की योजनाओं के द्वारा भारत को ऐसे मार्ग पर चलाया जहाँ से आधुनिक भारत के निर्माण की प्रक्रिया शुरु हुई. उसके सुधारों से सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्य के हितों की ही रक्षा नहीं हुई बल्कि भारतीय भी लाभान्वित हुए.

  • 1848 से 1856 तक भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी था. इसने हड़प नीति (doctrine of lapse) नामक एक नीति बनाई और उसे तत्परता से लागू भी किया.
  • हड़प नीति के अनुसार यदि ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष नियंत्रण वाले किसी रजवाड़े के शासक को कानूनी रूप से वैध पुरुष उत्तराधिकारी नहीं हो तो उस रजवाड़े का कम्पनी में विलय हो जाएगा.
  • इस नीति के अनुसार, कोई भी भारतीय शासक अपने दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी घोषित नहीं कर सकता था. इस प्रकार हड़प नीति किसी भी पुत्रहीन भारतीय शासक को किसी बच्चे को गोद लेकर उसे अपना उत्तराधिकारी बनाने से रोकता था.
Read them too :
[related_posts_by_tax]