CSAT Paper 1 को क्या UPSC Prelims से हटाया जा रहा है? कितना सच है?

Sansar LochanCivil Services Exam

हमअफवाहों पर ध्यान नहीं देते और न ही उन्हें हवा देते हैं. इसलिए कभी भी हमने ऐसी अफवाहों को अपनी वेबसाइट पर स्थान नहीं दिया चाहे वह अधिकतम आयु घटाने के विषय में अफवाह हो या आरक्षण ख़त्म होने की बात. पर आजकल एक उड़ते-उड़ते समाचार आ रहा है कि UPSC प्रारम्भिक परीक्षा (prelims exam) से CSAT पेपर 1 को हटाने जा रहा है. इस बात में कितना दम है, आइये जानते हैं.

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Truth Behind UPSC CSAT Paper 1 Removal

यह सच है कि UPSC ने कार्मिक विभाग एवं प्रशिक्षण को एक पत्र लिखा है जिसमें प्रारम्भिक परीक्षा के पपेर 1, जिसे प्यार से CSAT पेपर कहते हैं, को हटाने की बात कही गई है.

आपको पता है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग क्या है? आप UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे हो, आपको यह जानना चाहिए.

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के तहत ये संगठन आते हैं – UPSC, SSC, लोक उद्यम चयन बोर्ड, लाल बहादुर शास्‍त्री राष्‍ट्रीय प्रशासन अकादमी, सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंध संस्‍थान, केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग (CVC), केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (CBI), भारतीय लोक प्रशासन संस्‍थान और  केन्‍द्रीय सूचना आयोग (CIC).

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों एवं अनुदेशों के अनुपालन में UPSC में प्राप्‍त पदोन्‍नति तथा प्रतिनियुक्‍ति द्वारा नियुक्‍ति के प्रस्‍तावों को नियुक्‍ति शाखा में संसाधित किया जाता है. सरल शब्दों में UPSC में कितना पोस्ट निकलेगा, कब निकलेगा, क्या बदलाव लाया जाएगा आदि सब कार्मिक विभाग के विवेक पर निर्भर करता है.

अब जहाँ धुआँ है तो आग भी होगा ही. इसका अर्थ यह हुआ कि UPSC ने जब चिट्ठी लिख डाली है तो अब कार्मिक विभाग की मुहर लगाएगा या नहीं, बस इसका इन्तजार है.

आपको क्या फायदा होगा?

CSAT पेपर को लेकर हमेशा से बवाल होता आया है. कभी आन्दोलन हुए, कभी मुखर्जी नगर में हजारों छात्रों की भीड़ें एकत्रित की गईं , कभी इस पेपर को qualifying पेपर करने की जिद की गई तो कभी इंग्लिश हटाने की माँग की गई.

आपको क्या लगता है? आप एक हिंदी माध्यम के विद्यार्थी हो…यदि CSAT हटा दिया जाता है तो आपको क्या फायदा होगा? कमेंट में अपनी राय प्रस्तुत करें.

मेरा क्या मानना है?

मैं तो UPSC के इस निर्णय के पक्ष में हूँ. भले ही UPSC ने काफी विलम्ब कर दिया यह निर्णय लेने में पर देर आये दुरुस्त आये. कई ग्रामीण छात्रों के जीवन के साथ खेला गया. 2011 से CSAT के विष का प्याला छात्र पीते आ रहे थे जो कांग्रेस सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल के बकवास निर्णय का नतीजा था.

सिविल सर्विसेज परीक्षा को हमेशा से आर्ट्स स्टूडेंट के छात्रों का किला माना गया है. इस परीक्षा का नाम सुनते ही मन में इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, द हिन्दू अखबार, योजना, कुरुक्षेत्र, राज्य सभा, लोक सभा आदि शब्द कान में गूँजने लगते हैं. कहा जाता था कि इस लड़के ने स्नातक में आर्ट्स विषय लिया है, जरुर यह IAS बनेगा.

पर CSAT के बाद से तो मानो IIT, MBA, MBBS करने वाले छात्रों की भीड़ लगने लगी. वे बहुत आसानी से प्रारम्भिक परीक्षा पास कर लेते थे. उनके लिए यह चुटकियों का खेल था.

आप जो मैथ्स बनाने में 2 मिनट लगाते थे वह सिर्फ प्रश्न देखकर ही उत्तर जान लेते थे. क्योंकि उन्हें ऐसी ट्रेनिंग मिली थी. उनका दिमाग आपसे इन चीजों में ज्यादा शार्प था.

मगर जैसा विज्ञान का भी मानना है कि यदि आपका आर्ट्स अच्छा है तो मैथ्स/साइंस उतना अच्छा नहीं होगा और यदि आपका मैथ्स/साइंस अच्छा है तो आर्ट्स अच्छा नहीं होगा. यह तो ब्रेन का खेल है. इसमें हमारा कोई हाथ नहीं. भगवान् ने मस्तिष्क को दो भागों में बाँटा है. एक टेक्निकल और दूसरा नौन-टेक्निकल.

पर इन साइंस वाले बैकग्राउंड के छात्रों के लिए तो IIT, MBA, MBBS था ही. इनको ऐसा क्या चस्का लगा कि सब अपनी नौकरी छोड़कर IAS बनने आ गये? और तो और कई महान लोग तो ऐसे भी थे जो IAS पद का त्याग कर बहुत ही सफल व्यापारी बन गये और शिक्षा को बेचने का काम करने लगे. भाई, आपने उन गरीबों की सीट क्यूँ खाई यदि IAS बन कर टिकना ही नहीं था.

दरअसल हुआ यह कि ये टेक्निकल मेधावी छात्र प्रारम्भिक परीक्षा आसानी से निकाल लेते थे और मेंस में जाकर बहुत खराब प्रदर्शन करते थे. यदि आँकड़ों की बात की जाए तो 2011 से पहले टॉपर छात्र मेंस में 60-62% तक ले आते थे. पर CSAT के बाद मेंस का ग्राफ गिरता चला गया क्योंकि मेंस में वही छात्र आ जाते थे जिनको सामान्य अध्ययन से कोई लेना-देना नहीं था.

Declining Graph of IAS Mains

आप खुद देख लीजिये. पहले कॉलम में वर्ष दिया हुआ है और दूसरे कॉलम में सबसे कम स्कोर लाने वाले छात्र के मार्क्स का प्रतिशत.

वर्ष

मेंस में Cut off %

2006

48.75

2007

50.25

2008

47.7

2009

44.95

2010

45.2

2011

42.1

2012

35

2013

32.1

2014

38.74

2015

38.62

 

वैसे मेरा यह भी मानना है कि आप जब UPSC परीक्षा देते हो तो यह जरुरी नहीं कि आपको सिर्फ IAS, IPS, IFS आदि पोस्ट मिले. ऐसे कई पोस्ट मिल सकते हैं जिसमें आपको सांख्यिकी, टेक्निकल ज्ञान होना जरुरी है. इसलिए पहले की तरह थोड़े-बहुत एप्टीच्यूड के सवाल मेंस में होने चाहिएँ.

मगर यह IIT, MBA, MBBS वाला खेल अब ख़त्म होना चाहिए. आप इंजिनियर बनो, MBA करो, MBBS करो…देश में सिर्फ IAS लोगों की आवश्यकता नहीं है. देश में अच्छा स्वास्थ्य भी चाहिए, अच्छा प्रबंधन भी चाहिए, अच्छे ब्रिज की भी आवश्कता है और एक अच्छा प्रशासन भी चाहिए.

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सम्पादक,

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संसार लोचन

Tags : removal of csat paper 1 from UPSC IAS prelims exam

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