सम्पूर्ण देश में म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के topic पर debates पर debates हो रहे हैं और आपने भी इसके बारे में कहीं न कहीं पढ़ा होगा, सुना होगा और आजकल तो आप कुछ अधिक ही सुन रहे होंगे. आज question यह है कि क्या रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslims) को भारत में रहने देना चाहिए या उन्हें deport यानी भगा देना चाहिए. सच कहा जाए तो यह एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा (international issue) है लेकिन हमारे देश में इस पर आजकल Hindu-Muslims की राजनीति हो रही है. हमारे नेताओं को बस एक मौका मिलना चाहिए जिसके जरिये हिन्दू और मुसलमान में अलगाव पैदा किया जा सके. आज इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस मामले की पूरी जानकारी देंगे. हम आपको ये बताएँगे कि रोहिंग्या मुसलमान कौन हैं, ये भारत में कैसे आये और ताजा विवाद (current issue/conflict) क्या है?
Latest Update
आगे बढ़ने से पहले आपको हम एक लेटेस्ट अपडेट दे देते हैं कि – किसी ने सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में एक याचिका दायर (filed a Writ) की है. इस writ में यह अपील की गई है कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से भगाने के लिए सरकार को guideline दिए जाए. इस याचिका पर 4 September, 2017 को hearing हुई और Supreme Court ने अब 11 September तक Center को जवाब देने के लिए कहा है. इससे पहले Indian Government ने कहा था कि वे पूरे देश में रह रहे, almost 40 हज़ार Rohingya Muslim people को वापस उनके देश भेजने का विचार कर रही है यानी इस समय हमारे देश में 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं. इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई जिसमें कहा गया कि रोहिंग्या मुसलमान भारत में registered refugees हैं और उन्हें वापस भेजना संविधान के आर्टिकल 14 और आर्टिकल 21 का उल्लंघन है. जैसा आप जानते हैं कि संविधान का आर्टिकल 14 में समानता का अधिकार वर्णित है और आर्टिकल 21 जीने का अधिकार उल्लिखित है. लेकिन इन तमाम तर्कों के बावजूद सरकार को आशंका है कि ये अवैध प्रवासी आंतकवादी संगठनों (terrorist groups) में शामिल हो सकते हैं. इसलिए इन्हें वापस भेज देना चाहिए.
रोहिंग्या कौन हैं?
रोहिंग्या स्वयं को एक अलग नस्लीय समूह (different racial groups) बतलाते हैं. इनकी भाषा और संस्कृति (language and culture) सभी देशों से बिल्कुल अलग (different) है. रोहिंग्या खुद को म्यांमार के रखाइन राज्य (Rakhine State) का निवासी मानते हैं.
अधिकांश रोहिंग्या मुसलमान हैं लेकिन कुछ रोहिंग्या अन्य धर्मों को भी follow करते हैं. जून 2012 से अक्टूबर 2012 के मध्य रोहिंग्या समुदाय के लोगों के विरुद्ध म्यन्मार में निंदनीय हिंसा हुई थी. इस हिंसा के बाद साल 2012 में 1 लाख 40 हज़ार रोहिंग्या म्यांमार को छोड़ कर कहीं और चले गए. अब भी कई रोहिंग्या म्यांमार में ही रखाइन के राहत शिविरों में दिन काट रहे हैं.
Muslims vs Buddhists
रोहिंग्या समुदाय को सदियों पहले अराकान (म्यांमार) के मुग़ल शासकों ने यहाँ बसाया था, साल 1785 में, बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्ज़ा कर लिया था. उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को खदेड़ कर बाहर भगाने की कोशिश की. इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और इन मुसलमानों के बीच हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ जो अब तक जारी है.
म्यांमार का Scene
म्यांमार में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या बसते हैं पर म्यांमार उन्हें अपना नागरिक मानने को तैयार नहीं है. न ही इस प्रजाति को कोई सरकारी ID या चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया गया है. म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध एक बार फिर से हिंसा शुरू हो गई है. इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि 25 अगस्त को करीब 150 लोगों ने हथियारों के साथ पुलिस के 24 camps पर हमला बोल दिया था. यह हमला म्यांमार के रखाइन राज्य में ही हुआ था. इसमें 71 लोगों की मौत भी हो गई. इस हमले को अंजाम Arkan Rohingya Salvation Army नामक आंतकवादी संगठन दिया था. इस आतंकवादी संगठन को अता उल्लाह नामक आतंकवादी चलाता है. यह खुद एक रोहिंग्या मुस्लिम है.
क्या रोहिंग्या मुसलमान भारत के लिए खतरनाक हैं?
एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या बड़ी संख्या में जम्मू के outskirts और जम्मू के साम्बा और कठुआ इलाकों में settle हो गए हैं. ये इलाके हमारे international border से अधिक दूर नहीं है जो भारत की security के लिए एक खतरा है.
अता उल्लाह जो Arkan Rohingya Salvation Army का सरगना है, उसका जन्म कराँची, पाकिस्तान में हुआ था. इसकी परवरिश मक्का में हुई. ऐसा कहा जाता है कि रोहिंग्या मुसलमान पाकिस्तान के आतंकवाद संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं और लगातार उनसे संपर्क में रहते हैं. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन द्वारा रोहिंग्या, जो बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं, को आंतकवादी बनाया जा रहा है और पूरे देश की अशांति फैलाने के लिए इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है. सऊदी अरबिया का Wahabi Group इन्हें आंतकवाद की training दे रहा है. ये वही वहाबी लोग हैं जिसके बारे में कल वहाबी आन्दोलन का एक पोस्ट मैंने डाला था. आपने यदि नहीं पढ़ा है तो क्लिक करें >>> Wahabi Andolan
अब आप समझ गए होंगे कि रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslims) को भारत सरकार एक खतरे के रूप में क्यों देखती है? रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि और अधिक दिन रोहिंग्या को भारत में रहने दिया गया तो जल्द ही देश को इसका खामियाज़ा उठाना पड़ेगा.
दूसरा पक्ष
यह बात सच है कि शरणार्थी के रूप में इधर-उधर भटक रहे Rohingya Muslims के हालात बहुत ख़राब हैं. रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार में अत्याचार हो रहा है. इस मामले को लेकर हाल ही में United Nations की भी नींद टूटी है. Rohingya Muslims पर UN की एक रिपोर्ट सामने आई है जो बांग्लादेश में शरणार्थी के रूप में रह रहे इन मुसलमानों के interview पर आधारित है. UN के रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार में आतंकियों के नाम पर Army इन मुसलमानों को निशाना बना रही है. म्यांमार की आर्मी इन्हें चुन-चुन कर गोली मार रही है. बच्चों और महिलाओं को भी बख्शा नहीं जा रहा. म्यांमार सरकार अपने आर्मी पर लगे आरोपों को सिरे से ख़ारिज करती है.
भारत में सियासी खेल
मोदी सरकार गैरकानूनी ढंग से रहे इन 40 हज़ार रोहिंग्या समुदाय को देश से बाहर करने के mood में है. रोहिंग्या मुसलमानों का वजूद म्यांमार से जुड़ा है जहाँ से इनकी नागरिकता का अधिकार छीन लिया गया है. जिसके बाद ये अलग-अलग देशों में जा कर बस गए हैं. पर सवाल है आखिर म्यांमार के ये मुसलमान असम से लेकर दिल्ली तक के शरणार्थी camps में जाकर कैसे बस गए? इनमें से कई इतनी दूर जाकर जम्मू में बस गए. क्या इसके पीछे भी कोई सियासी साजिश है? सुरक्षा agencies इस समुदाय को देश के लिए खतरा मानती है. इतने facts को जानने के बावजूद कांग्रेस के कुछ नेता इन मुसलमानों के प्रति अपने दिल में soft corner रखते हैं. रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर करने को लेकर भारत सरकार के इस फैसले पर वे आश्चर्य प्रकट करते नज़र आ रहे हैं. उनका कहना है कि ये समुदाय मुसलमान है इसलिए इन्हें भारत से बाहर फेका जा रहा है. अब सवाल उठता है कि क्या देश की सुरक्षा की कीमत पर सियासत हो रही है?
यह मामला अन्तर्राष्ट्रीय है और इसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ही हल करना चाहिए. किसी भी समुदाय को शरणार्थी बनाने से पहले भारत को उसके हर प्रभाव या दुष्प्रभाव के बारे में शांत दिमाग से विचार करना होगा.