नियम 373, 374 और 374A – लोकसभा में सांसद का निलंबन

Sansar LochanIndian Constitution

कांग्रेस के सात सांसदों को हाल ही में लोकसभा से उनके अभद्र व्यवहार के चलते निलंबित कर दिया गया. इसके लिए ध्वनि मत से प्रस्ताव पारित किया गया. आइये जानते हैं क्या हैं नियम 373, नियम 374 और नियम 374A.

लोकसभा का अध्यक्ष एक सांसद को निलंबित क्यों करता है?

यह सामान्‍य नियम है कि लोकसभा की कार्यवाही सुचारू रूप चले उसके लिए लोकसभा का अध्‍यक्ष जिम्मेदार है. यदि कोई सांसद संसद में अभद्र व्यवहार करता पाया जाता है तो लोकसभा के अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह उस सदस्य को किसी ख़ास समय तक संसदीय कार्यवाही से दूर रखे. इसके लिए लोकसभा का अध्यक्ष उस सदस्य को निलंबित कर देता है.

वे कौन से नियम हैं जिनके तहत अध्यक्ष को निलम्बन का अधिकार दिया गया है?

नियम संख्या 373

  • नियम संख्‍या 373 के तहत अगर लोकसभा अध्‍यक्ष को प्रतीत होता है कि किसी सदस्‍य का सदन में बर्ताव सदन को चलाने में पूर्ण रूप से बाधक बन रहा है तो वह उस सदस्‍य को त्वरित रूप से सदन से बाहर करा सकते हैं और उस सांसद को पूरे दिन के लिए कार्यवाही में सम्मिलित होने से रोक सकते हैं.
  • परन्तु सदस्‍य फिर भी नहीं संभलें या मामला अति गंभीर हो तो लोकसभा अध्‍यक्ष नियम 374 और 374ए के अंतर्गत कदम उठा सकते हैं.

नियम संख्या 374

  • नियम संख्या 374 के अनुसार, लोकसभा अध्‍यक्ष संसद की गरिमा में बाधा पहुँचाने वाले उस सदस्‍य (एक या अधिक) के नाम का ऐलान कर सकते हैं, जिसने/जिन्होंने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियमों का उल्‍लंघन किया हो और सोच-समझकर कर अपने व्यवहार से सदन की कार्यवाही में बाधा पहुँचाई हो.
  • जब लोकसभा अध्‍यक्ष ऐसे सांसद/सांसदों के नाम ऐलान करते हैं, तो वह एक प्रस्‍ताव सदन के पटल पर रखते हैं. इस प्रस्‍ताव में हो-हल्ला मचाने वाले सांसद का नाम लेते हुए उसके निलंबन की बात कही जाती है.
  • निलम्बन की अवधि का भी जिक्र होता है. यह अवधि अधिकतम सत्र की समाप्‍त‍ि तक की हो सकती है.
  • सदन चाहे तो वह किसी भी समय इस प्रस्‍ताव को रद्द करने का आग्रह भी कर सकता है.
  • इस नियम के अंतर्गत निलम्बित सदस्‍य को निलम्बन की अवधि में सदन की कार्यवाही में किसी प्रकार से सम्मिलित होने का अधिकार नहीं रहता.

नियम 374A

  • लोक सभा के प्रक्रि‍या तथा कार्य-संचालन नि‍यमों के नि‍यम374 क में प्रावधान है कि‍ कि‍सी सदस्‍य द्वारा अध्‍यक्ष के आसन के नि‍कट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्‍य प्रकार से सभा की कार्यवाही में बाधा डालकर लगातार और जानबूझकर सभा के नि‍यमों का दुरूपयोग करते हुए घोर अव्‍यवस्‍था उत्‍पन्‍न कि‍ए जाने की स्‍थि‍ति‍ में अध्‍यक्ष द्वारा सदस्‍य का नाम लि‍ए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार पांच बैठकों के लि‍ए या सत्र की शेष अवधि‍ के लि‍ए, जो भी कम हो, स्‍वत: नि‍लंबि‍त हो जाएगा.
  • इस नियम का उपयोग पहली बार लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने 2013 में किया था.

सांसद के निलंबन को समाप्त करने की प्रकिया क्या है?

अध्यक्ष को किसी सांसद को निलम्बित करने का अधिकार है, परन्तु इस निलम्बन को वापस लेने का अधिकार उसके पास नहीं है. यह अधिकार सदन के पास जो चाहे तो एक प्रस्ताव के द्वारा निलम्बन वापस कर सकता है.

निलंबन का इतिहास

  • नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्व के कार्यकाल के दौरान जनवरी 2019 में 45 सांसदों को इस नियम के अंतर्गत निलंबित किया गया था. उस समय की लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजन ने हंगामा करने वाले TDP और अन्नाद्रमुक के 45 सांसदों पर कार्रवाईकी थी. उन्होंने लगातार 2 दिवसों में यह कार्रवाई की थी. प्रथम दिवस में 24 सदस्य 5 दिनों के लिए निलंबित किए गए थे और ठीक अगले दिन 21 सांसद चार दिनों के लिए निलंबित किए गए.
  • फरवरी 2014 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्षा मीरा कुमार के द्वारा अविभाजित आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों का निलंबन कर दिया गया. ये सांसद तेलंगाना राज्य के अस्तित्व को लेकर आये प्रस्ताव का समर्थन या विरोध कर रहे थे. मीरा कुमार ने अगस्त 2013 में 12 सांसदों को पाँच दिवसों के लिए निलंबित कर दिया था. मीरा कुमार ने अप्रैल 2012 में 8 सांसदों को निलंबित किया था.
  • मार्च 1989 में राजीव गांधी सरकार के दौरान 63 सांसदों को तीन दिनों के लिए निलंबित किया गया था. सांसदों के निलंबन की संख्या के हिसाब से यह सबसे बड़ी कार्रवाई थी.

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