सदियों से नदियों का प्रयोग माल और जन-परिवहन के लिए किया जाता रहा है. आज भी नदियों के जरिये भारी सामानों की ढुलाई सड़क या रेल के मुकाबले सस्ती और कम प्रदूषण फैलाने वाली होती है. एक सदी पहले तक गंगा नदी भी एक व्यस्त जलमार्ग थी. रेलवे के विकास के साथ इसका प्रयोग लगभग ख़त्म ही हो गया है. लेकिन अब स्थिति बदल रही है. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वप्न को सागरमाला एवं जल मार्ग विकास द्वारा साकार करने का प्रयास तेजी से जारी है. चलिए जानते हैं सागरमाला परियोजना (Sagar Mala Project) के details in Hindi.
सागरमाला परियोजना
गंगा नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग का विकास इसी प्रयास का हिस्सा है. हालाँकि प्रयाग से हल्दिया तक लगभग 1620 किमी. के हिस्से को 1986 में ही राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया जा चुका था. लेकिन इसके विकास की गति बहुत ही धीमी थी. परन्तु वर्तमान सरकार के आने के बाद इस जलमार्ग के विकास के लिए समग्र प्रयास किये जा रहे हैं.
- जलमार्ग विकास परियोजना के तहत पहले चरण में राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (National Waterway-1) के वाराणसी से हल्दिया तक 1390 km. हिस्से को विश्व बैंक के तकनीकी और आर्थिक सहयोग से विकसित किया जा रहा है.
- इस परियोजना की लागत 5369 करोड़ रु. है.
- इसके तहत जलमार्ग सुधार, जैसे – नदी की गहराई और चौड़ाई बढ़ाना (क्रमशः 3 मीटर और 45 मीटर), नौ-वहन साधनों का विकास किया जाना है.
- वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में multi-model terminal का निर्माण किया जाना है.
- तटबंध सुरक्षा सबंधी कार्य तथा LNG (liquified natural gas) से चलने वाली जलयानों की आवाजाही से जुड़ी सुविधाओं का विकास किया जाएगा.
- राष्ट्रीय जलमार्ग 1 उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश से जोड़ेगा ही, साथ ही इन राज्यों को 882 km. लम्बे राष्ट्रीय जलमार्ग 2 के जरिये उत्तर-पूर्वी भारत से भी जोड़ देगा.
राष्ट्रीय जलमार्ग 1 के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं ने आकार लेना शुरू कर दिया है. वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में multi-model terminal में निर्माण की स्थिति अलग-अलग चरणों में है. साथ ही गाजीपुर, कालूघाट में inter-model terminal बनाये जायेंगे. फरक्का में एक new navigation lock को भी निर्मित किया जा रहा है.
सागारमाला परियोजना के पूरा होने पर माल और जन-परिवहन के लिए एक सस्ता और बेहतरीन विकल्प उपलब्ध हो जायेगा.
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Source: The Hindu, PIB