Sansar Daily Current Affairs, 10 August 2021
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.
Topic : Nation observes 79th anniversary of Quit India movement
संदर्भ
8 अगस्त, 2021 को देशवासियों ने भारत छोड़ो आंदोलन की 79वीं वर्षगांठ मनाई. 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी. इसी भाषण के दौरान उन्होंने “करो या मरो” का नारा भी दिया.
भारत छोड़ो आंदोलन
भारत के इतिहास में 1942 की अगस्त क्रान्ति (August Revolution) एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस क्रांति का नारा था “अंग्रेजों भारत छोड़ो (Quit India)“ और सचमुच ही एक क्षण तो ऐसा लगने लगा कि अब अंग्रेजों को भारत से जाना ही पड़ेगा. द्वितीय विश्वयुद्ध (Second Word War) में जगह-जगह मित्रराष्ट्रों की पराजय से अंग्रेजों के हौसले पहले से ही चूर हो गए थे और उस पर यह 1942 की क्रांति. ऐसा लगने लगा कि अंग्रेजी साम्राज्य अब टूट कर बिखरने ही वाला है. अंग्रेजों ने भारतीयों से सहायता पाने के लिए यह प्रचार किया कि भारतीय स्वयं ही अपने देश के मालिक हैं और उन्हें आगे बढ़कर अपने देश की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि भारत पर भी जापानी आक्रमण का खतरा बढ़ गया था. 1942 ई. में जब जापान प्रशांत महासागर को पार करता हुआ मलाया और बर्मा तक आ गया तो ब्रिटेन ने भारत के साथ समझौता कर लेने की बात पर विचार किया. अंग्रेजों को डर था कि कहीं जापान भारत पर भी आक्रमण न कर दे.
लेकिन गाँधीजी का विचार था कि अंग्रेजों की उपस्थिति के कारण ही जापान भारत पर आक्रमण करना चाहता है, इसलिए उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने तथा भारतीयों के हाथ में सत्ता सौंपने की माँग की. यदि ब्रिटिश सरकार भारतीयों के हाथ में सत्ता सौंपने के लिए तैयार हो जाती तो भारत युद्ध में सहायता दे सकता था.
अंग्रेज इसके लिए तैयार नहीं थे. अतः आन्दोलनकारियों ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने की धमकी दी. कई कांग्रेसी नेताओं का विचार था कि जापानी खतरे को देखते हुए इस आन्दोलन का यह सही समय नहीं था. मौलाना आजाद भी गाँधीजी से सहमत नहीं थे. 1942 ई. में वर्धा में कांग्रेस की बैठक हुई और गांधीजी तथा सरदार पटेल के प्रयास से “अहिंसक विद्रोह (Nonviolent protest)” का कार्यक्रम पारित हुआ. पुनः 8 अगस्त, 1942 ई. को अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में बम्बई कांग्रेस महासमिति की बैठक हुई जिसमें भारत छोड़ो प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई.
बहुत बड़े पैमाने पर सामूहिक संघर्ष शुरू करने की बात प्रस्ताव में घोषित की गई थी. सरकार ने जन-संघर्ष के शुरू होने की प्रतीक्षा नहीं की. रातों-रात गाँधीजी और देश के अन्य नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया. गाँधीजी को पूना के आगा खां महल में भेज दिया गया. महादेव भाई, कस्तूरबा, श्रीमती नायडू और मीराबेन को भी बंद कर दिया गया. लेकिन नेताओं के जेल चले जाने से भारत चुप नहीं हो गया. “करो या मरो (Do or Die)” का नारा लोगों ने अपना लिया था. हर जगह प्रदर्शन किये जा रहे थे. सारे देश में हिंसक कार्यवाही फूट पड़ी थी. लोगों ने सरकारी इमारतें जला दीं. सारे देश में हड़तालें हो रही थीं और उपद्रव फ़ैल गए थे. वायसराय लिनलिथगो (Viceroy Linlithgow) ने इसका सारा दोष गाँधीजी पर मढ़ दिया. उसने कहा कि गाँधीजी ने हिंसा को निमंत्रण दिया है.
इसी दौरान कस्तूरबा की मौत हो गयी और गाँधीजी को भी मलेरिया हो गया. वह गंभीर रूप से बीमार हो गए. भारतीय जनता ने कहा कि उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए. अधिकारियों ने यह सोचकर कि वह मृत्यु-शैया पर हैं, उन्हें और उनके साथियों को रिहा कर दिया.
असफल प्रयास
हालाँकि अगस्त आन्दोलन/Quit India Movement सफल नहीं हो सका और भारत को स्वतंत्रता नहीं दिला सका. लेकिन फिर भी भारत के अन्य आन्दोलनों की तुलना में यह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण साबित हुआ. इस आन्दोलन ने जन-अन्सतोष को चरम बिंदु पर पहुँचा दिया. यह क्रान्ति अत्याचार और दमन के विरुद्ध भारतीय जनता का विद्रोह था जिसकी तुलना हम वास्तिल के पतन (fall of Bastille) या रूस की अक्टूबर क्रान्ति से कर सकते हैं. अब औपनिवेशिक स्वराज्य की बात बिल्कुल ख़त्म हो गई तथा अंग्रेजों का भारत छोड़कर जाना निश्चित हो गया और हमें पाँच वर्षों के अन्दर ही आजादी मिल गई.
अगस्त-आन्दोलन – कारण
अगस्त-आन्दोलन कोई आकस्मिक घटना नहीं थी. आन्दोलन प्रारम्भ करने के पीछे कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख करना आवश्यक है.
- सर्वप्रथम क्रिप्स योजना से ब्रिटिश सरकार का रवैया स्पष्ट हो गया था. इंग्लैंड भारत में सही ढंग से संवैधानिक गतिरोध को दूर करना नहीं चाहता था. क्रिप्स-प्रस्ताव के माध्यम से सरकार यह सिद्ध करना चाहती थी कि कांग्रेस भारत की आम जनता की प्रतिनिधि संस्था नहीं है. भारत में एकता का अभाव है. अतः सत्ता का हस्तान्तरण संभव नहीं है.
- भारत पर जापानी आक्रमण की आशंका बढ़ गई थी. सिंगापुर, मलाया और बर्मा को छोड़ने के लिए अंग्रेजों को विवश हो जाना पड़ा. बंगाल छोड़ने के पहले सत्ता भारतीयों के हाथ में हस्तांतरित करने के लिए अगस्त-आन्दोलन प्रारम्भ किया गया था.
- बर्मा पर जापानी आक्रमण के समय शरणार्थियों के साथ अंग्रेजी सरकार ने भेदभाव की नीति अपनाई थी. भारतीयों को कष्टदायक स्थिति में रखा जा रहा था और भारतीय सैनिकों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था. भारतीयों के साथ ब्रिटिश सरकार के व्यवहार से क्षुब्ध होकर गाँधी ने अगस्त-आन्दोलन की घोषणा की.
- पूर्वी बंगाल में सरकार ने आतंक का राज्य कायम कर रखा था. सैनिकों को रखने के लिए बलपूर्वक घर खाली करवा लिया गया था. बिना मुआवजा दिए भूमि अर्जित कर ली गई थी. सरकार की तानाशाही के विरोध में आन्दोलन प्रारम्भ करना आवश्यक हो गया था.
- युद्धकाल में भारत की स्थिति संकटपूर्ण बन गई थी. मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हुई. कागजी मुद्रा का प्रचार हुआ. जन-साधारण को जीवनयापन में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. अतः आर्थिक असंतोष हिंसक क्रान्ति का रूप ले सकता था. ऐसी अवस्था में गांधीजी ने भारत छोड़ो आन्दोलन की घोषणा की और भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए “करो या मरो” का मन्त्र दिया.
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[Quiz] अगस्त प्रस्ताव: भारत छोड़ो आन्दोलन
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation and biodiversity related issues.
Topic : Sundarbans
संदर्भ
हाल ही में पूर्वी भारत और बांग्लादेश में आए चक्रवात “यास” के बाद वितरित की गई राहत सामग्री की कई टन प्लास्टिक ‘सुंदरबन‘ के मैंग्रोव वनों में फ़ैल गई है. जादवपुर विश्विद्यालय के स्कूल ऑफ़ ओशियनोग्राफी के अनुसार यह प्लास्टिक कचरा सुंदरबन की पारिस्थितिकी को दीर्घकालिक क्षति पहुँचायेगा. यह न केवल लवणीय जल को जहरीला बनाएगा बल्कि जल के सुपोषण (eutrophication) में भी वृद्धि होगी.
सुपोषण (Eutrophication)
तटीय पारिस्थितिकी में पोषक तत्त्वों का अत्यधिक जमाव को सुपोषण (eutrophication) कहते हैं. सुपोषण (eutrophication) एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें कुछ प्रदूषकों में उपस्थित नाइट्रोजन की उच्च मात्रा समुद्र की सतह पर विकसित होती है और स्वयं को शैवाल के रूप में परिवर्तित कर देती है और मछली, पौधों और पशु प्रजातियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है.
सुंदरबन क्या है?
- सुंदरबन 10,000 हजार वर्ग किलोमीटर की वह दलदली भूमि है जो बांग्लादेश और भारत दोनों में स्थित है. यहाँ विश्व का सबसे बड़ा मैन्ग्रोव जंगल है जहाँ के समृद्ध जैव तंत्र में सैंकड़ों पशु प्रजातियाँ फलती-फूलती हैं. बंगाल टाइगर भी इन प्रजातियों में से एक है.
- सुंदरबन में सैंकड़ों द्वीप हैं. साथ ही यहाँ गंगा के डेल्टा और ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर नदियों, सहायक नदियों और नालों का एक जाल बिछा हुआ है.
- भारत के दक्षिण-पश्चिम डेल्टा क्षेत्र में अवस्थित भारतीय सुंदरबन देश में पाए जाने वाले सम्पूर्ण मैन्ग्रोव जंगल क्षेत्र का 60% है.
- सुंदरबन भारत का 27वाँरामसर साईट है जो अपने 4 लाख 23 हजार हेक्टर क्षेत्र के कारण देश की सर्वाधिक बड़ी सुरक्षित आर्द्र भूमि है.
- भारतीय सुंदरबन UNESCO का एक वैश्विक धरोहल स्थल भी है जो रॉयल बंगाल टाइगर की निवास भूमि है. इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विरले और वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त प्राणी भी रहते हैं, जैसे – विकट रूप से संकटग्रस्त बाटागुर बस्का (northern river terrapin), संकटग्रस्त इरावदी सूँस (Orcaella brevirostris), संकटप्रवण मछलीमार बिल्ली (Prionailurus viverrinus).
- विश्व में पाए जाने वाले घोड़े के नाल के आकार वाले केंकड़ों की दो प्रजातियाँ और भारत में पाए जाने वाले 12 प्रकार के किंगफिशरों में आठ यहाँ पाए जाते हैं. हाल के अध्ययनों में दावा किया गया है कि भारतीय सुंदरबन में 2,626 प्रकार की पशुप्रजातियाँ रहती हैं.
रामसर क्या है?
- रामसर आर्द्रभूमि समझौते (Ramsar Convention on Wetlands) को 1971 में इरान के शहर रामसर में अंगीकार किया गया.
- यह एक अंतर-सरकारी संधि है जो आर्द्रभूमि के संरक्षण और समुचित उपयोग के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्रदान करती है.
- भारत ने 1982 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए.
- भारत में आर्द्रभूमि के संरक्षण के मामलों के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु-परवर्तन मंत्रालय नोडल मंत्रालय घोषित है.
- विदित हो कि भारत में सम्पूर्ण भूमि के 4.7% पर आर्द्रभूमि फैली हुई है.
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GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Infrastructure.
Topic : Dam Rehabilitation and Improvement Project (DRIP)
संदर्भ
भारत सरकार, केंद्रीय जल आयोग, 10 भागीदार राज्यों के सरकारी प्रतिनिधियों और विश्व बैंक के बीच इस 250 मिलियन डॉलर की परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
इसका उद्देश्य बांध सुरक्षा एवं लचीलेपन को सुदृढ़ करना है. केंद्रीय जल आयोग (CWC) इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय एजेंसी है.
DRIP-2 के उद्देश्य
- बांध परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण का समावेश करना. यह दृष्टिकोण प्राथमिकता वाले बांधों की सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए वित्तीय संसाधनों को प्रभावी रूप से आवंटित करने में सहायता प्रदान करेगा.
- बांध सुरक्षा दिशा-निर्देशों का निर्धारण करना और वैश्विक मानक विकसित करना.
- बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली स्थापित करना और जलाशय संचालनों को एकीकृत करना.
- नदी के अनुप्रवाह की दिशा में अधिवासित अतिसंवेदनशील समुदायों की सहायता हेतु आपातकालीन कार्य योजना तैयार करना.
- फ्लोटिंग सोलर पैनल जैसी अनुपूरक राजस्व सृजन योजनाओं का उपयोग करना.
DRIP क्या है?
DRIP एक छह वर्षीय परियोजना है जिसे भारत सरकार का जल संसाधन मंत्रालय विश्व बैंक के सहयोग से कार्यान्वित कर रहा है. इस परियोजना का समन्वयन और पर्यवेक्षण केन्द्रीय जल आयोग के केन्द्रीय बाँध सुरक्षा संगठन के द्वारा हो रहा है. इसके लिए वह संगठन एक परामर्शी प्रतिष्ठान की सहायता ले रहा है.
लक्ष्य
- DRIP का फुल फॉर्म है –Dam Rehabilitation and Improvement Project.
- DRIP को भारत में विश्व बैंक की सहायता से जल संसाधन मंत्रालय द्वारा लागू किया गया था.
- शुरू में यह परियोजना केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के 223 बाँधों के लिए थी, परन्तु बाद में इसमें कर्नाटक, उत्तराखंड और झारखंड भी शामिल कर लिए गए जिससे बाँधों की योग संख्या 250 हो गयी.
- ड्रिप के मुख्य उद्देश्य हैं – चुनिन्दा बांधों की सुरक्षा और सक्षमता में सुधार, भाग लेने वाले राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा से सम्बंधित संस्थागत निर्माण को मजबूत बनाना.
- सात ड्रिप राज्य हैं– झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड.
भारत में बाँध की स्थिति
- बड़े बांधों की संख्या के अनुसार चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा स्थान है.
- भारत में बड़े बांधों की संख्या 5264 है, जबकि 437 बड़े बांध निर्माणाधीन हैं. इन बांधों द्वारा जल की कुल भंडारण क्षमता लगभग 283 बिलियन घन मीटर है.
- हमारे लगभग 80 प्रतिशत बड़े बांध 25 वर्षों से अधिक पुराने हैं. लगभग 209 बांध 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. इन बांधों का निर्माण ऐसे दौर में किया गया था जब डिजाइन और सुरक्षा संबंधी मानकों का स्तर वर्तमान युग की तुलना में काफी नीचे था.
कृषि, ग्रामीण, शहरी क्षेत्र में जल सुरक्षा और सतत विकास के साथ-साथ औद्योगिक विकास के क्षेत्र में इन बांधों की महत्वपूर्ण भूमिका है. स्वतंत्रता के समय से लेकर भारत सरकार के लिए ये प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल रहे हैं. पिछले 70 वर्षों से अधिक समय में भारत ने इस महत्त्वपूर्ण सुविधा पर काफी धनराशि लगाई है. खाद्य, ऊर्जा और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सूखे तथा बाढ़ में कमी लाने के क्रम में, जलाशयों के सीमित जल के भंडारण और प्रबंधन के लिए यह आवश्यक भी है.
बाँध प्रबंधन में सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम GS Paper 4 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Ethical concerns and dilemmas in government and private institutions. संदर्भ जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरी, पासपोर्ट देने से पहले प्रदर्शन में संलिप्त होने की जाँच जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा हाल ही में जारी एक सर्कुलर के अनुसार किसी व्यक्ति को पासपोर्ट या सरकारी नौकरी देने से पहले उसके किसी हिंसा, प्रदर्शन में शामिल होने/न होने की जाँच की जानी चाहिए. अब पत्थरबाजी जैसी गतिविधियों में शामिल होने वालों को न तो सरकारी नौकरी मिलेगी और न ही इन्हें पासपोर्ट मिल सकेगा. पथराव और अन्य विध्वंसक गतिविधियों में शामिल लोगों को पासपोर्ट एवं सरकारी सेवाओं के लिए सुरक्षा मंजूरी न देना केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन का स्वागतयोग्य कदम है. यह एक बड़ा कदम है तथा यह देश के खिलाफ षड्यंत्र करने वालों और फिर बचने के लिए विदेश भाग जाने वालों के लिए एक बड़ा झटका है. जम्मू कश्मीर से पहले ही बिहार सरकार उपद्रवियों और प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई कर चुकी है. जम्मू कश्मीर में कुछ ‘‘राष्ट्र विरोधी ताकतें’’ हैं जो आतंकवाद और पाकिस्तान के समर्थक हैं. वे देश से भागने के लिए पासपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं और सरकारी नौकरियां तथा विकास परियोजनाओं के ठेके प्राप्त करने में भी कामयाब हो जाते हैं। नए आदेश के अनुसार, उनको सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलेगी जो एक अच्छा कदम है तथा यह ऐसे तत्वों के लिए एक बड़ा झटका सिद्ध होगा. कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर तोड़ने के बाद प्रशासन ने स्थानीय युवाओं को जिहादी तत्वों के दुष्प्रचार से बचाने व उनका भविष्य संवारने के लिए दस्तक कार्यक्रम शुरु किया है. इस कार्यक्रम के पहले वर्ष में शोपियां में करीब दो हजार युवाओं को चिन्हित कर उन्हें स्वरोजगार प्रदान किया जाएगा. कोई भी युवा न छूटे, किसी के लिए स्वरोजगार घाटे का सौदा न बने, इसके लिए राजस्व विभाग के अधिकारी विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर प्रत्येक गांव में युवाओं के कौशल, उनकी शैक्षिक योग्यता का पूरा प्रोफाइल भी तैयार करेंगे. Neeraj Chopra :- Tokyo Olympics 2021 ended on 8th Aug :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi July,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Download इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : Circumscription: on security clearances for passport or government jobs
मुख्य तथ्य
मेरी राय – मेंस के लिए
Prelims Vishesh