Sansar Daily Current Affairs, 01 February 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Salt Satyagraha Memorial
संदर्भ
हाल ही में महात्मा गाँधी की 71वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गुजरात के नवसारी जिले के दांडी में राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक का लोकार्पण किया गया.
इस स्मारक में महात्मा गाँधी के आदर्शों, यथा – स्वदेशी आग्रह, स्वच्छता आग्रह और सत्याग्रह का वर्णन एवं चित्रण हुआ है.
महत्ता
इस स्मारक का उद्देश्य राष्ट्र के लोगों द्वारा स्वतंत्रता के लिए किये गये बलिदानों का स्मरण दिलाना है. साथ ही यह गाँधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले सत्याग्रहियों के प्रति श्रद्धांजलि भी है. आशा की जाती है कि यह स्मारक पर्यटकों को आकर्षित करेगा.
नमक सत्याग्रह क्या था?
मार्च 12, 1930 को महात्मा गाँधी ने गुजरात के अहमदाबाद में स्थित साबरमती आश्रम से ऐतिहासिक नमक यात्रा आरम्भ की थी. यात्रा के अंत में वे दांडी नामक तटीय गाँव में पहुँचे थे और वहाँ ब्रिटिशों द्वारा नमक पर लगाये गये अत्यंत बढ़े हुए कर का विरोध किया था.
यह नमक यात्रा मार्च 12, 1930 से लेकर अप्रैल 6, 1930 तक चली. 24 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा हिंसारहित रही और इसका यह ऐतिहासिक महत्त्व है कि इसके उपरान्त देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का सूत्रपात हो गया.
दांडी के समुद्र तट पर पहुँच कर महात्मा गाँधी ने अवैध रूप से नमक बनाकर क़ानून अवहेलना की. इनके देखा-देखी पूरे भारत में लाखों लोगों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन किया जिसमें नमक बनाकर अथवा अवैध नमक खरीद कर नमक कानूनों को तोड़ा गया.
ऐतिहासिक भूमिका
उस समय ब्रिटिशों ने भारतीयों को नमक बनाने और बेचने से मना कर दिया था. यही नहीं, भारतीयों को नमक जैसे मुख्य खाद्य पदार्थ को ब्रिटिशों से खरीदने के लिए विवश कर दिया था. इस प्रकार जहाँ ब्रिटिशों को नमक बनाने और बेचने का एकाधिकार प्राप्त हो गया था, वहीं वे भारी नमक कर भी लगा रहे थे. नमक यात्रा ब्रिटिशों के इस अत्याचार के विरुद्ध एक जन-आन्दोलन में बदल गया.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Polar vortex
संदर्भ
इस शरत्काल में अमेरिका के मध्य और पूर्वी भागों में कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है, जिसके कारण वहाँ के निवासी घर के अंदर दुबके रहने के लिए विवश हो गये हैं और पाठशालाएँ और व्यवसाय केंद्र बंद कर दिए गये हैं. विमान सेवाएँ भी रद्द कर दी गई हैं. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सब ध्रुवीय भँवर के चलते हो रहा है.
ध्रुवीय भँवर (polar vortex) क्या है?
- ध्रुवीय भँवर ध्रुवों के ऊपर बनने वाला निम्न-दबाव का एक चक्करदार शंकु होता है जो शरत काल में सबसे प्रबल रहता है. इसका कारण ध्रुवीय क्षेत्रों और अमेरिका और यूरोप जैसे मध्य-अक्षांशीय क्षेत्रों के बीच बढ़ा हुआ तापान्तर होता है.
- ध्रुवीयभँवर समताप मंडल में चक्कर मारता है. विदित हो कि समताप मंडल वायुमंडल की वह परत है जो भूमि से 10-48 किमी. ऊपर होता है और जिसके नीचे क्षोभमंडल होता है जहाँ कि जलवायु से सम्बंधित घटनाएँ सर्वाधिक होती हैं.
- जब यह भँवर सबसे अधिक शक्तिशाली होता है तो साधारणतः यह एक ऐसी दीवार बना देता है जो मध्य- अक्षांशीय क्षेत्रों को ठंडी आर्कटिक हवाओं से बचाती है.
- परन्तु, कई बार ऐसे होता है कि ध्रुवीय भँवर (पोलर वर्टेक्स) छिन्न-भिन्न होकर कमजोर हो जाता है. ऐसा निचले वायुमंडल से ऊपर की ओर उठती हुई तरंग ऊर्जा के कारण होता है. ऐसा होने पर समताप मंडल तेजी से कुछ ही दिनों में गर्म हो जाता है.
- इस गर्मी के कारण ध्रुवीय भँवर और भी कमजोर हो जाता है और यह ध्रुवों से तनिक दक्षिण की ओर खिसक जाता है. कभी-कभी तो यह भँवर कई छोटे-छोटे भँवरों में बँट जाता है. इन छोटे भँवरों को“बहन भँवर (sister vortex)” कहते हैं.
प्रभाव
- वायुमंडल में ऊपर ध्रुवीय भँवर के टुकड़े होने पर पूर्वी अमेरिका के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी यूरोप में तापमान में गिरावट आ जाती है और वहाँ विकट सर्दी का मौसम छा जाता है.
- समताप मंडल के अचानक गर्म हो जाने से आर्कटिक भी गर्म हो जाता है. आर्कटिक गर्म हो जाने से उत्तरी गोलार्द्ध के मध्य-अक्षांशीय क्षेत्रों (पूर्वी अमेरिका सहित) में कड़ाके की ठण्ड पड़ती है.
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : The President’s address to both Houses of Parliament
संदर्भ
बजट सत्र के आरम्भ में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति के द्वारा संसद के एक संयुक्त अधिवेशन में संभाषण करने की संवैधानिक परम्परा रही है. इस परिपाटी का अनुपालन करते हुए इस वर्ष भी 1 फरवरी को राष्ट्रपति का अभिभाषण हुआ.
इस विषय में संवैधानिक प्रावधान
संविधान की धारा 87(1) के अनुसार, आम चुनाव के पश्चात् होने वाले संसद के पहले सत्र के आरम्भ में और प्रत्येक वर्ष होने वाले पहले सत्र के आरम्भ में राष्ट्रपति संसद की एक संयुक्त बैठक में अभिभाषण करेंगे.
मूलतः संविधान में इस प्रकार के अभिभाषण का प्रावधान प्रत्येक सत्र के लिए किया गया था. संविधान में प्रथम संशोधन के द्वारा इसे बदल दिया गया और ऐसे अभिभाषण, जैसा कि ऊपर बताया गया है, मात्र नई लोकसभा के पहले सत्र में और प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र के आरम्भ में हुआ करते हैं.
अभिभाषण में क्या होता है?
राष्ट्रपति के अभिभाषण में मुख्य रूप से आगामी वर्ष के संदर्भ में सरकार की नीतियों, प्राथमिकताओं और योजनाओं की ओर ध्यान खींचा जाता है. यह अभिभाषण केन्द्रीय मंत्रिमंडल तैयार करता है. इसमें सरकार की कार्यसूची और काम करने की दिशा से सम्बंधित मोटे तौर पर जानकारी दी जाती है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Swadesh Darshan scheme
संदर्भ
सिक्किम की राजधानी गंगटोक के शून्य बिंदु (Zero Point) में स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत राज्य की पहली परियोजना का लोकार्पण हुआ.
इस परियोजना का औपचारिक नाम है – “पूर्वोत्तर परिपथ का विकास : रंगपो- रोराथांग- अरितर- फड़ामचेन- नाथंग-शेरथांग- त्सोंगमो- गंगटोक-फोडोंग- मंगन- लाचुंग-युमथांग- लाचेन- थंगु-गुरूदोंगमेर- मंगन- गंगटोक-तुमिनलिंगी- सिंगटाम.”
- इस परियोजना के अंतर्गत राज्य के प्रयटन मंत्रालय ने पर्यटन से सम्बन्धित कई अवसंरचनाओं का निर्माण किया है, जैसे – पर्यटक सूचना केंद्र, ध्यान केंद्र, जैविक पर्यावरण पर्यटन केंद्र, लकड़ी के कुंदों वाली झोपड़ियाँ, ज़िप लाइन आदि.
स्वदेश दर्शन योजना के बारे में
- जनवरी, 2015 में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की गई थी.
- यह योजना 100% केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है.
- इस योजना के लिए केन्द्रीय लोक उपक्रम और निगम क्षेत्र की कंपनियाँ CSR (Corporate Social Responsibility) के अंदर अपना वित्तीय सहयोग स्वैच्छिक रूप से करेंगी.
- प्रत्येक योजना के लिए दिया गया वित्त अलग-अलग राज्य में अलग होगा जो कार्यक्रम प्रबंधन परामर्शी (Programme Management Consultant – PMC) द्वारा तैयार किये गये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों (DPR) के आधार पर निर्धारित किया जायेगा.
- एक राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee – NSC) गठित की जाएगी. जिसके अध्यक्ष पर्यटन मंत्री होंगे. यह समिति इस मिशन के लक्ष्यों और योजना के स्वरूप का निर्धारण करेगी.
- कार्यक्रम प्रबन्धन परामर्शी की नियुक्ति मिशन निदेशालय (Mission Directorate) द्वारा की जायेगी.
- पर्यटन मंत्रालय ने देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की थी.
- इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे स्थानीय समुदाय हेतु रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
- योजना के अंतर्गत 13 विषयगत सर्किट के विकास हेतु पहचान की गई है, ये सर्किट हैं :- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेजर्ट सर्किट, आदिवासी सर्किट, पारिस्थितिकी सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और विरासत सर्किट.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Nuclear Suppliers Group
संदर्भ
चीन ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि आणविक आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत के प्रवेश पर उसकी आपत्ति यथावत् है क्योंकि आज तक ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि कोई देश आणविक अप्रसारण संधि पर हस्ताक्षर किये बिना इस समूह का सदस्य बन गया हो. यदि भारत को इस समूह में आना है तो चीन के अनुसार उसे आणविक अप्रसारण संधि पर हस्ताक्षर करने ही होंगे.
पृष्ठभूमि
NSG एक ऐसा विशिष्ट आणविक क्लब है जो आणविक व्यापार को नियंत्रित करता है. इसमें 48 देश शामिल हैं. भारत इसका सदस्य बनना चाहता है पर चीन उस प्रयास पर बार-बार कुठाराघात करता आया है.
NSG क्या है?
- आणविक आपूर्ति समूह (Nuclear Suppliers Group) एक बहुराष्ट्रीय निकाय है जिसका मुख्य उद्देश्य आणविक प्रसार को रोकना है.
- विदित हो कि इसकी स्थापना 1974 में भारत द्वारा आणविक विस्फोट (Smiling Buddha) करने पर की गई थी.
- NSG की पहली बैठक नवम्बर, 1975 में लन्दन में हुई थी. इसलिए इस समूह का एक प्रचलित नाम लन्दन क्लब भी है.
- यह कोई औपचारिक संगठन नहीं है और इसके द्वारा दिए गये मार्गनिर्देश बाध्यकारी नहीं हैं.
- यह समूह सदस्यता आदि विषयों में कोई भी निर्णय सर्वसहमति से लेता है.
- आज की तिथि में इस समूह में 48 सदस्य हैं.
- भारत 2008 से इस समूह का सदस्य बनने के लिए प्रयासरत है. पर हर बार उसके आवेदन को इस आधार पर रद्द कर दिया जाता है कि उसने आणविक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए.
- ज्ञातव्य है कि इस समूह की सदस्यता के लिए आणविक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है.
- परन्तु भारत को एक विशेष छूट दे दी गई है कि वह आणविक निर्यातक देशों से व्यापार कर सकता है.
- भारत इस आधार पर NSG का सदस्य बनने का दावा करता है कि उसका आणविक कार्यक्रम शुद्ध रूप से शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए है.
भारत का दावा इसलिए भी मजबूत दिखता है कि उसने आणविक परीक्षण पर स्वेच्छा से प्रतिबंध घोषित कर रखा है. उसका कहना है कि उसने आणविक हथियार शत्रुओं को युद्ध से रोकने के लिए निर्मित किये हैं और वह उनका प्रयोग तभी करेगा जब उसपर विनाशकारी हथियारों से आक्रमण किया जाएगा. इस प्रकार भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह एक जिम्मेवार आणविक शक्ति वाला देश है.
NSG की सदस्यता भारत के लिए महत्त्वपूर्ण क्यों?
- यदि भारत NSG का सदस्य बन जाता है तो उसे इस समूह के अन्य सदस्यों से नवीनतम तकनीक उपलब्ध हो जाएँगे. ऐसा होने से Make in India कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा और फलस्वरूप देश की आर्थिक वृद्धि होगी.
- पेरिस जलवायु समझौते में भारत ने यह वचन दे रखा है कि वह जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाएगा और इसकी ऊर्जा का 40% नवीकरणीय एवं स्वच्छ स्रोतों से आने लगेगा.
- इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें आणविक ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना होगा. यह तभी संभव होगा जब भारत की पहुँच NSG तक हो जाए.
- विश्व में यूरेनियम के चौथे बड़े उत्पादक देश नामीबिया ने भारत को 2009 में ही आणविक ईंधन देने का वचन दिया था पर वह वचन फलीभूत नहीं हुआ क्योंकि नामीबिया ने पेलिनदाबा संधि पर हस्ताक्षर कर रखे थे जिसमें अफ्रीका के बाहर यूरेनियम की आपूर्ति पर रोक लगाई गयी है.
- यदि भारत में NSG में आ जाता है तो नामीबिया भारत को यूरेनियम देना शुरू कर देगा.
- NSG का सदस्य बन जाने के बाद वह NSG के मार्गनिर्देशों से सम्बन्धित प्रावधानों के बदलाव पर अपना मन्तव्य रख सकेगा. ज्ञातव्य है कि इस समूह में सारे निर्णय सहमति से होते हैं और इसलिए किसी भी बदलाव के लिए भारत की सहमति आवश्यक हो जायेगी.
- NSG का सदस्य बन जाने के बाद भारत को आणविक मामलों में समय पर सूचना उपलब्ध हो जायेगी.
No First Use Policy के बारे में हमारा Sansar Editorial वाला यह आर्टिकल जरुर पढ़ें >> No First Use Policy
Prelims Vishesh
DIPP as Department for Promotion of Industry and Internal Trade :-
- भारत सरकार के औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग का नाम बदलकर औद्योगिक एवं आंतरिक वाणिज्य प्रोत्साहन विभाग कर दिया है.
- इसका मुख्य कार्य स्टार्ट-अप कंपनियों से जुड़े विषयों को देखना और व्यवसाय करने की सुगमता का प्रबंध करना आदि होगा.
- यह विभाग पहले की भाँति वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन होगा.
Carnot Prize :-
- केंद्र सरकार के रेलवे और कोयला मंत्री पीयूष गोयल को 2018 का कार्नो पुरस्कार दिया गया है.
- अमेरिका में स्थित क्लाइनमन ऊर्जा नीति केंद्र के द्वारा यह पुरस्कार ऊर्जा नीति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाता है.
- यह पुरस्कार फ़्रांस के वैज्ञानिक सैडी कार्नो के नाम पर है.
Goa introduces tags to protect biodiversity zones :-
- गोवा राज्य जैव विविधता बोर्ड ने हाल ही में एक टैगिंग प्रणाली बनाई है जिसका उद्देश्य जैव विविधता जोन में रहने वाले समुदायों को अपने लाभों से एक्सेस बेनिफिट शेयर (ABS) दिलवाना है.
- ज्ञातव्य है कि वन उत्पादों को संगृहीत कर बेचने वाले समुदायों को अपने वार्षिक लाभ में से 0.01% गोवा राज्य जैव विविधता बोर्ड को देना होता है और वह बोर्ड इस राशि से उस क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करता है जहाँ वन उत्पादों का संग्रहण होता है.
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