Sansar डेली करंट अफेयर्स, 01 January 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 01 January 2019


GS Paper 2 Source: Indian Express

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Topic : Mohan Reddy Committee

संदर्भ

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), हैदराबाद के चेयरमैन बी.वी. आर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में सरकार द्वारा गठित समिति ने हाल ही में अपना प्रतिवेदन समर्पित कर दिया है. विदित हो कि इस समिति का गठन देश में अभियांत्रिक शिक्षा के विस्तार के लिए मध्यकालिक और अल्पकालिक योजना प्रस्तुत करने के लिए किया गया था.

समिति के द्वारा दिए गये सुझाव पर AICTE द्वारा विचार किया जाएगा.

समिति की मुख्य अनुशंसाएँ

  • 2020 के बाद से नए कॉलेजों की स्थापना रोक दी जाए और उसके बाद हर दो वर्ष पर नई क्षमता के सृजन की समीक्षा हो.
  • यांत्रिक, विद्युत, सिविल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे परम्परागत अभियंत्रण पाठ्यक्रमों के लिए अब कोई नई सीट अनुमोदित नहीं की जाए. इसके स्थान पर इन क्षेत्रों में जो वर्तमान क्षमता है उसी को नई तकनीकों में रूपांतरित करने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
  • अभी चल रहे संस्थानों में अतिरिक्त सीटों का अनुमोदन AICTE तब ही करे जब सम्बन्धित संस्थान यह सिद्ध करे कि उसने अपनी क्षमता का उपयोग कर लिया है.
  • कृत्रिम बुद्धि, ब्लॉक चेन, रोबोटिक्स, क्वांटम कम्प्यूटिंग, डाटा विज्ञान, साइबर सुरक्षा तथा 3-D मुद्रण एवं रूपांकन के लिए अलग से स्नातक अभियंत्रण कार्यक्रम शुरू किये जायेंगे.

प्रतिवेदन के पीछे कारण

प्रत्येक वर्ष अभियंत्रण की आधी से अधिक सीटें खाली रह जाती हैं. 2016-17 में B.E/B.Tech की पढ़ाई 3,291 कॉलेजों में चल रही थी. इन कॉलेजों में कुल मिलाकर इसके लिए 15.5 लाख सीटें थीं. परन्तु 51% सीटों के लिए कोई उम्मीदवार नहीं आया. इसके अतिरिक्त, पारम्परिक अभियंत्रण, जैसे – यांत्रिक, विद्युत, सिविल और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उपलब्ध क्षमता का 40% ही उपयोग हो रहा है. दूसरी ओर, अभियंत्रण की दूसरी पढ़ाइयों में, जैसे – कंप्यूटर साइंस, कंप्यूटर अभियंत्रण, एयरो-स्पेस अभियंत्रण, मेकाट्रोनिक्स में 60% सीटें भरी हुई थीं.

वर्तमान व्यवस्था में कई बड़ी त्रुटियाँ हैं, जैसे – भ्रष्टाचार, ख़राब अवसंरचना; प्रयोगशालाएँ एवं शिक्षक वर्ग, उद्योगों के साथ तालमेल न होना तथा तकनीकी पारिस्थितिकी का अभाव. इन सब कारणों से जो भी छात्र स्नातक उत्तीर्ण कर रहे हैं, उनको नौकरी कम ही मिल पाती है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Convention on Biological Diversity (CBD)

हाल ही में भारत ने जैव-विविधता संधि (Convention on Biological Diversity – CBD) के लिए अपना छठा राष्ट्रीय प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया है.

ऐसा करके भारत विश्व के पहले पाँच देशों में से एक, एशियाई देशों में पहला और जैव-विविधता से समृद्ध अत्यंत विविधता वाले देशों में प्रथम देश बन गया है.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

  • यह प्रतिवेदन 20 वैश्विक ऐची जैव-विविधता लक्ष्यों (Aichi biodiversity targets) के आधार पर निर्धारित 12 राष्ट्रीय जैव-विविधता लक्ष्यों (NBT) पर हुई अद्यतन प्रगति का ब्यौरा प्रस्तुत करता है.
  • प्रतिवेदन के अनुसार भारत दो लक्ष्यों के मामले में बहुत आगे निकल चुका है जबकि आठ लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा में वह सही जा रहा है. शेष दो लक्ष्यों के लिए वह अपना पूरा प्रयास कर रहा है कि 2020 तक वे भी पूरे हो जाएँ.
  • प्रतिवेदन से पता चलता है कि भारत ने अनेक केन्द्रीय एवं राज्य विकास योजनाओं के माध्यम से जैव-विविधता पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष काफी निवेश कर रहा है. निवेश की यह दर 70 हजार करोड़ रू. प्रति-वर्ष है.

CBD क्या है?

  • जैव-विविधता संधि (CBD) एक बहुपक्षीय संधि है और यह विश्व में कानूनी रूप से बाध्यकारी है.
  • यह समझौता Rio Conference, 1992 में हस्ताक्षरित हुआऔर इसे 29 दिसम्बर, 1993 को लागू कर दिया गया.
  • इसके तीन प्रमुख लक्ष्य हैं – i) जैव विविधता का संरक्षण ii) जैव विविधता का अक्षय उपयोग iii) आनुवांशिक संसाधन के उपयोग से उत्पन्न लाभों की उचित एवं समान साझेदारी.
  • प्रशासी निकाय– इसके प्रशासी निकाय में उन सभी देशों के प्रतिनिधि होते हैं जिन्होंने इस संधि पर हस्ताक्षर किये होते हैं.
  • येसभी हर दूसरे वर्ष एक जगह बैठक कर के संधि की प्रगति की समीक्षा करते हैं तथा भविष्य की योजनाएँ तैयार करते हैं.
  • आज की तिथि तक 168 देश इस संधि पर दस्तखत कर चुके हैं.

भारत के लिए 2020 तक पूरा करने के लिए निर्धारित 12 राष्ट्रीय जैव-विविधता लक्ष्य

  1. देशवासियों, विशेषकर युवाओं को जैव-विविधता के महत्त्व से अवगत कराना.
  2. देश के केन्द्रीय एवं राज्य योजना निर्माण की प्रक्रिया, विकासात्मक कार्यक्रमों और गरीबी उन्मूलन रणनीतियों के साथ जैव-विविधता को जोड़ना.
  3. पर्यावरण में सुधार लाने और मानव कल्याण के लिए सभी प्राकृतिक आवासों के क्षय, खंडीकरण और नाश की दर को घटाने के लिए रणनीतियों को अंतिम रूप देते हुए उनपर कार्रवाई करना.
  4. बाहरी प्रजातियों और उनके आने-जाने के मार्गों का पता लगाना तथा उनकी संख्या को नियंत्रित करने की रणनीति के विषय में निर्णय लेना.
  5. कृषि, वानिकी और मत्यस्यपालन के सतत प्रबंधन के लिए उपाय अपनाना.
  6. उन क्षेत्रों को संरक्षित करना जहाँ विशेष प्रजातियाँ पाई जाती हों. ये क्षेत्र धरातलीय, तटीय, समुद्री और जलाशय क्षेत्र भी हो सकते हैं.
  7. उपजाए गये पौधों, खेती में काम आ रहे पशुओं और उनकी जंगली प्रजातियों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक रूप से मूल्यवान प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक उपाय करना.
  8. पारिस्थितिकी तन्त्र सेवाओं (eco-system services), विशेषकर जल, मानव-स्वास्थ्य, आजीविका एवं कल्याण से जुड़ी सेवाओं की गिनती करना और उनकी सुरक्षा के लिए उपाय करना.
  9. 2015 तक नागोया प्रोटोकॉल के अनुसार आनुवंशिक संसाधनों एवं उनके उपयोग के लाभों को उचित ढंग से वितिरित करने के लिए राष्ट्रीय कानून में आवाश्यक बदलाव लाना.
  10. प्रशासन के अलग-अलग स्तरों पर राष्ट्रीय जैव-विविधता की प्रतिभागितापूर्ण और अद्यतन योजना को कार्यान्वित करना.
  11. जैव-विविधता के विषय में समुदायों के पारम्परिक ज्ञान का उपयोग कर उसे सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय पहल करना.
  12. जैव-विविधता के लक्ष्य को पाने के लिए वित्तीय, मानवीय और तकनीकी संसाधनों में वृद्धि करना.

ऐची  लक्ष्य क्या हैं?

जैव-विविधता संधि (CBD) एक नागोया सत्र में जैव-विविधता के विषय में 20 लक्ष्यों का चयन किया गया था. इन्हीं लक्ष्यों को ऐची लक्ष्य कहा जाता है.

ये लक्ष्य इस प्रकार विभाजित हैं –

लक्ष्य A – जैव-विविधता के नाश के कारणों का पता लगाना.

लक्ष्य B – जैव-विविधता को प्रत्यक्ष क्षति से बचाना और उसके टिकाऊ उपयोग को बढ़ावा देना.

लक्ष्य C – पारिस्थितिकी तन्त्र, प्रजातियों और आनुवंशिक विविधता को बचाने के लिए जैव-विविधता में सुधार लाना.

लक्ष्य D – जैव-विविधता एवं जैव- पारिस्थितिकी सेवाओं का लाभ सब तक पहुँचाना.

लक्ष्य E – जैव-विविधता की समृद्धि के लिए प्रतिभागी योजना निर्माण, ज्ञान प्रबंधन एवं क्षमता संवर्धन के माध्यम से कार्यान्वयन करना.


GS Paper 3 Source: Economic Times

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Topic : NASA’s OSIRIS-Rex

संदर्भ

NASA का OSIRIS-Rex अन्तरिक्षयान अब क्षुद्र-ग्रह Bennu के परिक्रमा-पथ में प्रवेश कर गया है. इस प्रकार Bennu वह सबसे छोटा पदार्थ हो गया है जिसके चारों ओर एक मानव-निर्मित अंतरिक्ष यान चक्कर खाने लगा है.

OSIRIS-REx के विभिन्न कार्यक्रम

  • फरवरी-मध्य में बेनु की परिक्रमा करना तथा अपने पाँच वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से उसका साफ़-साफ़ नक्शा तैयार करना जिससे वैज्ञानिकों को पता लग सके कि नमूना कहाँ से लेना ठीक होगा.
  • यह 2023 तक पृथ्वी पर लौट जाएगा.

OSIRIS-REx अभियान क्या है?

  • OSIRIS-REx का full form है – Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, Security-Regolith Explorer.
  • यह NASA केNew Frontiers program का तीसरा अभियान है.
  • इसके पहले इस कार्यक्रम के तहत प्लूटो और वृहस्पति की ओर क्रमशः New Horizons और Juno नामक अन्तरिक्षयान छोड़े गये थे.

अभियान के वैज्ञानिक लक्ष्य

  • यह अन्तरिक्ष यान Bennu की कक्षा में तीन वर्ष रहेगा और उस क्षुद्रग्रह की थाह लेने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेगा.
  • OSIRIS-REx Bennu उल्कापिंड का नक्शा तैयार करेगा और वह जगह चुनेगा जहाँ से वह नमूने जमा करेगा.
  • यह अन्तरिक्ष यान उस उल्कापिंड की सतह पर फैलेregolith नामक मिट्टी जैसे पदार्थ का नमूना लेगा.
  • रेगोलिथ का नमूना लेने के लिए यह अन्तरिक्षयान मात्र 5 सेकंड के लिए उल्कापिंड की सतह पर आएगा और नाइट्रोजन गैस का विस्फोट करके regolith में हलचल पैदा करेगा जिससे कि वह उसको चूसकर अपने अन्दर संगृहीत कर सके.
  • इसके लिए अन्तरिक्षयान में इतना nitrogen जमा कर दिया गया है जिससे तीन बार विस्फोट किया जा सके.
  • NASA को आशा है कि वह 60 से लेकर 2000 ग्राम रेगोलिथ धरती पर लाया सकेगा.

Bennu ही क्यों?

OSIRIS-REx मिशन के लिए Bennu को 5 लाख ज्ञात क्षुद्रग्रहों में से चुना गया था जिसके मुख्य कारण ये हैं –

  • पृथ्वी से निकटता
  • Bennu की कक्षापृथ्वी की कक्षा के समान है. ज्ञातव्य है कि पृथ्वी से अपेक्षाकृत निकट 7,000 क्षुद्रग्रहों में से 200 ही ऐसे क्षुद्रग्रह पृथ्वी के समान हैं और उनमें Bennu एक है.
  • छोटे-छोटे क्षुद्र का व्यास 200 meter से कम का है जिसके कारण ये बड़े क्षुद्र ग्रहों की तुलना में अधिक तेजी से घूमते हैं. परिणामतः इसका regolith पदार्थ अन्तरिक्ष में बिखर सकता है. किन्तु दूसरी ओर Bennu का व्यास 500 meter का है, इसलिए यह इतना धीरे घूमता है कि इसकी रेगोलिथ उसके भूमि-तल पर टिका रह जाता है.
  • Bennu की बनावट: – Bennu एक प्राथमिक क्षुद्रग्रह है अर्थात् 4 बिलियन वर्ष पहले सौरमंडल के बनने के समय से इसमें कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है. इसमें कार्बन भी बहुत है जिसका अभिप्राय यह हुआ है कि इसमें ऐसे जैव-अणु (organic molecules) भी हो सकते हैं.
  • Bennu के बारे में एक और रोचक तथ्य यह है कि यह पृथ्वी के लिए खतरनाक है. प्रत्येक छठे वर्ष Bennu की कक्षा उसको पृथ्वी के 2 लाख मील के अन्दर ले आती है. इसका अर्थ यह हुआ है कि 22वीं शताब्दी के अंतिम भाग में बहुत करके यह हो सकता है कि यह क्षुद्र ग्रह पृथ्वी से टकरा जाए.

GS Paper 3 Source: Times of India

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Topic : NASA’s New Horizons

संदर्भ

जनवरी 1, 2019 को NASA का New Horizons अन्तरिक्षयान वह पहला टोही अन्तरिक्षयान बन गया जो पृथ्वी से चार बिलियन मील दूरी पर स्थित रहस्यमय पिंड अल्टिमा थूले (Ultima Thule) से होकर गुजरा. यह पिंड पृथ्वी से 6.6 बिलियन किलोमीटर की दूरी पर है.  इस प्रकार इसके पहले किसी भी अन्तरिक्षयान के द्वारा इतनी लम्बी दूरी पर स्थित पिंड तक यात्रा नहीं की गई थी.

मुख्य तथ्य

  • अल्टिमा थूले सौर मंडल के अन्दर वरुण ग्रह के परिक्रमा पथ से भी आगे स्थित कुइपर बेल्ट (Kuiper belt)में स्थित है.
  • इसका व्यास 30 किलोमीटर है और इसका आकार अनियमित है.
  • इसका रंग लाल है जो करोड़ों वर्षों से इसके हाइड्रोकार्बनों पर धूप पड़ने से हुआ है.
  • अल्टिमा थूले कुइपर बेल्ट पर पाए जाने वाले उन पिंडों में से एक है जिसे वैज्ञानिक कोल्ड क्लासिकल्स कहते हैं.
  • इन पिंडों का परिक्रमा पथ लगभग गोल होता है और ये सूर्य के तल की ओर कम झुके रहते हैं.

इतिहास

न्यू होराइजन्स 19 जनवरी, 2006 को छोड़ा गया था और तब से यह यात्रा कर रहा है. इस अन्तरिक्षयान का मूल कार्य प्लूटो और चारोन की सतह का नक्शा तैयार करना, प्लूटो के वायुमंडल का अध्ययन करना और तापमान का पता लगाना.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Establishing Gas Trading Hub/Exchange in the country

संदर्भ

भारत सरकार ने गैस के व्यापार के लिए देश में एक ऐसे हब/एक्सचेंज की स्थापना करने का निर्णय लिया है जहाँ प्राकृतिक गैस का व्यापार मुक्त ढंग से हो सके और बाजार तन्त्र के माध्यम से उसकी आपूर्ति हो सके.

प्राकृतिक गैस ग्रिड का विकास

  • प्राकृतिक गैस ग्रिड बनाने के लिए सरकार ने GAIL को 5,176 करोड़ रू. (कुल व्यय का 40%) का पूँजी अनुदान देने का निर्णय लिया है जिससे वह कम्पनी 2,655 किमी. लम्बी जगदीशपुर-हल्दिया/बोकारो-धामरा गैस पाइपलाइन परियोजना का निर्माण कर सके.
  • इस पाइपलाइन से बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के औद्योगिक, वाणिज्यिक, घरेलू और परिवहन क्षेत्रों को गैस पहुँचाई जायेगी.
  • इसके अतिरिक्त इंडियन ऑइल कारपोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (HPCL) संयुक्त रूप से एक समेकित तेल शोधन सह पेट्रो-केमिकल संकुल का निर्माण करेंगी जिसकी तेल-शोधन क्षमता 60 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष होगी. यह संकुल महाराष्ट्र के रत्नागिरी के बाबुलवाड़ी, तालुका ताजपुर में बनेगा.
  • गैस-हब बनाने की यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उन प्रयासों का अंग है जिसके अनुसार भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं में प्राकृतिक गैस का हिस्सा आज के 6% से बढ़ाकर 2030 तक 15% किया जाना है.
  • प्राकृतिक गैस की घरेलू आपूर्ति भी बढ़ रही है. इसके सबसे बड़े उत्पादक ONGC ने 2017-18 में 5 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की आपूर्ति की थी और उसकी योजना है कि अगले चार वर्षों में यह आपूर्ति दुगुनी कर दी जाए.
  • उल्लेखनीय है कि पूरे भारत वर्ष में घरेलू गैस का दाम एक फार्मूले के आधार पर तय होता है जो अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और रूस में प्रचलित दामों पर आधारित होता है. सरकार दाम निर्धारण कि इस नीति में बदलाव लाने की सोच रही है.

Prelims Vishesh

India’s ranking on major global indices in 2018- a quick recap :- 

  • व्यवसाय की सुलभता सूचकांक (Ease of Doing Busines) – विश्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है. 2018 में भारत का स्थान विश्व की कुल 190 अर्थव्यस्थाओं में 77वाँ रहा. 2017 में भारत का स्थान 100वाँ स्थान था.
  • मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI] – UNDP द्वारा जारी किया जाता है. 189 अर्थव्यवस्थाओं में भारत का स्थान 2018 में 130वाँ रहा जबकि 2017 में 131वाँ स्थान था.
  • प्रसन्नता सूचकांक (Happiness Index) – संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सोल्यूशन नेटवर्क द्वारा जारी किया जाता है. 2018 में भारत का स्थान 133वाँ रहा जबकि 2017 में भारत का स्थान 122वाँ था. इस प्रकार 2018 में 11 स्थान की गिरावट देखी गई.
  • वैश्विक शान्ति सूचकांक (Global Peace Index) – Institute for Economics and Peace (IEP) द्वारा जारी किया जाता है. 2018 में भारत का स्थान 136वाँ रहा जबकि 2017 में भारत का स्थान 137वाँ था. GPI के अनुसार, आइसलैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और कनाडा सबसे शांतिपूर्ण देश हैं.
  • वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) – अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) और Welthungerhilfe (German for World Hunger Aid नामक NGO द्वारा जारी किया जाता है. कुल 119 देशों में भारत का स्थान 2018 में 103वाँ रहा जबकि 2017 में 100वाँ था.

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