Sansar Daily Current Affairs, 01 September 2020
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health.
Topic : Measles
संदर्भ
खसरे (Measles) के टीकाकरण के निम्नस्तरीय कवरेज से भारत का पूर्ण टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है.
मुख्य बिंदु
- खसरे के टीकाकरण के निम्नस्तरीय कवरेज और पोलियो, डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी) एवं टेटनस (DPT) जैसे बुनियादी टीकों की अनियमित समय पर दिए जाने वाली खुराक के कारण भारत में पूर्णतया प्रतिरक्षित (fully-immunised) बच्चों का अनुपात कम हो रहा है.
- इसका अर्थ यह है कि वर्ष 2017-18 में भारत में पूर्ण प्रतिरक्षित बच्चों का अनुपात लगभग 60% रहा था.
मुख्य कारण
- मिशन इन्द्रधनुष के प्रभाव का कम होना: इस अभियान को अधिक जिलों तक विस्तारित किया गया है, जबकि जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है या जिनका आंशिक टीकाकरण हुआ है, उन बच्चों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है.
- इस योजना को वर्ष 2014 में दो वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने हेतु प्रारंभ किया गया था.
- मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा/ASHAs) को अत्यल्प भुगतान किया जाता है.
- स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सीमित ज्ञान और प्रशिक्षण के कारण डेटा को ट्रैक करने के लिए तकनीकी प्लेटफॉर्म तथा मोबाइल-आधारित एप्लीकेशन्स असफल रहे हैं.
- वर्ष 2009 में प्रारंभ किया गया मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम, टीकाकरण सेवाओं की ट्रैकिंग के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त करता है.
खसरा से सम्बंधित तथ्य
- यह एक अतिशय संक्रामक वायरल रोग है जो नाक, मुँह या गले के जलकणों से फैलता है. इसमें संक्रमण के 10-12 दिनों के बाद बच्चे को तेज बुखार और नजला हो जाता है तथा उसकी आँखें लाल हो जाती हैं और मुँह के अन्दर उजले छाले पड़ जाते हैं. कुछ दिनों के पश्चात् चेहरे से आरम्भ होकर गर्दन से होते हुए चक्कते नीचे की ओर फैलते चले जाते हैं.
- भीषण खसरा बहुधा उन बच्चों को होता है जो कुपोषित हैं और जिनमें विटामिन A की कमी है और जिनकी प्रतिरोध क्षमता HIV-Aids जैसे रोगों के कारण दुर्बल हो गयी हो.
- विकट हो जाने के बाद खसरे से कई जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे – अंधापन, कपाल ज्वर, भीषण अतिसार, शरीर में पानी का अभाव, निमोनिया जैसे भयंकर स्वास संक्रमण आदि.
- इससे बचाव के लिए बच्चों को समय-समय पर टीका देना आवश्यक हो जाता है.
भारत में टीकाकरण कार्यक्रम
- सार्वभौमटीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)
भारत सरकार ‘टीका-निवारणीय रोगों’ के खिलाफ़ नि:शुल्क टीकाकरण प्रदान कर रहा है, जिसमें डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी), टेटनस, पोलियो, ख़सरा, बाल्यावस्था में होने वाले तपेदिक का गंभीर प्रकार, हेपेटाइटिस बी, मेनिन्जाइटिस और निमोनिया (हेमोफिल्ट्स इन्फ्लूएंजा टाइप बी संक्रमण), जेई स्थानिक जिलों में जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) और यूआईपी के अंतर्गत नए टीकें जैसे कि रोटवायरस टीका, आईपीवी, वयस्क जेई टीका, न्यूरमोकोकल कंजुगेट टीका (पीसीवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल है.
- मिशन इंद्रधनुष
भारत सरकार ने सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं का संपूर्ण टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने और यूआईपी को मज़बूत बनाने एवं पुनःऊर्जा देने के लिए दिसंबर 2014 में “मिशन इंद्रधनुष” का शुभारंभ किया. इससे पहले पूर्ण टीकाकरण कवरेज में वृद्धि प्रतिवर्ष 1% थी, जो कि मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों के माध्यम से प्रतिवर्ष 6.7% हो गयी है.
- गहन इंद्रधनुष मिशन (आईएमआई)
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण कार्यक्रम में तेज़ी लाने के लिए 8 अक्टूबर 2017 को तीव्र मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चों और उन सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुंचना है, जो नियमित रूप से टीकाकरण कार्यक्रम (प्रतिरक्षण कार्यक्रम) के अंतर्गत छूट गए हैं, ताकि दिसंबर 2018 तक 90% से अधिक पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित किया जा सकें.
- एनएचपी इंद्रधनुष टीकाकरण (मोबाइल एप्लिकेशन)
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), भारत सरकार ने माता-पिता और अभिभावक को अपने बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में जागरूक और उनकी टीकाकरण की स्थिति पर नज़र रखने (ट्रैक) के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया गया है. इस एप्लिकेशन को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.
मेरी राय – मेंस के लिए
स्वास्थ्य जगत के लिए बीता हुआ वर्ष खसरा एक बड़ी चुनौती बन कर सामने आया, जिस पर हमने काफी पहले अंकुश लगा दिया था. वर्ष 1847 के करीब खसरा के मामले सामने आए थे और यह प्रकोप काफी फैल गया था. उस वक्त इसे खत्म मानते हुए पूरी तरह से खसरा की समाप्ति का प्रमाणपत्र भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी कर दिया था. 21वीं शताब्दी के शुरू होने के साथ ही इस संक्रामक रोग ने दुनिया भर की संस्थाओं के लिए फिर से विकराल रूप धारण कर लिया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है, “प्रारंभिक वैश्विक डेटा से पता चलता है कि वर्ष 2018 के पहले तीन महीनों की तुलना में वर्ष 2019 के तीन महीनों में खसरा के मामलों में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह पिछले दो वर्षों में लगातार बढ़ रही है.” विश्वभर के मामलों का संकलन करने वाली एजेंसी विश्व बैंक ने अपने साल के अंत में होने वाले रिव्यू में पाया कि 4,13,308 मामले पूरे विश्व से सामने आए हैं, इसके अतिरिक्त 2,50,000 मामले कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के हैं. इसके मुकाबले वर्ष 2018 में 3,33,445 मामले पूरे विश्व से सामने आए हैं. इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जारी अस्वीकरण में यह कहना कि वैश्विक स्तर पर सामने आए मामलों से असल में हुए मामले कहीं अधिक होंगे, इस विषय की गंभीरता को और अधिक बढ़ा देता है. डब्ल्युएचओ का अनुमान है कि 10 में से सिर्फ एक मामला ही एजेंसियों के संज्ञान में आता है.
पूरक टीकाकरण गतिविधि ने कई देशों में बड़े बच्चों और वयस्कों के बीच खराब प्रतिरक्षा को जन्म दिया है. एक अन्य कारण बताया गया कि खसरे का ‘आयात’ हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक उदाहरण के लिए, 2018 में, इज़राइल ने फिलीपींस, यूक्रेन और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों ने लगभग 100 खसरा आयात का अनुभव किया. इजरायल और यूक्रेन से आयात की वजह से संयुक्त राज्य अमेरिका में यह फैला. 2018 में 100 से अधिक आदान-प्रदान देखने के बाद यूनाइटेड किंगडम में एक स्थानीय खसरा वायरस संचरण संस्था को फिर से स्थापित किया.
यह एक जटिल रोग है जो समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करती है और इसके लिए एक दूसरे से जुड़े कई कारण हैं. इसपर पार पाने के लिए कोई एक अकेला उपाय कारगर साबित नहीं होगा. रोगाणुरोधी प्रतिरोध के उद्भव और प्रसार को कम करने के लिए समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता होगी. अनुसंधान और नई रोगाणुरोधी दवाओं, टीकों और इसको खत्म करने के साधनों के विकास में अधिक शोध और विकास की जरूरत है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : NCRB Annual Report on Suicides and Accidental Deaths
संदर्भ
आत्महत्या और आकस्मिक मौतों पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 की तुलना में पिछले साल देश में आत्महत्या और आकस्मिक मौतों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है.
रिपोर्ट के प्रमुख आंकड़े – आत्महत्या के मामले
- सामूहिक या पारिवारिक आत्महत्या के अधिकतम मामले तमिलनाडु (16), आंध्र प्रदेश (14), केरल (11) और पंजाब (9) और राजस्थान (7) द्वारा दर्ज किए गए हैं.
- बेरोजगारों के कारण आत्महत्या करने के मामले केरल में 14%, इसके बाद महाराष्ट्र में 10.8%, तमिलनाडु में 9.8%, कर्नाटक में 9.2% और ओडिशा में 6.1% है.
- व्यावसायिक गतिविधियों वाले लोगों की आत्महत्या के अधिकांश मामले महाराष्ट्र (14.2%), तमिलनाडु (11.7%), कर्नाटक (9.7%), पश्चिम बंगाल (8.2%) और मध्य प्रदेश (7.8%) में थे.
- कृषक क्षेत्र में लगे पीड़ितों की संख्या महाराष्ट्र में (38.2% 10,281), कर्नाटक (19.4%), आंध्र प्रदेश (10.0%), मध्य प्रदेश (5.3%) और छत्तीसगढ़ और तेलंगाना (4.9% प्रत्येक) में दर्ज की गई.
- शहरों में आत्महत्या की दर (13.9%) अखिल भारतीय औसत की तुलना में अधिक थी. ‘परिवार की समस्याएं (शादी से संबंधित समस्याओं के अलावा)’ (32.4%); ‘विवाह संबंधी समस्याएं’ (5.5%); और ‘बीमारी’ (17.1%) कुल आत्महत्याओं के 55% के लिए जिम्मेदार है
दक्षिणी राज्यों में प्रचलित मनोविकार
- भारत के दक्षिणी राज्य अधिक आधुनिकीकृत और नगरीकृत राज्य हैं. अतः वहाँ अवसाद अधिक देखने को मिलता है.
- अवसाद का आत्महत्या से सीधा सम्बन्ध होता है. अतः दक्षिणी राज्यों में आत्महत्या की घटनाएँ उत्तरी भारत की तुलना में अधिक होती हैं.
आकस्मिक मौतों के मामले
- देश में दुर्घटना में मौतों में 3% की वृद्धि हुई. 2018 में 4,11,824 की तुलना में, यह आंकड़ा पिछले साल 4,21,104 पर था.
- आकस्मिक मृत्यु दर (प्रति लाख जनसंख्या) 31.1 से बढ़कर 31.5 हो गई. 30-45 वर्ष के आयु वर्ग में आकस्मिक मृत्यु दर 30.9% अधिकतम दर्ज की गई, इसके बाद 18-30 वर्ष की आयु समूह में 26% थी.
- सबसे अधिक मृत्यु दर पुदुचेरी (72.8), छत्तीसगढ़ (68.6), महाराष्ट्र (57.4), हरियाणा (54.3), गोवा (51.5) और मध्य प्रदेश (51.4) से दर्ज की गई.
- महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मौतें (70,329) हुईं जो आंकड़ों के लगभग एक-छठे हिस्से के बराबर है. सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 9.6% मामलों उसके बाद मध्य प्रदेश (10.1%) है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 309
विदित हो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 309 आज भी लागू है. भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के अनुसार, जो भी कोई आत्महत्या करने का प्रयत्न करेगा, और उस अपराध के करने के लिए कोई कार्य करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा.
मेंटल हेल्थकेयर एक्ट (एमएचसीए), 2017, जो जुलाई 2018 में लागू हुआ, ने धारा 309 आईपीसी के उपयोग की गुंजाइश को काफी कम कर दिया है – और आत्महत्या को केवल एक अपवाद के रूप में दंडनीय बनाने का प्रयास किया है.
एमएचसीए की धारा 115 (1) कहती है: “भारतीय दंड संहिता की धारा 309 में कुछ भी शामिल न होने के बावजूद, कोई भी व्यक्ति जो आत्महत्या करने का प्रयास करेगा, तब तक माना जाएगा, जब तक कि अन्यथा साबित न हो, गंभीर तनाव हो और उक्त कोड के अंतर्गत मुकदमा न चलाया जाए और उसे दंडित न किया जाए”.
धारा 115 (2) कहती है कि “उपयुक्त सरकार का कर्तव्य होगा कि वह किसी व्यक्ति को देखभाल, उपचार और पुनर्वास प्रदान करे, जिससे गंभीर तनाव न हो और जो आत्महत्या करने की कोशिश के जोखिम को कम करके लिए आत्महत्या करने का प्रयास न करे.”
प्रीलिम्स बूस्टर
- पिछले दिनों जर्मनी के सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि 2015 में लाया गया वह कानून असंवैधानिक था जिसमें पेशेवरों को आत्महत्या में सहायता पहुँचाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
- विदित हो कि ऐसे रोगी जिनका रोग उपचार योग्य नहीं और जिनकी मृत्यु अवश्यंभावी है वे बहुधा चाहते हैं कि डॉक्टरों एवं आत्महत्या में सहायता पहुँचाने वाले कतिपय संगठनों के सहयोग से अपने जीवन का अंत कर लें.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Quantum Technology
संदर्भ
रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) के वैज्ञानिकों ने क्वांटम अवस्था के आकलन के लिए एक नए तरीके का पता लगाया है, जो महत्वपूर्ण क्वांटम कार्य-विधि को सरल बना सकता है.
क्या होता है क्वांटम प्रौद्योगिकी?
- क्वांटम प्रौद्योगिकी क्वांटम सिद्धांत पर आधारित है, जो परमाणु और उप-परमाणु स्तर पर ऊर्जा और पदार्थ की प्रकृति की व्याख्या करती है.
- इस तकनीक की सहायता से डेटा और इन्फॉर्मेशन को कम-से-कम समय में प्रोसेस किया जा सकता है.
- क्वांटम कंप्यूटर की मदद से कंप्यूटिंग से जुड़े टास्क कम-से-कम समय में किए जा सकते हैं.
- क्वांटम कंप्यूटर्स क्वांटम टू लेवल सिस्टम (क्वांटम बिट्स या क्यूबिट्स) का उपयोग करके जानकारी संग्रहीत करते हैं और जो क्लासिकल बिट्स के विपरीत सुपर स्पेशल स्टेट्स में तैयार किये जा सकते हैं. यह महत्त्वपूर्ण क्षमता क्वांटम कंप्यूटरों को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में बेहद शक्तिशाली बनाती है.
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क्या है क्वांटम स्टेट इंटरफेरोग्राफी?
- क्वांटम अवस्थाओं में बदलाव के लिए नए तरीकों के साथ प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों ने इन अवस्थाओं की विशेषता जानने और अनुमान लगाने के लिए एक नए तरीके की खोज की है.
- क्वांटम अवस्थाओं की विशेषता निर्धारित करने इस विधि को क्वांटम स्टेट इंटरफेरोग्राफी नाम दिया गया है.
- जिसका उपयोग कंप्यूटिंग, संचार और मेट्रोलॉजी के लिए किया जा सकता है. जो इन बदलाव या जोड़-तोड़ को सरल बना देगा.
- इससे क्वांटम प्रौद्योगिकियों की कई महत्वपूर्ण कार्य-विधियां आसान हो जायेंगी.
- यह कार्य, आंशिक रूप से डीएसटी के क्यूयूईएसटी नेटवर्क कार्यक्रम द्वारा समर्थित है और इसे जर्नल फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है.
रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के बारे में
- रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान है.
- यह प्रसिद्ध आधारभूत वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान बंगलुरु में स्थित है.
- इसकी स्थापना 1948 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकट रमन द्वारा निजी संस्थान के रूप में की गयी थी.
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से निधि प्राप्त करने हेतु सन् 1972 में, आर.आर.आई को सहायता प्राप्त स्वायत्त अनुसंधान के रूप में पुनर्गठित किया गया.
प्रीलिम्स बूस्टर
क्वांटम सुपेर्मेसी क्या है?
आमतौर पर इलेक्ट्रॉनों या फोटॉनों जैसे उप-परमाणु कणों को एक समूह में इस प्रकार से जोड़ा जा सकता है जो बाइनरी बिट्स की समान संख्या से अधिक प्रसंस्करण शक्ति की अनुमति देता है. उन गुणों में से एक को सुपरपोजिशन के रूप में जाना जाता है और दूसरे को उलझाव कहा जाता है.
क्वांटम डॉट्स (QDS)
- क्वांटम डॉट्स मानव निर्मित नैनोस्केल क्रिस्टल हैं, जो इलेक्ट्रॉनों का एक जगह से दूसरे जगह पर संचरण करते हैं.
- क्वांटम डॉट्स कृत्रिम नैनो संरचनाएँ हैं.
- जब पराबैंगनी किरणें इन अर्द्धचालक नैनो-कणों से टकराती हैं, तो ये विभिन्न रंगों के प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं.
- एकल अणु के स्तर पर ये कोशिकीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करने में सक्षम हैं तथा कैंसर जैसे रोगों के निदान और उपचार में सहायक हो सकते हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment
Topic : JAL JEEVAN MISSION
संदर्भ
जल जीवन मिशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल की आपूर्ति के वितरण के मापन और निगरानी के लिए एक स्मार्ट ग्रामीण जलापूर्ति पारितंत्र निर्मित करने का निर्णय लिया है.
मुख्य बिंदु
- आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और ग्रामीण स्थानीय निकायों को ग्रामीण जलापूर्ति के स्मार्ट प्रबंधन की सुविधा प्राप्त होगी.
- भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के अनुसार, ग्राम स्तर पर पेयजल आपूर्ति का प्रबंधन ग्राम पंचायतों को करना होता है.
- इस प्रकार, ग्राम पंचायत या इसकी उप-समिति अर्थात् ग्राम जल और स्वच्छता समिति पेयजल के प्रबंधन, जल सेवा वितरण, मलिन जल उपचार और पुनः उपयोग के लिए स्थानीय सार्वजनिक निकाय (local public utility) के रूप में कार्य करने हेतु अधिदेशित है.
अन्य उठाए गये कदम इस प्रकार हैं –
- जल जीवन मिशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल सेवा वितरण प्रणाली के मापन और निगरानी के लिए रूपरेखा तैयार करने हेतु एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति (technical expert committee) का गठन किया है.
- इस मिशन द्वारा एक स्मार्ट वाटर सप्लाई मेजरमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम को विकसित करने हेतु सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) ग्रैंड चैलेंज का आयोजन किया जा रहा है.
- जलापूर्ति अवसंरचना का डिजिटलीकरण करने हेतु तकनीकी प्रगतियों (जैसे इंटरनेट ऑफ् थिंग्स : IoT, बिग डेटा एनालिटिक्स) का उपयोग किया जा रहा है.
- JJM को राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना है.
जल जीवन अभियान क्या है?
- यह अभियान 2024 तक सभी ग्रामीण और शहरी घरों (हर घर जल) में नलके से पानी पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है.
- जल जीवन अभियान की घोषणा अगस्त, 2019 में हुई थी.
- इसके अतिरिक्त इस अभियान का उद्देश्य है वर्षा जल संग्रह, भूजल वापसी और घर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को खेती में प्रयोग करने से सम्बंधित स्थानीय अवसंरचनाओं का निर्माण करना.
- जल जीवन अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के अनेक कार्य किये जाएँगे, जैसे – पॉइंट रिचार्ज, छोटे सिंचाई जलाशयों से गाद निकालना, अपशिष्ट जल को खेती में डालना और जल स्रोतों को टिकाऊ बनाना.
- सतत जल आपूर्ति के लक्ष्य को पाने के लिए जल जीवन अभियान में अन्य केन्द्रीय और राज्य योजनाएँ समाहित की जाएँगी.
अभियान के लाभ
- घर-घर में नलके द्वारा पानी की आपूर्ति
- स्वच्छ एवं पीने योग्य जल
- भूजल का स्तर ऊपर लाना
- स्थानीय अवसंरचना को बेहतर बनाना
- जल से होने वाले रोगों में कमी
- जल की बर्बादी में कमी
मेरी राय – मेंस के लिए
ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से पेयजल आपूर्ति की योजना में पानी की गुणवत्ता एक गंभीर चुनौती बनकर उभरी है. इसीलिए शुद्ध जल की आपूर्ति के लिए अनुसंधान पर विशेष बल दिया जा रहा है. इसके लिए शुरू किए गए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन में शोध, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और उद्यमियों के साथ इनोवेशन को प्रोत्साहन देने की योजना है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जलापूर्ति की गुणवत्ता के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की योजना तैयार की है. देश के विभिन्न हिस्सों में पानी गुणवत्ता की समस्या भी अलग तरह की है.
ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में सामाजिक, पर्यावरण संबंधी और तकनीकी चुनौतियाँ हैं. अधिकांश हिस्सों में जल की आपूर्ति भूजल के माध्यम से की जाती है. प्रत्येक हिस्से में भूजल का स्तर, उसकी गुणवत्ता वहां की जलवायु के हिसाब से परिवर्तित हो जाती है. पेयजल आपूर्ति को लेकर देश के कई हिस्सों में अजीब तरह की सोच है, जिसके लिए जनजागरुकता की भी आवश्यकता है. ग्रामीण जल सुरक्षा को लेकर सरकार बहुत सतर्क है.
गुणवत्तायुक्त पानी की आपूर्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे. जल जीवन मिशन को निर्धारित समय में पूरा करने की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के अपनाए जाने पर भी बल दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से फिर दुहराया कि हर परिस्थिति में 2024 तक ग्रामीण जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद से मंत्रालय में युद्ध स्तर पर कार्य होने लगा है. सभी राज्यों के साथ साप्ताहिक समीक्षाएं होती हैं. मिशन की प्रगति की लगातार समीक्षा भी हो रही है. जल जीवन मिशन को लागू करने में राज्यों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. मिशन के अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण को रोजाना 55 लीटर गुणवत्तायुक्त पेयजल की आपूर्ति की जानी है. वर्ष-भर के अन्दर दो करोड़ परिवारों को नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई है.
Prelims Vishesh
Barn Owls :-
- बार्न उल्लू (Tyto alba) सबसे अधिक पाया जाने वाला स्थलीय पक्षी है क्योंकि यह अन्टार्कटिका को छोड़कर सभी महादेशों में पाया जाता है.
- भारतीय उपमहाद्वीप में भी यह सबसे व्यापक रूप से पाए जाने वाले उल्लुओं में से एक है.
- बार्न उल्लुओं की पूँछ अन्य मंझोले आकार के उल्लुओं से छोटी होती हैं. इनकी आँखें काली होती हैं और उनका चेहरा हृदय के आकार का होता है.
- बार्न उल्लू अन्य उल्लुओं की भाँति वू-वू-वू नहीं चिल्लाते, अपितु अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए “shreeeeeeeee” की टेर लगाते हैं.
- बहुतायत में होने के कारण ICUN में इनका दर्जा “न्यूनतम चिंतनीय श्रेणी” (least concern) में आता है.
- पिछले दिनों इन उल्लुओं की चर्चा इसलिए हुई कि लक्षद्वीप सरकार ने कवरट्टी द्वीप में चूहों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए इनके प्रयोग की एक योजना बनाई.
Association of Renewable Energy Agencies of States (AREAS) :-
- AREAS की स्थापना के छह वर्ष पूरे हो चुके हैं.
- इसका गठन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राज्यों की विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, आपसी सुझाव एवं सर्वोत्तम प्रचलनों की साझेदारी के लिए किया था.
- MNRE मंत्री इस संघ के संरक्षक और MNRE सचिव पदेन अध्यक्ष होते हैं.
What is an ‘Armageddon’ in chess? :-
- जिस प्रकार हॉकी या फुटबॉल में पेनल्टी शूटआउट या क्रिकेट में सुपर ओवर होता है, उसी प्रकार शतरंज में Armageddon हुआ करता है.
- इसके अन्दर सफ़ेद को काले की तुलना में सोचने का अधिक समय होता है, पर यदि खेल बराबरी पर छूटे तो काले को जीता हुआ मान लिया जाता है.
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