Sansar Daily Current Affairs, 01 September 2021
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Related to Women.
Topic : Supreme Court Has Now 4 Women Judges Sitting, Highest Ever In Its History
संदर्भ
31 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय में 9 नए न्यायाधीशों ने शपथ ग्रहण की जो अब तक एक बार में न्यायाधीशों की सर्वाधिक संख्या है. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में मात्र 1 पद खाली रह गया है. नये न्यायाधीशों में तीन महिला न्यायाधीश, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, जस्टिस हिमा कोहली एवं जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल हैं.
इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय में अब महिला न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है, जो कि अभी तक का सर्वाधिक है. 31 अगस्त तक इंदिरा बनर्जी सर्वोच्च न्यायालय में एकमात्र महिला न्यायाधीश थी. यह एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों का अनुपात सदैव कम ही रहा है. जस्टिस बी वी नागरत्ना वर्ष 2027 में वरिष्ठता के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश भी बन सकती हैं.
न्यायालयों में महिला न्यायाधीश
- वर्ष 1989 में सर्वोच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश फ़ातिमा बीवी की नियुक्ति की गई थी, तब से अब तक सर्वोच्च न्यायालय में केवल 10 महिला न्यायाधीश बन पाई हैं.
- उच्च न्यायालयों में भी केवल 11% न्यायाधीश महिलाएँ हैं. 5 उच्च न्यायालयों में तो कोई महिला न्यायाधीश ही नहीं है जबकि 6 अन्य में प्रतिशत 10 से कम है. हालाँकि निचले न्यायालयों में स्थिति थोड़ी बेहतर है जहाँ 28% न्यायाधीश महिलाएँ हैं.
मेरी राय – मेंस के लिए
उच्च न्यायिक क्षेत्र में ज़्यादा महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए हम कोई वजह क्यों तलाश रहे हैं? समाज में 50 प्रतिशत महिलाएँ हैं, क्या ये वजह काफ़ी नहीं है? यह मान लेना न्यायोचित नहीं होगा कि महिलाओं में ज़्यादा संवेदनाएँ होती हैं और वे अच्छे फ़ैसले दे सकती हैं. अब तक सुप्रीम कोर्ट में केवल आठ महिला न्यायाधीश रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि महिलाओं के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट अच्छे फ़ैसले करने में नाकाम रहा है.
यह एक दुष्चक्र जैसी स्थिति है. पहले तो हमारे पास बड़ी संख्या में प्रैक्टिस करने वाली अच्छी महिला वकील नहीं है. यह हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए ज़रूरी है. हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति ही सुप्रीम कोर्ट में होती है. ऐसे में अगर हमारे पास उच्च न्यायालय में अच्छी महिला न्यायाधीश ही नहीं होंगी, सुप्रीम कोर्ट में उनका प्रतिनिधित्व बेहतर नहीं हो सकता है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : National Register of Citizens – NRC
संदर्भ
असम में NRC की अंतिम सूची को निर्गत किये हुए 2 वर्ष बीत चुके हैं परन्तु सूची से बाहर कर दिए गये लोगों की सुनवाई अटकी पड़ी है. इसके चलते उन्हें कई प्रकार के लाभों से वंचित होना पड़ रहा है.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि 31 अगस्त 2019 में जारी की गई NRC की अंतिम सूची में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख को बाहर कर दिया गया था.
सुनवाई में विलंब के पीछे कारण
- जनवरी 2020 से NRC के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं हुई है, इसके अलावा अभी तक रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया (RGI) ने NRC के सम्बन्ध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की है, इससे यह सूची अभी तक वैध भी नहीं बन पाई है तथा इसी के चलते आगे कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है.
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार NRC प्राधिकरण, सूची से बाहर किये गये व्यक्तियों को एक रिजेक्शन स्लिप जारी करेगी, इसके बाद 120 दिनों के भीतर उन व्यक्तियों द्वारा विदेशी विषयक अधिकरण में अपील की जा सकती है, लेकिन RGI द्वारा अधिसूचना जारी न करने के कारण NRC प्राधिकरण रिजेक्शन स्लिप जारी नहीं कर सकता है. दूसरी ओर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा है कि उनकी सरकार असम के सीमावर्ती जिलों में 20 प्रतिशत नामों और अन्य इलाकों में 10 प्रतिशत नामों का पुन: सत्यापन (रि वेरीफिकेशन) चाहती है. मुख्यमंत्री के अनुसार “मौजूदा NRC में अगर बेहद नगण्य गलतियां पाई गई तब हम वर्तमान NRC के साथ आगे की कार्यवाही कर सकते हैं परन्तु, अगर व्यापक विसंगतियाँ हैं तो मुझे लगता है कि अदालत संज्ञान लेगी और नए दृष्टिकोण के साथ आगे का काम करेगी.”
NRC की प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) वह सूची है जिसमें असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों के नाम दर्ज हैं. असम देश का एकमात्र राज्य है जहाँ NRC विद्यमान है. असम में विदेशियों के निष्कासन के लिए 1979 से 1985 तक एक बड़ा आन्दोलन चला था. 1985 में सरकार और आन्दोलनकारियों के बीच एक समझौता हुआ जिसके बाद आन्दोलन समाप्त कर दिया गया. समझौते में यह आश्वासन दिया गया था कि NRC का नवीकरण किया जायेगा. इस समझौते (Assam Accord) में 24 मार्च, 1971 को विदेशियों के पहचान के लिए cut-off तिथि निर्धारित की गई थी. इस आधार पर NRC ने अपना नवीनतम प्रारूप प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि राज्य के 40 लाख लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि वे इस cut-off तिथि के पहले से वहाँ रह रहे हैं.
NRC
- NRC को पूरे देश में पहली और आखिरी बार 1951 में तैयार किया गया था.
- लेकिन इसके बाद इसका अद्यतन नहीं किया गया था.
- NRC में भारतीय नागरिकों का लेखा-जोखा दर्ज होता है.
- 2005 में केंद्र, राज्य और All Assam Students Union के बीच समझौते के बाद असम के नागरिकों की दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई. ये पढ़ें >> असम समझौता
- मौजूदा प्रकिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है.
- सुप्रीम कोर्ट ने करीब दो करोड़ दावों की जांच के बाद 31 December तक NRC को पहला draft जारी करने का निर्देश दिया था.
- कोर्ट ने जांच में करीब 38 लाख लोगों के दस्तावेज संदिग्ध पाए थे.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.
Topic : UNSC resolution addresses ‘key concerns’ on Afghanistan
संदर्भ
भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (United Nations Security Council – UNSC) ने अफ़ग़ानिस्तान संकट के सम्बन्ध में प्रस्ताव 2593 को अपनाया है. UNSC के दो स्थायी सदस्य चीन और रूस इस दौरान अनुपस्थित रहे.
प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु
- इस प्रस्ताव में अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता प्राप्त कर चुके तालिबान को उनकी भूमि को अन्य देशों के विरुद्ध आतंक फ़ैलाने के इस्तेमाल से रोकने के लिए प्रतिबद्ध किया गया है. इनमें UNSC के प्रस्ताव 1267 में शामिल आतंकी भी शामिल हैं (लश्कर ए तैयबा एवं जैश ए मुहम्मद भी.
- इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर जाने के इच्छुक अफ़ग़ान नागरिकों को सुरक्षित जाने देने की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है.
- चीन और रूस ने इस प्रस्ताव को एकतरफ़ा तथा जल्दबाजी में लाया गया बताया. हालाँकि दोनों देशों ने इसे रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल नहीं किया.
- रूस ने अफ़ग़ानिस्तान के हालातों के लिए अमरीका को जिम्मेदार ठहराया.
भारत की भूमिका
भारत सरकार के उच्च स्तरीय समूह ने इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए कई कूटनीतिक वार्ताएँ की. इसके अलावा भारत ने अपने हितों से जुड़े मुद्दों को भी प्रस्ताव में शामिल कराया, उदाहरण के तौर पर जैश ए मुहम्मद एवं लश्कर ए तैयबा को प्रतिबन्धित सूची में उल्लिखित किया. भारत अब तालिबान पर प्रतिबंध लगाने वाली “1988 प्रतिबन्ध समिति” की अध्यक्षता करेगा तथा अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के राहत मिशन (UNAMA) में भी भाग लेगा. ज्ञातव्य है कि इस दौरान भारत सरकार, कतर में तालिबान के साथ वार्ताएँ भी कर रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति एवं सुरक्षा बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद् की होती है. इसकी बैठककभी भी बुलाई जा सकती है.इसके फैसले का अनुपालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है. इसमें 15 सदस्य देश शामिल होते हैं जिनमें से पाँच सदस्य देश – चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – स्थायी सदस्य हैं. शेष दस सदस्य देशों का चुनाव महासभा में स्थायी सदस्यों द्वारा किया जाता है. चयनित सदस्य देशों का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है.
- ज्ञातव्य है कि कार्यप्रणाली से सम्बंधित प्रश्नों को छोड़कर प्रत्येक फैसले के लिए मतदान की आवश्यकता पड़ती है. अगर कोई भी स्थायी सदस्य अपना वोट देने से मना कर देता है तब इसे “वीटो” के नाम से जाना जाता है. परिषद् (Security Council) के समक्ष जब कभी किसी देश के अशांति और खतरे के मामले लाये जाते हैं तो अक्सर वह उस देश को पहले विविध पक्षों से शांतिपूर्ण हल ढूँढने हेतु प्रयास करने के लिए कहती है.
परिषद् मध्यस्थता का मार्ग भी चुनती है. वह स्थिति की छानबीन कर उस पर रपट भेजने के लिए महासचिव से आग्रह भी कर सकती है. लड़ाई छिड़ जाने पर परिषद् युद्ध विराम की कोशिश करती है.
वह अशांत क्षेत्र में तनाव कम करने एवं विरोधी सैनिक बलों को दूर रखने के लिए शांति सैनिकों की टुकड़ियाँ भी भेज सकती है. महासभा के विपरीत इसके फैसले बाध्यकारी होते हैं. आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अथवा सामूहिक सैन्य कार्यवाही का आदेश देकर अपने फैसले को लागू करवाने का अधिकार भी इसे प्राप्त है. उदाहरणस्वरूप इसने ऐसा कोरियाई संकट (1950) तथा ईराक कुवैत संकट (1950-51) के दौरान किया था.
कार्य
- विश्व में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना.
- हथियारों की तस्करी को रोकना.
- आक्रमणकर्ता राज्य के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करना.
- आक्रमण को रोकने या बंद करने के लिए राज्यों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना.
संरचना
सुरक्षा परिषद् (Security Council) के वर्तमान समय में 15 सदस्य देश हैं जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. वर्ष 1963 में चार्टर संशोधन किया गया और अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई. अस्थायी सदस्य विश्व के विभिन्न भागों से लिए जाते हैं जिसके अनुपात निम्नलिखित हैं –
- 5 सदस्य अफ्रीका, एशिया से
- 2 सदस्य लैटिन अमेरिका से
- 2 सदस्य पश्चिमी देशों से
- 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से
चार्टर के अनुच्छेद 27 में मतदान का प्रावधान दिया गया है. सुरक्षा परिषद् में “दोहरे वीटो का प्रावधान” है. पहले वीटो का प्रयोग सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य किसी मुद्दे को साधारण मामलों से अलग करने के लिए करते हैं. दूसरी बार वीटो का प्रयोग उस मुद्दे को रोकने के लिए किया जाता है.
परिषद् के अस्थायी सदस्य का निर्वाचन महासभा में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों द्वारा किया जाता है. विदित हो कि 1971 में राष्ट्रवादी चीन (ताईवान) को स्थायी सदस्यता से निकालकर जनवादी चीन को स्थायी सदस्य बना दिया गया था.
इसकी बैठक वर्ष-भर चलती रहती है. सुरक्षा परिषद् में किसी भी कार्यवाही के लिए 9 सदस्यों की आवश्यकता होती है. किसी भी एक सदस्य की अनुपस्थिति में वीटो अधिकार का प्रयोग स्थायी सदस्यों द्वारा नहीं किया जा सकता.
UNSC 1267 समिति क्या है? संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ‘समिति 1267’ को वर्ष 1999 में गठित किया गया था तथा 11 सितंबर 2001 के हमलों के पश्चात् इसे अधिक शक्तिशाली बनाया गया. GS Paper 3 Source : PIB UPSC Syllabus : Infrastructure. संदर्भ हाल ही में, नीति आयोग द्वारा ‘मुद्रीकरण’ लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी संस्तुतियाँ की गयी हैं. निवेशकों को अधिक सुविधा प्रदान करने हेतु InvITs को दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के दायरे में लाना Triple delight for India at Tokyo Paralympics :- Bangladeshi vaccine scientist wins Ramon Magsaysay award :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi August,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : National Monetisation pipeline
खुदरा भागीदारी में सुधार हेतु नीति आयोग की संस्तुतियाँ
Prelims Vishesh