Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 02 April 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : SEBI mulls SRO for investment advisers

संदर्भ

देश में निवेश के विषय में परामर्श देने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे परामर्शियों के परामर्श की गुणवत्ता से सम्बंधित मामलों के समाधान के लिए SEBI ने एक आत्म-नियामक संगठन (self-regulatory organisation – SRO) गठित करने का प्रस्ताव दिया है.

मुख्य तथ्य

  • SRO सेबी के नियामक प्राधिकार का एक विस्तार कहा जा सकता है. यह SEBI द्वारा सौंपे गये काम करेगा.
  • SRO का काम शिकायतों का निपटारा करना और विवादों को सुलझाना है. यह आवश्यकता पड़ने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करेगा.
  • SEBI के प्रस्ताव के अनुसार इसमें एक प्रशासी बोर्ड होगा जिसमें कम से कम 50% प्रतिनिधित्व सार्वजनिक हित निदेशक होंगे और 25% प्रतिनिधित्व शेयर धारक निदेशकों तथा चुने हुए प्रतिनिधियों का होगा.
  • SRO के प्रशासी बोर्ड के पास एक प्रबंध निदेशक अथवा मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने की शक्ति होगी जो इस संगठन के दैनंदिन कार्यों को संभालेगा.

पृष्ठभूमि

SEBI को ढेर सारी शिकायतें मिल रही थीं कि निवेश परामर्शीजन बहुत अधिक मनमाना शुल्क वसूल रहे थे और साथ ही प्रतिलाभ सुनिश्चित करने के विषय में कदाचार भी कर रहे थे. बाजार के इस अवयव में वृद्धि को देखते हुए SEBI को यह अनुभव हुआ कि यह उचित समय है कि SRO का गठन किया जाए जो निवेश परमर्शियों के आचारण को नियमित कर सके.


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : India gains access to Bolivian Lithium Reserves

संदर्भ

भारत और बोलिविया ने लिथियम के विकास और औद्योगिक उपयोग के विषय में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं. विदित हो कि बिजली पर चलने वाले वाहनों और मोबाइल फ़ोनों में लिथियम एक प्रधान अवयव होता है.

समझौते के मुख्य तथ्य

  • समझौते के अनुसार बोलिविया भारत को लिथियम कार्बोनेट की आपूर्ति करेगा और भारत में दोनों देश मिलकर लिथियम बैटरी और मोबाइल फ़ोन बनाने वाले संयंत्रों को चलाएंगे.
  • कहा जाता है कि बोलिविया में विश्व के लिथियम भंडारों का एक चौथाई भंडार है. इस समझौते के माध्यम से बोलिविया भारत को यह धातु मुहैया करेगा जिससे कि भारत ई-मोबिलिटी और ई-स्टोरेज के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकेगा.
  • समझौते के अनुसार Yacimientos de Litio Bolivianos Corporación (YLB – Corporación) द्वारा बोलिविया में उत्पादित लिथियम कार्बोनेट और पोटाशियम क्लोराइड के वाणिज्यिक उपयोग के लिए भारत आवश्यक तन्त्र का निर्माण करेगा.

समझौते का माहात्म्य

  • बोलिविया में लिथियम के विशाल भंडार हैं परन्तु इसने इसका वाणिज्यिक उत्पादन अभी तक आरम्भ नहीं किया है.
  • भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक मोबाइल फ़ोन का निर्माण करने वाला देश है. साथ ही इसने 2030 तक 30% वाहनों को बिजली से चलाने का संकल्प किया है. परन्तु भारत में लिथियम नहीं होता है और इसलिए इसे सभी लिथियम-आयन बैटरियाँ आयात करनी पड़ती हैं. वर्तमान में लिथियम-आयन बैटरियाँ बनाने की इसकी क्षमता शून्य है.
  • पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आवश्यक बैटरियों के लिए भारत चीन, ताइवान और जापान से आयात पर पूरी तरह निर्भर है.
  • इस समझौते से एक ओर जहाँ भारत में लिथियम आएगा वहीं दूसरी ओर भारत की कम्पनियाँ बोलिविया जाकर वहाँ उत्पादन की क्षमता बढ़ाएंगी.
  • यदि स्वचालित वाहनों के परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो समझौते से भारत में भी उत्पादन बढ़ने की प्रबल संभावना है.
  • बाजार में 2020 के बाद इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ एवं संकर गाड़ियाँ आने लगेंगी जिससे इनके निर्माता इन वाहनों के स्थानीय उत्पादन करने के लिए विवश हो जाएँगे.
  • इस समझौते से 2030 तक देश में 30% गाड़ियाँ बिजली की बैटरी से चलाने की योजना फलीभूत हो सकती है. इस प्रकार यह समझौता भारत की नई FAME INDIA नीति का मेरुदंड सिद्ध हो सकता है.

GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : Kandhamal Haldi

संदर्भ

अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध ओडिशा की कंदमान हल्दी को GI Tag प्राप्त हो गया है.

मुख्य तथ्य

  • इस सुनहले पीले मसाले का नाम कंदमाल जिले पर पड़ा है जहाँ इसका उत्पादन होता है. इस जिले में यह हल्दी अज्ञात काल से उगाई जाती रही है और इसमें औषधीय गुण हैं.
  • कंदमाल के जनजातीय लोगों के लिए हल्दी मुख्य नकदी फसल है. यह घर में प्रयोग तो होती ही है, इसका प्रयोग प्रसाधन एवं चिकित्सा के लिए भी होता है.
  • कंदमाल की जनसंख्या का 50% अर्थात् 60,000 से ज्यादा परिवार कंदमाल हल्दी की खेती में लगे हुए हैं.
  • यह हल्दी प्रतिकूल जलवायवीय परिस्थिति में भी टिकी रहती है.

GI Tag क्या है?

  • GI का full-form है – Geographical Indicator
  • भौगोलिक संकेतक के रूप में GI tag किसी उत्पाद को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है.
  • नाम से स्पष्ट है कि यह टैग केवल उन उत्पादों को दिया जाता है जो किसी विशेष भगौलिक क्षेत्र में उत्पादित किये गए हों.
  • इस टैग के कारण उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिल जाता है.
  • यह टैग ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के विषय में आश्वस्त करता है.
  • डब्ल्यूटीओ समझौते के अनुच्छेद 22 (1) के तहत GI को परिभाषित किया गया है.
  • औद्योगिक सम्पत्ति की सुरक्षा से सम्बंधित पहली संधि के अनुसार GI को बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का एक अवयव माना गया है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI WTO के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के व्यापार से सम्बंधित पहलुओं पर हुए समझौते से शाषित होता है. भारत में वह भौगोलिक वस्तु संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा) अधिनयम, 1999 से शाषित होता है.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Forest fires threatening Odisha’s flora and fauna

संदर्भ

पिछले कुछ दिनों में ओडिशा के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में अचानक बड़ी वृद्धि देखने में आई है और इसके कारण वहाँ के वन्य पशुओं और वनस्पतियों को भयंकर क्षति पहुँची है. पिछले वर्ष के नवम्बर 1 से अब तक 5, 332 स्थानों पर आग लगी है. केवल मार्च, 2019 में ही 4,495 स्थानों पर अगलगी दर्ज की गई है.

जंगल की आग अर्थात् दावानल हानिकारक कैसे?

जंगल में आग लगने से इमारती एवं अन्य फलदायी और पत्ते वाले पेड़ों-लताओं को अतिशय क्षति पहुँचती है. आग से वन्यजीव और उनका निवास स्थान विनष्ट हो जाता है. घोसले और भूमि पर रहने वाले पक्षियों के अंडे भी नष्ट हो जाते हैं. सरीसृप और उनके बच्चों की भी मृत्यु हो जाती है.

दावानल के कारण

  • दावानल प्राकृतिक और मनुष्यकृत दोनों प्रकार के होते हैं.
  • बिजली गिरने से पेड़ों में आग लग जाती है. यदि उस समय वायुमंडलीय तापमान अधिक हो और आर्द्रता कम हो तो यह आग तेजी से फैलने लगती है.
  • जिन मनुष्यकृत कारणों से दावानल हो सकता है, वे हैं – आग की लौ, सिगरेट, कोई भी की चिंगारी.
  • भारत में दावालन होते रहे हैं परन्तु इस समस्या में जो बढ़ोतरी देखने को मिल रही है उसके कारण हैं – मनुष्यों की जनसंख्या में वृद्धि, पशुओं की संख्या में वृद्धि, पशुओं को चराने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता, झूम खेती और व्यक्तियों एवं समुदायों द्वारा वन उत्पादों का दोहन.
  • इन कारणों से दावानल उत्कट हो जाता है – अधिक तापमान, पवन का वेग एवं दिशा, मिट्टी और वायुमंडल में आर्द्रता का स्तर तथा लगातार सूखा.

सरकार को दावानल का पता कैसे चलता है?

सरकार को दावानल का पता नासा के MODIS और VIIRS नाम के उपग्रहों से पता चलता है. MODIS का पूरा नाम Moderate Resolution Imaging Spectroradiometer है और VIIRS का नाम Visible Infrared Imaging Radiometer Suite है. जब भारतीय वन सर्वे (FSI) को इस प्रकार की सूचना मिलती है तो वह वन क्षेत्रों की डिजीकृत सीमाओं से मिलान कर प्राप्त डाटा का विश्लेषण करता है और जिस वन-क्षेत्र में आग लगी है उसकी सटीक जानकारी निकाल लेती है. इसके पश्चात् FSI सम्बंधित राज्य को दावानल की सूचना भेज देता है जिससे कि उस वन क्षेत्र का प्रभारी मंडल वन अधिकारी (DFO) सूचना से अवगत होकर आवश्यक कार्रवाई करे.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : EMISAT MISSION

संदर्भ

हाल ही में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने देश के पहले इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलेंस उपग्रह – EMISAT – का प्रक्षेपण किया. यह प्रक्षेपण PSLV-C45 के माध्यम से किया गया. EMISAT के अतिरिक्त इसके साथ अन्य देशों के 28 छोटे उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया.

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EMISAT क्या है और यह कैसे काम करेगा?

  • 436 किलो का EMISAT एक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक जासूसी उपग्रह है जो ISRO और DRDO ने मिलकर बनाया है.
  • इसका काम विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है. इसको 749 किमी. ऊपर की कक्षा में डाला गया है.
  • यह इजराइल के सरल (Satellite with ARgos and ALtika) नामक प्रसिद्ध जासूसी उपग्रह के मॉडल पर तैयार हुआ है.
  • EMISAT और SARAL दोनों उपग्रहों में SSB-2 बस प्रोटोकॉल लगा हुआ है जोकि इनकी इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलेंस की क्षमता को तीव्र बनाने के लिए सबसे आधारभूत अवयव है.
  • EMISAT में ALtika नाम का एक विशेष ऊँचाई नापने वाला यंत्र भी लगा हुआ है जो स्पेक्ट्रम के Ka-band सूक्ष्म तरंग क्षेत्र में काम करता है.
  • EMISAT का इलेक्ट्रॉनिक सर्वेलेंस उपकरण का निर्माण DRDO की कौटिल्य परियोजना के अंतर्गत हुआ है.
  • EMISAT की मुख्य क्षमता सिग्नल पता लगाने की है. यह संचार प्रणालियों, राडारों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक तंत्रों द्वारा प्रसारित सिग्नलों को बीच में ही पकड़ लेता है. यह उपग्रह शत्रु के इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस को पकड़ेगा और उसका संग्रह करेगा.
  • इसकी Ka-band फ्रीक्वेंसी सरलता से बर्फ, बरसात, तटीय क्षेत्रों, भूमि खंडों, जंगलों और तरंग ऊँचाइयों के आर-पार देख सकती है.
  • यह अंतरिक्षयान पूरे विश्व की ध्रुव से लेकर ध्रुव तक की परिक्रमा प्रत्येक 90 मिनट में पूरा करेगा.

अन्य सह-प्रक्षेपित विदेशी उपग्रह

इस अभियान में 28 छोटे-छोटे विदेशी उपग्रह भी छोड़े गये हैं, परन्तु वे 504 किमी. ऊपर निम्न कक्षा में रहेंगे. विदेशी उपग्रहों में 24 अमेरिका के हैं और अन्य 4 लिथुएनिया, स्पेन और स्विट्ज़रलैंड के हैं.


Prelims Vishesh

‘Café Scientifique’ :-

  • केरल सरकार ने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से एक अपने ढंग की पहली पहल की है जिसका नाम ‘Café Scientifique’ दिया गया है.
  • यह पहल फ़्रांस के Café Philosophique मॉडल पर आधारित है. विदित हो कि इस प्रकार की संकल्पना सबसे पहले इंग्लैंड में हुई थी जिसे कालांतर में कई देशों ने अपनाया.
  • इस पहल के अंतर्गत प्रत्येक जिले में प्रत्येक महीने किसी कैफ़े अथवा सुविधाजनक स्थल पर विज्ञान में रूचि रखने वाले लोगों की सम्मेलन होगी जिसमें एक या अधिक वैज्ञानिकों को भी विज्ञान में होने वाली नई गतिविधियों का परिचय देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा.
  • इन मासिक बैठकों में जिन विषयों पर चर्चा हो सकती है, वे हैं – ब्रह्मांड, जलवायु परिवर्तन, क्रमिक विकास, जेनेटिक्स और पशु एवं मनुष्य के बीच के सम्बन्ध.

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