Sansar Daily Current Affairs, 02 April 2021
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Women related issues.
Topic : Gender Gap Index 2021
संदर्भ
विश्व आर्थिक मंच ने 2021 का वैश्विक लैंगिक अंतराल प्रतिवेदन प्रकाशित कर दिया है. विदित हो कि यह प्रतिवेदन प्रतिवर्ष 2006 से प्रकाशित होता रहा है.
ज्ञातव्य है कि इस प्रतिवेदन के अन्दर एक लैंगिक अंतराल सूचकांक भी है जो इन चार स्तम्भों पर आधारित है –
- आर्थिक अवसर
- राजनीतिक सशक्तीकरण
- शैक्षणिक उपलब्धि
- स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
- वर्तमान स्थिति को देखते हुए दुनिया भर में लैंगिक असमानता को पाटने में अभी 135.6 साल लगेंगे.
- रिपोर्ट के अनुसार, आइसलैंड दुनिया में सबसे कम लैंगिक असमानता वाला देश है. इसके बाद क्रमश: फ़िनलैंड और नॉर्व का स्थान है.
- राजनीतिक असमानता: प्रतिवेदन के अनुसार, 35,500 संसद सीटों में से केवल 26.1 प्रतिशत महिलाएँ हैं और दुनिया भर में 3,400 मंत्रियों में से मात्र 22.6 प्रतिशत महिलाएँ हैं.
भारत की स्थिति
- विश्व आर्थिक मंच की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 में भारत 28 स्थान खिसक कर 156 देशों में से 140वें स्थान पर आ गया है. इसके साथ ही भारत, दक्षिण एशिया में अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बाद तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश भी बन गया है.
- राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के आधार पर भारत को 51वाँ स्थान दिया गया है, यहाँ बर्ष 2019 में 23.1% की तुलना में महिला मंत्रियों की संख्या घटकर वर्ष 2021 में 9.1% रह गई.
- शिक्षा प्राप्ति के सूचकांक में, भारत को 114वें स्थान पर रखा गया है.
- आर्थिक भागीदारी में भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में रहा है, पिछले एक वर्ष में इस क्षेत्र में भारत में लैंगिक समानता में 3% की वृद्धि हुई है. पेशेवर और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 29.2 प्रतिशत तक घट गई. वरिष्ठ और प्रबंधकीय पदों पर भी महिलाओं की भागीदारी 14.6 प्रतिशत है और देश में केवल 8.9 प्रतिशत कंपनियों में शीर्ष महिला प्रबंधक हैं.
- भारत में महिलाओं की अनुमानित आय पुरुषों की तुलना में 1/5 है, इस दृष्टि से भारत विश्व के 10 सर्वाधिक खराब देशों में आता है.
- महिलाओं के स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा के क्षेत्र में भारत, चीन के बाद सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है, कम लिंगानुपात को इसके लिए जिम्मेवार कारक माना जा सकता है.
विश्व आर्थिक मंच क्या है?
- विश्व आर्थिक मंच एक गैर-लाभकारी वैश्विक संस्था है जिसका गठन 1971 में हुआ था.
- इसकी स्थापना यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्लॉस एम. श्वाब (Klaus Schwab) ने की थी.
- 1987 में इसका नाम बदलकर World Economic Forum कर दिया गया.
- इसका मुख्यालय जिनेवा में है.
- इसके अलावा टोकियो, न्यूयॉर्क, बीजिंग में इसका कार्यालय है.
- इसकी बैठक हर साल जनवरी महीने में होती है.
- फाउंडेशन बोर्ड फोरम, अतर्राष्ट्रीय बिज़नेस कौंसिल और मैनेजिंग बोर्ड इसका सामान्य कामकाज और प्रशासन संभालते हैं.
- 2015 में इसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन के तौर पर मान्यता दी गई.
- शुरूआती दौर में इस बैठक में सिर्फ व्यापार पर ही बात होती थी पर अब इस बैठक में दुनिया-भर के बड़े नेता, अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी, बुद्धिजीवी और पत्रकार शामिल होते हैं.
- इस दौरान औपचारिक बैठक और अनौपचारिक बातचीत के जरिये दुनिया भर की समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की जाती है.
WEF क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- विश्व आर्थिक मंच की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्रीस और तुर्की ने 1988 में यहाँ पर आपसी युद्ध टालने का ऐलान किया था.
- 1992 में दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन राष्ट्रपति डी.क्लार्क और रंगभेदी आन्दोलन के नेता नेल्सन मंडेला के बीच यहाँ बैठक हुई थी.
- 1994 में इजराइल और फ़लीस्तीन के बीच यहाँ आपसी सहमति से शान्ति का मसौदा पेश किया गया.
- इस समय दुनिया की करीब 1000 बड़ी कंपनियाँ इस संगठन के सदस्य हैं जबकि Top 100 world companies इसकी strategic हिस्सेदार हैं. इसकी सदस्यता के लिए उन कंपनियों को चुना जाता है जो अपने क्षेत्र में अग्रणी हैं.
- 2002 में विश्व स्वास्थ्य पहल के अंतर्गत इस संस्था ने सार्वजनिक-निजी क्षेत्र के सहयोग से एड्स और टी.बी. जैसे बिमारियों को जड़ से उखाड़ने की पहल की थी.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Article 244A and Sixth Schedule
संदर्भ
हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक वीडियो संदेश में संविधान के अनुच्छेद 244 क को लागू करने का वादा किया था ताकि असम के आदिवासी बहुल जिलों में लोगों के हितों की रक्षा की जा सके.
विवाद क्या है?
वर्ष 1960 में पहाड़ी क्षेत्रों के कई राजनीतिक दलों ने मिलकर ऑल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फ्रेंस (All Party Hill Leaders Conference) का गठन किया और एक अलग राज्य की माँग को सामने रखा. इस लंबे समय के आंदोलन के परिणामस्वरूप, 1972 में मेघालय का गठन किया गया. इसी आन्दोलन में उत्तरी कछार हिल्स और कार्बी एंगलोग के नेता भी शामिल थे जिन्हें अनुच्छेद 244 क के तहत अधिक स्वायत्तता का आश्वासन देकर असम में शामिल रखा गया. तभी से, असम राज्य के इन क्षेत्रों में अनुच्छेद 244 क को लागू करने की माँग की जा रही है.
अनुच्छेद 244 क
- संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244) देश के चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम – के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बंधित है.
- 22वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1969 के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 244 क जोड़ा गया, जो संसद को शक्ति प्रदान करता है कि वह विधि के द्वारा असम के कुछ जनजातीय क्षेत्रों को मिलाकर एक स्वायत्त राज्य की स्थापना और उसके लिये स्थानीय विधानमंडल या मंत्रिपरिषद या दोनों का सृजन कर सकती है.
अनुच्छेद 244 क और छठी अनुसूची
जहाँ छठी अनुसूची के तहत गठित स्वायत्त परिषदों के पास कानून और व्यवस्था का सीमित अधिकार क्षेत्र है. वहीं दूसरी ओर अनुच्छेद 244 क आदिवासी क्षेत्रों को अधिक स्वायत्त शक्तियाँ प्रदान करता है.
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची
- जनजातीय क्षेत्रों में राज्यपाल को स्वायत्त जिलों का गठन और पुनर्गठन करने का अधिकार है. राज्यपाल स्वशासी क्षेत्रों की सीमा घटा या बढ़ा सकता है तथा नाम भी परिवर्तित कर सकता है.
- यदि किसी स्वायत्त जिले में एक से अधिक जनजातियाँ हैं तो राज्यपाल इस जिले को अनेक स्वायत्त क्षेत्रों में बाँट सकता है.
- प्रत्येक स्वायत्त जिले में 30 सदस्यों की एक जिला परिषद् होती है जिसमें 4 जन राज्यपाल नामित करता है और शेष 26 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं.
- जिला परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है और नामी सदस्य तब तक सदस्य बने रहते हैं जब तक राज्यपाल की इच्छा हो.
- प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र का अपनी एक अलग क्षेत्रीय परिषद् होती है.
- जिला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र का प्रशासन देखती हैं.
- जिला व क्षेत्रीय परिषदें अपने अधीन क्षेत्रों में जनजातियों के आपसी मामलों के निपटारे के लिये ग्राम परिषद या न्यायालयों का गठन कर सकती हैं. वे अपील सुन सकती हैं. इन मामलों में उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का निर्धारण राज्यपाल द्वारा किया जाता है.
- जिला परिषद अपने जिले में प्राथमिक विद्यालयों, औषधालय, बाजारों, फेरी, मत्स्य क्षेत्रों, सड़कों आदि को स्थापित कर सकती है या निर्माण कर सकती है. जिला परिषद साहूकारों पर नियन्त्रण और गैर-जनजातीय समुदायों के व्यापार पर विनियम बना सकती है, लेकिन ऐसे नियम के लिये राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है.
- जिला व प्रादेशिक परिषद को भू-राजस्व का आकलन व संग्रहण करने का अधिकार है. वह कुछ विनिर्दिष्ट कर भी लगा सकता है.
- संसद या राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्मित नियम को स्वशासी क्षेत्रों में लागू करने के लिये आवश्यक बदलाव किया जा सकता है.
- राज्यपाल, स्वशासी जिलों तथा परिषदों के प्रशासन की जाँच और रिपोर्ट देने के लिये आयोग गठित कर सकता है. राज्यपाल, आयोग की सिफारिश पर जिला या परिषदों को विघटित कर सकता है.
नागालैंड के संबंध में
अनुच्छेद 371 ए को संविधान में 13वें संशोधन के बाद 1962 में जोड़ा गया था. यह अनुच्छेद नागालैंड के लिए है. इसके अनुसार, संसद बिना नागालैंड की विधानसभा की स्वीकृति के नागा धर्म से जुड़ी हुई सामाजिक परंपराओं, पारंपरिक नियमों, कानूनों, नागा परंपराओं द्वारा किए जाने वाले न्यायों और नागाओं की जमीन के मामलों में कानून नहीं बना सकती है अथवा इस अनुच्छेद के अनुसार, नागालैंड विधानसभा द्वारा संकल्प प्रस्ताव पारित किये बिना संसद का कोई भी अधिनियम राज्य के कई क्षेत्रों में लागू नहीं होगा.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Schemes for the vulnerable sections of the society.
Topic : Emergency Credit Line Guarantee Scheme
संदर्भ
हाल ही में, सरकार द्वारा 3 लाख-करोड़ रुपए की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (Emergency Credit Line Guarantee Scheme– ECLGS) को आगामी तीन महीनों की अवधि अर्थात् 30 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया है तथा योजना के दायरे का विस्तार करते हुए इसमें आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन जैसे नए क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है.
विवरण
- आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) को कोविड-19 और इसके बाद लॉकडाउन के कारण बनी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के एक निर्दिष्ट उपाय के रुप में बनाया गया है. इससे MSME क्षेत्र में विनिर्माण और अन्य गतिविधियाँ बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
- इस योजना का उद्देश्य आर्थिक परेशानी झेल रही MSME को पूरी गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन के रुप में तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग उपलब्ध कराते हुए उन्हें राहत दिलाना है.
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं यानी बैंकों, वित्तीय संस्थानों (FI), और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) को कोविड-19 संकट की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे MSME कर्जदारों को देने के लिए उनके पास अतिरिक्त फंडिंग सुविधा की उपलब्धता बढ़ाना है. उन्हें कर्जदारों द्वारा जीईसीएल फंडिंग का पुनर्भुगतान नहीं किए जाने की वजह से होने वाले किसी नुकसान के लिए 100% गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी.
- ECLGS 3.0 के तहत 29 फरवरी, 2020 तक सभी ऋण देने वाली संस्थाओं की कुल बकाया ऋण के 40 प्रतिशत तक का विस्तार शामिल किया जाएगा.
- ECLGS 3.0 के तहत दिए गए ऋणों का कार्यकाल 6 वर्ष का होगा, जिसमें 2 वर्ष की छूट अवधि शामिल होगी.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Small Savings Scheme: SSS
संदर्भ
सरकार ने लघु बचत योजनाओं (Small Savings Scheme: SSS) पर दरों में कटौती की घोषणा करने वाले आदेश को निरस्त किया.
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें, मार्च 2021 के स्तर पर बनी रहेंगी. वित्त मंत्रालय त्रमासिक आधार पर लघु बचत ब्याज दरों का निर्धारण करता है और योजनाओं को तीन भागों में बाँटा गया है –
- बचत खाते की भांति डाकघर जमा.
- बचत प्रमाण-पत्र जैसे- राष्ट्रीय लघु बचत प्रमाण-पत्र (National Small Savings Certificate)
- लोक भविष्य निधि (PPF) जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ.
सभी लघु बचत संग्रहणों को आर्थिक कार्य विभाग द्वारा प्रशासित राष्ट्रीय लघु बचत कोष (National Small Savings Fund) में जमा कर दिया जाता है.
कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाओं का विवरण –
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना खाता
- यह योजना 60 वर्ष से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए है.
- इसमें अधिकतम 15 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है.
- जिनकी आयु 55 वर्ष से अधिक, परंतु 60 वर्ष से कम है, वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं. किन्तु यह सुविधा कुछ शर्तों के अधीन है.
लोक भविष्य निधि खाता
- इसमें 45 वर्ष का लॉक-इन पीरियड है.
- न्यूनतम जमा- प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 500 रुपये.
- अधिकतम जमा- प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 1,50,000 रुपये.
सुकन्या समृद्धि खाता
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत सूचीबद्ध.
- एक अभिभावक 10 वर्ष तक की बालिकाओं के लिए यह खाता खुलवा सकता है.
- न्यूनतम निवेश- 250 रुपये प्रति वर्ष.
- अधिकतम निवेश- 1,50,000 रुपये प्रति वर्ष.
Prelims Vishesh
Amboli as a biodiversity heritage site :-
- हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने सिंधुदुर्ग के अंबोली में एक मंदिर को जैव विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में घोषित करते हुए एक अधिसूचना जारी की है.
- हाल ही में ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक कर्मचारी ने मंदिर के तालाब में ‘शिस्टुरा हिरण्यकेशी’ मछली की प्रजाति को पाया है.
- महाराष्ट्र सरकार ने सिंधुदुर्ग (Sindhudurg) जिले में पश्चिमी घाटों में अम्बोली में एक क्षेत्र घोषित किया है, जहाँ एक दुर्लभ मीठे पानी की मछली की प्रजातियों को जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में खोजा गया था.
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