Sansar Daily Current Affairs, 02 August 2018
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Cabinet clears Bill to restore the provisions of SC/ST Act
- केन्द्रीय मंडल ने हाल ही में एक विधेयक प्रस्तुत करने को मंजूरी दे दी है.
- इस विधेयक के द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के उन मूल प्रावधानों को वापस लाया जाएगा जिन्हें गत मार्च में सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था.
विधेयक द्वारा प्रविष्ट नए अनुच्छेद
मूल अधिनियम के अनुभाग 18 के पश्चात् ये तीन नए अनुच्छेद प्रविष्ट किए जायेंगे –
- किसी व्यक्ति के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्राथमिक जाँच की आवश्यकता नहीं होगी.
- अधिनियम के अंतर्गत किये गये किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं होगी.
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) के अनुभाग 438 में वर्णित अग्रिम जमानत के प्रावधान इस अधिनियम के अधीन दायर मामले में नहीं लागू होंगे.
इस विधयेक की जरूरत क्यों पड़ी?
मार्च 20 के एक निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने मूल अधिनियम के उस प्रावधान को निरस्त कर दिया था जिसमें आरोपित व्यक्ति को बिना जाँच-पड़ताल के गिरफ्तार कर लिया जाता है. न्यायालय ने इसके स्थान पर यह निर्णय दिया कि आरोपित व्यक्ति तभी गिरफ्तार हो जब प्राथमिक जाँच में आरोप प्रथम दृष्टया सत्यापित हो. सर्वोच्च न्यायाय के इस आदेश का दलित समूहों द्वारा प्रबल विरोध किया गया. न्यायालय ने भी अपने निर्णय को बदलने से इनकार कर दिया. इसलिए सरकार यह संशोधन विधेयक ला रही है.
SC/ST Act के बारे में
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम संसद द्वारा सितम्बर 9, 1989 में पारित हुआ था और इस अधिनियम के लिए नियमों की अधिसूचना मार्च 31, 1995 में निर्गत हुई थी.
- इस अधिनियम में 22 अपराध वर्णित किये गये हैं. इन अपराधों में आर्थिक, लोकतांत्रिक एवं सामाजिक अधिकारों का हनन, भेदभाव, शोषण तथा विधि प्रक्रिया का दुरूपयोग शामिल हैं.
- अन्य मुख्य अपराध हैं – कुछ स्थलों पर जाने से रोकना, पारम्परिक मार्गों के उपयोग से रोकना, अखाद्य वस्तु पिलाना अथवा खिलाना, यौन शोषण, शारीरिक क्षति, संपत्ति से सम्बंधित अत्याचार, दुष्टतापूर्ण मुकदमे, राजनैतिक तथा आर्थिक शोषण.
- अधिनियम का अनुभाग 14 यह प्रावधान करता है कि प्रत्येक जिले में इस अधिनियम के अन्दर आने वाले अपराधों का मुकदमा एक विशेष अदालत में चलेगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Seva Bhoj Yojna
- हाल ही में केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय ने ‘सेवा भोज’ नामक एक नई योजना की शुरूआत की है.
- भारत सरकार ने संस्कृति मंत्रालय के अधीन संचालित सेवा भोज योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2018-2019 एवं 2019-20 में 325 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया है.
- सरकार ने दातव्य धार्मिक संस्थानों द्वारा मुफ्त में दिए जाने वाल प्रसाद / लंगर / भंडारा आदि भोजन कार्यक्रमों में प्रयुक्त होने वाली खाद्य सामग्रियों पर से GST हटाने का निर्णय लिया है.
- ये खाद्य सामग्रियाँ हैं – घी, खाने का तेल, आटा, मैदा, रवा/सूजी, चावल, दाल, चीनी और गुड़.
- इस योजना का उद्देश्य है उन दातव्य संस्थानों का आर्थिक बोझ हल्का किया जा सके जो बिना किसी भेद-भाव के लोगों को मुफ्त में भोजन का वितरण करते हैं.
- दातव्य संस्थानों में आने वाली संस्थाएँ हैं – मन्दिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, चर्च, धार्मिक आश्रम, दरगाह, मठ.
- वे ही संस्थाएँ इस योजना का लाभ उठा सकेंगी जो निम्नलिखित मापदंडों को पूरा करती हैं –
- जहाँ हर महीने कम से कम 5000 लोगों को मुफ्त भोजन दिया जाता है.
- जो संस्थान इस योजना के तहत आवेदन करने की तिथि से पाँच वर्ष पहले अस्तित्व में आई हुई हो.
- इन संस्थाओं को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम तहत पंजीकृत होना आवश्यक है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Concessional Financing Scheme (CFS)
सन्दर्भ
विदेश की रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण आधारभूत संरचना से सम्बंधित परियोजनाओं के लिए बोली लगाने वाले भारतीय प्रतिष्ठानों को प्रश्रय देने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने रियायती वित्त योजना (Concessional Financing Scheme -CFS) के पहले विस्तार की मंजूरी दे दी है.
CFS कैसे कार्य करता है?
- सर्वप्रथम आर्थिक कार्य मंत्रालय भारत के रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए विशेष परियोजनाओं का चयन करता है तथा उन्हें आर्थिक कार्य विभाग को भेज देता है.
- आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं पर विचार करके यह निर्धारित करता है कि कौन-सी योजनाओं में इस योजना के तहत वित्त लगाया जा सकता है.
- समिति के अनुमोदन के पश्चात् आर्थिक कार्य विभाग EXIM Bank को एक औपचारिक पत्र देता है जिसमें CFS के अन्दर परियोजना को वित्त देने सम्बन्धी अनुमोदन की सूचना होती है.
- CFS योजना वर्तमान में भारतीय निर्यात-आयात बैंक (EXIM Bank) के माध्यम से संचालित होती है और यही बैंक रियायती वित्त मुहैया करने हेतु बाजार से वित्त उठाता है.
- भारत सरकार (GoI) EXIM बैंक को काउंटर गारंटी देती है तथा साथ ही 2% ब्याज समानीकरण समर्थन (interest equalization support) भी प्रदान करती है.
- इस योजना के अंतर्गत EXIM बैंक जो कर्ज देता है उसकी दर LIBOR (छह महीने का औसत) +100 bps से अधिक नहीं होती है. कर्ज की वापसी के लिए विदेशी सरकार गारंटी देती है.
योजना का महत्त्व
- CFS योजना के लागू होने के पहले भारतीय प्रतिष्ठान विदेश में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में बोली लेने में असमर्थ रहते थे क्योंकि उन्हें कठोर शर्तों पर इसके लिए धन की व्यवस्था की करनी पड़ती थी.
- दूसरी ओर चीन, जापान, यूरोप और अमेरिका के बोली लगाने वालों को कम दर वाले ब्याज पर और लम्बी अवधि में चुकाए जाने योग्य कर्जे मिल जाते थे.
- भारतीय प्रतिष्ठानों को रणनीतिक हितों वाली विदेशी योजनाओं में काम मिल जाने का लाभ यह होगा कि भारत में नए रोजगारों का सृजन होगा, सामग्रियों तथा मशीनों की माँग बढ़ेगी और भारत के लिए विश्व में प्रचुर सद्भाव उत्पन्न होगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : ऑक्सीटोसिन (Oxytocin)
संदर्भ
ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) की खुदरा बिक्री और निजी उत्पादन पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लगाया गया प्रतिबंध सितम्बर 1, 2018 से लागू होने जा रहा है.
ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) क्या है?
- ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) एक हार्मोन (hormone) है जिसका मनुष्य तथा पशु के व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है. इस हार्मोन की प्रेम में भी भूमिका होती है. साथ ही स्त्रियों के प्रजनन से सम्बंधित जैविक कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. इसलिए इस हार्मोन को आलिंगन हार्मोन (hug hormone), आलिंगन रसायन (cuddle chemical), नैतिक अणु (moral molecule), आनंद हार्मोन (bliss hormone) भी कहा जाता है.
- ऑक्सीटोसिन मस्तिष्क की हाइपोथेलेमस में बनने वाला एक हार्मोन होता है. यह हार्मोन मस्तिष्क के नीचले हिस्से में स्थित पीयूष ग्रन्थि (pituitary gland) में पहुँचकर फिर वहाँ से निस्सृत होता है.
- ऑक्सीटोसिन हार्मोन के साथ-साथ एक मस्तिष्क स्नायु-सम्प्रेषक (neurotransmitter) के रूप में भी काम करता है.
- पीयूष ग्रन्थि से निस्सृत ऑक्सीटोसिन स्त्री प्रजनन से जुड़े दो कार्यों को नियंत्रित करता है – प्रसूति, स्तनपान.
ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) का प्रयोग
ऑक्सीटोसिन औषधि मानवीय हार्मोन का एक कृत्रिम रूप है जो महिलाओं के लिए जीवन-रक्षक होता है. चिकित्सक इसका प्रयोग गर्भवती महिलाओं में प्रसूति को सरल बनाने के लिए तथा बाद में होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए करते हैं. मातृ-स्वास्थ्य में इस औषधि की भूमिका इतनी महत्त्वपूर्ण है लो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रसवोपरान्त रक्त स्राव के उपचार के लिए इसकी अनुशंसा करता है.
प्रतिबंध (Ban) क्यों?
- गोपालन में इस औषधि का बहुत दुरूपयोग होता आया है. गोपालक इसे बिना सोचे-समझे दूध बढ़ाने के लिए इस औषधि का प्रयोग करते हैं.
- दुधारू पशुओं में इस हार्मोन के प्रयोग के चलते बाँझपन आ जाता है.
- ऑक्सीटोसिन से थनैला (mastitis) नामक रोग हो जाता है जिसमें पशु के थन में पीड़ादायक जलन हो जाती है.
क्या किया जाना चाहिए?
यह सत्य है कि oxytocin के बहुत सारे दुष्प्रभाव हैं. परन्तु भारतीय महिलाओं के लिए यह बड़े काम की चीज है क्योंकि प्रत्येक वर्ष 45,000 स्त्रियाँ प्रसव से जुड़े कारणों से मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं. अतः सरकार द्वारा लागू होने वाले प्रतिबंध को हटाने अथवा सीमित करने के लिए कई स्रोतों से आवाज उठ रही है. हाल में भारत सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध की समीक्षा करने का संकेत दिया है.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : State Energy Efficiency Preparedness Index
सन्दर्भ
ऊर्जा सक्षमता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency – BEE) एवं ऊर्जा सक्षम अर्थव्यवस्था संघ (AEEE) ने संयुक्त रूप से राज्य ऊर्जा सक्षमता तत्परता सूचकांक (State Energy Efficiency Preparedness Index) निर्गत किया है.
यह सूचकांक क्या है?
- यह एक राष्ट्रीय सूचकांक है जो राज्यों की ऊर्जा विषयक नीतियों और कार्यक्रमों का आकलन करता है.
- इस सूचकांक से राष्ट्रीय ऊर्जा सक्षमता के लिए राज्यों में किये जाने वाले प्रयासों को लागू करने में सहायता मिलेगी. साथ ही ऊर्जा सुरक्षा (energy security), ऊर्जा उपलब्धता (energy access) एवं जलवायु परिवर्तन (climate change) के राज्यस्तरीय तथा राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी.
- इस सूचकांक के 63 स्वतंत्र संकेतक तथा 4 मिले-जुले संकेतक हैं.
- स्वतंत्र संकेतकों में मुख्य हैं – भवन निर्माण, उद्योग, नगरपालिका, परिवहन कृषि तथा ऊर्जा वितरण कंपनियाँ.
- यह सूचकांक राज्यों की नीतियों एवं नियमों, वित्तीय तंत्रों, संस्थागत क्षमता, ऊर्जा बचाने वाले उपायों तथा बचाई गई ऊर्जा का अध्ययन करता है.
सूचकांक में वर्णित श्रेणियाँ
- सूचकांक में राज्यों को उपलब्धि के आधार पर उन्हें कुछ श्रेणियाँ दी जाती हैं, जैसे – अग्रणी (Front Runner), सफल (Achiever), प्रतियोगी (Contender), आकांक्षी (Aspirant)
- सूचकांक के पहले संस्करण में जो राज्य अग्रणी श्रेणी में रखे गये हैं, वे हैं – आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान.
- सफल राज्यों की श्रेणी में गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा को रखा गया है.
सूचकांक की महत्ता
ज्ञातव्य है कि अमेरिका और चीन के बाद भारत ही वह देश है जहाँ सबसे अधिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित होते हैं. अतः भारत की योजना है कि 2030 तक कार्बन फुटप्रिंट को 2005 के स्तर से 33-35% घटाया जाए. पेरिस 2015 की बैठक में भारत ने यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. राज्य ऊर्जा सक्षमता तत्परता सूचकांक (State Energy Efficiency Preparedness Index) प्रकाशित करने से कार्बन उत्सर्जन को समझने और नियंत्रित करने में विपुल सहायता मिलेगी.
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