Sansar Daily Current Affairs, 02 December 2020
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Post-independence consolidation and reorganization within the country.
Topic : Naga – Demand of separate flag
संदर्भ
नागालैंड के राज्यपाल और नागा शांति वार्ता के लिए केंद्र सरकार के वार्ताकार ने एनएससीएन (आईएम) / NSCN-IM द्वारा की जा रही राज्य के लिए एक अलग झंडे और संविधान की मांग को खारिज कर दिया है.
पृष्ठभूमि
पिछले महीने एनएससीएन-आईएम ने दावा किया था कि केंद्र ने नागा लोगों की संप्रभुता को मान्यता दी थी. साल 2015 में इस बात पर समझौता हुआ था कि नागा लोग सह-अस्तित्व में रहेंगे लेकिन भारत में विलय नहीं करेंगे. विदित हो कि महासचिव थुइलिंगेंग मुइवा सहित एनएससीएन-आईएम के शीर्ष नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में डेरा डाले हुए है.
क्या है नागालैंड की समस्या?
- झंडा पहचान का सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण होता है. भारत सरकार के नज़रिए से देखें तो ये पहचान का खेल ही नागा संघर्ष की जड़ है.
- भारत सरकार और नागालैंड में शांति वार्ता की राह में तीन प्रमुख चुनौतियां हैं जिससे किसी एक समग्र निष्कर्ष पर पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है. यह तीन प्रमुख चुनौतियां हैं – वृहद नागालैंड की मांग, (अरूणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर के क्षेत्र शामिल) पृथक संविधान और पृथक झंडा.
- पूर्वोत्तर में स्थित नागा समुदाय और नागा संगठन ऐतिहासिक तौर पर नागा बहुल इलाकों को मिलाकर एक ग्रेटर नागालिम राज्य बनाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं.
- ‘नागालिम’ या ग्रेटर नागा राज्य का उद्देश्य मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नागा बहुल इलाकों का नागालिम में विलय करना है.
- यह देश की पुरानी समस्याओं में से एक है.
- प्रस्तावित ग्रेटर नागालिम राज्य के गठन की मांग के अनुसार मणिपुर की 60% ज़मीन नागालैंड में जा सकती है.
- मैतेई और कुकी दोनों समुदाय मणिपुर के इलाकों का नागालिम में विलय का विरोध करते हैं.
- अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भारत सरकार और नागाओं के प्रतिनिधियों के बीच एक नए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए थे.
NSCN का इतिहास
- नागालैंड में विद्रोही संगठनों का अतीत बताता है कि जब-जब कोई एक गुट शांतिवार्ता के लिए ज्यादा प्रतिबद्ध हुआ है तो राज्य में नए विद्रोही गुट ताकतवर हो जाते हैं. खुद एनएससीएन (आईएम) के जन्म का इतिहास भी यही है.
- देश की आजादी के बाद से ही नागालैंड स्वतंत्रता की मांग कर रहा है. उस समय नागा नेता अंगामी जापी फीजो के नेतृत्व में नागा नेशनल काउंसिल (एनएनसी) नागा लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे बड़ा संगठन था.
- 1956 में इसने अपनी सैन्य टुकड़ी का गठन करके अपनी एक स्वघोषित सरकार भी बना ली थी. इस संगठन को भी कई बार शांति समझौते के लिए तैयार करने की कोशिश की गई लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला तो 1972 में एनएनसी को प्रतिबंधित कर दिया गया.
- आखिरकार 1975 में सरकार और इस संगठन के बीच शिलॉन्ग शांति समझौता हो गया. इस समझौते के विरोध में एनएनसी के एक धड़े ने 1980 में एनएससीएन (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड) का निर्माण किया था.
- इस तरह एनएनसी तो हाशिए पर चला गया और यह नया गुट राज्य का सबसे बड़ा विद्रोही संगठन बन गया. एनएससीएन के साथ म्यांमार के नागा भी एकजुट थे. 1988 में एनएससीएन का एक और विभाजन हुआ और म्यांमार स्थित नागाओं ने एसएस खापलांग के नेतृत्व में एनएससीएन (के) बना लिया.
- भारतीय नागाओं के गुट का नेतृत्व आइजेक चिशी स्वू और टी मुइवा के हाथ में रहा और इसे ही एनएससीएन (आईएम) कहा जाता है.
आगे की राह
नागालैंड की सीमा से लगते अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर में अच्छी खासी संख्या में नागा आबादी रहती है. नागाओं को अधिकार देते वक्त मणिपुर के गैर नागा आबादी, जो राज्य में बहुमत में है, की चिंताओं के साथ एक संतुलन बनाना बहुत जरूरी है. यदि यह नहीं हुआ तो इन क्षेत्रों में नागाओं को मिलने वाले अतिरिक्त अधिकार उनके और गैर-नागा आबादी के बीच संघर्ष की वजह बन सकते हैं. यही बात अरुणाचल प्रदेश और असम के बारे में भी कही जा सकती है.
परस्पर विरोधी मांगों के कारण निसंदेह नागालैंड में शांति स्थापित करना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है. सरकार को नागा शांति की प्रक्रिया को लागू करते हुए अन्य राज्यों की सीमाओं को अक्षुण्ण रखते हुए इन राज्यों में रहने वाली नागा आबादी वाले क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान के विकल्प पर आगे बढ़ा जा सकता है. इसके साथ ही नागा आबादी के संस्कृति एवं विकास हेतु प्रथक बजट प्रदान किया जाना चाहिए.
नागा लोगों की आशंका दूर करते हुए एक ऐसे निकाय का गठन किया जा सकता है जो नागालैंड समेत पूर्वोत्तर राज्यों में नागा लोगों के अधिकारों के संवर्धन और सुरक्षा की निगरानी कर सकें.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests
Topic : ASHGABAT AGREEMENT
अश्गाबात समझौता
- अश्गाबात समझौता दरअसल मध्य एशिया और फारस की खाड़ी के बीच सामान के आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा है.
- इसके तहत भारत को फारस की खाड़ी के रास्ते मध्य एशिया में दाखिल होने की सुविधा हासिल होगी. यह समझौता ट्रांजिट और माल परिवहन से जुड़ा है.
- इसका नाम तुर्केमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात पर पड़ा है.
- ईरान, ओमान, तुर्केमेंनिस्तान और उज्बेकिस्तान इस समझौते के संस्थापक देश हैं.
- इसके अलावा कजाकिस्तान भी अश्गाबात समझौते का हिस्सा है.
- इस समझौते से जुड़कर भारत को यूरेशियाई इलाके के देशों के साथ व्यापार और व्यावसायिक मेलजोल बढ़ाने में मदद मिलेगी.
- भारत लम्बे अरसे से मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी के लिए विकल्प खोजता रहा है.
- भारत के लिए पाकिस्तान को दरकिनार कर यूरोप और मध्य एशिया तक पहुँचना नामुमकिन है. ऐसी स्थिति इसलिए है कि भारत का वह हिस्सा जो सीधे अफगानिस्तान से मिलता था अभी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है.
- इस बीच भारत चीन की OROB परियोजना (One Belt One Road) के विकल्प भी ढूँढ़ रहा है.
- अश्गाबात समझौते से जुड़ने के बाद भारत के लिए नई राहें खुल जायेंगी.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment
Topic : Climate Emergency in New Zealand
संदर्भ
हाल ही में न्यूजीलैंड सरकार ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के घातक प्रभावों का आकलन करने के बाद देश में जलवायु आपातकाल की घोषणा की है. न्यूजीलैंड अधिकांश सांसदों ने जलवायु आपातकालीन घोषणा के पक्ष में मतदान किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल नेशनल पार्टी ने इसके खिलाफ मतदान किया.
मुख्य बिंदु
- दुनिया में करीब 30 देशों ने क्लाइमेट इमरजेंसी का ऐलान किया है. इनमें ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस भी शामिल हैं.
- इसके मुताबिक, देश के सभी सरकारी विभागों और इंस्टीट्यूशन्स को साल 2025 तक कार्बन न्यूट्रल किया जाएगा अर्थात् यहां कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा.
- न्यूजीलैंड सरकार की क्लाइमेट इमरजेंसी डिक्लेयरेशन के अनुसार वहां केसरकारी विभागों को कार्बन न्यूट्रल किया जाना है. पीएम जेसिंडा के मुताबिक- यह बिल ग्लोबल वार्मिंग के एवरेज लेवल को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने के लक्ष्य में मददगार साबित होगा. सबसे पहले सरकारी विभागों को इसके तहत लाया जाएगा. इन्हें 2025 तक कार्बन न्यूट्रल बनाया जाएगा.
जलवायु आपातकाल क्या है?
- 2019 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार जलवायु आपातकाल को एक ऐसी स्थिति में परिभाषित करता है जिसमें जलवायु परिवर्तन से होने वाले या संभावित पर्यावरणीय न्यूनतम क्षति को कम करने या रोकने के लिए तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है. उल्लेखनीय है कि क्लाइमेट एमरजैंसी को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने विश्व का दूसरा सबसे लोकप्रिय शब्द माना है.
- ग्रीनपीस न्यूजीलैंड के द्वारा न्यूजीलैंड सरकार से जलवायु आपातकाल घोषित करने की मांग की गई थी एवं इस क्लाइमेट एमरजैंसी के पीछे यह तर्क यह दिया गया था कि “वर्तमान में मानव मौसम की अत्यधिक चरम अवस्था, वन्य जीवन संपदा का क्षरण और स्वच्छ जल समेत भोजन तक पहुंच के संकट का सामना कर रहा हैं.”
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Economy.
Topic : Production Gap Report
संदर्भ
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा जारी की गयी उत्पादन अंतराल प्रतिवेदन (प्रोडक्शन गैप प्रतिवेदन -Production Gap Report) में कहा गया है कि जलवायु संकट से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कटौती की तत्काल आवश्यकता के बावजूद, दुनिया की सरकारें जीवाश्म ईंधन निर्भरता को “दोगुनी” कर रही हैं.
- यह प्रतिवेदन स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट (SEI), इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD), ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, E3G और UNEP द्वारा तैयार की गई है.
उत्पादन अंतराल प्रतिवेदन
- प्रोडक्शन गैप प्रतिवेदन प्रतिवेदन को पहली बार 2019 में लॉन्च किया गया. यह प्रतिवेदन पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप संबंधित देशों के कोयले, तेल और गैस के अनुमानित उत्पादन के अंतर को मापती है.
- यह प्रतिवेदन को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के द्वारा जारी किया जाता है. इस प्रतिवेदन को स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट (SEI), इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD), ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, E3G और UNEP द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की जाती है.
उत्पादन अंतराल प्रतिवेदन, 2020 के निष्कर्ष
- 2020 में जारी इस प्रोडक्शन गैप प्रतिवेदन के अनुसार, अनुसंधान से पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए दुनिया को जीवाश्म ईंधन उत्पादन में 6% प्रति वर्ष की कमी करनी चाहिए, लेकिन दुनिया के अधिकांश देश अगले दशक में अपने जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.
- इस वर्ष प्रतिवेदन का विशेष अंक COVID-19 महामारी के निहितार्थ पर केन्द्रित है. इस प्रतिवेदन में इस महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए किए जा रहे उपायों में कोयला, तेल और गैस उत्पादन को सरकारों द्वारा प्रोत्साहन को विशेष रूप से शामिल किया गया है. क्योकि इस समय दुनिया जिस मोड़ पर है वहाँ से उबरने में सरकारें अभूतपूर्व कार्य कर सकती हैं. जबकि चीन, जापान और दक्षिण कोरिया सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने का संकल्प लिया है.
- सरकारे इस महामारी से उबरने के लिए जीवाश्म ईधन के उत्पादन में 2% वार्षिक की वृद्धि की योजना बना रहे हैं. यहाँ तक कि जी20 देशों द्वारा स्वच्छ ईंधन की तुलना में जीवाश्म ईंधन के लिए 50% अधिक कोरोनवायरस रिकवरी फंडिंग दे रहे हैं. इन देशों ने जीवाश्म ईंधन के लिए $230 बिलयन और स्वच्छ ईंधन के लिए $150 बिलियन की कोरोनवायरस रिकवरी फंडिंग की प्रतिबद्धता दर्शाई है.
- प्रतिवेदन में कहा गया है कि कोविड -19 महामारी से 2020 में जीवाश्म ईंधन के उत्पादन में 7% की कटौती होने की उम्मीद है, लेकिन इससे 2030 तक कुल उत्पादन में मुश्किल ही कोई बदलाव हो सकेगा. क्योंकि देश 1.5०C के मानक तुलना में दोगुने से अधिक जीवाश्म ईंधन के उत्पादन करने की राह पर हैं.
- भविष्य के जीवाश्म ईंधन उत्पादन का यह आकलन दुनिया के जीवाश्म ईंधन का 60% उत्पादन करने वाले आठ प्रमुख देशों: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नॉर्वे, रूस और अमेरिका द्वारा हाल ही में प्रकाशित ऊर्जा योजनाओं पर आधारित है.
UNEP क्या है?
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जो पर्यावरण से सम्बंधित गतिविधियों का समन्वय करती है. यह पर्यावरण की दृष्टि से उचित नीतियों एवं पद्धतियों का कार्यान्वयन करने में विकासशील देशों को सहायता प्रदान करती है.
UNEP पर संयुक्त राष्ट्र विभिन्न एजेंसीयों की पर्यावरण विषयक समस्याओं को देखने का दायित्व है. जहाँ तक वैश्विक तापवृद्धि (global warming) की समस्या पर चर्चा का प्रश्न है, इसको देखने का काम जर्मनी के Bonn में स्थित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (United Nations Framework Convention on Climate Change) का है.
UNEP जिन समस्याओं को देखता है उनमें प्रमुख हैं – वायुमंडल, समुद्री एवं धरातलीय पारिस्थितिकी तंत्र, पर्यावरणिक प्रशासन एवं हरित अर्थव्यवस्था.
UNEP पर्यावरण से सम्बंधित विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन एवं उन्हें धन देने का काम भी करता है.
Fast Facts
- UNEP का full-form है – United Nations Environment Programme
- मानवीय पर्यावरण पर हुए स्टॉकहोम सम्मलेन के परिणामस्वरूप UNEP का गठन जून 1972 में हुआ था.
- इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्यामें है.
- इसके संस्थापक और पहले निदेशक Maurice Strong थे.
- विश्व ऋतु विज्ञान संगठन और UNEP ने संयुक्त रूप से 1988 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change –IPCC) की स्थापना की थी.
- वैश्विक पर्यावरण सुविधा ( Global Environment Facility – GEF) तथा मोंट्रियल संधि (Montreal Protocol) के कार्यान्वयन के लिए बहुपक्षीय निधि के लिए कार्यरत कई एजेंसियों में से UNEP भी एक एजेंसी है.
- UNEP UNDP का एक सदस्य निकाय भी है.
- यह UNEP ही है जिसके तत्त्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय सायनाइड प्रबन्धन संहिता (The International Cyanide Management Code) बनी थी जिसमें सोना निकालने के समय सायनाइड के सही प्रयोग के बारे में निर्देश दिए गये थे.
प्रीलिम्स बूस्टर
CMS क्या है? – CMS संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम UNEP के अंतर्गत सम्पन्न एक पर्यावरण संधि है जिसका उद्देश्य परिव्रजन (migratory) करने वाली प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान करना है. इसे बोन संधि (Bonn Convention) भी कहते हैं.
विश्व पर्यावरण दिवस क्या है?
- यह दिवस प्रत्येक वर्ष जून 5 को मनाया जाता है.
- यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के तत्त्ववधान में 1974 से मनाया जाता रहा है.
- इसमें विश्व भर के हजारों समुदाय शामिल होते हैं.
- इस दिन संसार-भर में लोग पर्यावरण के संरक्षण की महत्ता के प्रति जागरूकता अभियान चलाते हैं और पर्यावरणगत नियमों के सकारात्मक वैश्विक प्रभाव को दर्शाते हैं. साथ ही वे ऐसी गतिविधियाँ चलाते हैं जिनसे स्थानीय स्तर पर लोगों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है.
- विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का एक अंग है.
- 2019 में 45वाँ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है जिसके लिए अतिथि देश के रूप में चीन का चयन हुआ है.
- इस बार की थीम है – वायु प्रदूषण को मात दो (Beat Air Pollution).
Prelims Vishesh
India Climate Change Knowledge Portal :-
- हाल ही में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा यह पोर्टल लॉन्च किया गया था.
- यह विभिन्न संबंधित मंत्रालयों द्वारा की गई विविध जलवायु पहलों पर एकल बिंदु सूचना स्त्रोत होगा.
- इससे जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सरकार द्वारा किए जा रहे सभी प्रमुख उपायों के बारे में नागरिकों के मध्य ज्ञान का प्रसार करने में सहायता प्राप्त होगी.
- पोर्टल के प्रमुख घटक: भारत की जलवायु प्रोफाइल, राष्ट्रीय नीतिगत रूपरेखा, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ताएं आदि.
National Organ Donation Day :-
- यह भारत में अंगदान के बारे में जागरूकता सृजित करने के प्रयास के रूप में मनाया जाता है.
- अंगदान के लिए सरकार द्वारा की गई पहलें:-
राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (National Organ Transplant Programme): इसका उद्देश्य मृतकों के अंगदान को बढ़ावा देकर जरूरतमंद नागरिकों की जीवन परिवर्तनकारी प्रत्यारोपण तक पहुंच को बेहतर बनाना है.
राष्ट्रीय अंग और रतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organisation : NOTTO): यह मृतक व्यक्तियों से अंगदान को बढ़ावा देने की गतिविधियों के संपादन हेतु मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम 2011 के तहत अधिदेशित है.
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