Sansar डेली करंट अफेयर्स, 02 February 2019

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 02 February 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Pradhan Mantri Shram-Yogi Maandhan Yojana

संदर्भ

वर्ष 2019-20 के बजट में भारत सरकार ने प्रधानमन्त्री श्रम योगी मानधन योजना की घोषणा की है.

योजना के मुख्य तथ्य

  • यह योजना असंगठित प्रक्षेत्र के उन श्रमिकों के लिए है जो प्रतिमाह 15,000 रू. तक की कमाई करते हैं.
  • इस योजना के लिए बजट में 500 करोड़ रू. का प्रावधान किया गया है.
  • इस योजना के अंतर्गत श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु के पश्चात् प्रतिमाह 3,000 रू. मिलेंगे.
  • इस पेंशन योजना में 29 वर्ष की आयु में जुड़ने वाले असंगठित प्रक्षेत्र के श्रमिक को 60 वर्ष का होने तक प्रतिमाह 100 रू. का अंशदान करना होगा. यदि कोई श्रमिक इस योजना में 18 वर्ष में शामिल होता है तो उसके लिए इस अंशदान की राशि मात्र 55 रू. प्रतिमाह होगी.
  • सरकार भी अपनी ओर श्रमिक के पेंशन खाते में उतना ही राशि जमा करेगी जितना वह श्रमिक करेगा.

योजना का माहात्म्य

यह आशा की जाती है कि असंगठित प्रक्षेत्र के कम से कम 10 करोड़ श्रमिक अगले पाँच वर्षों में इस योजना का लाभ उठाएँगे. इस प्रकार यह विश्व की सबसे बड़ी पेंशन योजना होगी.

भारत के GDP का आधा असंगठित प्रदेश के 42 करोड़ श्रमिकों के पसीने की कमाई से आता है, जैसे – फेरीवाले, रिक्शाचालक, निर्माण कामगार, कबाड़ चुनने वाले, खेतीहर मजदूर, बीढ़ी बनाने वाले, हथकरघा चलाने वाले, चमड़ा का काम करने वाले आदि. इसलिए सरकार ने यह आवश्यक समझा कि इन लोगों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई पेंशन योजना होनी चाहिए.


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : New panel for welfare of nomadic communities

संदर्भ

2019-20 के बजट में भारत सरकार ने घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और अनधिसूचित समुदायों के कल्याण के लिए एक पैनल की गठन की घोषणा की है. साथ ही यह भी घोषणा की गई है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन एक कल्याण विकास बोर्ड बनाया जाएगा जो कठिनाई से मिलने वाले इन समुदायों के लिए कार्यक्रम बनाएगा और उन्हें लागू करेगा.

मुख्य तथ्य

  • घुमंतू, अर्ध-घुमंतू एवं अनधिसूचित समुदायों के लिए जो पैनल गठित होगा वह नीति आयोग के अधीन होगा.
  • ये पैनल रेंके आयोग (Renke Commission) और आइडेट आयोग (Idate Commission) के द्वारा इस विषय में किये गये कार्य को आगे बढायेगा.

अनधिसूचित एवं घुमंतू समुदाय

  • अनधिसूचित जनजातियाँ वे समुदाय हैं जिनको ब्रिटिश काल में बने कई कानूनों में जन्मजात अपराधी मानते हुए अधिसूचित किया गया था. इनका सर्वप्रथम उल्लेख आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 में पाया जाता है.
  • ब्रिटिश सरकार ने ऐसे 200 जनजातीय समुदायों की सूची तैयार की थी. इस प्रकार इन जनजातियों को सामाजिक रूप से बहिष्कार का शिकार होना पड़ा और साथ ही प्रशासन ने इन्हें लगातार परेशान किया.
  • “ये समुदाय सर्वाधिक उत्पीड़ित थे” तथापि जातिगत आधार पर इन्हें सामाजिक अस्पृश्यता का सामना नहीं करना पड़ा.
  • अंग्रेजों द्वारा 19वीं शताब्दी के मध्य में लागू किये गये वन कानूनों ने इन समुदायों को शिकार और वनोत्पाद जमा करने के पारम्परिक अधिकारों से वंचित कर दिया. कह सकते हैं कि नए कानूनों ने इन समुदायों की आजीविका के साधनों को ही अपराध बना दिया.
  • जब ब्रिटिश सरकार व्यवसायिक उपयोग के लिए जंगलों को साफ़ करने लगी तो इन लोगों को मजदूर के रूप में काम करने को कहा गया. जब इनमें से कुछ लोगों ने काम करने से मना कर दिया तो उनको अपराधी घोषित कर दिया गया.
  • ब्रिटिश शासकों की यह सोच थी कि क्योंकि इन समुदायों की आजीविका के साधन समाप्त हो गये हैं, अतः ये अपराध से अपना पेट चला रहे होंगे.
  • जब भारत स्वतंत्र हुआ तो अनंतशयनम अय्यंगर की रिपोर्ट के आधार पर इन समुदायों को अपराधी जनजातियों की सूची से हटा कर उन्हें अनधिसूचित कर दिया गया.

इन जनजातियों के समक्ष समस्याएँ

  • इन समुदायों के लोग अभी भी रुढ़िवादी बने हुए हैं. इनमें से अधिकांश को भूतपूर्व-अपराधी जनजाति की संज्ञा दी गई है.
  • ये लोग अलगाव तथा आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना करते हैं. इनके अधिकांश पारम्परिक व्यवसायों, जैसे – साँप का खेल, सड़क पर कलाबाजी करने तथा मदारी का खेल दिखाने आदि को अपराधिक गतिविधि के तौर पर अधिसूचित कर दिया गया है. इससे इनके लिए अपनी आजीविका अर्जित करना और भी कठिन हो गया है.
  • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत भी कई अनधिसूचित, घुमन्तु और अर्ध – घुमन्तु जनजातियाँ हैं, किन्तु इन्हें कहीं भी वर्गीकृत नहीं किया गया है. साथ ही, विभिन्न सामाजिक-आर्थिक लाभों जैसे – शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास या ऐसी ही अन्य सुविधाओं तक इनकी पहुँच नहीं है.

आइडेट

  • इन समूहों की शिकायतों में भोजन, पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, निम्न स्तरीय बुनियादी ढाँचा इत्यादि शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, इनमें से अनेक लोग जाति प्रमाण पत्र न प्राप्त होने, राशन कार्ड, मतदाता पहचान-पत्र, आधार कार्ड आदि न होने की भी शिकायत करते हैं.
  • विभिन्न राज्यों के बीच इन समुदायों की पहचान करने को लेकर कई विसंगतियाँ विद्यमान हैं. इन जनजातियों एवं इनकी शिकायतों का समाधान करने वाले प्राधिकरण के विषय में जागरुकता का अभाव है.
  • इन सभी समस्याओं के परिणामस्वरूप कई समुदाय जनसंख्या में गिरावट की समस्या से जूझ रहे हैं.

आइडेट आयोग 

नीति आयोग ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social justice and Empowerment) द्वारा गठित एक पैनल के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है जिसमें अनधिसूचित (Denotified – DNT), अर्ध-घुमन्तू (Semi-Nomadic – SNT) एवं घुमंतू (Nomadic Tribes – NT) जनजातियों के लिए एक स्थायी आयोग बनाने की अनुशंसा की थी.

  • इस पैनल का नामभीकू रामजी आइडेट आयोग (Bhiku Ramji Idate Commission) है.
  • आयोग ने प्रस्तावित स्थायी आयोग के अध्यक्ष पद पर किसी लब्ध प्रतिष्ठ सामुदायिक नेता के चयन की अनुशंसा की है.
  • साथ ही कहा है कि इसमें सदस्य के रूप में एक वरिष्ठ केंद्र सरकार का नौकरशाह, एक मानवशास्त्री तथा एक समाजशास्त्री होना चाहिए.
  • इस आयोग ने यह भी अनुशंसा की है कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के समान इन जनजातियों (DNT, SNT, NT) के लिए अलगतीसरी अनुसूची बनाई जाए जिससे कि प्रस्तावित आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हो सके.

नए आयोग की आवश्यकता क्यों?

उल्लेखनीय है कि DNT, SNT, NT समुदाय स्वतंत्रता के बाद गठित कई आयोगों द्वारा सर्वाधिक वंचित समुदाय माने गये हैं. जनगणना में उनके लिए अलग से कोई प्रविष्टि नहीं होती है. पर 2008 में रेनके आयोग (Renke Commission) ने प्रतिवेदित किया था कि इन जनजातियों की जनसंख्या 10 से 12 करोड़ होगी.


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Best Practices in Budget survey

संदर्भ

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल नामक संस्था ने एक सर्वेक्षण किया है जिसमें विभिन्न देशों द्वारा बजट तैयार करने की प्रक्रिया में अपनाई जा रही सर्वोत्कृष्ट प्रथाओं का विश्लेषण किया गया है.

यह सर्वेक्षण जिन चार मानकों पर आधारित किया गया, वे हैं – सार्वजनिक प्रकटीकरण, बजट प्रक्रिया, बजट के पश्चात् वित्तीय प्रबंधन तथा बजट को अधिक पारदर्शी और नागरिकों के अनुकूल बनाने की चेष्टाएँ.

सर्वेक्षण के मुख्य तथ्य

  • सर्वेक्षण में असम राज्य को सर्वोच्च स्थान मिला और उसके पश्चात् आंध्र प्रदेश और ओडिशा का स्थान रहा.
  • सर्वेक्षण में सबसे नीचे के तीन स्थानों पर क्रमशः मेघालय, मणिपुर और पंजाब रहे.
  • 29 राज्यों और 2 संघीय क्षेत्रों में केवल असम ही वह राज्य था जिसने नागरिक बजट को सार्वजनिक डोमेन में डाल रखा था. साथ ही, असम की सरकार ऐसी एकमात्र सरकार है जिसने राज्य के 17 के 17 जिलों में बजट जागरूकता अभियान चलाया था.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल क्या है?

  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय जर्मनी की राजधानी बर्लिन में है.
  • इस संगठन को 1993 में कुछ व्यक्तियों द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए स्थापित किया गया था.
  • भ्रष्टाचार के आकलन के लिए पूरे विश्व में भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक का संकेतक के रूप में सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है.

GS Paper 2 Source: Times of India

toi

Topic : INSTEX – Instrument In Support Of Trade Exchanges

संदर्भ

INSTEX अर्थात् Instrument In Support Of Trade Exchanges एक भुगतान प्रणाली है. इस प्रणाली का प्रयोग यूरोपीय संघ ईरान के साथ व्यापार करने में कर रहा है. विदित हो कि अमेरिका ईरान के साथ मई 2018 में हुई आणविक संधि से हट गया है और उसने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. इन प्रतिबंधों से बचने के लिए यूरोपीय संघ INSTEX प्रणाली को अपनाने जा रहा है.

INSTEX के मुख्य तथ्य

  • INSTEX के माध्यम से यूरोपीय संघ और ईरान प्रत्यक्ष वित्तीय लेन-देन का सहारा लिए बिना आपस में व्यापार कर सकेंगे.
  • INSTEX को पेरिस में पंजीकृत किया गया है और इसकी आरम्भिक पूँजी 3,000 यूरो है. इसमें एक पर्यवेक्षण बोर्ड भी है जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन करता है. फ़्रांस और जर्मनी इस बोर्ड के अन्य सदस्य हैं.
  • INSTEX परियोजना फ़्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन की सरकारों की योजना है जिसका यूरोपीय संघ के सभी 28 सदस्यों द्वारा औपचारिक अनुमोदन लिया जाना है.
  • इस भुगतान प्रणाली का प्रयोग शुरू में अप्रतिबंधनीय व्यापार के लिए होगा जिसके अंदर मानव कल्याण के लिए उपयोगी सामग्रियाँ, जैसे – औषधि, भोज्य-पदार्थ, चिकित्सा उपकरण आदि आती हैं.

महत्ता

  • अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान के साथ हुए आणविक समझौते से निकलने का एकपक्षीय निर्णय ले लिया है. इस निर्णय की काट के रूप में यह प्रणाली अपनाई गई है.
  • INSTEX को लागू करने के निर्णय को मात्र ईरान और यूरोपीय संघ के रिश्तों के सन्दर्भ में देखना उचित नहीं होगा क्योंकि यह अमेरिकी नीतियों के प्रति यूरोपीय संघ के एक नए दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित करता है. इससे यूरोपीय संघ की आर्थिक शक्ति सुदृढ़ होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है.
  • अमेरिका का कहना है कि उसने ईरान के प्रति अधिकतम दबाव बनाने की जो नीति अपनाई है, यदि यूरोपीय संघ उससे बच निकलना चाहे तो वह भी कठोर दंडों का पात्र हो जायेगा.

GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi

संदर्भ

छोटे और सीमांत किसानों को निश्चित आय का सहारा प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने 2019-20 के बजट में प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) नामक एक योजना का अनावरण किया है.

यह योजना क्या है?

  • इस योजना के तहत दो हेक्टेयर तक कृषि भूमि रखने वाले किसान परिवारों को छ: हजार रुपये प्रतिवर्ष की दर से प्रत्यक्ष भुगतान किया जाएगा.
  • यह राशि लाभार्थी किसानों के बैंक खातों में 2-2 हजार की तीन समान किश्तों में प्रत्यक्ष रूप से डाल दी जायेगी.

महत्ता

इस योजना से लगभग 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसान परिवारों को लाभ पहुँचने की आशा है. ये परिवार सर्वाधिक संकटापन्न परिवार होते हैं. योजना से मिली हुई पूरक आय से वे खरीफ और रबी खेती के लिए आवश्यक सामग्रियों का क्रय कर पायेंगे. इस प्रकार उनके सामने का और अच्छे ढंग से जीने का मार्ग खुल जायेगा.


GS Paper 3 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Rashtriya Gokul Mission

संदर्भ

वर्ष 2019-20 के बजट में भारत सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए 750 करोड़ रू. के आवंटन की घोषणा की है जिससे कि देशी नस्ल की गायों और सांडों की संख्या और उनसे मिलने वाली दूध की मात्रा बढ़ाई जा सके.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन क्या है?

भारत सरकार दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निर्मित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Dairy Plan 1) के माध्यम से राज्यों को सहायता कर रही है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन को देशी गायों और भैसों की नस्लों के विकास और उनके संरक्षण के उद्देश्य से शुरू किया गया है जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है. यह मिशन राष्ट्रीय गव्य प्रजनन एवं दुग्ध विकास कार्यक्रम (National Programme for Bovine Breeding and Dairy Development – NPBBD) के अधीन चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के संचालन में कई अन्य एजेंसियों का सहयोग लिया जाएगा जिन्हें प्रतिभागी एजेंसियाँ कहा गया है. ये हैं – CFSPTI, CCBFs, ICAR, विश्वविद्यालय, कॉलेज, गैर-सरकारी संगठन, सहकारी सोसाइटियाँ और सर्वश्रेष्ठ प्रजनन सुविधा वाली गौशालाएँ.

इस मिशन के तहत गायों और भैंसों की छह-छह स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है. ये नस्लें हैं –> गायों की 6 देशी नस्लें : गिर, साहिल, राठी, कंकरेज, थारपारकर और हरियाणा और भैसों की 6 नस्लें : मुर्रा, मेहसानी, जाफराबादी, नीली रवि, पंढरपुरी और बन्नी.

गोकुल ग्राम

  • राष्ट्रीय गोकुल योजना को देशी गायों और भैसों की नस्लों के विकास और उनके संरक्षण के उद्देश्य से शुरू किया गया है जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है.
  • इस योजना के तहत “गोकुल ग्राम” नामक देशी केन्द्रों की स्थापना के लिए राशि दी जायेगी.
  • गाँवों में गोकुल ग्राम की स्थापना उन क्षेत्रों में की जायेगी जहाँ देशी नस्लों का मूल स्थान है.
  • शहरी पशुओं को बड़े-बड़े नगरों के नजदीक रखा जायेगा.
  • गोकुल ग्राम केन्द्रों में देशी नस्ल के पशु विकसित किए जायेंगे और यहाँ से किसानों को सच्चे देशी नस्ल के पशुओं की आपूर्ति की जायेगी.
  • गोकुल ग्राम एक आत्म-निर्भर केंद्र होगा जिसकी आमदनी इन स्रोतों से होगी — A2 दूध की बिक्री, गोबर खाद, केंचुआ खाद, गोमूत्र का अर्क, बायो-गैस से उत्पन्न बिजली जिसकी खपत गोकुल धाम में ही होगी आदि.
  • ये ग्राम किसानों, प्रजनन व्यवसाइयों औरकृत्रिम गर्भाधान में MAITRI कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित गौसेवकों के लिए अत्याधुनिक प्रशीक्षण केंद्र का काम करेगा.
  • इस गोकुल ग्राम में रखे जाने पशुओं में 60% दुधारू पशु और 40% बूढ़े पशु रखे जायेंगे.
  • गोकुल ग्राम में 1000 तक पशु रखे जा सकते हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : New e-commerce policy comes into effect

संदर्भ

फरवरी 1, 2019 से भारत की नई ई-वाणिज्य नीति प्रभावी हो गई है. औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग (DIPP) ने सभी ई-वाणिज्य कंपनियों को 60 दिन का समय दिया है जिसके अंदर उनको सरकार के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के सुधारित नियमों को ध्यान में रखकर सामंजस्य बैठा लेना है.

नई नीति के मुख्य तथ्य

  • ऑनलाइन खुदरा विक्रेता उन वेंडरों के माध्यम से अपने उत्पाद नहीं बेच सकेंगे जिनसे उनका कोई इक्विटी हित जुड़ा हुआ है.
  • ये कंपनियाँ ब्रांडों के साथ अलग से कोई ऐसी डील नहीं कर पाएंगी कि वे अपना उत्पाद केवल उनके ही प्लेटफॉर्म पर बेचें.
  • ऑनलाइन खुदरा विक्रेता अपने प्लेटफार्म से सभी वेंडरों को उत्पाद बेचने का समान अवसर देंगे और किसी भी प्रकार से सामान का विक्रय मूल्य प्रभावित नहीं करेंगे.
  • ई-वाणिज्य कंपनियाँ वेंडरों की इन्वेंटरी को नियंत्रित नहीं करेंगी.
  • यदि ई-वाणिज्य खुदरा विक्रेता किसी वेंडर से 25% से अधिक खरीद करता है तो यह माना जाएगा कि वह उस वेंडर की इन्वेंटरी को नियंत्रित कर रहा है.
  • नए नियम के अनुसार कोई भी ई-वाणिज्य कम्पनी बहुत अधिक डिस्काउंट देकर अथवा कैशबैक देकर, लम्बी वार्रेंटी देकर अथवा अधिक तेजी से डिलीवरी देकर मूल्यों को प्रभावित नहीं करेगी जिससे कि सब को समान अवसर मिल सके.

प्रत्याशित प्रभाव और परिणाम

  • नई नीति से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले ई-वाणिज्य कंपनियाँ वे कंपनियाँ होंगी जो वैश्विक-स्तर पर काम करती हैं, जैसे – वालमार्ट की फ्लिप्कार्ट और अमेज़न.
  • इन कंपनियों को नई नीति के अनुसार अपने व्यवसाय के ढाँचे को बदलना अनिवार्य हो जायेगा. नए नियमों को लागू करने के लिए सरकार ने 60 दिन का समय दिया है. परन्तु अमेज़न और फ्लिपकार्ट इस समय-सीमा को 4-6 महीने बढ़ाने का अनुरोध कर रही है.
  • नये नियमों के कारण इन दो कम्पनियों को बहुत बड़ा घाटा हो सकता है.
  • हाल ही में नई नीति  कारण फ्लिपकार्ट के शेयर-मूल्यों में 50 बिलियन डॉलर की कमी देखी गई. अमेज़न के शेयरों के मूल्य भी 5.4% घट गये हैं.

Prelims Vishesh

Guru Padmasambhava :-

  • आठवीं शताब्दी के बौद्ध संत गुरु पद्मसंभव के जीवन और अवदान से सम्भावित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी नई दिल्ली में आयोजित हो रही है.
  • इस सम्मेलन का शीर्षक “गुरु पद्मसंभव का जीवन और अवदान” रखा गया है.
  • इस वर्ष भारत और भूटान के कूटनीतिक सम्बन्ध के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं. सम्मेलन में इस पर भी प्रकाश डाला जायगा.
  • ज्ञातव्य है कि द्वितीय बुद्ध नाम से विख्यात पद्मसंभव ने हिमालयी क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए बहुत बड़ा काम किया था. इस क्षेत्र में पूर्वोत्तर भारत के अतिरिक्त नेपाल, भूटान और तिब्बत आते हैं.
  • तिब्बती लोग पद्मसम्भव को गुरु रिनपोशे के नाम से जानते हैं.
  • पद्मसम्भव के जीवन और उपदेशों को बहुधा चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है. इन चित्रों की एक विशेष शैली होती है जिसे थंगका/थंका/थांका शैली कहते हैं.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

[vc_message message_box_color=”juicy_pink” icon_fontawesome=”fa fa-file-pdf-o”]December, 2018 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadnew_gif_blinking[/vc_message]
Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]