Sansar Daily Current Affairs, 02 January 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : CHIEF VIGILANCE COMMISSIONER (CVC)
संदर्भ
केंद्रीय सतर्कता आयोग (Chief Vigilance Commissioner – CVC) द्वारा मंत्रालयों को प्रणालीगत सुधारों के लिए नागरिकों के सुझाव प्रेषित कर दिए हैं. CVC द्वारा की गई यह कार्यवाही पूर्ण रूप से एक नया प्रयोग है. इसे विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में एक “प्रणालीगत सुधार” को लागू करने या बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया है.
पृष्ठभूमि
CVC ने दंडात्मक सतर्कता दृष्टिकोण की बजाय अपने “निवारक सतर्कता” दृष्टिकोण के भाग के रूप में सुझावों की मांग की थी.
क्या सुझाव दिए गये हैं?
- प्रशासनिक और व्यवहार संबंधी परिवर्तन जैसे सरकारी अधिकारियों द्वारा फोन कॉल का जवाब नहीं दिया जाना.
- प्रत्येक विभाग द्वारा तृतीय पक्ष के माध्यम से जांच / परीक्षण सुनिश्चित करवाना.
- किसी सरकारी कर्मचारी के वेतन को किसी भी तरह उसके प्रदर्शन से जोड़ना.
- बैंकों में अनियमितताओं की जांच करने के लिए कर्मचारियों को बैंक के ही अलग-अलग कार्यों में संलग्न करना (जॉब रोटेशन).
CVC क्या है?
- यह सतर्कता से सम्बंधित देश की सर्वोच्च संस्था (vigilance institution) है.
- यह अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है.
- यह एक संवैधानिक संस्था नहीं है अपितु Santhanam committee की सिफारिशों के आधार पर एक कार्यकारी आदेश से इसका गठन 1964 में किया गया.
- इस आयोग में एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं.
- इनका चयन प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा के विपक्षी के नेता मिल कर करते हैं और उस पर राष्ट्रपति मुहर लगाते हैं.
- यदि कोई विपक्ष का नेता नहीं है तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता इस चयन में भाग लेता है.
- इनका कार्यकाल 4 साल का अथवा आयुक्त के 65 वर्ष के हो जाने तक होता है.
- दुर्व्यवहार और अयोग्यता साबित हो जाने पर राष्ट्रपति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और अन्य सतर्कता आयुक्त को हटा सकता है.
संथानम समिति
भारत जब आज़ाद हुआ तब भी लोक प्रशासन में भ्रष्टाचार व्याप्त था. वर्ष 1948 में सेना का जीप खरीद घोटाला सामने आया और देश में भ्रष्टाचार कमोबेश यूं ही चलता रहा. वर्ष 1957 का मूंदड़ा घोटाला भ्रष्टाचार का ऐसा बड़ा मामला था, जिसमें केंद्रीय मंत्री शामिल पाए गए थे. इस मामले में तत्कालीन वित्तमंत्री टी. टी. कृष्णमाचारी को इस्तीफा तक देना पड़ा था. इन परिस्थितियों में तत्कालीन गृह मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भ्रष्टाचार रोकने के तात्कालिक तंत्र की समीक्षा और सुझाव के लिये तमिलनाडु के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के. संथानम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. वर्ष 1962 में गठित इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही प्रथम और द्वितीय श्रेणी के सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिये 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन हुआ. इसके अतिरिक्त पहली बार ‘लोकपाल‘ नामक संस्था का विचार भी संथानम की रिपोर्ट से ही निकला हुआ माना जाता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Related to Health.
Topic : Global Alliance for Vaccines and Immunisation
संदर्भ
हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को वैश्विक टीकाकरण एवं प्रतिरक्षण गठबंधन (Global Alliance for Vaccines and Immunisation– GAVI) बोर्ड में सदस्य के तौर पर नामित किया गया है.
डॉ. हर्षवर्धन GAVI बोर्ड में दक्षिण-पूर्व क्षेत्र क्षेत्रीय कार्यालय (SEARO) / पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रीय कार्यालय (WPRO) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे.
GAVI बोर्ड
- गावी (GAVI) बोर्ड रणनीतिक दिशा एवं नीति-निर्माण के लिए जिम्मेदार है. इसके अलावा यह टीका गठबंधन के संचालनों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी भी करता है.
- इसके साथ ही, कई साझेदार संगठनों और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों सहित यह संतुलित रणनीतिक निर्णय लेने, नवाचार और सहयोगात्मक साझेदारी के लिए भी एक मंच उपलब्ध कराता है.
GAVI: वैक्सीन एलायंस
- GAVI का पूरा नाम है – Global Alliance for Vaccines and Immunisation.
- GAVI गठबंधन 2000 में यूनिसेफ, WHO, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, विश्व बैंक, अनुसंधान एजेंसियों, वैक्सीन निर्माताओं और कई अन्य निजी क्षेत्र के भागीदारों की भागीदारी के अंतर्गत स्थापित किया गया था.
- GAVI, गरीब देशों में टीकाकरण की पहुँच बढ़ाकर, बच्चों के जीवन बचाने तथा लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के मिशन का संचालन करता है.
- इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को दृढ़ता प्रदान करना है एवं देशों को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के निकट लाना है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Model Tenancy Act
संदर्भ
सरकार द्वारा आदर्श किरायेदारी अधिनियम (Model Tenancy Act) प्रस्तुत करने की योजना निर्मित की जा रही है.
आदर्श किरायेदारी अधिनियम का उद्देश्य किरायेदारों एवं गृहपतियों के बीच दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके विश्वास को बढ़ाना है.
पृष्ठभूमि
इससे पहले जुलाई 2019 में, सरकार ने आदर्श किरायेदारी अधिनियम, 2019 (Model Tenancy Act, 2019) का प्रारूप निरत किया था.
आदर्श किरायेदारी अधिनियम, 2019 के प्रारूप के विषय में जानकारी
- प्रारूप के अनुसार यदि कोई मकान मालिक किराए में संशोधन चाहता है तो उसे इसके लिए तीन महीनों की लिखित सूचना देनी होगी.
- प्रत्येक जिले में जिला कलक्टर को किराया प्राधिकारी नियुक्त किया जाएगा.
- जो किराएदार विहित समय से अधिक टिके रहेंगे उनपर भारी अर्थदंड लगाया जाएगा. उन्हें किराए का दुगुना और बाद में चौगुना तक देना होगा.
- किराएदार को जो अग्रिम सिक्यूरिटी राशि जमा करनी है वह अधिकतम दो महीने के किराए के बराबर होगी.
- मकान मालिक और किराएदार दोनों को किराया समझौते की एक प्रति जिला किराया प्राधिकारी को देनी होगी.
- क्योंकि भूमि राज्य का विषय है इसलिए प्रस्तावित कानून को अंगीकृत करने का काम राज्यों पर छोड़ दिया गया है.
- राज्यों को किराया न्यायालय और किराया पंचाट गठित करने होंगे.
- यदि मकान मालिक मरम्मत करने से मन करता है तो किराएदार मरमत्त करके उसका पैसा किराए से काट लेगा.
- कोई भी मकान मालिक किराए पर उठाये हुए परिसर के अन्दर बिना 24 घंटे पूर्व की सूचना के घुस नहीं सकता है.
- यदि मकान मालिक और किराएदार के बीच कोई विवाद है तो मकान मालिक बिजली और पानी काट नहीं सकता है.
- यदि मकान मालिक बिजली-पानी काटता है तो किराएदार किराया प्राधिकारी को इसकी सूचना देकर क्षतिपूर्ति की माँग कर सकता है.
- यदि किराया प्राधिकारी को लगे कि आवेदन यों ही और तंग करने के लिए दिया गया है तो वह मकान मालिक या किरायादार पर अर्थदंड लगा सकता है.
माहात्म्य
प्रस्तावित कानून का महत्त्व यह है कि इससे कई मामले व्यवहार न्यायालयों में जाने से रुक जाएँगे और इस प्रकार उन न्यायालयों का भार हल्का हो जाएगा. साथ ही कानूनी पचड़ों में फंसी किराए पर दी गई परिसम्पत्तियाँ मुक्त हो सकेंगी. इस प्रकार प्रस्तावित विधेयक में किराएदार और मकान मालिक दोनों के हितों पर ध्यान दिया गया है. यह प्रवासियों, औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों, पेशेवरों, छात्रों एवं शहरी निर्धनों सहित समाज के विभिन्न वर्गों हेतु समावेशी तथा सतत पारिस्थितिक-तंत्र को बढ़ावा देगा.
चुनौतियाँ
भारत में अधिकांश किराएदारियां अनौपचारिक हैं, इस प्रकार वे अपंजीकृत बनी हुई हैं. अधिनियम मौजूदा व्यवस्था को औपचारिक बनाता है; जिससे किराए भी बढ़ सकते हैं. चूँकि यह अधिनियम राज्यों पर बाध्यकारी नहीं है, इसलिए राज्यों द्वारा आदर्श अधिनियम को लागू नहीं करने की संभावना भी है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.
Topic : Recusal of Judges
‘न्यायिक निरर्हता’ अथवा ‘सुनवाई से इंकार’ का तात्पर्य:
किसी पीठासीन न्यायायिक अधिकारी अथवा प्रशासनिक अधिकारी द्वारा हितों के टकराव के कारण किसी न्यायिक सुनवाई अथवा आधिकारिक कार्रवाई में भागीदारी से इंकार करने को न्यायिक निरर्हता (Judicial disqualification), ‘सुनवाई से इंकार’ करना अथवा ‘रिक्युजल’ (Recusal) कहा जाता है.
सुनवाई से स्वयं को अलग करने संबंधी प्रावधान
- भारतीय संविधान के अंतर्गत न्यायाधीशों के लिये न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करने को लेकर किसी प्रकार का कोई लिखित नियम नहीं है. यह पूर्ण रूप से न्यायाधीश के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है.
- साथ ही न्यायाधीशों को इस संबंध में कारणों का खुलासा करने की ज़रूरत भी नहीं होती है.
- कई बार न्यायाधीशों के हितों का टकराव मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने का सबसे मुख्य कारण होता है. उदाहरणार्थ यदि कोई मामला उस कंपनी से संबंधित है जिसमें न्यायाधीश का भाग भी है तो उस न्यायाधीश की निष्पक्षता पर आशंका ज़ाहिर की जा सकती है.
- इस प्रकार यदि न्यायाधीश ने पूर्व में मामले से संबंधित किसी एक पक्ष का वकील के तौर पर प्रतिनिधित्व किया हो तो भी न्यायाधीश की निष्पक्षता पर शंका उत्पन्न हो सकती है.
- यदि मामले के किसी एक पक्ष के साथ न्यायाधीश का व्यक्तिगत हित जुड़ा हो तब भी न्यायाधीश अपने विवेकाधिकार का उपयोग मामले की सुनवाई से अलग होने का निर्णय कर सकते हैं.
- हालाँकि उक्त सभी स्थितियों में मामले से अलग होने अथवा न होने का निर्णय न्यायाधीश के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है.
इस संबंध में अन्य मामले
- इस संबंध में सबसे पहला मामला वर्ष 1852 में सामने आया था, जहाँ लाॅर्ड कॉटनहैम ने स्वयं को डिम्स बनाम ग्रैंड जंक्शन कैनाल (Dimes vs Grand Junction Canal) वाद की सुनवाई से अलग कर लिया था, क्योंकि लाॅर्ड कॉटनहैम के पास मामले में शामिल कंपनी के कुछ शेयर थे.
- वर्ष 2018 में जज लोया मामले में याचिकाकर्त्ताओं ने मामले की सुनवाई कर रहे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, जस्टिस ए.एम. खानविल्कर और डी. वाई. चंद्रचूड़ को सुनवाई से अलग करने का आग्रह किया था, क्योंकि वे दोनों ही बंबई उच्च न्यायालय से थे. हालाँकि न्यायालय ने ऐसा करने इनकार करते हुए स्पष्ट किया था कि यदि ऐसा किया जाता है तो इसका अर्थ होगा कि न्यायालय अपने कर्तव्यों का त्याग कर रहा है.
- 2019 में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) के अंतरिम निदेशक के रूप में एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति को चुनौती देना वाली याचिका की सुनवाई करते हुए मामले से संबंधित तीन न्यायाधीशों ने स्वयं को मामले से अलग कर लिया था.
- सर्वप्रथम तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने यह कहते हुए स्वयं को मामले से अलग कर लिया कि वे नए CBI निदेशक को चुनने हेतु गठित समिति का हिस्सा थे.
- रंजन गोगोई के स्थान पर मामले की सुनवाई करने के लिये जस्टिस ए.के. सीकरी को नियुक्त किया गया. किंतु जस्टिस ए.के. सीकरी ने भी यह कहते हुए स्वयं को मामले से अलग कर लिया कि वे उस पैनल का हिस्सा थे जिसने पिछले CBI निदेशक आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने का निर्णय लिया था.
- इसके पश्चात् मामले से संबंधित एक अन्य न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमाना ने भी व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए स्वयं को मामले से अलग कर लिया.
मेरी राय – मेंस के लिए
वरिष्ठ वकीलों और विशेषज्ञों का मानना है कि न्यायाधीशों को किसी भी मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग करने के कारणों का लिखित स्पष्टीकरण देना चाहिये, चाहे वे व्यक्तिगत कारण हों या सार्वजानिक कारण. वर्ष 1999 में दक्षिण अफ्रीका की संवैधानिक न्यायलय ने कहा था कि “न्यायिक कार्य की प्रकृति में कई बार कठिन और अप्रिय कार्यों का प्रदर्शन भी शामिल होता है और इन्हें पूरा करने के लिये न्यायिक अधिकारी को दबाव के सभी तरीकों का विरोध करना चाहिये.” बिना किसी डर और पक्षपात के न्याय प्रदान करना सभी न्यायिक अधिकारियों का कर्तव्य है. यदि वे विचलित होते हैं तो इससे न्यायपालिका और संविधान की स्वतंत्रता प्रभावित होती है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighborhood- relations. Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Extensive efforts are being made by India to expand its neighborhood
संदर्भ
भारत द्वारा अपने पड़ोस को विस्तारित करने हेतु व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं
तत्काल और विस्तारित पड़ोस में भारत क॑ रणनीतिक लक्ष्यों के अनुसरण में
भारत ने सेशेल्स के असम्पशन द्वीप (Assumption Island) पर परियोजना के लिए भी प्रयास किए हैं, जो भारतीय नौसेना को पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region: IOR) की ओर अपनी पहुंच में एक बढ़त प्रदान करेगी.
विस्तारित पड़ोस की अवधारणा में भारत को अन्य क्षेत्रों से जोड़ना शामिल है, जो आवश्यक रूप से सीमाओं को तो साझा नहीं करते हैं, परन्तु सांस्कृतिक, नागरिक या आर्थिक संबंध साझा करते हैं.
इसमें हिंद महासागर क्षेत्र के देश, पूर्वी अफ्रीका के तटवर्ती देश, खाड़ी क्षेत्र के देश, मध्य अफ्रीका क्षेत्र में अफगानिस्तान और साथ डी साथ दक्षिण-पूर्वी एशिया के देश सम्मिलित हैं.
हिन्द महासागर का महत्त्व क्यों?
- यह महासागर वैश्विक व्यापार के चौराहे पर स्थित है. अतः यह उत्तरी अटलांटिक और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थित बड़ी-बड़ी अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ता है. इसका महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है कि आज की युग में वैश्विक जहाजरानी उभार पर है.
- हिन्द महासागर प्राकृतिक संसाधनों में भी समृद्ध है. विश्व का 40% तटक्षेत्रीय तेल उत्पादन हिन्द महासागर की तलहटियों में ही होता है.
- विश्व का 15% मत्स्य उद्योग हिन्द महासागर में ही होता है.
- हिन्द महासागर की तलहटी तथा तटीय गाद में बहुत-सारे खनिज होते हैं, जैसे – निकल, कोबाल्ट, लोहा, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, चाँदी, सोना, टाइटेनियम, ज़िरकोनियम, टिन आदि.
असम्पशन द्वीप
- असम्पशन द्वीप मेडागास्कर के उत्तर में सेशेल्स के बाहरी द्वीपों में स्थित एक छोटा सा द्वीप है जो माहे द्वीप पॉर स्थित राजधानी विक्टोरिया से 1135 किमी दक्षिण पश्चिम में है.
- यह 11.6 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ एक कोरल द्वीप है.
- यह द्वीप मोज़ाम्बिक चैनल के बहुत निकट है और अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार इसी क्षेत्र से होता है. इसी द्वीप के निकट यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कोरल द्वीप ‘एल्डब्रा एटोल’ (Aldabra atoll) अवस्थित है. ज्ञातव्य है कि एल्डब्रा एटोल कोरल द्वीप पर विशालकाय कछुओं (Giant Tortoise) की सर्वाधिक जनसंख्या वास करती है.
मेरी राय – मेंस के लिए
जैसा कि चीन ने बुनियादी ढांचे और सुरक्षा परियोजनाओं के माध्यम से विस्तारित पड़ोस में अपनी स्थिति को मजबूत किया है, ऐसे में भारत को ऐतिहासिक संबंधों का निर्माण करने और आर्थिक एवं प्रवासी संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता है. हिन्द महासागर के के तटवर्ती देश भारत के समक्ष अंतर्देशीय और अपतटीय दोनों प्रकार की सुरक्षा चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं. इन देशों में स्थिरता, शांति और आर्थिक संवृद्धि भी क्षेत्र में साझा विकास के कारण भारत की समृद्धि में योगदान करती हैं.
Prelims Vishesh
Cabinet approves Opening of 3 Indian Missions in Estonia, Paraguay and Dominican Republic :-
- हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021 में एस्टोनिया, पैराग्वे और डोमिनिकन गणराज्य में 3 भारतीय मिशन खोलने को स्वीकृति दी है. (यह जानकारी इन्टरनेट से प्राप्त कर लें कि ये देश कहाँ हैं)
- इन देशों में तीन भारतीय मिशन खोलने से भारत का राजनयिक दायरा बढ़ाने, राजनीतिक संबंधों को गहरा करने, द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और आर्थिक जुड़ाव में विकास को सक्षम करने, लोगों से लोगों के मजबूत संपर्कों को कायम करने, बहुपक्षीय मंचों में राजनीतिक पहुंच को बढ़ावा देने और भारत के विदेश नीति उद्देश्यों के लिए समर्थन जुटाने में मदद मिलेगी.
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